Secret Admirer - Part 79 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Secret Admirer - Part 79

अमायरा तैयार हो कर बाहर आ गई, आंगन में, जो की इस वक्त बहुत ही खूबसूरत तरह से सजाया गया था संगीत की फंक्शन के लिए। फूलों से सजा हर एक कौना बहुत गजब का खूबसूरत लग रहा था। फूलों की खुशबू चारों ओर फैली हुई थी। एक कॉर्नर पर डीजे का सेट अप किया गया था, जिस पर पहले से ही पैपी सॉन्ग्स बज रहे थे मतलब आवाज़ कान में पड़ते ही पैर थिरकने लगे। छोटे छोटे बच्चे तोह पहले से ही डांस फ्लोर पर थे और उस कलर फुल स्टेज पर जिस में बीच में लाइट फ्लैश हो रही थी, वहां अपना मन मौजी डांस करने में लगे हुए थे। अमायरा बच्चों की तरफ देख कर मुस्कुरा गई। एक नॉर्थ इंडियन वैडिंग कभी भी इस ठाठ बाठ की सजावट के बिना पूरी हो ही नही सकती। वोह डीजे पर लाउड म्यूजिक, अट्रैक्टिव स्टेज, और यह इतने महंगे फूलों की डेकोरेशन जो सुबह तक मुरझा कर बेकार हो जाते हैं और किसी काम के नही रह जाते। और फिर उसके बाद आता है खाना, उंगलियां चट करने वाला, डिलीशियस, अनहेल्दी खाना, जो की शादियों में बहुत सारे कुक मिलकर बनाते हैं और वोह भी अलग अलग देशों के खाने आइटम्स। इस शादी में ऐसा कुछ भी नही था जो की फिजूलखर्ची ना लगे।

पर उसकी नजरें तो किसी और को ढूंढ रही थी। एक तरफ उसे आदमियों का झुंड दिखा और उसमे से उसने अपने दिल की धड़कन को चुटकी में पहचान लिया। उसकी थकी हुई आंखों के लिए कबीर की झलक बहुत ही सुकून भरी थी। कबीर ने सिल्क का मैरून कलर का कुर्ता प्यजामा पहना हुआ था, और वोह हर एक इंच से देसी मुंडा लग रहा था, ना की किसी शहरी वेल मेंटेन सोफिस्टिकेटेड बिजनेस मैन जो की वोह था। कुछ याद आते हुए अमायरा मुस्कुरा पड़ी। कुछ दिनो पहले जब वोह डिस्कस कर रहे थे शादी की शॉपिंग करने के लिए, कबीर उसे इंसिस्ट कर रहा था की वोह दोनो सारे फंक्शंस में सेम कलर का ड्रेस पहने पर अमायरा उस के आइडिया के खिलाफ थी। आज उसने कबीर के कुर्ते के कलर का ही स्टाइलिश लहंगा पहना हुआ था, और उसे बहुत अच्छा भी लग रहा था और राहत भी महसूस हो रही थी की उसने कबीर के आइडिया को मान लिया था। इससे उसे उन दोनो के एक होने का एहसास हो रहा था। पहले वोह घबरा रही थी की फैमिली उसे चिढ़ाएगी पर अब वोह बेधड़ गर्व से सबको दिखाना चाहती थी। वोह चुपके चुपके से अपने पति को कबसे निहारे जा रही थी, कितनी देर से कुछ पता नही, जब तक की किसी के अपना गला साफ करने की आवाज उसे नही सुनाई पड़ी और उसने तुरंत अपनी नज़रे कबीर पर से हटा ली और पलट कर अपनी बहन की तरफ देखने लगी जो उसकी तरफ रेहसमयी ढंग से मुस्कुराते हुए देख रही थी।

"लगता है की कोई काफी बिजी है अपने पति को घूरने में।" इशिता ने चिढ़ाते हुए कहा।

"अह्ह्ह.....मैं......नहीं......उह्ह्ह्ह...." अमायरा बात टालने की कोशिश करने लगी।

"कम ऑन अमायरा। इट्स ओके। वोह तुम्हारा हसबैंड है। और वोह आज बहुत अच्छे लग रहे हैं। तुम गलत नही कर रही हो अपने पति को खुले आम निहार कर। हालांकि यह दूसरी तरफ से भी होना चाहिए। क्या उन्हे भी यह नहीं करना चाहिए था, क्योंकि आज तुम बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही हो?" इशिता मुस्कुरा गई।

"प्लीज दी। अब बस भी करो।" अमायरा अब शर्माने लगी थी।

"ओके ओके। चलो, सुमित्रा मॉम तुम्हे बुला रही थी।" अमायरा अपनी बहन इशिता के साथ चली गई पर उसका दिमाग में अभी भी वोही घूम रहा था जो की इशिता ने अभी कहा। वोह जानती थी की वोह इस आउटफिट में बहुत अच्छी लग रही है। आखिर कबीर ने ही तोह उसके लिए यह ड्रेस चूस की थी, पर अभी तक उसने एक नज़र भी उसकी तरफ नही देखा था। जो की बहुत अजीब था। आमतौर पर कबीर की नज़रे हमेशा उसकी ओर यूहीं चली जाती थी जब भी वोह कमरे में आती या उसके आस पास भी होती और उसकी नज़रे फिर उसपर से हटती ही नही थी भले ही अमायरा चाहे तो भी नही। आज की रात कबीर ने ऐसा कुछ नही किया था। कबीर ने अमायरा की तरफ नही देखा था और अमायरा कबीर में इस बदलाव से कुछ घबरा गई थी, कुछ अजीब लग रहा था उसे।

शायद वोह बिज़ी होगा।

जल्द ही वोह भी दूसरों से बात चीत करने में, डांस करने में, और खाना एंजॉय करने में बीसी हो गई। और अब तक एक बार भी उसने यह महसूस नही किया की कबीर उसकी तरफ देख रहा है। कभी कभार वोही उसकी तरफ देखती थी, और जब भी वोह उसकी तरफ देखती थी, कबीर किसी और तरफ ही देख रहा होता था। उसकी तरफ तो बिलकुल भी नही।

पल भर में मौज मस्ती चलते चलते घंटों बीत गए, और अब तक भी कबीर ने अमायरा की मौजूदगी का एहसास अपने प्रतिक्रिया से नही दिया था, ना ही वोह उससे बात करने आया था, ना ही मिलने आया था, और ना ही उसकी कोई तारीफ की थी। और इसी बात से अब अमायरा फ्रस्ट्रेट हो चुकी थी। उसने सोचा की वोह खुद ही उसके पास जायेगी और उससे बात करेगी। वोह तेज़ कदमों से उसकी ओर चल पड़ी थी और वहां पहुंच कर बदले में उसे सिर्फ रूखा सूखा वेलकम मिला था, कबीर से। कबीर इस वक्त अपने दोनो भाइयों से बात कर रहा था और उसके दोनो भाई अमायरा को देखते ही उसकी तारीफों के पुल बांधने लगे थे जबकि कबीर भावशून्य सा खड़ा था।

"आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं, भाभी। है ना भईया?" साहिल ने उत्साह से कहा।

"वोह ठीक लग रही है।" कबीर ने यूहीं ही जवाब दिया और अब अमायरा उससे बहुत गुस्सा हो चुकी थी।
कबीर दुपहर तक तो बिलकुल ठीक था। इन कुछ घंटों में ऐसा क्या हो गया था की वोह उसके साथ इतना ठंडा बरताव कर रहा था? उसे जानना था पर वोह यह जानती थी की वोह सबके सामने उससे नही पूछ सकती थी।

साहिल सभी को डांस फ्लोर पर ले गया पर अमायरा पूरे समय विचलित ही रही। आखिरकार उसने अपने आप को एक्सक्यूज़ किया और सीधे टैरेस की ओर चल दी। हां पर जाने से पहले उसने जानबूझ कर एक नज़र कबीर को जरूर देखा था, और कबीर से नज़रे मिलते ही वोह समझ गया था की अमायरा की आंखें तुरंत उसे उसके पीछे आने को कह रही हैं।

कबीर मुस्कुरा गया। कुछ देर वोह और डांस करता रहा जब उसे यह विश्वास हो गया को अब तक तोह अमायरा और भड़क गई होगी, तोह भी कोई एक्सक्यूज़ दे कर वहां से निकल गया और उसी ओर चल पड़ा जिस और अमायरा गई थी। उसने उसे नोटिस कर लिया था जिस पल अमायरा आंगन में हो रहे फंक्शन में आई थी, पर कुछ देर पहले जो उसकी और उसके भाइयों के बीच जो बातचीत हो रही थी उसकी वजह से कबीर को काफी गुस्सा, जैलसी, पॉसेसिव महसूस हो रहा था। वोह उससे नाराज़ था की अमायरा पूरी जिंदगी उसकी जिंदगी के कितने करीब रही थी, और फिर भी उसने उससे दूरी बना कर रखी थी। खासकर ही कबीर से। ना की उसके मॉम डैड से, और ना ही उस दोनो भाइयों से। वोह सिर्फ कबीर ही था जिसे उसका कोल्ड ट्रीटमेंट मिला था। और इस बात से वोह बिलकुल भी खुश नही था। वोह जनता था की वोह बिना वजह उससे नाराज़ हुआ बैठा है, पर इस वक्त उसे कोई फर्क नही पड़ रहा था। उसके दिमाग का एक इलॉजिकल पार्ट यह कह रहा था की अगर अमायरा ने कबीर को पहले इग्नोर नही किया होता तोह, शायद आज वोह दोनो तभी से एक रिलेशनशिप में होते, जैसे की इशान और इशिता हैं। इस मोमेंट पर वोह अपने और अमायरा के बीच उम्र के फासले और अपने पास्ट रिलेशनशिप के बारे में बिलकुल नही सोच पा रहा था। इस वक्त उसे बस यही समझ आ रहा था की उसने कुछ खो दिया था। वोह मोमेंट जो शायद वोह एक साथ बिता सकते थे। बहुत सारी यादें जो वोह दोनो एक साथ बना सकते थे, पर तब ही अगर अमायरा उसके साथ निरपेक्ष बरताव नही करती जो उसने तब किया था। यही वजह है की आज की शाम कबीर ने उसे पूरी तरह से इग्नोर किया था। हां थोड़ा सेलफिश हो गया था, पर अपने आप पर बहुत ही ज्यादा सय्यम बरता हुआ था उसने, जब की वोह इस समय चाहता था की वोह अमायरा को कस कर बाहों में भर ले और कहीं जाने ना दे। वोह चाहता था की अमायरा भी वोह फील करे जो उसने अभी कुछ देर पहले फील किया था। उसके उसे नजरंदाज करने से वोह नाराज़ हो गई थी। वोह अपने मिशन में कामयाब हो गया था क्योंकि उसका चेहरा ही कबीर को सब बयां कर रहा था की वोह उस से बात करने के लिए कितनी इच्छुक है। की वोह कितना चाहती है की कबीर उस से बात करे, उसकी तरफ देखे। और अब अमायरा ने यह पार्टी छोड़ दी थी सिर्फ और सिर्फ इसलिए ताकि कबीर का अटेंशन खींच सके। वोह उस से अकेले में बात करना चाहती थी।

और यही तोह एक्सेक्टली कबीर चाहता था, की वोह दोनो अकेले हों और वोह उस से अपने सवालों के जवाब मांगे। और अब इस वक्त वोह अमायरा के पास जाने के लिए टेरेस की ओर जा रहा था। अमायरा उसी जगह थी जहां आज सुबह ही कबीर ने उसे ढूंढा था जब वो अपनी मॉम के साथ थी। अमायरा उसी जगह खड़ी थी, उसकी पीठ कबीर की तरफ थी और हाथ रेलिंग पर थे। वोह खेतों की तरफ देखे जा रही थी जबकि रात की वजह से कुछ भी साफ साफ दिखाई नही दे रहा था। अमायरा ने कबीर का आना महसूस कर लिया था, शरीर थोड़ा अकड़ गया, लेकिन हिली नही। कबीर उसके पास आया, पीछे से उसे बांहों में भरा, और उसके हाथों पर अपने हाथ रख लिए। कबीर ने अपना चेहरा अमायरा के कंधे पर रख लिया जिससे उस के रोंगटे खड़े हो गए।

"मुझे यहां क्यूं बुलाया है, नीचे सब को छोड़ कर?" कबीर ने उसकी गर्दन पर अपने होंठ रखते हुए फुसफुसाया। कुछ पल के लिए अमायरा सांस लेना भूल ही गई।

"क्या आपको कारण नही पता है?" अमायरा ने बहुत मुश्किल से अपनी बेकाबू धड़कनों को नियंत्रित करते हुए पूछा।

"मुझे नही पता," कबीर ने मासूमियत का नाटक करते हुए कहा, और उसकी कमर पर अपने एक हाथ से पकड़ बना कर उसे करीब कर लिया।

"आप मुझे इग्नोर क्यों कर रहे थे?" अमायरा ने पूछा, उसे सब पता चल रहा था जो कबीर उसकी कमर पर अपनी उंगलियों से इमेजिनरी ड्राइंग कर रहा था।

"तुम्हे इग्नोर कर रहा था? मेरा दिमाग खराब हो चुका होगा अगर कभी भी मैं तुम्हे इग्नोर करूंगा।" कबीर ने बहुत सारी छोटी छोटी किसिस उसकी गर्दन और कंधे पर करते हुए कहा।

"तोह फिर वोह क्या था? आप मुझसे बात क्यों नही कर रहे थे?" अमायरा ने पूछा, कबीर जी उसके शरीर और उसके नाजुक से दिल के साथ जो कर रहा था उसे वोह इग्नोर करने की कोशिश कर रही थी।

"मैं भी तुमसे यही सवाल पूछ सकता हूं।" कबीर ने चापलूसी करते हुए कहा, और एक पल के लिए भी वोह नही छोड़ा जो वोह कर रहा था।

"क्या? मैने कब आपको इग्नोर किया है?" अमायरा को कुछ समझ नही आ रहा था की कबीर क्या बात कर रहा है।

"तुम्हे क्या लगता है?"

"मुझे नही पता। मैने कभी आपको इग्नोर नही किया।" अमायरा ने जवाब दिया और कबीर ने तुरंत उसे पलट दिया ताकि वोह उसका चेहरा देख सके।

"कम ऑन अमायरा। कम से कम खुद से तोह सच बोलो।"

"पर मैं सच कह रही हूं। आप किस बारे में बात कर रहे हैं?" अमायरा को अभी भी कुछ समझ नही आ रहा था। वोह कबीर के आरोपों को बिलकुल भी बढ़ती उम्र से लिंक करने के बारे में नही सोच पा रही थी।

"तोह तुम यह कह रही हो की तुमने मुझे कभी इग्नोर नही किया?"

"हां। मैने नही किया।"

"तोह क्या मैं यह मान लूं की तुमने मुझे फिर कभी नोटिस ही नही किया था? तुमने मुझे कभी इतना इंपोर्टेंट समझा ही नहीं की मुझे इग्नोर करने के बारे में सोच सको, कभी?" कबीर अब सीरियस हो चुका था।

"मैं अब फ्रस्ट्रेट हो रही हूं। क्या आप ठीक ठीक से बताएंगे की मुझ पर आप यह आरोप क्यों लगा रहे हैं?"

"ओके। मैं साफ साफ बता ता हूं।"



















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कहानी अभी जारी है...
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