उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

उजाले की ओर------- संस्मरण

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नमस्कार

स्नेही मित्रों

हम सब चाहते हैं कि हमारा जीवन खूब सुख में हो' हम खूब ऐश्वर्य में रहें लेकिन इससे पहले क्या हमें कुछ बातों के ऊपर ध्यान देना ज़रूरी नहीं होगा? चलिए, इस बारे में कुछ चर्चा करते हैं।

जीवन को सुखमय बनाने के लिए रिश्तों को सँभालना अति आवश्यक है। रिश्तों में विश्वास बनाए रखना इतना  ही आवश्यक है जितनी अपने सिर पर छत का होना। रिश्तों का आधार प्रेम है। यह ढाई अक्षर का अक्षर इतना भारी है कि इसके पलडे़  ताउम्र यदि झुके रहें तब ज़िंदगी सदा एक खूबसूरत उत्सव  बनी रहेगी। दरअसल जिंदगी का मक़सद हर पल को उत्सव बनाना हो, उत्सव में जीना हो तो आनंद आ जाए। और मनुष्य को जीवन में क्या चाहिए? आनंद  ही ना!

मनुष्य के लिए शिक्षा भीआवश्यक है किंतु काग़ज़ का टुकड़ा नहीं। जो शिक्षा व्यवहार में आ सके, वह शिक्षा। इसके लिए  संस्कार आवश्यक हैं। बिना संस्कारों के शिक्षा का भला क्या  महत्व होगा? सोचकर देखें।

जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यापार अथवा धन कमाना भी आवश्यक है किंतु व्यापार से पूर्व व्यवहार सीखना आवश्यक है। उचित व्यवहार के अभाव में व्यापार में सफ़लता संभव नहीं। नौकरी में कर्मचारियों को निश्चित रूप से उनके कौशल के कारण ही रखा जाता है किंतु अनुचित व्यवहार के कारण कई बार उन्हें नौकरी से हाथ भी धोना पड़ जाता है ।

जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए भोजन भी आवश्यक है किंतु इससे पहले आहार का ज्ञान होना भी आवश्यक है। अन्यथा हम अपने स्वास्थ्य के साथ न्याय नहीं कर पाएँगे।

मित्रों! इसी प्रकार कर्म से पूर्व धर्म, वाचन से पूर्व शब्द और अहंकार से पूर्व  अपनी सामर्थ्य का आकलन कर लें तब  जीवन में कभी पीछे नहीं रहेंगे ।

और सबसे बड़ी बात है मुस्कुराना ! यदि कोई भी काम हम दुखी होकर करते हैं, हमारे चेहरे पर उसके भाव आ जाते हैं साथ ही हमारे मन में भी उसी प्रकार की बातें हैं जमा होती रहती हैं जो हमें प्रेम प्रदर्शित करने से, मुस्कुराने से स्नेह प्रदर्शित करने से रोकती हैं और हम अपने रिश्ते से बिछड़ जाते हैं। यह बिछुड़ने की बात हमें बहुत तकलीफ़ देती है। इसलिए यह अच्छा है कि हम अपने रिश्तों की महक को हमेशा दिल की झोली में संभाल कर रखें।

आमीन!

तो चलिए अगले लेख तक मुस्कुराते और ऊपर की सभी बातों पर ध्यान देकर अपने दोस्तों से चर्चा करके सबके मन की बात जानते हैं।

सस्नेह

आपकी मित्र

डॉ.प्रणव भारती