Secret Admirer - 76 books and stories free download online pdf in Hindi

Secret Admirer - Part 76

कॉकटेल पार्टी शाम में रखी गई थी इसलिए दिन के समय में सब फ्री थे तोह मैहरास औरतों ने सोचा की बाहर जा कर कुछ शॉपिंग की जाए। वोह सभी सबसे पहले गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब जी गए वहां मत्था टेक कर वोह शहर के बाज़ार में गए जहां उन्होंने कई तरह की खूबसूरत मोजड़ी खरीदी, रंग बिरंगे फुलकारी वाले सूट्स और दुपट्टे खरीदे और कई सारी और शॉपिंग करने के बाद चारों दुपहर तक वापिस मैंशन में आ गए। वहीं घर के जेंट्स खेतों में घूमते रहे, वहां के बारे में जाना, उन खेतों में कौन कौन सी फसल उगाई जाती है, और सुहाना के परिवार के बारे में उनकी अपब्रिंगिंग के बारे में और जाना। और सभी जेंट्स भी दुपहर तक वापिस आ गए। दुपहर को सबने ट्रेडिशनल पंजाबी खाना खाया और अपने कमरे में शाम के लिए तैयार होने चले गए।

कमरे में जाते ही अमायरा कबीर को बच्चों की तरह अपनी खरीदी हुई चीज़े दिखाने लगी। कबीर उसकी खुशी देख कर बहुत खुश हुआ था। सुबह शॉपिंग पर जाते वक्त अमायरा ने कबीर से कुछ कैश मांगे थे, क्योंकि यह ओल्ड सिटी थी तो उसे लग रहा था यहां शायद एटीएमस ना हो दुकानदार कार्ड एक्सेप्ट ना करे। अब जब उसकी शॉपिंग देख कबीर खुश था, की फाइनली अमायरा उसके पैसों को अपने पैसे समझती है, और उससे फेवर लेने में उसे कोई प्रॉब्लम नहीं है जैसे वोह पहले इशिता से लिया करती थी।

अब फाइनली कबीर अमायरा का था, और अमायरा कबीर की।

वोह दोनो कॉकटेल पार्टी के लिए तैयार हुए और अरेंजमेंट देख कर दंग ही रह गए थे, सुहाना की फैमिली ने शानदार अरेंजमेंट किया था, जबकि वोह लोग लगभग गांव में थे, मेन सिटी से दूर। जो भी गेस्ट होटल में रुके थे वोह लोग भी आ चुके थे और अब पूरा मैंशन मेहमानो से भर चुका था। सुहाना की फैमिली ने किसी को भी शिकायत का मौका नहीं दिया था और हर अरेंजमेंट शानदार किया था, चाहे वोह डेकोरेशन हो, मेहमानो को समय पर मेंशन में लाना ही, उसका खास वेलकम करना हो या फिर बेस्ट ड्रिंक्स सर्व करना हो। पूरा परिवार ड्रिंक्स एंजॉय करते हुए डांस में डूबा हुआ था। देर रात तक पार्टी चलने के बाद होटल वाले मेहमानो को सही सलामत होटल पहुंचा दिया गया था, बस अब मैंशन में एयर परिवार के लोग रह गए थे। परिवार के सभी मर्द अभी भी ड्रिंक्स काउंटर पर थे और किसी का भी वहां से जाने का मन नहीं कर रहा था।

पंजाबियों की शादी में एक खास बात हमेशा होती है वहां खाना और पीना दोनो ही जम कर होता है। अमायरा ने भी महसूस किया था की उसने इन दो दिन में बहुत खाया है और अभी भी दो दिन बचे हैं। उसे पूरा यकीन था की जब तक वोह घर वापिस पहुंचेंगे उसका वजन पक्का बढ़ जायेगा। और अपने पति को देख कर उसे लग रहा था की वोह घर पहुंचते पहुंचते पक्का पियक्कड़ बन जायेगा। उन्होंने वही कुछ देर बिताया था जिसमे अमायरा ने कबीर को ढेर सारी हिदायते दे डाली थी और कहा था की आउट ऑफ कंट्रोल मत हो जाना। कबीर उसकी और डांट सुनता पर उससे पहले कबीर के दोनो भाई और सुहाना के भाइयों ने उसे बुला लिया। इधर अमायरा भी बाकी लेडीज के साथ बिज़ी हो गई यह सोच कर की आखिर उसके भाई की शादी है जो बार बार तोह नही होगी तो उसने भी नजरंदाज कर लेडीज़ के गपशप में शामिल हो गई। अब अमायरा भी काफी थकावट महसूस करने लगी और उसने एक नज़र कबीर की तरफ देखा, उसने महसूस किया की कबीर अभी इतनी जल्दी फ्री नही होने वाला तोह वोह थोड़ा निराश हुई और अपने कमरे में अकेले ही चली गई। दिन भर की थकान और रिच हैवी फूड ने उसे जल्द ही नींद के आगोश में ले लिया। कबीर कुछ और घंटे बाद अपने कमरे में आया था पर अमायरा सो चुकी थी, और उसकी आंख तब खुली जब सुबह हो चुकी थी और वोह कबीर की बाहों में सो रही थी। सुबह काफी जल्दी ही अमायरा उठ चुकी थी क्योंकि अभी सूरज बस निकला ही था और अमायरा की यकीन ही नहीं हो रहा था की वोह इतनी जल्दी कैसे उठ गई वोह भी कबीर से पहले। यहां की ताज़ी हवा का जादू था शायद या नई जगह होने की वजह से जो अमायरा आज इतनी जल्दी उठ चुकी थी। वोह जल्दी से उठ कर बाथरूम गई और थोड़ी देर बाद ताज़ी हवा का आनंद लेने बाहर आ गई। बाहर उसे कोई हलचल नज़र नही आ रही थी जिसका मतलब यह था की इस वक्त सब सो रहे थे। आखिर इतनी देर रात तक सब जागे हुए थे तो सुबह इतनी जल्दी उठने का तोह मतलब ही नहीं बनता, बस अकेली अमायरा ही उठ चुकी थी। वोह आसपास सिंधिया देखने लगी और फिर सीढ़ियों से ऊपर जाने लगी। वोह टेरेस पर पहुंची तब तक थोड़ा थोड़ा अंधेरा छटने लगा था और हल्की हल्की रोशनी दिखने लगी थी। सुबह की हल्की हल्की ठंड से वोह कांपने लगी। चारो तरफ हरियाली ही हरियाली थी जो उसे यहां पर ही हमेशा हमेशा बस जाने के लिए मोहित कर रहा था। उसने एक लंबी सांस ली और सुबह की ताज़ी हवा, मिट्टी की खुशबू और सूरज का एहसास महसूस करने लगी। तभी उसने अपनी बाई ओर देखा तोह उसे एक झूला नज़र आया जिसपर कोई बैठा हुआ था। नज़दीक जाने पर पता चला की वोह उसकी मॉम थी जो उसे यहां इतनी सुबह देख कर मुस्कुरा रही थी। उसकी मॉम एक साइड खिसक गई और उसे बैठने का इशारा किया।

"आप सुबह इतनी जल्दी क्यूं उठ गए मॉम?" अमायरा ने बैठते हुए पूछा।

"मैं भी तुमसे यही सवाल पूछ सकती हूं। तुम जल्दी क्यूं उठ गई? या फिर सही सवाल यह है की कैसे उठ गई?" उसकी मॉम ने मुस्कुराते हुए पूछा, और अपनी ओढ़ी हुई शॉल को उसे पहनाने लगी।

"मुझे नही पता। शायद इस जगह की वजह से।" अमायरा ने जवाब दिया, उसे अब शॉल ओढ़ने के बाद कंफर्टेबल लग रहा था।

"हां। यह जगह जन्नत है। अभी यहां कोई डेवलपमेंट नही हुआ है ना इसलिए।" उसकी मॉम ने कहा और अमायरा ने एग्री किया। कुछ देर दोनो ही चुप चाप बैठे रहे।

"कुछ हुआ है क्या, अमायरा?"

"नही मॉम, कुछ नही हुआ है।"

"पर कुछ तोह है जो तुम्हे परेशान कर रहा है।"

"मु....मुझे नही पता की यह मुझे परेशान कर रहा है या नही।"

"तुम्हे पता है की तुम बहुत अजीब बात कर रही हो, कुछ समझ नही आ रहा।" उसकी मॉम ने जवाब दिया। " बताओ मुझे क्या बात है।"

"मॉम क्या आपने यह सारे अरेंजमेंट्स देखे? इतना ग्रैंड सेलिब्रेशन।"

"हां। बहुत अच्छा इंतजाम किया है उन लोगों ने। बिलकुल यही मुझे भी अपनी बेटी के लिए करना था अगर मनमीत जिंदा होते।"

"हां, बहुत अच्छा इंतजाम किया है। पर मेरी और दी की शादी की तरह बिलकुल नही।"

"तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?"

"मैं यह सोच रही थी की कभी कबीर और जीजू यह नही सोचते होंगे की काश उन्हे भी ऐसा ही वेलकम मिलता, हमारी तरफ से ऐसी ही ग्रैंड वेडिंग होती, जैसे साहिल को मिल रही है सुहाना की फैमिली की तरफ से?"

"तुम ऐसा क्यों सोच रही हो, अमायरा? क्या कबीर ने तुमसे कुछ कहा है?"

"नही। उन्होंने कभी कुछ नही कहा। पर इस से सच्चाई तोह नही बदल जाती।"

"कबीर और उसका परिवार हमारी फाइनेशियल कंडीशन जनता है। वोह कभी हमसे कुछ भी ग्रैंड एक्सपेक्ट नही करेंगे। और अब यह ख्याल आने का क्या मतलब? बस इसलिए क्योंकि सुहाना की फैमिली यह सब कर रही है?"

"क्या होगा अगर बाद में कभी कबीर के यह रियलाइज हो की मैं उनके स्टेटस की नही हूं? क्या होगा अगर उन्हे यह लगने लगे की मैं भी में डिजर्व नही करती, मैं उनके सोशल सर्किल में फिट नहीं बैठती? मैं जानती हूं की मैं उनकी जिंदगी में बस इसलिए हूं क्योंकि आप उनकी मॉम की फ्रेंड हैं। आप को लगता है की अगर आप उनकी मॉम की दोस्त नही होती तोह हमारी शादी कभी होती, हमारे अलग अलग स्टेटस को देखते हुए?" अमायरा ने पहली बार अपनी मॉम के सामने अपना सर खोला।

"तुम ऐसा क्यूं सोचती हो बच्चा। कबीर एक बहुत अच्छा लड़का है और समझदार भी। वोह कभी भी तुम्हे फाइनेंशियल स्टेटस के अंदर रख कर नही परखेगा।"

"पर क्या यह सच नहीं है? क्या वोह मेरे पहुंच से बाहर नही है? यह तोह हालात ऐसे बने की मैं उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गई? शायद उन्हे कोई और लड़की सूट करती, जो उनकी लाइफस्टाइल से मैच करती?"

"नही अमायरा? तुम ऐसी बेतुकी बातें क्यों कर रही हो? उसके लिए कोई और नहीं बस तुम हो। तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो को कोई और लड़की उसके लिए परफेक्ट होती, जबकि वोह तुम हो जिसने उसे उसका अतीत भुलाने में मदद की है, और सालों बाद उसे मुस्कुराहट दिलाई है? वोह तुमसे प्यार करता है किसी और लड़की से नही।"

"पर मॉम यह बात तोह सच है ना की मैं कभी भी उन्हे मैच नही करती। महिमा की जैसी कोई लड़की उन्हे मैच करती है।"

"स्टॉप इट अमायरा। अपनी इस उलझन से बाहर आओ। कौन कहता है की तुम उसके साथ परफेक्ट मैच नही करती? और क्यूं? क्योंकि बस वोह हमसे ज्यादा अमीर है?"

"यहां बात पैसों की नही है मॉम। वोह हमेशा से ही आइडियल रहें हैं। एक परफेक्ट बेटा, एक परफेक्ट भाई, एक परफेक्ट मंगेतर, और एक परफेक्ट हसबैंड भी। कोई वजह है ना जिस वजह से सब उन्हे बहुत प्यार करते हैं, पसंद करते हैं। और मैं अपने आप को उनके लायक नही समझती।"

"ओह माय गॉड अमायरा। यह सब मेरी गलती है की मैने तुम्हे स्वाभिमानी होना नही सिखाया। तुम्हे इस बात को मानने पर मजबूर कर दिया की तुम किसी के प्यार और परवाह के काबिल नही हो। तुम्हे इतने सालों तक नजरंदाज करना सब मेरी गलती है। पर यह सच नहीं है, अमायरा। अगर तुम किसी चीज़ के लायक नही ही, तोह दुनिया में कोई भी किसी के लायक नही है। तुम सोचती हो की कबीर परफेक्ट है, एक आइडियल बेटा है, परफेक्ट बेटा है, सब के प्यार और दुलार के लायक है, तोह यह सब पाने के लिए आखिर उसने क्या किया है? वोह अपने परिवार से प्यार करता है, तुम भी करती हो। वोह ध्यान रखता है की उसके परिवार को उसकी वजह से कोई परेशानी ना हो, तुम भी करती हो। वोह अपने भाई की खुशियों के लिए शादी करने को तैयार हो गया। तुमने भी तोह ऐसा ही किया, वोह भी उस बहन के लिए जो तुम्हारी सगी बहन है भी नही। और इससे तुम कबीर से ज्यादा काबिल बन जाती हो। उसको हमेशा ही सब कुछ आराम से मिल गया, उसका इतना प्यार करने वाले परिवार को भी उम्मीद नही थी कबीर उनके लिए इतना बड़ा बलिदान दे देगा। पर तुम तोह हमेशा से ही अपनी मॉम को किसी और के साथ शेयर करती आई हो, और वोह भी बिना कोई अफसोस जताए। क्या इससे तुम कबीर से ज्यादा अच्छी इंसान नही कहलाओगी, और क्या चाहिए?"

"आपका कहने का मतलब है की वोह जितना अच्छा बनने की कोशिश करते हैं उतने हैं नही?" अमायरा ने पूछा और उसकी मॉम मुस्कुराने लगी।

"नही। मैं बिलकुल भी तुम्हारे पति की बुराई नही कर रही हूं। मैं बस तुम्हे तुम्हारी क्वालिटीज बता रही हूं। यह सब बातें तुम्हे भी उसके बराबर का ही बनाती है। सिर्फ पैसे से ही सब कुछ नही खरीदा जा सकता जब रिश्ते कमाने के बात हो। और अगर तुम पैसों को बाहर निकाल दो तोह तुम उससे कहीं भी कम नहीं हो। एक लड़की की तरह, तुमने हमेशा उसे एडमाइर किया, पर दूर से। तुम उसे परफेक्ट समझती हो, क्योंकि दूर से तुम कभी भी उसकी गलतियां नही देख पाओगी। क्या तुम्हे लगता है की उसने ठीक किया अपनी फैमिली लगभग पांच साल तक सफर कराते हुए? मुझे लगता है उसने गलत किया। मैं उसे किसी चीज़ के लिए ब्लेम नही कर रही हूं। बस यह बता रही हूं की उससे भी गलती हो सकती है, जिसमे कोई बुराई नही है, हम इंसान है हमसे गलतियां हो सकती है। तुम उसे परफेक्शन का आइडियल मान के बैठी हो, अमायरा। वोह एक नॉर्मल इंसान है, गलती कर सकता है, उसे हक है, उसे प्यार करने का हक है, वोह जो है जैसा है उसे हक है की कोई उससे प्यार करे। उसके बड़े नाम से नही। अपने रिश्ते को पहले से बिठाए गए अपनी उम्मीदों पर जज मत करो। क्योंकि जो भी वोह आज तुम्हारे लिए है तुम भी उससे प्यार करती हो। है ना अमायरा?"

"मु....मुझे नही पता।"

"तोह फिर मैं बता रही हूं तुम्हे। वोह जरूर तुम्हारे लिए एक पहेली रहा होगा, तुम्हारी जिंदगी से भी बड़ी पहेली, पर वोह एक नॉर्मल इंसान है, जो तुम्हे जो हो, जैसी हो, पूरे दिल से प्यार करता है। कोई भी दूसरी लड़की उसके दिल में अपनी जगह नहीं बना पाई जो तुमने किया है। और अगर तुम ऐसा कर पाई हो, तोह जरूर तुम में कोई स्पेशल बात होगी।" नमिता जी ने कहा और अमायरा मुस्कुराने लगी।

"आप को लगता है की वोह मुझसे प्यार करता है?"

"पूरे घर को यही लगता है। सिर्फ मुझे ही नही। जिस तरह उसकी आंखें तुमसे हटती ही नही है, वोह सब बयां करती हैं की उसके दिल में क्या है, और वोह तुम्हारे लिए क्या महसूस करता है।" नमिता जी ने कहा और अमायरा शर्माने लगी।

"मॉम।"

"हां।"

"आई.... आई एम सॉरी।"

"सॉरी? तुम सॉरी क्यों बोल रही हो? माफी तोह मुझे मांगनी चाहिए। मैं हमेशा से तुम्हारे लिए एक बुरी मां रही हूं।"

"ऐसा मत कहिए मॉम। एक बुरी मां को कभी यह नहीं पता होता की उसकी बेटी को क्या चाहिए, जबकि उसकी बेटी खुद नही जानती थी की उसे क्या चाहिए। पर आपने मुझे कबीर दिया और मैं कभी भी किसी भी चीज़ के लिए भगवान ब्लेम नही करूंगी।" अमायरा ने अपना सिर अपनी मॉम के कंधे पर रख दिया।

"मनमीत जहां पर भी होंगे, तुम्हे आज यूं खुश देख कर खुश हो रहे होंगे।"

"आप पापा से बहुत प्यार करते हो ना।"

"हम्मम। वैसे तुमने मुझे अपनी ट्रिप के बारे में कुछ नही बताया।"

"वोह बहुत मजेदार थी। मैं कभी ऐसी जगह पर नही गई मॉम। मुझे लगता है की हम सब को एक बार वहां जाना चाहिए। बहुत मज़ा आएगा।"

"शायद जरूर जायेंगे। अगर मेरे पास टाइम होगा तोह।"

"ऐसा मत कहिए मॉम। मैं आपको कभी भी कहीं जाने नही दूंगी।"

"पागल हो पूरी।" नमिता जी मुस्कुरा गई, वोह जिंदगी की कड़वी सच्चाई जानती थी। दोनो कुछ देर ऐसे ही बैठी रहीं, चुप चाप,और दोनो का ध्यान भंग हुआ अमायरा के फोन की घंटी बजने से। अमायरा ने देखा तोह कबीर का कॉल आ रहा था। पर उसने गुस्से में उसका फोन कट कर दिया जिसे नमिता जी ने देख लिया।

"कुछ हुआ है क्या? तुम इतनी गुस्से में क्यूं लग रही हो?"

"बस.....ऐसे ही।"

"तुम्हे नही बताना तोह मत बताओ, पर वोह तुम्हे बुला रहा है, प्लीज़ जाओ। वोह तुम्हारे लिए परेशान हो रहा होगा।"

"नही। मैं नही जाऊंगी। मैं बहुत गुस्सा हूं उनसे। उन्होंने....उन्होंने....उन्होंने कल रात बहुत ज्यादा पी ली थी।"

"तोह? यहां पर सबने पी थी। ज्यादा तर सब पी रहे थे, अमायरा। मैं जानती हूं की यह सेहत के लिए अच्छी नहीं होती लेकिन कबीर तोह ऑकेशनली पीता है। तोह तुम इतनी गुस्सा क्यों हो?"

"मैं इसी वजह से ही तोह गुस्सा हूं की उन्होंने इतनी क्यों पी। वोह हमेशा लिमिट्स में ही पीते हैं। तोह इतनी ज्यादा पीने की क्या जरूरत थी? वोह ऐसे बिलकुल नही है।"

"अमायरा, तुम फिर से उसे अपनी बहुत ज्यादा बड़ी उम्मीदों पर परख रही हो। वोह परफेक्ट नही है। उसे भी हक है दूसरे नॉर्मल लोगों की तरह बिहेव करने का। ड्रिंक करना और अपने मस्ती करना। नाचना, गाना, और अपना मज़ाक बनवाना। बहुत ज्यादा खाना और अपना वज़न बढ़ा लेना। यह सब एक इंपरफेक्ट की निशानियां हैं। उसे परफेक्ट आदमी की तरह देखना बंद करो। उससे इतनी उम्मीदें मत पालो की जो तुम्हारी इमेजिनेशन में हैं, अगर तुम्हे एक खुशहाल जिंदगी जीनी है तो।

"आप को सच में ऐसा लगता है की उनके साथ मैं सख्ती से रहती हूं?"

"शायद करती होगी, शायद नही। पर उसे एक नॉर्मल इंसान की नजरिए से देखा जैसे की तुम हो और मुझे पूरा यकीन है की फिर तुम्हे बिलकुल भी ऐसा नही लगेगा की तुम उसके लायक नही हो या उससे गलती होने पर गुस्सा नही करोगी।" नमिता जी ने कहा और अमायरा ने सिर हिला दिया।

"थैंक यू मॉम। मैं सच में उनसे बहुत प्यार करती हूं। आई लव हिम अ लॉट। इतना की मेरी जिंदगी उनके बिना पॉसिबल ही नही है।"

"मुझे पता है। जैसे की उसकी आंखें सब कह देती है, तुम्हारी आंखों में भी सब दिखता है।"

"मुझे कभी इतनी खुशी नही मिली मॉम।"

"मुझे भी अमायरा। मुझे भी। शायद मेरी जिम्मेदारियों ने मुझे तुमसे एक कदम दूर कर दिया था, पर एक भी दिन ऐसा नही बिता होगा जब मैने तुम्हारी खुशियों के लिए प्रार्थना ना की हो जो तुम डिजर्व करती हो। अब मैं खुशी से मर सकती हूं, क्योंकि अब मैं जानती हूं की तुम खुश हो।"

"मॉम। खबरदार आगे से अपने ऐसा कुछ कहा तो। आई लव यू एंड मैं आपको कभी कुछ नही होने दूंगी।" अमायरा ने चिल्लाते हुए कहा।

"ओके ओके। चिल्लाओ मत। और लोग सो रहें हैं।" नमिता जी मुस्कुराने लगी। "और अब यह अच्छा होगा अगर तुम अपने पति के पास चली जाओ। वोह बेचैन हो रहा होगा तुम्हारे बिना।"

"बिलकुल सही कहा मॉम। मैं बेचैन हो रहा था, पर कोई बात नही अगर आप दोनो बातें कर रहे हैं और गॉसिपइंग कर रहें हैं।" कबीर के आवाज़ ने दोनो को डरा दिया, जहां अमायरा अभी भी शॉक में थी वहीं नमिता जी मुस्कुरा रही थी।

"नही, हमारा गॉसिप सेशन खतम हो गया है। तुम अपनी वाइफ को ले जा सकते हो अब। वैसे तुमने हमे अभी डरा दिया था। तुम कब आए? हमारी बातें छुप छुप कर सुन रहे थे ना?"

"मैं अमायरा को ढूंढ रहा था पर बाकी के कमरे सभी लॉक्ड थे, तोह मैने सोचा की एक बार टैरेस भी चैक कर लूं। मैं तोह आप दोनो को देख ही नहीं पाया था और ऐसे ही नीचे चला जाता क्योंकि यह खुला थोड़ा छुपा हुआ रखा है। पर आपकी बेटी फिर चिल्ला पड़ी और तब मुझे पता चला की आप लोग यहां है।" कबीर ने कहा और अमायरा ने गहरी सांस ली, उसे राहत मिली की कबीर ने उनकी आखरी बात नही सुनी।

"हम बस यही डिस्कस कर रहे थे की यहां से नज़ारा कितना खूबसूरत लग रहा है। हमे भी यहां खेतों के बीच एक घर खरीद लेना चाहिए।" अमायरा ने मज़ाक करते हुए कहा।

"हां हां ज़रूर। क्यूं नही? तुम्हारे लिए कुछ भी मिसिस मैहरा।" कबीर ने अपनी पत्नी की तरफ प्यार से देखते हुए कहा और नमिता जी मुस्कुराने लगी। उन्हे बहुत खुशी हो रही थी अपनी बेटी की शादी शुदा जिंदगी इतनी खुशहाल देख कर। और अचानक ही वोह इस कपल के बीच अनफिट महसूस करने लगी थी।




















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कहानी अभी जारी है...
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