विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 1-2 सीमा बी. द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 1-2

मेरी ये कहानी आप सब के समक्ष प्रस्तुत है।ये कहानी दो दोस्तों की अटूट दोस्ती की कहानी है। हमारा समाज आज भी एक लड़के और एक लड़की की दोस्ती को खुले दिल से स्वीकार नहीं कर पाता। ये कहानी दो दोस्तों के साथ साथ उनके परिवारों के बीच में एक प्यारे से रिश्ते की कहानी है। अभी तक जितनी कहानियाँ मैंने इस प्लेटफॉर्म पर लिखी हैॆ उनको आपसे प्यार मिला है जिससे मैं अभिभूत हूँ। आशा है कि आप सबको मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी। प्लीज अपनी राय कमेंट के जरिए जरूर दीजिएगा। आपका लाइक और कमेंट हमें लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है। 🙏🙏

विश्वास--- (भाग-1)

आज पूरे दो महीने के बाद उसकी आँखो में चमक और जीने की इच्छा देख उसकी दादी और मम्मी पापा की आँखों से उम्मीद के आँसू छलक रहे थे।

आज से ठीक दो महीने पहले टीना अपनी सहेली के जन्मदिन से वापिस आ रही थी तो उसका एक्सीडेंट हो गया था, जिसकी वजह से उसको काफी चोट आयी थी। उसका नीचे का हिस्सा सही से काम नहीं कर पा रहा था जिसकी वजह से वो अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी। जबड़े पर लगी चोट से अपनी तकलीफ बोल कर ना बता पाना ज्यादा तकलीफदेह था।

डॉक्टर का कहना था कि वो धीरे धीरे ठीक हो जाएगी। टीना ने हार मान ली थी वो तो "बस मैं कभी ठीक नही हो पाऊँगी ही सोचती और रोती रहती"। बेटी की हालत देख कर मम्मी पापा परेशान हो गए । पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा था।

टीना की दादी हर वक्त उसके पास रहती, उसके साथ बातें करती और हौसला अफज़ाई के लिए प्रेरणादायी कहानियाँ सुनाती। काफी समझाने के बाद वो लिख कर अपनी बातें कहने लगी थी। अक्सर लिखती ,मैं आप सबको परेशान कर रही हूँ ना ?? इससे अच्छा मैं उस एक्सीडेंट में मर जाती।

पापा उमेश और मम्मी मीनल प्यार से समझा समझा कर हार गये थे ,"तुम जल्दी ठीक हो जाओगी", वो कहते तो कुछ देर असर रहता फिर वही निराशा मन पर छा जाती। ऐसे ही एक दिन नर्स और उसकी दादी उसके फिजियोथैरेपी सैशन से वापिस उसके कमरे में ले जा रहे थे तो एक लड़का शायद एक्सरे रूम से निकला था तो उसकी व्हील चेयर से टकरा गया।

"बेटा जरा ध्यान से देख कर चलो, कहीं चोट तो नहीं लगी"?? दादी ने उससे पूछा तो वो मुस्करा कर बोला, "नही, माँजी मैं ठीक हूँ ।माफी चाहता हूँ, मेरा ध्यान कहीं ओर था, टीना को देखते हुए बोला आप तो ठीक हैं ना"? टीना ने बिना उसको देखे "हाँ" में सिर हिला दिया।


विश्वास (भाग -2)

कमरे में आकर नर्स ने एक सहायिका को बुला कर उसकी हेल्प से टीना को बेड पर लिटा दिया। टीना का मन बैठने को कर रहा था। उसने नर्स को इशारा करका बेड को सिरहाने की तरफ से ऊँचा करने को कहा तो उसने तुरंत ऊपर कर दिया।

"टीना आप बहुत लकी हो आपकी पूरी फैमिली आप से बहुत प्यार करती है,आप हिम्मत रखो जल्दी ठीक हो जाओगी", नर्स ने बड़ी आत्मीयता से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा तो टीना ने भी थोड़ा मुस्करा कर सहमति जता दी।

कुछ लोग आज भी इस दुनिया में मिल ही जाते हैं जिनसे एक लगाव हो जाता है, ऐसा ही नर्स डॉली का टीना से रिश्ता बनता जा रहा था। टीना को पढने का काफी शौक है तो उसके लिए वो अखबार या मैगजीन ले आती या कई बार उसको जोक्स सुना कर हँसाने की कोशिश करती।

जब से टीना ने अपनी बात लिख कर कहना शुरू किया था तबसे एक डायरी और पेन उसके सिरहाने रखा रहता। 2 महीने से हास्पिटल में है तो कितने ही बीमारों को ठीक होकर जाते देखा तो कईयों को इस दुनिया से विदा लेते।

हमेशा चहकने वाली पोती को तकलीफ में देख दादी (उमा जी ) का हौंसला और उम्मीद टूटने लगते तो वो अपने भगवान से मिन्नते करने लगती। पूजा पाठ और जाप मंत्र कुछ नहीं छोड़ा था। नर्स के जाने के बाद टीना डायरी में कुछ लिखने लगी।

अभी थोड़ी देर ही हुई होगी कि साथ वाले कमरे से किसी आदमी की रोने और करहाने की जोर सो आती आवाजें दादी पोती का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। टीना से जब रहा नहीं गया तो उसने दादी को जा कर देख आने को कहा।

उमा जी भी इतना करूणता से रोना और कराहना सुन विचलित तो हो ही रही थी बस पोती को अकेला नही छोड़ना चाहती थी। पोती के कहने पर उसको ऐसे ही बैठे रहने को कह साथ वाले रूम के लिए निकली।

उमा जी ने साथ वाले रूम के बाहर एक औरत को खड़े देखा, "बहन जी सब ठीक तो है ? कौन एडमिट है? क्या तकलीफ है उनको "? उमा जी ने प्यार से पूछा तो उस महिला ने दोनो हाथ जोड़ दिए," बहन जी मेरे पति का एक्सीड़ेंट हो गया था कल रात को, बहुत चोटें लगी हैं। गाँव में सुविधाएँ कम होती हैं तो हमारी बिरादरी के मुखिया का बेटा गाड़ी में यहाँ ले आए हैं। दर्द में उनको तड़पते देखा नहीं जा रहा तो बाहर आ गयी"।

"आप चिंता मत करो सब ठीक हो जायेगा,
यहाँ अच्छे डॉक्टर हैं, बहुत जल्दी ही आपके पति ठीक हो जाँएगें"। उमा जी की सांत्वना से उस महिला को थोड़ी राहत मिली। "आपका बहुत बहुत शुक्रिया बहन जी, यहाँ कोई अपना नहीं दिख रहा तो घबरा रही थी"। "मैं इस कमरें में अपनी पोती के पास हूँ, कुछ मदद चाहिए हो तो बेझिझक आ जाना",कह उमा जी वापिस कमरे में आ गयी।
क्रमश: