शादी के साइड इफेक्ट्स... Saroj Verma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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शादी के साइड इफेक्ट्स...

भइया!जिसका ब्याह हो गया सो उससे पूछ लो कि शादी के साइड इफेक्ट्स क्या क्या होते हैं,शादी के बाद साइड में नहीं,ऊपर-नीचे,अगल-बगल,सब जगह ही इफेक्ट्स ही इफेक्ट्स होतें हैं....
शादी के बाद आपका अपना जीवन अपना नहीं रहता, एक दो महीने तक सब ठीक ठीक चलता रहता है रामायण की तरह लेकिन फिर इसके बाद महाभारत का दौर शुरू हो जाता है,आपकी जिन्दगी वैसी हो जाती है जैसे चासनी में डूबा हुआ गुलाब जामुन,अगर उसे खाते समय सावधानी नहीं बरती तो चिप...चिप... हो जाएगा...
महिलाओं को बहुत बलिदान देने पड़ते हैं,कहा जाए तो एक तरह से उनकी आजादी में खलल पड़ जाता है,कुछ चीजों का खर्चा बढ़ जाता और कुछ चींजों का खर्चा कम हो जाता है,पहले जिस लड़की को सब्जियों और राशन के भाव पता नहीं होते थे तो अब वो इस काम में भी निपुण हो जाती है,जो पहले खुलेहाथ पैसा खर्च करतीं थीं,अब वो थोड़ा सोच समझकर खर्च करने लगती है...
सासू माँ रूपी तलवार हमेशा अपने शब्दों की छुरी चलाकर उसे घायल करती रहती है,कभी कभी लगता है कि उनका नाम सासू माँ नहीं चाकू माँ होना चाहिए और अगर ननद है तो फिर वो मन्थरा का काम करती रहती है,इस कारण बेचारी को कभी कभी कोपभवन का मुँह भी देखना पड़ता है,फिर पतिदेव मनाने आते हैं तो वें ही खुद समझ नहीं पाते कि आखिर गलती किसकी है,मेरी माँ की,बहन की या फिर मेरी बीवी की....
लेकिन वें जैसे तैसे कोपभवन में लेटी अपनी प्राणप्यारी को मना लेते हैं कि शाम को बाहर घूमने चलेगें,तुम वो अपनी शिफान वाली हरी साड़ी पहन लेना,तुम उसमें बहुत खूबसूरत लगती हो....
फिर प्राणप्यारी जी अपने पिया के मोहजाल में फँसकर उनके साथ अगर शाम को घूमने चली गई तो उनके पीठ पीछे माँ जी का कथन....
जोरू का गुलाम हो गया है,मैनें पालपोसकर बड़ा किया और अभी दो दिन की आई छोरी अपने साथ उड़ाकर ले गई.....
फिर ननदरानी....हाँ!कल तो भइया भाभी के लिए गिफ्ट भी लाएं थे शायद सोने की अँगूठी थी..
माँ जी,हाँ....हाँ...उड़ाने दो बीवी पर पैसा,हम माँ बहन की तो जैसे कोई चिन्ता ही नहीं,आने दो तेरे बाऊजी को सब बताती हूँ....
फिर शाम को पिताजी...
नरेश!
जी बाऊजी,नरेश बोला।।
कहाँ गए थे बहु के साथ घूमने,बाऊजी ने पूछा...
उसे मोमोज और च्वामिन खानी थी इसलिए बाहर ले गया था,नरेश बोला।।
क्यों घर में खाना नहीं बना था क्या,बाऊजी ने पूछा....
बाऊजी!आप भी तो माँ के लिए उनकी पसंद की चींजें लाते हैं,नरेश बोला...
चुप रह नालायक!बाप से जुबान लड़ाता है
फिर यही सब चलता रहता है...
पुरुषों के 'बलिदान' की कहानी.. ...कुछ इस तरह से है...
कहते हैं शादी के बाद महिलाओं का जीवन पूरी तरह बदल जाता है,लेकिन पुरुष भी बदलाव से अछूते नहीं रहते,उनके जीवन में भी काफी कुछ पहले जैसा नहीं रहता, ना आजादी, ना आत्मसम्मान, ना पहले जैसी मौज और ना ही वैसी मस्ती रह जाती है, जिंदगी पूरे 360 डिग्री घूम जाती है,अब कोई कहता है कि शादी के बिना जिंदगी अधूरी है, तो किसी की नजर में शादी के बाद जिंदगी खत्म है,
यदि आपकी पत्नी समझदार है तो आपको स्वयं को भाग्यशाली समझना चाहिए,हालाँकि आपका बच्चा इसे नहीं समझेगा कि आप दिन भर मेहनत करके आये हैं, दिन भर आपने बॉस को खुश करने की कोशिश की है और अक्षम सहयोगियों के साथ काम किया है, आपको रात में भी शांति नहीं मिलेगी बल्कि आपके काम और बढ़ जायेंगे जैसे डाइपर बदलना और देर रात में आने वाले मैच न देखकर पत्नी को खुश रखना,
याद है वो दौर जब कपड़े खराब होने पर आप नये खरीद लेते थे, पसंद आया नहीं कि झट से जेब से कार्ड निकाला और नया फोन खरीद लिया,लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकते ना...ना...कभी नहीं,आपकी बीवी आपके जीवन के साथ साथ आपके पैसों की भी साझेदार होती है,अपने लिए खरीदारी करने से पहले भी आपको उनकी मर्जी की जरूरत होगी,ऐसा कई बार होगा जब आप अपने पैसों से अपने लिए ही कोई चीज नहीं खरीद पाएंगे शादी के बाद अकसर पुरूषों की जरूरतें अधूरी रह जातीं हैं,
हालाँकि शादीशुदा होने का अर्थ है अपनी मर्ज़ी से सारा समय दूसरों की धौंस सहना है,आपके कपड़े पहनने का तरीका कैसा है, आप किस तरह की फ़िल्में देखना पसंद करते हैं या फिर आप अपनी पत्नी के दोस्तों के सामने कैसे बात करते हैं, इन सभी बातों का विश्लेषण किया जाने लगता है,
शादी के बाद दोस्ती को भूल ही जाइए तो बेहतर, शादी होते ही आपके जिंदगी भर के दोस्त आपसे अलग हो सकते हैं,आप मानें या ना मानें शादी के बाद आप घर और काम में इतना उलझ और फंसकर रह जाते हैं कि आपके पास खुद को रिचार्ज करने के लिए वक्त ही नहीं मिलता और कहीं आपके दोस्त अभी तक कुंवारे हैं या उनको शराब, धूम्रपान जैसी कोई लत है, जो हुजूर घर पर शांति और सुकून चाहते हैं, तो दोस्ती भूल ही जाइए,याद रखिए दोस्तों को समझाने की जरूरत नहीं पड़ती और बीवी को समझाना हाय तौबा।
सो ये हैं शादी के साइडइफेक्ट्स, मियाँ-बीवी दोनों के लिए...

समाप्त...
सरोज वर्मा...