विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 24 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 24

विश्वास (भाग -24)

"उमा जी यह तो बहुत ज्यादा है, आप हमारे मेहमान हैं। आप से कैसे ले सकते हैं"?
उमा जी--- "भाई साहब ये मैं स्कूल के लिए दे रही हूँ। आप लोग इतना नेक काम कर रगे हैं तो हम भी इसकी भागीदार बनना चाहती हैं, प्लीज आप मना मत कीजिए"।
सर --- " अब आगे मैं क्या कहूँ बहन जी, आप जैसी कहें"।
उमा जी-- "धन्यवाद भाई साहब"।
टीना -- थैंक्यू सर। चलो दादी बाहर सब इंतजार कर रहे हैं।

भुवन और उसकी मम्मी उनका इंतजार कर रहे थे।"माँ जी कैसा लगा आपको बच्चों का सपना"। बहुत ही अच्छा और नेक सपना है बच्चों का और भगवान से प्रार्थना करुँगीं कि बच्चे तरक्की करें और बच्चों के सपने को पूरा करने में मदद करें"।
भुवन की माँ --- "बस आप का आशीर्वाद चाहिए"।
भुवन --- "हाँ दादी जी बस आप सब लोगों का साथ और आशीर्वाद मिलता रहे, हम कामयाब जरूर होंगे"।
"हाँ बेटा हम तो हमेशा तुम्हारे साथ हैं। दादी और माँ एक साथ बोली तो भुवन और टीना हँस दिए"।

"क्या हुआ शेरनी तुम कैसे चुप हो"? "आँटी जी मैं सोच रही थी कि स्कूल तो अप्रैल से स्टार्ट होगा, जिसमें अभी 6-7 महीने हैं तब तक आप इन दोनो लव बर्डस की शादी करवा दो। स्कूल खुलने के बाद और बिजी हो जाँएगें"। "बिल्कुल ठीक कह रही हो टीना"। "मैं आज ही इसके पापा से बात करती हूँ"। भुवन की माँ ने कहा।

"अरे आँटीजी मैं तो कहती हूँ आज का दिन अच्छा है न तो आज क्यो व सगाई ही कर दो, मैं भी अटैंड कर लूँगी फिर पता नहीं मैं कब आऊँगी"। "शेरनी कम बोल, चल उतर घर आ गया"। भुवन ने कहा तो, "अभी कहा की कुछ बोल अब बोली तो कहा जा रहा है कि कम बोल, देख रही हो आप दोनो कैसे दोस्त की आवाज को दबाया जा रहा है"? टीना के इतना कहते ही तीनों हँस दिए।

घर आए तो मोहन ने खाना तैयार कर रखा था । मोहन के दोनों बेटे श्याम और राजेश आँगन में रखे सामान को समेट रहे थे। भुवन के दोनों छोटे भाई रवि और नरेन ऊपर की सफाई करवा रहे थे।

"श्याम और राजेश ने खाना खाया मोहन भैया ? हाँ भैया, चारों भाइयों ने खा लिया है। खाना लगाते हुए मोहन ने कहा"। शायद टीना की मजाक में कही बात भुवन की माँ को जँच गयी थी। इसलिए उन्होॆने भुवन के पापा के सामने बात रखी ये कहते हुए की "माँ जी का आशीर्वाद भी मिल जाएगा, हम सादे तरीके से सगाई कर देते हैं। शादी भी 2-3 महीने में कर देंगे"।

भुवन के पापा को भी सही लगा तो उन्होने भुवन से राय पूछी तो उसने भी कहा ठीक है, आप सब जैसे कहो। संध्या के पापा को फोन पर ही सब बता कर संध्या और उनको घर आने के लिए कहा। संध्या की माँ या बहन भाई कोई भी नही है। भुवन के पिता ने गाँव के 4-5 बुजुर्ग लोगो को भी न्यौता दिया। शाम को संध्या और उसके पिता जी को लेने रवि को भेजा गया।

संध्या को फोन पर भुवन ने सब बताया, पहले तो वो गुस्सा हुई कि भुवन ने उससे बात किए बिना हाँ क्यों बोला, पर जल्दी ही मान गयी। शाम को दोनों की सगाई हो गयी। पंडित जी से तुरंत शादी का मुहुर्त भी निकाला गया 29 नंवबर का। दोनो परिवार की खुशी में खुश थे।

पापा हम शादी इसी तारीख को मंदिर में ही करेंगे। हम दोनो की खुशी इसी में है। आप दोनो परिवार जो पैसा शादी में खर्च करना चाहते हैं वो स्कूल के लिए दान कर दीजिऐगा"। भुवन के ऐसे कहने पर उसके पापा ने उसे गले से लगा लिया। आज दोनो परिवारों को अपने बच्चों पर गर्व हो रहा था।

"ठीक है बच्चों हम ऐसा ही करेंगे"। "ठीक है न समधी जी भुवन के पापा ने संध्या के पिता जी को कहा"। "हमारे तो भाग खुल गए हैं ऐसा दामाद और समधी पा कर, मुखिया जी आपका बेटा अगर हीरा है तो आप पूरे गाँव के लिए किसी देवता से कम नहीं"। टीना और दादी ये सब देख कर बहुत भावुक हो गयी।

टीना ने संध्या को अपने गले में पहनी सोने की चेन पहनाते हुए कहा, "मुझे पता नही था कि मैं आपसे मिलने आ रही हूँ , नहीं तो कुछ लाती आपके लिए। आप के लिए मेरी तरफ से गिफ्ट, मना मत करना मुझे अच्छा नहीं लगेगा"। संध्या ने भुवन की तरफ देखा तो भुवन ने उसको पहने रखने का इशारा किया। संध्या और भुवन ने उमा जी के पैर छुए तो दादी ने उन्हें गले से लगा लिया।

"मेरे पैर नहीं छुओगे आप दोनो", टीना ने थोड़ा संजीदा हो कर कहा तो भुवन ने कहा "आफत के पैर नहीं छूते उससे दूर रहते हैं"। कह वो पीछे हटने का नाटक करने लगा, तो सब हँस दिए।

सबको मिठाई देती भुवन की माँ बोली, "टीना के पैर कोई और भले ही न छुए मैं जरूर छुऊँगी। इसकी वजह से ही तो ये दिन देख लिया मैंने। कह कर वो टीना के पैर छूने को झुक गयी"। "नहीं आँटी जी आप यह कौसे कर सकते हो, आप बड़े हो , वैसे भी मैं भुवन से मजाक कर रही थी। उनको पकड़ कर गले से लग गयी, मम्मी की जगह तो यहाँ होती है आँटी जी"।

"अच्छा शेरनी को डॉयलाग मारने भी आते हैं, मुझे पता नहीं था"। कहता हुआ भुवन उसके पैर छूने के लिए झुक गया, ये सब इतना अचानक हुआ कि टीना कुछ कहती, समझती भुवन ने उसके पैर छू लिए। "अब खुश हो, तो आशीर्वाद भी दे दो"। " मे गॉड ब्लेस यू ", टीना ने भी मजाक का जवाब नाटकीय ढंग से दिया।
क्रमश: