Secret Admirer - 78 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 78


"तुम यहां क्या कर रही हो बेटा? क्या तुम्हे कुछ चाहिए?" सुहाना की मासी ने पूछा, वोह दोनो की सिचुएशन भांप नही पाई थी।
"मैं....हम....वोह... मैं यहां अपनी मेहंदी पर नींबू चीनी का घोल लगाने आई थी।" अमायरा ने तुरंत बात पलटी और कबीर अमायरा की बताई हुई चीज़ को ढूंढने का दिखावा करने लगा।

"पर नींबू चीनी का घोल तोह पहले से ही आंगन में रखा हुआ है। चलो, मैं लगा देती हूं तुम्हारे हाथों पर।" सुहाना की बुआ ने कहा और अमायरा के पास दूसरा कोई चारा नहीं था सिवाय उनके साथ जाने के। जाने से पहले अमायरा ने एक नज़र कबीर की तरफ देखा और फिर सुहाना की बुआ के साथ बाहर चली गई।

कुछ देर कबी वहीं किचन में ऐसे ही खड़ा रहा और सोचता रहा की अमायरा उसके बारे में क्या क्या गलत सोच रही थी। वोह सोच रही थी की कबीर उससे जान बूझ कर दूर रहता है। जब कबीर उसके कंफर्ट की बात कर रहा था तो वो मज़ाक नहीं कर रहा था, पर साथ ही उसे अपने बनाने के इस वक्त फेवर में भी नही था। पर इसका मतलब यह तोह बिलकुल भी नही है की वोह अपना प्यार, अपनी तड़प उसे पाने की उसे चाहने की, उसे दिखा नही सकता। वोह कम से कम उसे यह एहसास तोह दिला ही सकता है की वोह कितना बेसब्र हो रहा है घर वापिस जाने के लिए, ताकि वोह उसे अपने प्यार के रंग में डूबो सके।

टुनाइट माय लव!!!

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संगीत के फंक्शन का प्लान मेंहदी वाले दिन की शाम को ही आयोजित किया गया था। इसलिए सारी लेडीज अपने अपने कमरे में चली गई थी, थोड़ा आराम करने और थोड़ा तैयार होने। क्योंकि मेंहदी अब तक सबकी सुख चुकी थी इसलिए यह आसन हो गया था की थोड़ी देर आराम करने के बार सब तैयार हो जायेंगे। कबीर इस वक्त बाहर ही रहना चाहता था सब जेंट्स के साथ, पर अमायरा के गुस्से से वोह डर रहा था की फिर से वोह उससे नाराज़ ना हो जाए की वोह उससे दूर है। साथ ही साथ सभी लोगों के आस पास होने से वोह तुरंत उठ कर अपने कमरे में जा भी नही पा रहा था। तभी उसके पास अमायरा का मैसेज आया की सुहाना को तैयार होने के लिए उसकी जरूरत है इसलिए वोह उसके कमरे में जा रही है।

रिलीफ! राहत मिली उसे। अमायरा का सुहाना के कमरे में जाने का मतलब की इशिता भी होगी और इसका यह मतलब भी है की अब वोह वहीं तैयार होगी। अब अमायरा उसे सीधे संगीत के फंक्शन में ही मिलने वाली थी तैयार हो कर।

कम से कम अब वोह मुझसे नाराज़ तो नही होगी। वोह तोह खुद ही गई है सुहाना के कमरे में, मुझसे दूर। अब इसमें मेरी कोई गलती नही है।

कबीर अपनी बातों पर मुस्कुराया और अपने भाइयों के साथ चला गया, खुद भी तैयार होने।

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"सुहाना क्या तुम श्योर हो की तुम लहंगे के साथ यह स्नीकर्स पहनोगी?" इशिता ने यह सवाल चौथी बार पूछा।

"हां भाभी। इससे डांस करने में आसानी होगी, देखिए ऐसे।" सुहाना चहकते हुए एक राउंड घूम गई थी।

"ओह हां। हमने कभी ऐसे सोचा ही नहीं।" अमायरा ने जवाब दिया।

"आपने संगीत में कैसे डांस किया था? हील्स पहन कर?" सुहाना ने मासूमियत से पूछा पर फिर तुरंत ही अपनी जीभ काट ली। "आई... आई एम सॉरी भाभी। साहिल ने मुझे बताया था की आपकी शादी किन हालातों में हुई थी। मैं भी कितनी बेवकूफ हूं की आपसे कैसे सवाल पूछ गई।"

"कोई बात नही। मुझे डांस करना वैसे भी बहुत पसंद है। मैं तोह किलों पर भी आसानी से नाच लूं तो यह हील्स क्या चीज़ है।" अमायरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"आप...आप मुझ से नाराज़ तो नही हो गए ना?"

"नही सुहाना। वोह तुमसे नाराज़ नहीं है। यह अमायरा का नेचर है ही नही की वोह किसी से नाराज़ या दुखी रहे। अगर वोह होती, तोह उसे मुझसे नाराज़ होना चाहिए था, मॉम से नाराज़ होना चाहिए था, इसकी शादी कबीर भईया से कराने के लिए। पर इसने यह सब कुछ मेरे लिए किया, वोह भी मुस्कुराते हुए।" इशिता ने अमायरा की तरफ प्यार से देखते हुए कहा।

"पर जो हुआ अच्छे के लिए हुआ ना, है ना? मेरा मतलब इन दोनो को तोह देखिए, इन्हे देख कर कोई भी कह सकता है की यह दोनो एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं, या तो दोनो हमेशा एक दूसरे के साथ होते हैं या एक दूसरे को ही खोजते रहते हैं। कबीर भईया की नज़रे तोह इन पर से हटती ही नही, एक पल के लिए भी नही। अगर अरेंज मैरिज इस तरह कामयाब होती है तोह मैं तोह सबसे कहूंगी की सब अरेंज मैरिज ही करे। भईया अब इनसे इतना प्यार करने लगे हैं, की वोह शायद ही अपने आप को इनसे दूर रख पाएं।" सुहाना ने जैसे सपनो में खोते हुए एक्सप्लेन किया।

"ओह स्टॉप इट, सुहाना। ऐसा कुछ भी नही जैसा तुम सोच रही हो।" अमायरा ने जवाब दिया, उसका चेहरा शर्म से बिलकुल लाल हो चुका था।

"कम ऑन भाभी। अगर यह सच नहीं है, तोह बताइए की आप दोनो आज किचन में क्या कर रहे थे?" सुहाना ने अपनी एक आईब्रो उठा कर पूछा।

"क्...क्या?" अमायरा झेप गई।

"क्या? तुम दोनो किचन में रोमैंस कर रहे थे?" इशिता बार बार अपनी पलके झपका रही थी। उसे अभी भी इस बात पर यकीन नही हो रहा था।

"नोओओ.................." अमायरा चिल्लाई। "हम....हम बस...हम वहां पर..."

"शुगर लेमन, राइट? मासी ने बताया मुझे। पर मुझे आपके इस बहाने पर बिलकुल भी विश्वास नहीं है।" सुहाना ने अपनी मुस्कुराती आंखों से कहा।

"पर.....मैं....हम....सच में...."

"इट्स ओके अमायरा। तुम वहां पर अपने खुद के पति के साथ मिली थी। तुम्हे हमे कोई एक्सक्यूज़ देने की जरूरत नहीं है।" इशिता ने उसे चिढ़ाने वाली टोन में कहा।

"हां। बल्कि मुझे तो आपसे कुछ टिप्स भी चाहिए की इतने रोमैंटिक कैसे हो सकते हैं, वोह भी शादी के इतने महीनो बाद।" सुहाना भी इशिता का साथ देने लगी थी।

"बस भी करो आप दोनो। अब चुप हो जाओ।"

"हम चुप हो जायेंगे जब तुम हमे यह बताओगी की तुम दोनो वहां किचन में क्या कर रहे थे।"

"हम चुप हो जायेंगे जब तुम हमे यह बताओगी की तुम दोनो वहां किचन में क्या कर रहे थे।"

"मुझे तो यकीन ही नहीं होता, दी। आप मुझसे यह सवाल पूछ रही हो, जो कौन कौन से कॉर्नर में नही मिलती थी जीजू के साथ मॉम के घर पर, शादी से पहले। मैं बस वोही खोए हुए दिन बनाने की कोशिश कर रही हूं, जो अब खो चुके हैं।" अमायरा को कुछ कॉन्फिडेंस आने लगा था।

"यू सिली गर्ल। कम से कम हम मॉम से या किसी बड़े से पकड़े तोह नही जाते थे, कभी भी। तुम हमारे बारे में जानती थी, तुम को ही तो पहरेदारी पर रखा जाता था।"

"इक्सेक्टली। आप कभी पकड़े नही गए, क्योंकि मैने आपको बचाया। हमेशा।"

"बिलकुल। तुमने हमेशा मुझे गार्ड किया है। और मेरे लिए तुम्हे थैंक यू कहना बहुत नही होगा जो भी तुमने मेरे और ईशान के लिए किया है।" इशिता ने इमोशनली कहा।

"प्लीज दी। ऐसा मत कहिए। और रोना मत शुरू कर देना। यह सुहाना की स्पेशल नाइट है। हम इसे खराब नही कर सकते ऐसे इमोशनल हो कर।" अमायरा ने अपनी दी इशिता की पीठ सहलाते हुए कहा। जबकी सुहाना दोनो बहने को इमोशनल होते चुपचाप खड़ी देख रही थी।

"या या। आई नो। पर सुहाना भी अब हमारी बहन है, है ना सुहाना?" इशिता ने पूछा और सुहाना ने बेसब्री से जल्दी जल्दी हां में सिर हिला दिया। "और सुहाना को भी यह जानना चाहिए की हम दोनो बहनों में सबसे बड़ी मैं हूं, पर सबसे मैच्योर अमायरा है, हमेशा दूसरों के लिए ही करती है। अगर कभी भी तुम्हे किसी भी चीज़ की जरूरत हो, हो सकता है मैं मदद ना कर पाऊं पहले, पर अमायरा कभी भी अपनो के लिए जो करना पड़े उसके लिए पीछे नहीं हटेगी।"

"आप मुझे एंबारेस कर रहे हो दी। सुहाना तुम इनकी बात बिलकुल मत सुनो। यह ऐसे ही कुछ भी बड़बड़ करती हैं जब भी इनकी पीएमएस होती है। इस महीने का यही टाइम है ना दी?"

"मुझे नही पता की मैं आप दोनो में से किस की बात पर यकीन करूं, पर मुझे बहुत खुशी है की मुझे आप दोनो जैसी बहने मिली। थैंक यू सो मच मुझसे अपनी जिंदगी शेयर करने के लिए।" सुहाना ने जवाब दिया और दोनो के एक साथ गले लग गई। उनका यह प्यार से छोटा सा मोमेंट तब डिस्टर्ब हुआ जब दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी और सुहाना की मॉम अंदर चली आईं। वोह किसी काम के लिए सुहाना को जल्दबाजी में ले गई, और अमायरा और इशिता उसी कमरे में अकेले रह गए।

"यह सब सुहाना के सामने कहने की क्या जरूरत थी, दी? मुझे किसी के तारीफ के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है, जो भी मैने किया उसके लिए। मैने कबीर से इसलिए शादी की क्योंकि मैं आपसे प्यार करती हूं, और मैं आपको बता नही सकती उस एक फैसले ने मुझे कितनी खुशियां दी हैं। तोह अगर इससे सब आखिर में अच्छा ही हुआ तो आपको मुझे थैंक यू कहने की क्या जरूर?"

"क्योंकि मैं कभी अपने आप को माफ नही करूंगी की मैने तुम्हे ऐसा करने दिया। मैं मेरे प्यार इशान के लिए सेलफिश हो गई थी, और आसानी से तुम्हे शादी करने दिया। जबकि यह जानती थी की इस फैसले से तुम्हारी सारी खुशियां एक पल में खतम हो सकती हैं, पर इशान को खोने से बहुत डरती थी। जब शुरुवात में मैं तुम्हे अपनी शादी में स्ट्रगल करते हुए देखती थी तोह, मुझे बहुत बुरा लगता था, अपने से घिन आती थी, मैने एक ऐसा बुरा काम किया था जिसकी कोई माफी नही मिल सकती। मैने तुम्हे इस शादी में धकेला था, यह जानते हुए की शायद तुम्हे इस शादी से कभी खुशियां नही मिल सकेंगी। मुझे इतना गिल्टी महसूस होता था, की मैं तुमसे कभी माफी मांगने की हिम्मत ही नहीं कर पाई। पर अब जब मैं तुम्हे उनके साथ खुश देखती हूं, उनके जिक्र भर से जो तुम्हारे चेहरे की रंगत बदल जाती है ग्लो करने लगती हो तुरंत, तुम्हे प्यार में खुश देखती हूं, मुझे महसूस होता है की अगर मैं खुद को नही माफ कर पा रही हूं लेकिन भगवान ने मुझे माफ कर दिया है उसके लिए जो मैने तुम्हारे साथ किया है। मैने कभी तुम्हारी खुशियों की परवाह नही की अमायरा। आई एम सॉरी।" इशिता रोने लगी थी और अमायरा उसके गले लग गई थी।

"प्लीज़ मत रोइए। आप सेलफिश नही हो, आप ने तो बस प्यार किया था। और वोह केहतें हैं ना प्यार और जंग में सब जायज़ है। शायद कुछ महीनों पहले मैं यह बात नही समझपाती, पर अब मैं समझती हूं की ऐसी कोई भी काम या चीज़ नही है जो मैं कबीर के लिए ना करूं। मैं तुरंत इसी वक्त कोई भी चीज़ त्यागने के लिए तैयार हूं सिर्फ कबीर के साथ रहने के लिए। तोह मैं समझती हूं की जब आपने ऐसा किया तो वो उस वक्त गलत नही था। अब प्लीज़ मुस्कुरा दीजिए। हमे आज संगीत में सबसे बेस्ट दिखना है। यह लोकल पंजाबी लड़कियां हम से आगे नहीं निकलनी चाहिए।" अमायरा ने उसे चीयर अप करने की कोशिश की और इशिता मुस्कुरा पड़ी।

"आई लव यू अमायरा। थैंक यू माय सिस्टर। कभी मेरा साथ मत छोड़ना।" इस बार इशिता ने उसे सीने से लगाया और अमायरा के आंसू बह गए।

कभी नही दी। मैं थोड़े समय के लिए अपने गुस्से के आगे अंधी हो गई थी, पर अब कभी ऐसा नहीं होगा। मॉम ने यह राज़ अपने तक सालों तक छुपाए रखा है। उन्होंने मुझ पर भी भरोसा किया है की मैं उनका पापा से किए हुए वादे को कभी टूटने नही दुंगी। और मैं कभी वोह वादा टूटने नही दुंगी, और अब कोई भी हमारे बीच नहीं आएगा। और खून का रिश्ता किया ही इंपोर्टेंट है जब दिल के रिश्ते ज्यादा मजबूत होते हैं, और ज्यादा मायने रखते हैं।

आई लव यू टू दी। अब क्या हम फंक्शन अटेंड करने जा सकते हैं?" अमायरा मुस्कुराई और इशिता ने सिर हिला दिया।


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"भईया, यह मेरा संगीत फंक्शन है। आप इतना क्यूं टाइम ले रहे हो तैयार होने में?" साहिल ने कबीर से पूछा।

"क्यूं, तुम्हे कोई दिक्कत है क्या?" कबीर अपने बाल सैट करने की कोशिश कर रहा था।

"नही। बस यह तीसरी बार है जब आप अपने बाल सैट कर रहे हो।" साहिल का साथ देने पीछे से इशान बोल पड़ा।

"क्या आपको डर लग रहा है की आज रात भाभी आपसे ज्यादा खूबसूरत लगेंगी, और आप शायद कहीं उनके सामने बिलकुल फीके लगोगे। यू माइट लुक हर एल्डर कजिन" इशान और साहिल दोनो अपने बड़े भाई कबीर को परेशान करने लगे थे।

"डेट वास वैरी फनी। मैं बहुत खुश हो गया। वैसे, अच्छा होगा अगर तुम खुद पर ध्यान दो और तैयार हो जाओ। यह तुम्हारे संगीत फंक्शन के लिए बहुत जरूरी है। बेकार के टाइम पास में मत पड़ो।" कबीर ने जवाब दिया, अपने भाइयों के चिढ़ाने से वोह बिलकुल भी परेशान नहीं हुआ। प्यार लोगों पर जादू कर देता है, वोह अब महसूस कर सकता था।

"भाई, आपको पता है, की हम बहुत खुश हैं आपको दुबारा अपनी लाइफ खुशी से जीते हुए देख कर। जो आपने बिलकुल छोड़ दिया था। सबसे एक दम दूर, एक दम अकेले, अपने आप को कर लिया था। मुझे बहुत बुरा लगता था आपको ऐसे देख कर।" इशान ने कहा, वोह इमोशनल होने लगा था।

"यही वजह है की अमायरा भाभी पूरी दुनिया में मेरी फेवरेट इंसान हैं। उन्होंने आपको यह याद दिलाया है की फिर से कैसे मुस्कुराया जाता है और इसके लिए मैं हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा।" साहिल ने कहा और कबीर मुस्कुराने लगा।

"तोह इसका मतलब की मुझे कोई क्रेडिट नही मिलेगा की मैं अब खुश रहने लगा हूं? सारा काम सिर्फ अमायरा का ही किया धरा है? जैसे की वोह कोई जादूगर है, और उसने ही छड़ी घुमाई और मैं बदल गया।"

"बिलकुल। यह सब उनका ही किया है। उन्होंने ही आपकी बोरिंग लाइफ को अपने रंगीन रंगों से पेंट कर दिया है की अब आप चाह कर भी इससे बाहर निकल नही सकते। बहुत मेहनत की है उन्होंने इसके लिए।"

"वह तो है। यह तो इंपॉसिबल है की कोई उससे प्यार ना करें।" कबीर ने जवाब दिया। उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था की वोह अपनी पत्नी को कितना पसंद करता है।

"आप यह कह रहे हैं की आप उनसे प्यार करते हैं?" साहिल ने बेसब्री से पूछा।

"क्या यह सवाल है? और मुझे जवाब देना चाहिए? क्या मैं तुम्हे साफ साफ दिखाई नही देता?" कबीर ने पलट जवाब दिया और साहिल स्तब्ध रह गया। उसे अपने सीरियस भाई से इतना सीधे जवाब देने की उम्मीद नही थी।

"वोह आप करते हैं। ऑब्वियसली हमे दिखता है की आप उनसे प्यार करते हैं। अपने दिल को अपनी हथेली पर ले कर घूमते हैं। यह आपका जो 'प्यार में' रूप है वोह आपको बहुत सूट करता है। आप बिल्कुल नॉर्मल ही दिखते हो।" इशान ने चिढ़ाते हुए कहा और तीनों भाई ज़ोर से हँस पड़े।

"मैं जानता हूं। इस बात को मानता भी हूं। 'प्यार में' मुझे पर सूट करता है। अमायरा का मेरी जिंदगी में आना मेरी जिंदगी की सबसे बेस्ट चीज़ रही है। महिमा थी और हमेशा रहेगी मेरे दिल में, पर मेरी जिंदगी में अमायरा का आना मेरे लिए ब्लेसिंग्स है।"

"थैंक्स टू मी।" इशान ने चहकते हुए कहा और कबीर उसे घूरने लगा।

"अब सच में? मुझे जो पहले का याद है, वोह बस बहुत गुस्सा था मुझे तुमसे। मैं बहुत फ्रस्ट्रेटेड रहता था क्योंकि मेरी इच्छा के अगेंस्ट मुझसे जबरदस्ती वोह काम कराया जा रहा था जो मैं नही चाहता था, की मुझे तुम इमोशनली ब्लैकमेल कर रहे थे। की मैं एक लड़की की जिंदगी खराब कर रहा हूं बस इसलिए क्योंकि मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं। यह तोह बहुत राहत की बात है की वोह लड़की अमायरा निकली, जिसकी वजह से मेरे लिए अकेले रहना ही इम्लोजिबल हो गया। अमायरा वोह लड़की है जो बिना किसी के मदद के अपनी जगह आपके दिल में आसानी से बना सकती है।"

"तोह आपको क्या लगता है की मैं यह सब कुछ नही जानता था? मैं तोह पहले से ही जानता था की वोह आपके लिए एकदम परफेक्ट पेयर रहेंगी। मैं उन्हे बचपन से जानता हूं और थोड़ा बहुत मुझे लगता था की वोह ही आपके लिए बनी है। मेड फिर ईच अदर।"

"कम ऑन इशान। अब तुम जानबूझ कर ऐसा कह रहे हो। अब मैं तुम्हे ब्लेम नही करूंगा मेरी उससे शादी कराने के लिए, इसलिए शायद अब तुम क्रेडिट लेना चाह रहे हो। कम से कम कुछ डिसेंसी तोह रखो गिल्टी महसूस करने की, बेचारी लड़की को तुमने बली का बकरा बना दिया था वोह भी अपने रिश्ते के लिए, खुद के रिश्ते को बचाने के लिए।"

" आप चाहे मानिए या ना मानिए, पर यह तोह मैं और साहिल बचपन से डिस्कस किया करते थे। है ना साहिल?"

"हां, वोह तोह बचपन में भी पटाखा थी। वोह उस वक्त भी बहुत प्यारी सी लड़की थी, और आपके तोह बिलकुल अपोजिट, जो हमेशा बोर ही रहता था। मैं और ईशान भाई तो हमेशा ही यह मज़ाक किया करते थे की जब वोह बड़ी हो जाएंगी तो उनकी शादी आप से करा देंगे, ताकि आप मुस्कुराना तो सीखें। और फिर समय के साथ साथ यह बातें भी धुंधली होती चली गई, पर देखिए ना आखिर में यही सच हुआ। वोह सपना अब हकीकत में बदल चुका है। शायद किस्मत में उनका आना ऐसे ही लिखा गया था।"

"पर वोह तोह बचपन में मुझसे कभी बात नही करती थी। क्या यह इसलिए था क्योंकि मैं कुछ ज्यादा ही सीरियस रहता था? क्या वोह तब मुझसे डरती थी?" कबीर ने अपने में खोए हुए ही पूछा। जबकि उसके दोनो भाइयों ने उसका यह सवाल मिस कर दिया क्योंकि वोह दोनो तो खुद अतीत की यादों में खो गए थे और अपना बचपन याद करने लगे थे।

तोह तुम मेरे घर आती थी, मेरे भाइयों से बात करती थी, मेरे मॉम डैड से बात करती थी, जैसे की वोह सब तुम्हारे अपने हो, पर मुझसे नही। तुमने ऐसा क्यूं किया मिसिस मैहरा?













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कहानी अभी जारी है...
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