उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

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सभी मित्रों को

स्नेहमय नमस्कार

जीवन की तलहटी में ऊपर नीचे घूमते हुए हमें न जाने कितने लोग मिलते हैं। वो मिलते हैं और कुछ देर साथ रहने वाले सहयात्री की भाँति हमसे बिछड़ भी जाते हैं।

मनुष्य इस जीवन में अनेकों से मिलता है, कुछ देर साथ रहता है और अपनी अपनी दिशा की ओर बढ़ जाता है। लेकिन हमारी ज़िंदगी में ऐसे लोगों की बहुत आवश्यकता है जो हमसे भीतर से जुड़े रहें और हम उनसे।

लोगों को अथवा हमें प्रेम, विश्वास, और सपोर्ट की ज़रुरत तब सबसे ज्यादा होती है जब हम किसी बुरे दौर से गुजर रहे हों लेकिन अक्सर हम उनके उपलब्धि में तो शामिल होते हैं पर नाकामी में मदद करने के लिए उन्हें अकेला छोड़ देते हैं।

अगर हमारे पास एक भी ऐसा शख्स है जो हमें हर हाल में स्वीकार करता है या हम उन्हें तो हम सभी इस दुनिया को सहजता से पार कर सकते हैं और कठिन से कठिन मंज़िल को पा सकते हैं।हमें यह जानना होगा कि किसी शख्स को पाने का सबसे आसान तरीका क्या है?

मेरे विचार में वो है खुद किसी और के लिए वैसा शख्स बनना जैसा हम अपने लिए चाहते हैं। इसलिए लाइफ़ में कुछ ऐसे रिश्ते ज़रूर बनाने होंगे जिन्हें हम totally accept और unconditionally support करने को तैयार हों और हमें पता चलेगा  कि हमारे पास भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ हमसे लेना-देना है, हमारी सफ़लता-असफ़लता से नहीं! और यही एक मजबूत रिश्ते का रहस्य है!

मैंने कुमार साहब को ऐसे रिश्तों से घिरा हुआ पाया है जिनके लिए वे और उनके लिए आमने-सामने एक - दूसरे पर सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहे। इसका कारण यही रहा कि वे स्वयं पहले हर रिश्ते में खरे उतरे।

हमारे जीवन में यदि कोई प्रतिकूल या दुखदाई परिस्थिति आ जाती है, तो हम बहुत व्यथित हो जाते हैं। ऐसे समय में सोच विचार करने की हमारी शक्ति भी क्षीण हो जाती है। और हम उचित निर्णय नहीं ले पाते हैं। कभी कभी तो मनुष्य ऐसी विषम परिस्थिति में डिप्रेशन की अवस्था में चला जाता है। ऐसे समय हमारे वे करीबी हमारे संबल बनते हैं जो बिना किसी अपेक्षा या उपेक्षा के बिना हमारे साथ मन से जुड़े रहते हैं |

इसी तरह कभी हमारे जीवन में खुशी के ऐसे पल भी आ जाते हैं कि उस अवस्था में हम अधिक हर्ष के कारण अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं। इस संसार में ऐसा कोई नहीं है जिसके जीवन में हमेशा एक सी परिस्थिति बनी रहे।इसमें भी हमारे बिना अपेक्षा, उपेक्षा के मित्र सहयोगी हमारे उन क्षणों को संभालते हैं | हमारे जीवन में एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह कभी अनुकूल ओर कभी प्रतिकूल परिस्थिति आती ही रहती है।

आनंदमय जीवन व्यतीत करने के लिए अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। संतुलित मनुष्य ही आने जाने वाले सुख दुख में एक समान भाव बनाये रखने का प्रयास करता है। शांत मन व स्थिर बुद्धि के जरिये हमारा पूरा ध्यान वर्तमान में किये जाने वाले कार्य पर ही केंद्रित होगा, जो हमें हमारे लक्ष्य की प्राप्ति में भी सहयोग करेगा।

हम सब अपने जीवन में ऐसे रिश्तों का स्वागत करें जिनसे हम सब प्रफुल्लित रह सकें | जिन्हें अपना समझ सकें, जिन्हें अपने मन के समीप रख सकें |

तो चलिए संभालते हैं अपने प्यारे रिश्तों को जिससे उनके साथ आनंद में जीवन बिता सकें |

मुसकुराते रहें, आनंद में रहें |

आपकी मित्र

डॉ. प्रणव भारती