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Secret Admirer - Part 77

"तुम खुश लग रही हो," कबीर ने शीशे में देख कर अमायरा को कॉमेंट किया, जब वोह सुबह तैयार हो रही थी। अमायरा ग्रीन कलर के पंजाबी सूट में थी, जिसमे की हर इंच से अमायर पक्की पंजाबन लग रही थी और कबीर की उससे नज़र नही हट रही थी, वोह बस उसे निहारे जा रहा था।

"वोह हूं।" अमायरा ने खिली खिली मुस्कुराहट से कहा।

"मैं सच में उम्मीद कर रहा हूं की तुम्हारी मुस्कुराहट की वजह मैं हूं।"

"वैसे, आप भी हैं।"

"वैसे घुमा फिरा के बोलने को बजाय क्या तुम मुझे यह बताने का कष्ट करोगी की वजह क्या है?"

"मैने आज मॉम से बात की थी।" अमायरा कबीर की तरफ पलट कर खड़ी हो गई थी।

"मैं जानता हूं। मैने देखा था तुम्हे उनके साथ। और मैने तुम्हे उन पर चिल्लाते हुए भी सुना था 'आई लव यू'। जो की तुम्हे कोई फर्क नही पड़ता अब तक मुझे ना बताने में।" कबीर ने अपनी एक आईब्रो ऊपर उठाते हुए कहा। "पर मुझे खुशी है की तुमने अपने गुस्से को भूलने का तै किया और अपनी कड़वाहटों, दूरियों को मिटा लिया। मैं तोह बस यह सोच रहा हूं की इस पिक्चर में मैं कहां आता हूं।"

"आप ही तो थे जो बार बार मुझे उन्हे माफ करने के लिए कहते रहते थे। मैं हमेशा अपने में ही घुटती रहती। थैंक यू। थैंक यू सो मच।" अमायरा यह कहते हुए कबीर के करीब आ गई और कबीर ने उसकी कमर पर हाथ रख और करीब कर लिया।

"तुम जानती हो तुम्हे कभी भी किसी भी बात के लिए मुझे थैंक्स कहने की जरूरत नहीं है।"

"पता है। पर फिर भी मुझे यह अभी भी महसूस होता है की मुझे कहना चाहिए।"

"पर तुम क्या यह जानती हो की थैंक्स कहने के और भी कई तरीके हैं।" कबीर ने कहा।

"और वोह क्या हैं।"

"मैं आदमी हूं जो किसी भी गंभीर सिचुएशन में भी आसानी से खुश हो सकता है। क्योंकि अभी हमारे पास ज्यादा समय नही है, अभी के लिए, तोह मैं आसानी से एक किस से संतुष्ट हो जाऊंगा। जिसकी तुम्हे कल सुबह से कोई परवाह ही नही है। मैं तड़प रहा हूं इसके लिए।"

"आह... इसमें तोह आपकी गलती है। आपको कल रात नशा करने से पहले सोचना चाहिए था। मैं आपको आज एक बात अच्छे से समझाना चाहती हूं की कभी कभार ड्रिंक करने में कोई दिक्कत नही है, पर रोज़ रोज़ इस तरह का व्यवहार मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करूंगी।" अमायरा ने सख्ती से चेतावनी दी और कबीर को उस पर प्यार आने लगा।

"क्या? आप मुस्कुरा क्यूं रहें हैं? क्या मैने कोई चुटकुला सुनाया है?"

"तुम बहुत क्यूट लग रही थी जब इस तरह से टिपिकल वाइफ की तरह बिहेव कर रही थी।"

"ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत कीजिए। मैं नही चाहती की कल रात की तरह आप दुबारा कभी हरकत करें। क्या आप भूल गए की हमने क्या डिसाइड किया था की हम इस शादी को अपनी शादी की तरह एंजॉय करेंगे? मैं यह सब अकेले कैसे करूंगी जब आप पीने में ही बिज़ी रहेंगे?"

"ओके ओके। मैं प्रोमिस नही करता, पर मैं पूरी कोशिश करूंगा ना पीने की। यह बहुत रुड होगा अगर मैं सुहाना की फैमिली को मना कर दूंगा क्योंकि वोह बहुत फोर्स करते हैं, और तुम जानती हो वोह लोग अच्छे हैं।"

"ओह तोह ड्रिंक करना एक अच्छे मेहमान की निशानी है। थैंक यू मेरी आंखें खोलने के लिए।" अमायरा ने घूरते हुए कहा।

"कम ऑन अमायरा। इस बार जाने दो। मैं वादा करता हूं की मैं वोही जेंटलमैन बन कर रहूंगा जब हम घर वापिस चले जायेंगे।" कबीर ने रिक्वेस्ट की और अमायरा अनिच्छा से मान गई। "वैसे तुम्हारी मॉम और तुम्हारे बीच अब सब ठीक है ना?"

"हां। मुझे लगता तोह है। मैं उनके लिए कुछ ज्यादा ही जजमेंटल हो गई थी क्योंकि मैं बहुत गुस्सा थी, पर आप सही थे। उनकी कुछ वजह थी और कुछ हालात ऐसे बने उनके ऐसा करने के पीछे।"

"तोह तुम अब उनसे गुस्सा नही हो की उन्होंने तुम्हारे लिए मुझे चुना?" कबीर ने चिढ़ाने वाली हँसी हँसते हुए पूछा।

"नही। बल्कि अब मुझे समझ आ गया है की उन्होंने मुझे क्यों डिसाइड करने को कहा था की मुझे आप से शादी करनी है या नही।"

"क्यूं?" कबीर ने पूछा और अमायरा फंस गई अपनी बातों में की वोह कबीर को सब बताए या नही।

"क्योंकि वोह जानती थी की आप मुझे इस दुनिया की सबसे खुशनसीब वाइफ बना कर रखेंगे, और साथ ही मुझे यह यकीन दिलाने के लिए जो भी मुझे खुशियां मिली हैं वोह मुझे मेरे अपने डिजिसन से मिली हैं।" वैसे भी कबीर को सब जानने की जरूरत नहीं थी, इसलिए अमायरा ने सब कुछ नही बताया।

"आई लव यू, अमायरा।" कबीर ने गहरी सांस लेते हुए कहा और अमायरा बिना कुछ बोले चुप चाप कबीर के सीने से आ लगी। अपने जज़्बातों को इस वक्त आवाज़ देने की परिस्थिति में नही थी। उनका मोमेंट तब डिस्टर्ब हुआ जब दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी और कबीर ने फिर गहरी सांस ली।

"अगर इसी गति से सब चलता रहा तो हमारे दादा दादी बनने की उम्र में हमारे बच्चे होंगे।" कबीर ने बड़बड़ाते हुए कहा और अमायरा ने मज़ाक में हल्के से कबीर के सीने पर मारा और उससे अलग हो गई। कबीर ने दरवाज़ा खोला तो सामने उसकी मॉम खड़ी थी।

"येस मॉम। क्या मुझे मेरी वाइफ के साथ कभी प्राइवेसी मिलेगी?" कबीर ने पूछा और सुमित्रा जी उसे साइड करके कमरे में घुसी चली आईं।

"यह मत भूलो की तुम्हे तुम्हारी यह वाइफ इस लिए मिली है क्योंकि मैने इसे तुम्हारे लिए चूस किया था। तोह इसलिए इससे पहले की तुम अपना हक उस पर जताओ, यह जान लो की हम सब का भी उस पर बराबर का हक है। राइट, अमायरा?" सुमित्रा जी ने अपनी बहु की तरफ देखते हुए कहा और अमायरा बस शर्मा कर रह गई।

"एंड माय गॉड, अमायरा, तुम बहुत प्रिटी लग रही हो। बिलकुल एक पक्की पंजाबन के जैसे।" सुमित्रा जी कहते हुए अपनी पर्स में से कुछ पैसे निकालने लगी और फिर उसके सिर पर से वार दिए।

"यह क्या था मॉम?" कबीर ने उत्सुकता से पूछा।

"एक छोटी सी रस्म है, बस इसे बुरी नज़र से बचाने के लिए। यह आज दुल्हन से कम नहीं लग रही है। देखो तोह है ना?" सुमित्रा जी ने अपने बेटे से पूछा और कबीर तो पहले ही फिदा हो रखा था अपनी पत्नी पर और उसकी मॉम ने उसके मुंह की बात छीन ली। अमायरा कुछ बोल नहीं पाई बस दोनो को बातों से शर्म से मुस्कुराती रह गई। उसने कब इतना एक्सपेक्ट किया था अपने आस पास के लोगों से, इतना प्यार, इतनी परवाह?

"ओके अब मेन बात तोह कहना ही भूल गई, अमायरा, तुम्हे मेरे साथ चलना होगा कुछ रस्मों के लिए।"

"मैं? कैसी रस्मे?"

"साहिल की बड़ी भाभी होने के नाते तुम्हारी भी कुछ जिमेदारियाँ हैं। कुछ रस्मे हैं जो तुम्हे ही पूरी करनी है। अगर तुम तैयार हो, तोह चलो साथ में।"

"पर मैं क्यूं मॉम? मेरा मतलब है की दी तोह मुझसे बड़ी हैं ना। तोह क्या उन्हे यह नही करना चाहिए क्योंकि बड़े को करना होता है यह सब?"

"वोह तुम्हारी बड़ी बहन है। पर तुम कबीर की पत्नी हो। क्योंकि कबीर साहिल का सबसे बड़ा भाई है तो उस नाते तुम भी बड़ी हुई। और यह हमारी परंपरा है की सबसे बड़ी भाभी ही यह रस्मे करती है। इतना बहुत है जानने के लिए या और जवाब भी चाहिए?" सुमित्रा जी ने मुस्कुराते हुए पूछा और अमायरा ने ना में सिर हिला दिया।

कबीर की पत्नी। सबसे बड़ी बहू। सबसे बड़ी भाभी। अब वोह सिर्फ अमायरा नही थी, कई सारे और नाम भी उसकी जिंदगी में जुड़ गए थे। उसे परिवार का प्यार मिल रहा था, परिवार से सम्मान मिल रहा था, इतना की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसका दिल कई एहसासों से भर गया था, वोह बस अब भावुक हो कर किसी भी वक्त रो सकती थी। पर अच्छा हुआ की उसकी सास उसे हाथ पकड़ कर बाहर ले गई और अमायरा ने अपने इमोशंस कंट्रोल कर लिए। वोह बाहर जाके शादी की रस्मों में व्यस्त हो गई जिसकी उसे अभी सबसे ज्यादा जरूरत थी, अपने आप को बिज़ी रखने के लिए।

सुबह का सारा वक्त कुछ रस्में निभाने में निकल गया और दोपहर को मेहंदी की रस्म थी। कुछ मेहंदी लगाने वाली लड़कियों को बुलाया गया था, दुल्हन को और बाकी औरतों को मेहंदी लगाने के लिए। सभी औरतें दोपहर का खाना खा चुकी थी और अब वह बड़े से आंगन में मेहंदी लगाने के लिए इत्मीनान से बैठ गई थी। सब मर्द पीछे के आंगन में, जहां पर हलवाई ने चूल्हा जला रखा था, वहां पर स्नेक्स की फरमाइश कर रहे थे और साथ-साथ इनकी ड्रिंक भी चल रही थी।

क्योंकि अमायरा अभी तक अपनी सास के साथ रस्मे निभाने में बिजी थी इसलिए उसे लंच करने का समय ही नहीं मिला था। अमायरा के कुछ कहने से पहले ही उसे आंगन में ले जा कर कुछ रिश्तेदारों ने मेंहदी लगवा दी थी। अब वोह अपने हाथों में मेंहदी लगाए बैठी थी, और उसका पेट ज़ोर ज़ोर से आवाजें कर रहा था, जिसे आस पास के लोग नही सुन पा रहें थे क्योंकि म्यूजिक जो चल रहा था और पास बैठी औरतों को अपनी गपशप और चुगलियों से फुर्सत नही थी। उसने सुबह से कबीर को नही देखा था और अब वोह बेचैन हो गई थी। उसने एक छोटी बच्ची को बुला कर पूछा था की, सारे आदमी लोग कहां हैं और क्या उसने कबीर को देखा है। उस बच्ची ने मासूमियत से सब बता दिया था की सभी मर्द पीछे के आंगन में हैं और वहां ड्रिंक और स्नैक्स चल रहा है। यह बात सुन कर अमायरा गुस्से से भर गई थी। यहां वोह भूखी प्यासी बैठी है, और वहां कबीर फिर एक बार ड्रिंक करने में लगे हुए हैं। इसके लिए उन्हें भुगतना ही होगा, उसने मन ही मन सोचा। वोह बस कबीर को कोस ही रही थी की, अचानक वो सामने आ गया। अमायरा ने उसे गुस्से से देखा, लेकिन कहा कुछ नही, क्योंकि आस पास कई औरतें थी। कबीर ने अमायरा के गुस्से चेहरे की ओर देखा, लेकिन समझ नही पाया की वोह उससे इतनी गुस्सा क्यों हो रही है। इससे पहले की कबीर उससे कुछ पूछ पता, उसकी मॉम ने उसे आवाज़ दे दिया।

"तुम कहां थे कबीर?" सुमित्रा जी ने अपने बेटे से पूछा, और कबीर के जवाब देने से पहले ही अमायरा ने तुरंत जवाब दे दिया।

"यह अच्छे मेहमान बनने में बिज़ी थे मॉम। आप को तोह पता ही होगा यह ड्रिंक कर रहे थे।" अमायरा ने बनावटी आवाज़ में कहा और कबीर उसके गुस्से को देख कर मुस्कुराने लगा।

"आई एम सॉरी टू डिसापोइंट यू माय डियर वाइफ, पर मैं साहिल के साथ शॉपिंग पर गया था, क्योंकि उसे टिपिकल पंजाबी कुर्ता पायजामा चाहिए था आज रात संगीत के लिए क्योंकि अब उसे अचानक अपना कुर्ता पसंद नही आ रहा था।" कबीर ने उसके पास वाली चेयर पर बैठते ही कहा और अमायरा ने आह भरी।

तोह क्या हुआ अगर यह ड्रिंक नही कर रहे थे। पर यह मुझे अकेला तोह छोड़ कर गए थे ना। इन्हे मेरी कोई परवाह ही नही है की मुझे भूख भी लगी होगी। मैं अब इन से बिलकुल भी बात ही नही करूंगी।

अमायरा ने अपना चेहरा सीधा ही रखा हुआ था, वोह बिलकुल भी कबीर की तरफ नही देख रही थी, पर उसका पेट ज़ोर से बज रहा था जिस वजह से उसने अपना सिर झटका और वोह अपने आप को कोसने लगी। कबीर अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ और घर के अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद कबीर बाहर आया और अमायरा के पास वाली कुर्सी पर ही बैठ गया, पर अब उसके हाथ में एक खाने से भरी प्लेट थी जो वोह अंदर से लाया था। उसने रोटी का एक टुकड़ा तोड़ा और सब्ज़ी से लगा कर अमायरा के मुंह के आगे कर दिया। अमायरा की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई।

"क्य.....क्या कर रहें हैं आप?" अमायरा अचानक डरने लगी थी।

"तुम्हे खाना खिला रहा हूं। और क्या?" कबीर ने यूंही कहा।

"क्यूं? दूसरी औरतें क्या सोचेंगी?"

"वोह यह सोचेंगी की क्योंकि तुम अपनी मेहंदी की वजह से खाना नही खा सकती हो, इसलिए मुझे तुम्हे जबरदस्ती खाना खिलाना पढ़ रहा है, या फिर यह सोचेंगी की मैं अपनी वाइफ से बहुत प्यार करता हूं इसलिए प्यार से अपनी बीवी को खिला रहा हूं। अब शरमाओ मत और खा लो। कम ऑन।" कबीर ने कहा और जबरदस्ती उसके मुंह में पहला निवाला डाल दिया। अमायरा ने भी संकोच करते हुए मुंह खोल दिया था। गुस्सा तो बाद में भी किया जा सकता था, पर इस वक्त उसे खाना खाने की सख्त जरूरत थी। कबीर को पहले निवाले के बाद जबरदस्ती नहीं करनी पड़ी थी क्योंकि अमायरा अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप खाने लगी थी। और इस सब के दौरान दूसरी औरतों की नज़रे और छेड़ती मुस्कुराहट लगातार बनी हुई थी।

"मुझे लगता है की अब आपको जाना चाहिए यहां से।" अमायरा ने फुसफुसाते हुए कहा, जब उसका खाना खतम हो गया था।

"क्यूं?"

"क्योंकि यहां कोई और मर्द नही है। और यह सारी औरतें हम पर हंस रही हैं।"

"तोह क्या हुआ? मैं अपनी वाइफ के साथ हूं, किसी और लड़की के साथ तोह नही हूं। मैं क्यूं उन लेडीज की हंसी से परेशान होंगा?"

"आप नही समझेंगे। जाइए अब।"

"नही। जब तक तुम मुझे यह नहीं बता देती की मुझसे गुस्सा क्यों थी, तब तक तोह बिलकुल नही जाऊंगा।"

"बाद में बताऊंगी। यह सब हमारी तरफ ही देख रहें हैं। प्लीज अब जाइए ना।"

"ठीक है। मैं किचन में जा रहा हूं। वहां अभी कोई नही है क्योंकि कैटरर का कुक पीछे के आंगन में खाना बना रहा है। ठीक पांच मिनट बाद मुझे तुम वहां चाही हो। अगर तुम तब तक नही आई तो मैं यहां आ कर खुद तुम्हे ले जाऊंगा।" कबीर ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा और आंगन में बैठी लेडीज को अपनी चार्मिंग सी स्माइल पास कर के चला गया।

अमायरा को पांच मिनट से ज्यादा समय लगा वहां से उठ कर जाने में और जब तक वोह किचन में पहुंची, तब तक कबीर नाराज़ होने लगा था। जैसे ही अमायरा किचन में आई कबीर ने उसे खींचा और किचन काउंटर से टिका कर, उसके दोनो तरफ किचन काउंटर से अपने हाथ टिका कर उसे कैद कर लिया। उसकी पीठ किचन काउंटर की तरफ थी और चेहरा बिलकुल कबीर के सामने।

जैसे ही अमायरा किचन में आई कबीर ने उसे खींचा और किचन काउंटर से टिका कर, उसके दोनो तरफ किचन काउंटर से अपने हाथ टिका कर उसे कैद कर लिया। उसकी पीठ किचन काउंटर की तरफ थी और चेहरा बिलकुल कबीर के सामने।

"यह क्या हरकत है? हम इस तरह से क्यों मिल रहें हैं, चोरी छुपे?" अमायरा ने चिल्लाते हुए पूछा।

"शशश.... कोई सुन लेगा।"

"तोह? आपने पहले ऐसा क्यों किया?"

"क्योंकि इसमें मज़ा है। चोरी छुपे मिलना, जब घर पूरा रिश्तेदारों से भरा हो, और कोई भी कभी भी किसी भी वक्त आ सकता है, और तुम पकड़े जा सकते हो, इसमें मज़ा नही है?" कबीर ने जवाब दिया।

"मुझे कुछ समझ नही आया।"

"तुमने कहा था इसे हमारी शादी के तरह ही एंजॉय करो, तोह अगर कल हमारी शादी होती तोह, क्या तुम नही चाहती मुझसे एक बार मिलना, चुपके से, अकेले में, बिना किसी को बताए?" कबीर ने धीरे से फुसफुसाया और अमायरा ने हां में सिर हिलाया। "मैं बस हम वोह मोमेंट्स देने की कोशिश कर रहा हूं जो हमे हमारी शादी के वक्त नहीं मिल सके थे। फैमिली से छुप छुप कर मिलना। चुपके से एक दूसरे को किस करना और गले मिलना। और यह मुझे यह भी याद दिलाता है की पिछले चौबीस घंटे से मैंने तुम्हे किस नही किया है। मेरी एनर्जी बहुत कम होती जा रही है।" कबीर ने अपने दिल की बात कही और अमायरा लगभग मुस्कुराने वाली थी पर उसने अपने आप को तुरंत रोक लिया। वोह अभी भी गुस्से में थी, पर उसे यह नहीं पता था की क्यूं।

"ओके। तोह तुम नही मुस्कुराओगी क्योंकि तुम मुझसे अभी भी गुस्सा हो। पर क्यूं? मैने तोह आज ड्रिंक भी नही किया।"

"आप मुझे अकेला छोड़ गए थे।"

"पर मैं अब तो यही हूं। तुम्हारे साथ।"

"पर....मैं.." अमायरा ने महसूस किया की उसके पास कुछ नही है कहने के लिए। वोह उसपर बिना वजह ही गुस्सा कर रही थी। उसे अब अपनी बेवकूफी पर गुस्सा आने लगा था।

"क्या तुम्हारे मुंह में दही जम गया है?"

"मैं बस आपको मिस कर रही थी। और एक आप हैं जो यहां वहां घूम रहे थे। मुझे बिल्कुल भी नही लगता की आप मेरे साथ रहना भी चाहते हैं। आप बस मुझसे पूछ रहें हैं की मैने आपको कितने घंटों से किस नही किया, पर क्या आपको कोई फर्क पड़ता है, आप खुद भी तोह कर सकते थे। बस मुझे एक्सक्यूज़ देते रहते हैं, मुझसे दूर रहने के लिए। कभी आप सो जाते हैं, कभी इतना नशा कर लेते हैं। क्या आप सच में मेरे साथ रहना भी चाहते हैं?" अमायरा बड़बड़ किए जा रही थी, पर तभी उसने रियलाइज किया की उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया है।

"मे.....मेरा....यह मतलब नही था। आई एम सॉरी।" अमायरा ने तुरंत माफी मांगली और कबीर ने आह भरी।

"तुम्हे लगता है की मैं तुमसे जान बूझ कर दूर रहता हूं?"

"नही.....मैं....यह बस मेरे मुंह से निकल गया।"

"मैं तुम्हे बता नही सकता की कितना बेचैन हो रखा हूं मैं तुम्हारे साथ रहने के लिए, पर मैं तुम्हे अनकंफर्टेबल महसूस नही कराना चाहता हूं। यह सब तुम्हारे लिए बिलकुल नया है, तुम्हे लगता है की मैं तुमसे दूर इसलिए रहता हूं क्योंकि मुझे परवाह नही पर यह सच नहीं है। इस अजनबी जगह पर मैं तुम्हे बस अनकंफर्टेबल महसूस नही कराना चाहता। बस यही और कुछ नही। जब भी हम साथ होते हैं, मैं सबसे पहले तुम्हारा कंफर्ट चाहता हूं।"

"मैं जानती हूं। आई एम सॉरी। मैं बस......मुझे नही पता।"

"इट्स ओके। बस इतना जान लो की मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूं। और उससे भी ज्यादा डेस्परेट हूं तुम्हारे लिए। बल्कि मैं तुम्हे बता नही सकता की मुझे कितनी जल्दी घर वापिस जाने की ताकी तुम्हारे वक्त बिता सकूं। मैं तुम्हे तब तक किस करते रहना चाहता जब तक की तुम्हारे होंठ सूज न जाए, मैं तुम्हे तब तक प्यार करना चाहता हूं जब तक तुम में चलने की भी ताकत न रह जाए। एक बार के लिए, मैं तुम्हारे सामने अपना जेंटलमैन अवतार उतार देना चाहता हूं। पर मैं यह सब यहां नही करना चाहता। मैं नही चाहता की यहां यह रिश्तेदार हमारे बारे में कोई बातें बनाने लग जाए।" कबीर ने कहा और अमायरा को गिल्ट महसूस होने लगा कि उसने कबीर पर डाउट किया।

"आई एम सॉरी।"

"तुम इसके बजाय मुझे आई लव यू भी कह सकती हो।" कबीर ने उसे चिढ़ाया और वोह शर्माने लगी।

"आ....आई..."

"शशश...... मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। जितना समय चाहो उतना ले सकती हो। क्योंकि मैं जानता हूं तुम भी मुझे यह कहना चाहती हो।" कबीर ने उसे आशय से उसे देखते हुए धीरे से कहा और वो उसकी आंखों में ही खो गई। वोह उसे छू नही सकती थी क्योंकि उसकी मेंहदी अभी भी गीली थी, पर उसे उसको छूने की बहुत जल्दबाजी हो रही थी और वोह ऐसा करने के लिए अब तड़प गई थी।

उसकी फीलिंग्स को भांपते हुए, कबीर थोड़ा और नज़दीक बढ़ गया, उसे किचन काउंटर से सटा दिया, एक हाथ से उसकी कमर पकड़ का एकदम करीब कर लिया और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन पकड़ कर चेहरा आगे कर लिया। उसके होंठों पर लगी लाल लिपस्टिक कबीर को इनवाइट कर रही थी की आओ और मुझे टेस्ट कर लो, पर कबीर का दिमाग उलझने लगा था की करे या ना करे। अगर किया तोह उसकी लिपस्टिक पूरी बिगड़ जाएगी, और उसके ऊपर भी आ जायेगी, घर भी पूरा रिश्तेदारों से भरा हुआ था और कोई भी उन्हे आसानी से देख सकता था, पर तब भी उसे किस करने की तड़प इतनी ज्यादा थी की अब उसका ध्यान वहां से हट कर सिर्फ अमायरा के होठों पर था। उसने उसकी तरफ अपना सिर और झुकाया, उसके होठों को हल्का सा छू लिया, उससे पहले की वोह अपनी पकड़ उसके होठों पर ठीक से बना पाता उसे अपनी तरफ आती कोई आवाज़ सुनाई पड़ी और वो तुरंत उससे दूर हो गया। अगले ही पल सुहाना की मासी किचन में घुसी चली आईं और दोनो का वहां देख कर सरप्राइज़ हो गई।

"तुम यहां क्या कर रही हो बेटा? क्या तुम्हे कुछ चाहिए?" सुहाना की मासी ने पूछा।












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कहानी अभी जारी है...
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