दुल्हन का हत्यारा - भाग -5 ravindra thawait द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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दुल्हन का हत्यारा - भाग -5

सुजाय घोष,इस समय एसपी मेनन और इंस्पेक्टर विजय प्रताप के साथ वन विभाग के विश्राम गृह के लान में बैठा हुआ था। एसपी को विपतपुर में की गई जांच का विवरण दे रहा था।सर,शालिनी की हत्या का मामला और अधिक उलझ गया है। विपतपुर में उसके ससुराल के फार्म हाउस,जहां से वह गायब हुई थी। वहां हमें जो सबूत मिलें हैं,वह उसके पति राजेश के खिलाफ हैं। एसपी मेनन ने चौकते हुए कहा - क्या मतलब घोष? शालिनी की हत्या राजेश ने की है? घोष ने कहा - नहीं सर। जब मैं फार्म हाउस के बेडरूम की तलाशी ले रहा था तो मुझे वहां सूखे हुए फूलों के साथ शालिनी के अंग वस्त्र की हुक और उसके पायल के घुंघरू मिले। जिससे स्पष्ट हो रहा था कि उस जगह पर उसके साथ जबरदस्ती की गई थी। लेकिन,जबरदस्ती करेगा कौन? वहां पति पत्नी के अलावा कोई और नहीं था। मेरा सीधा संदेह राजेश पर गया। मैेने उसकी गर्दन पकड़ी तो वह उसने सब उगल दिया। एसपी मेनन से आश्चर्य से पूछा - क्या उगला? राजेश ने क्या बताया? क्या उसने शालिनी की हत्या स्वीकार कर लिया है?घोष। नो सर,घोष ने कहा- राजेश ने बताया कि अपहरण वाले दिन वह शालिनी के साथ एकांत में समय व्यतीत करने के लिए फार्म हाउस लेकर गया था। यहां उसके और शालिनी के बीच विवाद हुआ। लेकिन यह विवाद,हनीमून के लिए गोवा जाने की बात को लेकर नहीं,बल्कि राजेश की आप्राकृतिक सैक्स की मांग को लेकर हुआ था। शालिनी,इसके लिए राजी नहीं हुई। राजेश ने जबरदस्ती करने का प्रयास किया। जिससे दोनों के बीच खिंचतान हुई थी और इसके बाद शालिनी,नाराज होकर फार्म हाउस से निकल कर चली गई थी। इंस्पेक्टर विजय आश्चर्य से डीएसपी घोष का चेहरे को देख रहा था। एसपी ने पूछा - क्या तुम्हे उसकी बातों पर विश्वास है? घोष ने कहा - मुझे राजेश की बातों पर नहीं,सर। विपतपुर में मिले सबूतों पर विश्वास है। एसपी ने पूछा - क्या मतलब? सर,मैने फार्म हाउस जाने से पहले इंस्पेक्टर विजय और उनके साथियों को गांव में पूछताछ और मुखिया के सहयोग से अपहरण के दिन,गांव में बाहर से आए लोगों की सूची बनाने के लिए भेजा था। इंंस्पेक्टर विजय ने कहा - सर,मैं गांव के मुखिया त्रिलोकी से मिला। उन्होंने बताया गांव में 50 परिवार रहते हैं। इस पूरी बस्ती में किसी के पास भी कार या जीप नहीं है। इस बस्ती में दो किराना और एक पान की दुकान है। मैंने सभी घरों में जा कर पता किया,अपहरण वाले दिन,इस गांव में बाहर का कोई भी व्यक्ति नहीं था। फिर,मैं बस्ती के पान दुकान पहुँचा। यहां दुकान दार ने बताया कि घटना के दिन गांव में एक नीली रंग की एम्बुलेंस आई थी। लेकिन,गांव में किसी के बीमार होने की जानकारी नहीं मिली है। मैंने गांव में दो कांस्टेबल सादे वर्दी में तैनात कर दिया है। एसपी ने कहा - गुड़,वेरी गुड,घोष और विजय,आप दोनों ने ही बेहतर काम किया है। इस दो घण्टे में इस केस को एक दिशा मिल गई है। अब हमारा टार्गेट होना चाहिए नीला एम्बुलेंस। घोष ने कहा - सर,एम्बुलेंस सामान्यतः सफेद रंग और लाल पट्टी की होती है। एम्बुलेंस में नीली बत्ती जरूर लगी रहती है। यहां,मामला थोड़ा अलग है। विपतपुर में जो एम्बुलेंस देखी गई है,वो नीली पट्टी वाली है। एसपी मेनन ने मुस्कुराते हुए कहा - नीली पट्टी वाली एम्बुलेंस का इस्तेमाल,मानसिक रोगियों की सेवा के लिए किया जाता है। अब आगे क्या,योजना है घोष। सर, हम तीन टीम बनाएंगे। एक टीम को इंस्पेक्टर विजय प्रताप लीड करेंगे। यह टीम,नीली पट्टी वाली एम्बुलेंस की जांच करेगी। दूसरी टीम को एसआई लवलीना करेगीं। इनको मैंने भैरव पहाड़ के बारे में स्थानीय लोगो से जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी दी है। और मैं जाऊंगा भैरव पहाड़। यहां एक नजर,घटना स्थल को देखना चाहता हूं। एसपी ने कहा - मैं नहीं,हम,हम जाएंगे,भैरव पहाड़।
अगले भाग में पढिए,भैरव पहाड़ का रहस्य