दुल्हन का हत्यारा - भाग -3 ravindra thawait द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

श्रेणी
शेयर करे

दुल्हन का हत्यारा - भाग -3

सुजॉय,इस समय तेजी से अपने समान समेट रहा था। वह जल्दी से अपने सरकारी मकान को खाली कर अपने घर नादिया लौट जाना चाहता था। यहां,उसकी बड़ी पैतृक संपत्ति थी। पिता और भाई का बड़ा कपड़े का कारोबार था। पुलिस में भर्ती वह अपने सोच को साकार रूप देने के लिए हुआ था की न्याय और अपराध में जीत हमेशा न्याय की होती है। इसी समय,दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनकर वह चौका। आगे बढ़ कर दरवाजा खोला तो उसने सामने एसपी अजित मेनन को खड़ा पा कर हड़बड़ा गया। उसने जल्दी से सेल्यूट मारते हुए पूछा - स सर,आप यहां? हाँ मैं यहां। तुम्हारे घर। कमरे के अंदर एक नजर डालते हुए एसपी ने कहा - तो,वापस जाने की तैयारी चल रही है। ठीक है। लेकिन,तुम्हारी ट्रेन तो कल रात की है ना घोष। सुजॉय ने कहा - य...यस सर। बिना उसकी ओर देखे एसपी ने कहा-तो चलो आज, आखिरी बार,मेरे साथ भोजन करो। मेरी ओर से फेयर वेल समझो। ले लेकिन सर। सुजॉय ने कहने की कोशिश की। लेकिन उसकी बात को काटते हुए एसपी मेनन ने कहा- कोई लेकिन नहीं,मैं नीचे गाड़ी में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। चंद मिनटों में सुजॉय तैयार हो कर नीचे आया। बाहर एसपी मेनन अपने सफेद रंग के क्रेटा कार में बैठे हुए थे। एसपी ने हाथ आगे बढ़ा कर,कार का दरवाजा खोलते हुए कहा - आओ सुजॉय,बैठो। सुजॉय अनिर्णय की स्थिति में खड़ा रहा। अरे! डोंट वरी। अब तुम मेरे मातहत नहीं हो। इसलिए,आराम से बैठो। कम आन। एसपी के कहने पर,सुजॉय,आगे बढ़ कर कार पर सवार हो गया। दरवाजा बंद होते ही,ड्राइवर ने कार आगे बढ़ा दी। हल्की फुल्की बातें करते हुए,लगभग 1 घण्टे की सफर के बाद कार रुकी। एसपी मेनन के उतरते ही सुजॉय दूसरी ओर से कार से बाहर निकला। सामने केशलापुर थाना था। एसपी मेनन को आगे बढ़ते हुए देख,सुजॉय भी उनके पीछे चल पड़ा। थाना के प्रवेश द्वार पार कर,जैसे ही आगे बढ़ा,एक वृद्ध महिला और उसके साथ एक जवान महिला को एसपी के सामने बिलखते हुए पाया। वृद्ध महिला कह रही थी - साहब,मेरी बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा था? उसकी हाथों में मेहंदी लगे हुए एक सप्ताह ही तो हुए थे। वह तो अपने ससुराल वालों से ठीक से मिल भी नहीं पाई थी। फिर,भला उसका किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है? मेरी बेटी को किसने मारा साहब? क्यो मारा? एसपी ने तसल्ली भरे स्वर में कहा - चिंता मत कीजिए माता जी। आपको,सारे सवाल के जवाब मिलेगा और आपकी बेटी को न्याय भी। हत्यारा जो कोई भी हो,वो यहां,उस सलाखों के पीछे होगा। थाने के बैरक की ओर इशारा करते हुए एसपी ने कहा। इसी समय,थाना प्रभारी विजय प्रताप आ पहुँचा। उसने एसपी को सैल्यूट मारा और एलर्ट हो कर खड़ा हो गया। एसपी ने सुजॉय को आने का इशारा करते हुए,थाना प्रभारी के चेम्बर की ओर बढ़ गया। एसपी के पीछे जा रहा रहा सुजॉय,बुरी तरह से सिसक सिसक कर रो रही,वृद्ध महिला के पास ठिठका। उसने साथ मे खड़ी हुई महिला से पूछा - मृतिका से आपका क्या सम्बन्ध था? फफक फफक कर रोते हुए उस महिला ने कहा - मेरी छोटी बहन थी सर। सिर्फ 20 साल की थी। पढाई पूरी कर वकील बनना चाहती थी। लेकिन,हमने उस पर दबाव डाल कर उसकी शादी करा दी। और....और देखिए क्या हो गया? महिला की बात सुन कर,वृद्धा जोर जोर से रोने लगी। सुजॉय ने उन्हें सम्हाल कर,बेंच में बैठाते हुए कहा - क्या नाम था,आपकी बेटी का? सुजाता,सुजाता मेहर। बगल में खड़ी हुई महिला ने जवाब दिया और मैं उसकी बड़ी बहन माया। सुजॉय ने कहा - सुजाता को न्याय जरूर मिलेगा मां,जरूर मिलेगा। इतना कहते हुए,सुजॉय उठ कर,एसपी की ओर आगे बढ़ा। कमरे में अंदर घुसते ही,रिवालविंग चेयर में बैठे हुए एसपी मेनन ने कहा - अरे! आओ सुजॉय,कहाँ रुक गए थे? सामने रखी हुई कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा - बैठे,बस दो मिनट,मैं जरा केस की प्रोग्रेस देख लूं,फिर चलते हैं। फिर एसपी ने सामने खड़े हुए इंस्पेक्टर विजय से कहा - हाँ तो विजय,दुल्हन के हत्यारे के मामले में अब तक प्रोग्रेस शून्य है। मृतको की पहचान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अलावा तुम्हारे पास कुछ नहीं है। विजय प्रताप ने हकलाते हुए कहा - य....यस सर। एसपी ने भड़कते हुए कहा - क्या यस सर? मुझे प्रोग्रेस चाहिए,विजय प्रताप प्रोग्रेस। बाहर देखो जा कर,कैसे एक यंग लेडी की बूढ़ी मां रो रही है। इंसाफ मांग रही है,इंसाफ। हम उसे क्या दिखाएंगे? ये ....ये पोस्टमार्टम रिपोर्ट? ये पंचनामा की कापियां। नहीं,ऐसा नहीं चलेगा। मुझे हत्यारा चाहिए,किसी भी कीमत पर। तुम्हे 72 घण्टे का समय देता हूँ,हत्यारे को गिरफ्तार करो,नहीं तो तुम्हारा ट्रांसफर नहीं होगा,सीधे सस्पेंड कर दूंगा। अंडर स्टैंड। विजय ने सम्मान पूर्वक कहा - यस सर। इस बीच शांत बैठे हुए सुजॉय ने कहा - आपकी अनुमति हो तो मैं फाइल देख सकता हूँ सर। एसपी ने फाइल उसकी ओर बढाते हुए कहा - श्योर। फाइल लेकर,सुजॉय,उसके पन्ने पलटते हुए,गौर से पढ़ने लगा। फाइल में लगे हुए फोटोग्राफ्स को टेबल में फैला कर सुजॉय एक एक फोटो को देख रहा था। एसपी मेनन की नजरें,सुजॉय पर टिकी हुई थी। इसी बीच,थाना के बाहर जोर जोर से शोर होने लगा। एसपी ने विजय प्रताप को कहा - जाओ,जाकर देखो,क्या मामला है? एसपी का आदेश सुनते ही ,विजय तेजी से बाहर चला गया। सुजॉय को फोटो में उलझा हुआ देख एसपी ने उसे टोकते हुए कहा - कुछ मिला क्या सुजॉय? सुजॉय ने बिना सिर उठाए ही कहा - यस सर। कत्ल किसी भारी धारदार हथियार से किया गया है। हत्यारे ने एक ही झटके में सिर को धड़ से अलग कर दिया है। मेरा अनुमान है कि हत्यारा खब्बू (उल्टे हाथ का प्रयोग करने वाला) है। एसपी ने कहा - ये तुमने कैसे जाना? सर,मृतको के गर्दन पर जो कटने का निशान है,वह उल्टा है।घाव को देख पता चल रहा है कि हत्या के समय सभी मृतिका होश में नही थीं। उन्हें बेहोशी की हालत में मारा गया है। हत्या करने से पहले किसी प्रकार के सेक्सुअल एसाल्ट (दुष्कर्म) नहीं किया गया है। हालांकि सभी को अपहरण के बाद तीन से चार दिन तक बंधक बना कर जरूर रखा गया है। कुछ और खास है क्या,इन तस्वीरों में? एसपी ने पूछा - जी हां,सर,मृतिको के होंठ में एक ही रंग की लिपिस्टिक लगी हुई है। नाखूनों के नेल पॉलिश के रंग भी समान है। पैरों के पायल और करधनी सुनहरे रंग की है। इस बीच,बाहर का शोर बढ़ने लगा। अंदर कमरे तक पुलिस प्रशासन हाय हाय की आवाजें आने लगीं। इंस्पेक्टर विजय प्रताप ने आ कर कहा - सर,विधायक गोरखनाथ और नगर प्रमुख देवेंद्र बहादुर,भीड़ लेकर आएं हुए हैं। वे आपसे बात करना चाहते हैं। लेकिन अंदर आने के लिए तैयार नहीं हैं। आपको बाहर बुला रहे हैं। चलों,बाहर चल कर देखतें हैं। कह कर एसपी मेनन उठे और कमरे से बाहर निकल गए। उसके पीछे पीछे विजय भी लपका। लेकिन सुजॉय,एक बार फिर फाईल और फोटो में व्यस्त हो गया। बाहर,एसपी मेनन ने नारेबाजी कर रहे लोगो को शांत कराया। विधायक गोरखनाथ ने कहा - आखिर कब पकड़ा जाएगा हत्यारा? केशलापुर को कब इस आतंक से मुक्ति मिलेगी एसपी साहब? चार चार नव विवाहित स्त्रियों की हत्या हो चुकी है। लोग डर से दिन में घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं। आखिर कब तक यह दहशत का राज कायम रहेगा? क्या कर रही है,पुलिस? एसपी ने कहा - पुलिस अपना काम कर रही है,विधायक साहब। मैंने यहां के थाना इंचार्ज को 72 घण्टे का अल्टीमेटम दिया है,हत्यारे को गिरफ्तार करने के लिए। इस बीच नगर प्रधान देवेंद्र ने कहा - लेकिन,इन 72 घण्टो में और कोई मासूम नव ब्याहता की हत्या नहीं होगी इसकी क्या गारंटी है? अगर,72 घण्टे में ही हत्यारा पकड़ा जा सक्तक है तो उसे अब तक क्यो नहीं पकड़ा गया है? हमे बहलाने की कोशिश न करें। इस बीच,सुजॉय ने बाहर आकर कहा - 72 नहीं 48 घण्टे में पकड़ा जाएगा हत्यारा। और,आप लोग चिंता न करें। इस बीच हत्यारा कुछ नहीं करेगा। वह एक खास दिन ही हत्या करता है और इन दो दिनों के अंदर वह खास दिन नहीं है। आप सब इत्मीनान रखे,हत्यरा दो दिन में ईसी थाने के लॉक अप में नजर आएगा। विधायक गोरखनाथ ने सुजॉय की ओर देखते हुए कहा आप कौन? जवाब में एसपी की आवाज गूंजी- पुलिस विभाग का होनहार डीएसपी सुजॉय घोष। क्राइम ब्रांच का अफसर और इस केस की एसआईटी का हेड। आप चिंता न कीजिए विधायक महोदय,हत्यारा,अब चंद घण्टो का मेहमान है। उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है।