दुल्हन का हत्यारा - भाग -6 ravindra thawait द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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दुल्हन का हत्यारा - भाग -6

केशला घाट में पुलिस का कड़ा पहरा था। घाट के दोनों छोर में पुलिस का बेरियर लगा दिया गया था। हर आने जाने वाले वाहनों की तलाशी ली जा रही थी। एसपी अजित मेनन के साथ सुजॉय घोष,भैरव पहाड़ पहुँचा। बेरियर में उसने आने जाने वाली गाड़ियों की लिस्ट खंगाली। लेकिन उसे कहीं भी,एम्बुलेंस की एंट्री नही दिखी। उसने पास खड़े हुए सिपाही से पूछा - इस घाटी को पार करने का कोई दूसरा रास्ता है क्या? सिपाही ने न में उतर देते हुए कहा - सर, फोर व्हीलर तो छोड़िये,बाइक तक,इसके अलावा कहीं से पार नहीं हो सकती है। हूँ,कहते हुए सुजॉय,एसपी की इर बढ़ा,उसने पहाड़ी के ऊपर मंदिर की ओर जाने की अनुमति मांगी। जवाब में एसपी स्वयं मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों की ओर बढ़ गए। उनके पीछे पीछे घोष भी चल दिया। प्रवेश द्वार पर एक दो भिखारी बैठे हुए थे। पुलिस को आया देख कर एक किनारे में सिमट गई थे। एक नजर उन पर डालता हुये,घोष एक क्षण के लिए ठिठका। उसने एक भिखारी की ओर इशारा कर बुलाया और पूछा क्या नाम है आपका? अपने लिए सम्मान सूचक शब्द सुन,भिखारी की आंखों में आश्चर्य के भाव तैरने लगे। वह हैरत के साथ घोष को देखे जा रहा था। मैने पूछा नाम क्या है,आपका? घोष ने अपना प्रश्न दोहराया? हड़बड़ाते हुए भिखारी ने कहा - नमी, नमी दास हुजूर। कहाँ के रहने वाले हो? नमी ने कहा -यहीं,यही,केशला घाट का ही हूँ। इसी जगह में रहता हूं,साहब? उसने आवाज दे कर,बेरियर के ड्यूटी आफिसर को बुलाया और गेट के पास खड़े चारो भिखारियों की ओर इशारा करते हुए कहा - आफिसर,इनके खाने पीने की व्यवस्था कीजिए। मैं,साहब के साथ ऊपर मंदिर जा रहा हूँ,वापस आ कर,इनसे बात करूंगा। ख्याल रहे,इनके साथ,कोई पुलिसिया हरकत नहीं होनी चाहिए। कहते , हुए घोष आगे बढ़ा। तेजी से सीढ़ी चढ़ते हुए मंदिर की ओर बढ़ गया। करीब 150 सीढ़ियो को चढ़ कर एसपी और घोष पहाड़ी की चोटी में बने छोटे से मंदिर में पहुंचे। जूतें उतार कर,दोनो मंदिर के दरवाजे की ओर बढ़े। एसपी के पीएसओ ने कहा - सर,दरवाजा में ताला लगा हुआ है। एसपी ने घोष की ओर देखते हुए ,पीएसओ से कहा - देखो पुजारी नंदी बाबा कहां है? घोष भी तेजी से सीढ़ियां उतरते हुए मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित एक छोटी सी कुटिया की ओर बढ़ गया। इससे पहले एक पीएसओ कुटिया के पास पहुंच कर,कुंडी खटखटा रहा था। लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आ रहा था। घोष ने कुटिया के दरवाजे की झिर्रीयों से अंदर झांका,एक छोटी सी चारपाई में काला कंबल पड़ा हुआ नजर आया। उसने पीएसओ की को दरवाजा तोड़ने को कहा। कुछ क्षण झिझकने के बाद,पीएसओ ने कंधे से ठोकर मार कर दरवाजा तोड़ दिया। अंदर घुसने पर घोष ने देखा कि काले रंग के कंबल में एक वृद्व व्यक्ति लिपटा हुआ पड़ा हुआ था। उसने आगे बढ़ कर बुजुर्ग के बाए हाथ को उठा कर,नब्ज टटोली,उसकी सांसें चल रहे थी। वह अचेत थे। पीएसओ ने अपने बगल से लटक रहे पानी के बोतल को निकाला और थोड़ा पानी निकाल कर वृद्व के चेहरे में छिंटे। वृद्व व्यक्ति ने कसमसाते हुए धीरे-धीरे आंखें खोल दी। इसी बीच,एसपी मेनन भी वहां पहुंच गए। उन्होनें आगे बढ़ कर कहा - क्या हुआ,नंदी बाबा। आप बेहोश कैसे हो गए थे? नंदी बाबा ने एक पल के लिए एसपी के चेहरे को ऐसे देखा,मानो उसे पहचानने की कोशिश कर रहे हो। कुछ बोलने का प्रयास किया,लेकिन मुंह से बोल नहीं फूटे। घोष ने उसकी स्थिति को देखते हुए कहा - सर,इन्हें जल्दी से अस्पताल भेज देना चाहिए। एसपी ने कहा यू आर राईट,कहते हुए पीएसओ से वायरलेस सेट लिया और कंट्रोल रूम को तत्काल एंबुलेंस केसलाघाट भेजने का निर्देश दिया। अपने पीएसओ और साथ आए सिपाहियों को नंदी बाबा को तत्काल नीचे ले जाने का आदेश दिया। सिपाही,तैयारी में जुट गए। इस बीच घोष की नजरें तेजी से कमरे में घुमने लगी। उसने,चारपाई के पास पड़े हुए गलास की ओर आकर्षित हुआ। गिलास को सावधानी से उठाते हुए,सूंघा। गिलास में थोड़ी मात्रा में पानी मौजूद थी। चारपाई से कुछ ही दूरी पर एक बिस्तर की पोटली नजर आई। घोष तेजी से उस पोटली को पलटने लगा। इसके साथ ही उसकी आंखें चमकने लगी। एसपी मेनन,खड़े हो कर घोष की गतिविधियों को गौर से देख रहे थे। घोष ने कहा - सर,मंदिर और इस कुटिया को सील करा दीजिए। आपकी अनुमति हो तो मैं उस स्थान को देखना चाहूंगा,जहां,सबसे आखिरी बार लाश मिली थी। हां,चलो,कहते हुए एसपी,कुटिया से बाहर आ गया। तेजी से कुछ सीढ़ियां नीचे उतर कर,जंगल की ओर मुड गए। एक बड़े पेड़ के पास रूक कर एसपी ने कहा - इसी स्थान पर,आखिरी शव पाया गया था। यहां नीचे सिर कटा हुआ धड़ और वहां दो पेड़ों के आगे पेड़ की शाखा में सिर कटा हुआ सिर टंगा हुआ था। घोष उस पेड़ के आसपास तेजी से देखने लगा। झाडियों को पार करता हुआ कुछ आगे चला गया। कुछ देर बाद वापस लौटा और एसपी से नीचे वापस चलने का अनुरोध किया। दोनों तेजी से नीचे उतरने लगे। नीचे आ कर,घोष ने एसपी मेनन से कहा - सर,मैने चार भिखिरियों को यहां रखवाया है। आपसे अनुरोध है उन सभी भिखारियों के खाने और रहने की व्यवस्था किया जाए,तब तक यह केस सुलझ ना जाए। इस बात का खास ख्याल रखे,कोई भी भिखारी,एक पल के लिए नजर से ओझल न हो पाए। एसपी ने सहमति से सिर हिलाते हुए,ड्यूटी में तैनात अधिकारियों को आदेश दिया।