विधायक और भीड़ को विदा करने के बाद एसपी मेनन और घोष,वापस चैंबर में लौटे। घोष ने एसपी से घटना स्थल से बरामद किए गए समान को देखने का अनुरोध किया। एसपी के इशारे पर इंस्पेक्टर विजय जब्त किए गए समानों के लेकर आया। सभी समान चार अलग अलग पैकेट में बन्द थे।हाथ मे दस्ताने पहन,घोष ने एक एक समान को गौर से देखा। समान को वापस पैकेट में रखते हुए,घोष ने कहा - सर,मैं विपतपुर जाना चाहूंगा। जहां की ये चौथी मृतिका शालिनी रहने वाली थी। फिर उसने विजय से पूछा - मृतिका के परिजनों का बयान हो पाया? विजय ने कहा - नहीं सर,अभी परिजन स्थिति में नहीं है। हालत आप देख ही रहे है। घोष ने पूछा - केशलापुर से कितनी दूरी पर है विपतपुर। विजय - यही कोई 10 किलोमीटर। घोष ने कहा - चलो, चलते हैं। एसपी ने घोष को टोका - अरे,घोष,लंच तो ले लो। घोष ने कहा - सर,आपसे मैं लंच,हत्यारे को सलाखों के पीछे पहुचाने के बाद ही लूंगा। एसपी ने कहा - गुड़ और हां,तुम्हारा समान और सर्विस रिवाल्वर,जल्द ही तुम्हारे पास पहुँच जाएगा। क्योंकि,केस को क्रेक किये बिना,न तो तुम यहाँ से हिलोगे और न मैँ। मैंने,हम दोनों के रहने की व्यवस्था,यहां के वन विभाग के विश्राम गृह में कर दिया है। घोष और विजय ने एसपी को सेल्यूट मारा और तेजी से बाहर निकल गए। 15 मिनट में घोष और विजय,शालिनी की मां और बहन के साथ विपतपुर में थे। यहां,मृतिका के अंतिम संस्कार के बाद,अन्य कर्मकांड की प्रक्रिया चल रही थी। घोष सिविल ड्रेस में था और विजय वर्दी में। पुलिस को आया देख गांव में हलचल बढ़ गई। घोष,जीप से उतर कर सीधे अंदर पहुँच। कमरे में कुछ लोग जमीन में बिछी हुई चादर में मातमी हालत में बैठे हुए थे। साथ मे चल रहे इंस्पेक्टर विजय ने एक नवजवान की ओर इशारा करके कहा - सर,ये हैं,शालिनी के पति मिस्टर राजेश अवस्थी और उसके बगल में बैठे अधेड़ की इशारा करते हुए कहा ये राजेश के पिता किशोर अवस्थी। घोष,ने अपना जूता उतारा और आगे बढ़ कर,राजेश और किशोर के सामने बैठते हुए कहा - शालिनी की नृशंस हत्या का मुझे दुख है,मिस्टर राजेश। लेकिन दुख से अधिक गुस्सा है। मैं चाहता हूं कि अगले 48 घण्टे में शालिनी का हत्यारा जेल में हो। और इसके लिए,मुझे आपके सहयोग की आवश्यकता है। आंखों में आंसू लिए राजेश ने कहा - इससे मेरी शालिनी वापस आ जायेगी क्या? घोष ने कहा - नहीं,शालिनी जी तो वापस नहीं आ सकती,लेकिन एक और शालिनी को हम हत्यारे की क्रूरता का शिकार होने से रोक सकते हैं। राजेश के पिता ने कहा - साहब,ठीक कह रहे है राजेश। बहु को न्याय मिलना चाहिए। उसके हत्यारे को फांसी की सजा होनी चाहिए। घोष ने कहा - बिल्कुल। अवस्थी साहब,हम,न केवल हत्यारे को गिरफ्तार करेंगे,बल्कि उसे न्यायालय से कड़ी सजा भी दिलवाएंगे। घोष ने राजेश की ओर देखते हुए कहा - शालिनी,जिस दिन गायब हुई थी,उस दिन की घटना क्रम का पूरी जानकारी चाहिए। ध्यान रहे,छोटी से छोटी जानकारी भी हमारे ले महत्वपूर्ण हो सकता है। यस सर। कहते हुए राजेश ने बताया - शालिनी से उसका विवाह लगभग दो माह पूर्व हुई थी। शादी के बाद पिता जी को हार्ट अटैक आ जाने से हम हनीमून में नहीं जा सके थे। घटना वाले दिन इसी बात को लेकर मेरे और शालिनी के बीच थोड़ी नोंकझोंक हुई थी। वो चाहती थी कि हम हनीमून के लिए गोवा जाएं,लेकिन मैं पिता जी को छोड़ कर जाने के लिए तैयार नहीं था। उस दिन,शालिनी को समझाने के लिए मैं उसे लेकर अपने फर्म में ले गया था।। दोपहर को फर्म खाली रहता है। मजदूर,सुबह काम करके वापस चले जाते हैं। दोपहर लगभग 12 बजे हम फर्म हाउस पहुँचे थे। यहां कमरे में एक बार फिर हनीमून को लेकर हम दोनों के बीच मे थोड़ी बहस हुई। शालिनी,रूठ कर,फर्म हाउस से पैदल ही घर आने के लिए निकल गई थी। शालिनी,फार्म हाउस से घर आने का रास्ता अच्छी तरह से जानती थी। इसलिए,मैंने उसे जाने दिया। शालिनी के जाने के लगभग 15 मिनट बाद मैं बाइक से वापस जाने के लिए निकला। रास्ते मे कहीं शालिनी नहीं मिली। घर आ कर देखा तो यहां भी वह नहीं पहुँचा थी। घर मे दस पंद्रह मिनट इंतजार करने के बाद मैं शालिनी को खोजने निकला। एक बार फिर फार्म हाउस और घर के बीच का रास्ता देखा। लेकिन शालिनी का कही पता नहीं चला। घर आ कर बाबू जी को सारी बात बताई। मुखिया जी के सहयोग से पूरे गांव के लोगो ने शालिनी को चप्पे चप्पे में खोजा। पास के जंगल को भी खंगाला। लेकिन उसका,कहीं पता नहीं चल पाया। घोष ने पूछा - आपने थाने में मिसिंग रिपोर्ट क्यो दर्ज नहीं कराई। इस बार राजेश के पिता किशोर ने जवाब दिया - क्या रिपोर्ट दर्ज कराते साहब। नई बहू के गायब हो जाने से गांव में ऐसे ही बदनामी हो रही थी। थाना में रपट लिखवा कर,पूरे रिश्तेदारो में बदनामी होती। घोष ने राजेश से कहा - आपको कष्ट तो होगा,लेकिन मुझे आपका फार्म हाउस और वो रास्ता देखना है,जहां से शालिनी गायब हो गई थी। राजेश उठ कर तैयार होने अंदर चला गया। इस बीच घोष ने इंस्पेक्टर विजय के साथ बाहर निकला और उसे कुछ समझाने लगा। सिर हिलाते हुए विजय,अपने साथ आये दो कांस्टेबल को साथ लेकर चला गया। कुछ मिनट में राजेश तैयार हो कर बाहर आया। घोष उसे लेकर पैदल ही फार्म हाउस की ओर निकल गया। गाँव से फार्म हाउस जाने के लिए एक छोटा सा आम रास्ता था। करीब 5 सौ मीटर आगे आने के बाद बस्ती खत्म हो गई। आखिरी में एक धोबी की छोटी सा कच्चा मकान था। आगे लगभग एक किलोमीटर पेड़ और झाड़ियों से भरा हुआ रास्ता पार कर फार्म हाउस पहुचें। गेट में लगे हुए ताले को राजेश ने खोला। अंदर खेत मे साग सब्जियां लगी हुई थी। एक किनारे में छोटा सा दो मंजिला मकान खड़ा हुआ था राजेश ने कहा - मैं,उस दिन शालिनी को लेकर इसी में आया था,सर। आओ देखते हैं,कहते हुए घोष आगे बढ़ा। राजेश ने लपक कर दरवाजा खोला। अंदर,निचले कमरे में एक बेड बिछी हुई थी। साथ मे अटैच वॉशरूम भी था। घोष,बिस्तर की ओर बढ़ा। उसकी आंखें बारीकी से बिस्तर का मुआयना करने लगी। उसने बढ़ा कर कुछ उठाया उसे हथेली में रख कर राजेश से पूछा-ये सूखे हुए फूल है,मिस्टर राजेश। राजेश ने हकलाते हुए कहा- स...सर,ये शालिनी के गजरे के फूल हैं। उसी दिन गिरे होंगे। हूँ,कहते हुुुए घोष ने कांस्टेबल मदन को से कहा - इनके साथ ऊपर कमरे में जा कर देखो,कुुुछ मिलता है क्या? यस सर,कह कर,कांस्टेबल राजेश को लेकर ऊपर कमरे की ओर चला गया। इधर,नीचे के कमरे में घोष की तीखी नजरें,पूरे कमरे को टटोलने लगी। बेड के निचले हिस्से को देखते हुुुए,उसकी आंखें चमकने लगी। उसने नीचे हाथ डाल कर,कुुुछ निकाला और उसे रुमाल में लपेट कर जेब मे रख लिया। कमरे से बाहर निकल कर,कांस्टेबल को आवाज देकर बुलाया। कांस्टेबल ने नीचे आ कर कहा - सर,ऊपर का कमरा बंद हैं। ताला से किसी प्रकार की छेेेड़छाड़ नहीं कि गई है। गुुु,ड,तरक्की करोगे। कहते हुुुए,घोष,वापस जाने के लिए,गेट से बाहर निकल गया।