तुम बिन जिया जाए ना - 5 Gulshan Parween द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम बिन जिया जाए ना - 5

हेलो दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा विराट और खुशी में पिस्टल के लिए छीना झपटी होती है जिसमे विराट को गोली लग जाती है। निशा डर जाती है और वह विराट को देखे बिना भाग जाती है।वो किसी तरह भागते भागते घर पहुंच जाती है। विराट भी जख्मी हालत में वही बेहोश हो जाता है उसके दोस्त उसे हॉस्पिटल ले जाते है और उसके घर के लोग भी हॉस्पिटल पहुंचते है। निशा घर पहुंच कर कुछ ज्यादा ही डरी होती है। अब आगे............

निशा डरी सहमी अपने बेड पर लेटी हुई थी इसने सारी सच्चाई अंजलि को बता दी थी। वह दोनों पूरी रात नहीं सोए थे। अंजलि भी सारी रात निशा के पास बैठी थी।

"अब सुबह होगी तो तुम आंटी से बात कर लेना इतने दिन तुम से बात नहीं हुई, इसलिए वह तुम्हारे लिए बहुत परेशान हैं, और मैंने तुम्हारे किडनैप होने की खबर भी इनसे छुपाए रखी थी" अंजलि ने उसके माथे पर अपना सर रखते हुए कहा।

"तुम्हारा मोबाइल कहां है??? वह उठकर अंजली की तरफ देखते हुए पूछी।

"अभी नहीं ठीक से सुबह हो जाने दो फिर बात कर लेना वह सो रही होगी, अब तुम कुछ देर आराम कर लो" अंजलि ने लाइट ऑफ कर दी।अंजली की आंख लग गई लग रही थी कि डोर बेल बजी।

"कौन है????

"पुलिस!!!! दरवाजा खोलो" बाहर से आवाज आई।

"आप लोग इस टाइम यहां" अंजलि ने दरवाजा खोलते हुए पूछा।

"हम इस लड़की को अरेस्ट करने आए हैं, कहां है???? वह इधर-उधर भागते हुए खोजने लगे।

"देखो मैडम इस लड़की को हमारे हवाले कर दो, वह मुजरिम है" पुलिस निशा की तरफ बढ़ रही थी।

"नहीं नहीं मैंने कुछ नहीं किया है, मैंने जानबूझकर नहीं किया है" वह चीख चीख कर बोल रही थी।

"निशा!!!..... निशा!!!!.. होश में आओ" अंजली ने निशा को जागते हुए कहा, तभी इसकी आंखें खुल गई और उसे लगा वह सपना देख रही थी।

"लो पानी पी लो" अंजलि ने गिलास देते हुए कहा।

"मुझे डर लग रहा है बहुत" इसने एक घूंट पानी पिया और गिलास वापस देते हुए बोली।

"डरने की कोई बात नहीं है, रिलेक्स होजाओ तुमने कोई बुरा सपना देखा था, बस अब उठो फ्रेश हो जाओ सुबह हो गई है" अंजलि ने बाहर जाते हुए कहा।

वह फ्रेश होकर वही रूम में बैठ गई, लेकिन वह वह मंजर भी बार-बार इसके दिमाग में आ रहे थे वह विराट का इसे किडनैप करना, शादी के लिए फोर्स करना, गोली का चलना और वह खून!!!!

"चलो नाश्ता कर लो" अंजलि रूम में आते हुए बोली।

"अंजलि मुझे मामा से बात करनी है, इसने अंजली का हाथ पकड़ते हुए कहा तो कर लेना बात पहले नाश्ता कर लो" अंजलि ने टोस्ट आगे करते हुए कहा।

"मुझे नहीं करना नाश्ता मेरा दिल बहुत घबरा रहा है, मुझे अभी मामा से बात करनी है" तभी अंजली का फ़ोन बजा......

"लो आंटी का कॉल है प्लीज बात करो" अंजलि ने फोन इसकी तरह बढ़ाते हुए कहा।

"हेलो अंजलि निशा से बात करवाओ मेरी, बहुत हो चुका अब, हद होती है लापरवाही की भी" मिसेज खुराना ने गुस्से में कहा।

"मामा मैं निशा बात कर रही हूं"

"निशा बेटा यह सब क्या है, अपने मामा से नाराज हो क्या??? मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो तुम?? क्या हुआ है तुम्हें???

"आई एम सॉरी मामा" इस ने रोते हुए कहा।

"तुम रो क्यों रही हो??? मिसेज खुराना ने परेशान होते हुए पूछा।

"आप प्लीज यहां आ जाइए मामा"

"हां मेरा हां बेटा, लेकिन तुम ठीक तो हो, आखिर बात क्या है??

"मैंने कहा ना, आप अभी इसी वक्त यहां पहुंचे मैं ठीक नहीं हूं" वह आगे कुछ बोल ही नहीं पाई और दोनों हाथ अपने चेहरे पर रखते हुए जोर जोर से रोने लगी।




"जी नहीं मुझे कोई रिपोर्ट नहीं लिखवानी, वह बस एक हादसा था जो मेरी अपनी गलती थी" विराट ने एक हादसा बोलकर पुलिस को वापस भेज दिया।गोली इसके बाजू पर लगी थी, जिसकी वजह से वह हाथ भी नहीं हिला पा रहा था।

"भाई आप ठीक है" सपना ने सूप का चम्मच इसकी तरफ करते हुए कहा।

"पागल तुम्हारे सामने ही तो हूं" इसने सूप पीते हुए कहा।सपना लगातार रोए जा रही थी।

"बस बेटा ज्यादा नहीं रोते भगवान का लाख-लाख शुक्र है, विराट की हालत अब खतरे से बाहर है" आकाश ने सपना के सर पर हाथ रखते हुए कहा।

" तो विराट अब बताओ यह हादसा कैसे हुआ?? अकाश प्यार से पूछ रहा था।

"वह अंकल मैं पिस्टल को सेट कर रहा था, पता नहीं कब और कैसे गोली चल गई"

"तुम कब से पिस्टल में घूमने लगे हो" आकाश ने हैरानी से पूछा।

"वह बस कभी कबार अपनी हिफाजत के लिए" इसने बहुत आसानी से झूठ बोल दिया, हालांकि वह कभी झूठ नहीं बोलता था, लेकिन सच बोलकर वह लड़की को प्रॉब्लम में नहीं डालना चाहता था क्युकी वह इससे प्यार करता था।

शाम का समय था वह निशा गार्डन में बैठी सोच सोच कर परेशान हो रही थी। तभी अंजली भी वहां आ गई।

"अब किस बात की टेंशन है, तुम सही सलामत अपने घर पहुंच गई हो, अभी उदासी छोड़ो और अपने चेहरे को फ्रेश रखो आंटी वहां से निकल चुकी है, किसी भी टाइम आती होंगी यहां, तुम अपना हुलिया ठीक रखो और यह परेशानी छोड़ो" अंजली निशा के पास बैठते हुए बोली।

"पता नहीं इसका क्या हुआ होगा, अगर वह मर गया तो...." निशा एकदम अंजलि की तरफ देखते हुए बोली।

"वैसे उसे गोली कहां लगी थी??

"पता नहीं मैंने नहीं देखा"

"कोई भी था वहां जिसने तुम्हें देखा हो"

"नहीं मेरे सिवा कोई नहीं था"

"तो अब तुम टेंशन मत लो वैसे भी तुमने यह सब जानबूझकर नहीं किया है, वह एक हादसा था भूल जाओ अब" अंजलि ने तसल्ली देते हुए कंधे पर हाथ रखा।

"लेकिन मैं कभी नहीं भूल सकती" निशा ने गहरी सांस लेते हुए कहा।

"मुझे तो अब भी हैरानी हो रही है वह लड़का ऐसा कर सकता है, फिर ऐसी हरकत इसने कैसे की??? अंजलि ने हैरानी से कहा।

4 दिन बीत गए थे और विराट की हालत पहले से बेहतर हो गया था। डॉक्टर ने घर जाने की इजाजत भी दे दी थी, वह घर आ गया वह सोच रहा था पता नहीं उस रात निशा के साथ क्या हुआ होगा। वह घर की तरफ पहुंच गई होगी या नहीं इसके साथ कुछ हुआ तो नहीं होगा। हर पल उसे निशा की फिक्र सता रही थी, वह सोच रहा था तुम्हें भले ही मुझसे प्यार नहीं था, लेकिन इंसानियत के नाते मुड़ कर तो देख लेती, मदद नहीं करती ठीक है मगर इतना तो रुक कर देती कि मैं जिंदा भी हूं या नहीं....

हॉस्पिटल से आने के बाद वह जैसे खामोशी हो गया था और मन ही मन निशा की फिक्र सता रही थी। अकाश अभी विराट के घर पर ही था। इसने हवेली फोन करके विराट के ठीक हो जाने की खबर दे दी थी। मीसज कौशिक को यह बोल दिया गया था कि आकाश बिजनेस के सिलसिले में विराट के पास आया हुआ है।

"और आकाश भाई घर पर तो सब ठीक है ना आजकल क्या हो रहा है?? बच्चों की क्या पोजीशन है?? इसने आकाश को चाय का कप देते हुए कहा।

"सब ठीक है पार्थ अब मेरे साथ ऑफिस ज्वाइन कर लिया है और समीर अभी पढ़ रहा है"

"और मम्मी कैसी है??

"उन्हें तो अपना जानती है गुजरे दिनों को याद करती रहती है, और उनकी तबीयत खराब हो जाती है, और आजकल तो कुछ ज्यादा ही याद कर रही है, और रोने लगती है, मैं क्या करूं??? इनकी उदासी को तरह खत्म करूं??? कैसे वो खुशी लाकर इसके सामने रख दूं, जो बहुत पहले इनसे खो गई है??? आकाश ने मायूसी से कहा

"मैं समझ सकती हूं भाई साहब भगवान किसी को भी औलाद की जुदाई का दुख ना दे" समीरा की आंखों में आंसू आ गए।

वह स्टडी रूम में बैठी कुछ पढ़ रही थी तभी पार्थ ने झट से से किताब उठा ली और बंद कर दी।

"यह क्या हरकत है, लाओ मेरी बुक" वह अपनी बुक लेते हुए बोली।

"चलो कहीं बाहर घूमने चलते हैं"

"जी नहीं मेरे एग्जाम चल रहे हैं मुझे पढ़ना है"

"m.a. कर रही हो"

"हां पूछो कुछ तो ऐसे रहे हो जैसे जानते ही नहीं"

"वैसे घरेलू टोटके पढ़ा करो अब"

"क्यों?????????

"क्या फायदा ये बुक पढ़ने का, वैसे भी कुछ ही दिनों में शादी हो जाएगी, खाना बनाना सीखो, घर के काम का सीखो, घर बाल बच्चे संभालने की ट्रेनिंग लो, पति को किस तरह खुश रखना है यह सारे तरीके से पढ़ो, इंग्लिश की किताब छोड़ो" वह नॉनस्टॉप बोलता जा रहा था।

"अच्छा तो तुम्हें वाइफ नहीं, घर चलाने की मशीन चाहिए, वैसे अगर मैं यह सब ना सीखू तो..... मान्या ने बुक बंद कर ली और इसे घूरते हुए देखा।

"तो कोई बात नहीं बस तुम मुझे प्यार से बोल देना, बाकी सारा काम मैं खुद ही कर लूंगा" पार्थ ने मान्य के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए मुस्कुराते हुए कहा, और वह भी मुस्कुरा दी।

क्या विराट खुशी से दोबारा मिल पाएगा???? क्या खुशी विराट को माफ कर देगी?????? जानने के लिए पढ़िए अगले पार्ट ......

दोस्तों अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो प्लीज अपना रिव्यू जरूर दीजिए और स्टार देना मत भूलिए।।।।

थैंक्यू रीडर्स............