कामवाली बाई - भाग(१२) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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कामवाली बाई - भाग(१२)

गंगा जैसे ही घर से निकली तो गीता ने अर्जिता से कहा.....
मेमसाब!उसे रोकिए!कहाँ जाएगी ऐसी हालत में,
गीता की बात सुनकर अर्जिता बोली....
जब तक वो ये नहीं बताती कि उसके पेट में किसका बच्चा है तो तब तक मैं उसे अपने घर में नहीं रख सकती,
कुछ तो तरस खाइए उस पर,गीता बोली।।
अगर तुझे उस पर इतनी ही दया आ रही है तो तू ही उसे अपने घर में क्यों नहीं रख लेती,अर्जिता बोली।।
फिर गीता कुछ ना बोली और बाहर निकल गई,उसने इधरउधर अपनी नज़र दौड़ाई तो उसे गंगा दूर सड़क पर दिखाई दी,वो भागकर गंगा के पास पहुँची और बोली.....
अब तू ऐसीं हालत में कहाँ जाएगी?
कहीं भी चली जाऊँगी,गंगा बोली।।
तू मेमसाब को बता क्यों नहीं देती कि ये बच्चा किसका है?गीता बोली।।
नहीं बता सकती,गंगा बोली।।
ऐसी भी क्या मजबूरी है तेरी?गीता ने पूछा।।
बस!मत पूछ गीता!मैं तेरे सवाल का जवाब नहीं दे पाऊँगीं,गंगा बोली।।
ठीक है !मैं कुछ नहीं पूछूँगी,बस तू मेरे घर चल ,गीता बोली।।
लेकिन तेरे परिवार वाले क्या सोचेगें?,गंगा बोली।।
कुछ नहीं सोचेगें,भइया और भाभी दूसरी जगह रहतें हैं,बापू तो दिनभर घर से बाहर रहते हैं,माँ को शायद कोई आपत्ति नहीं होगी,रही मैं तो मैं हमेशा तेरे साथ हूँ,गीता बोली।।
गंगा गीता के साथ जाने को राजी हो गई,जब गंगा और गीता घर पहुँची तो कावेरी से गीता ने गंगा को मिलवाया,गंगा की बात सुनकर कावेरी गुस्सा होकर बोली....
गीता!तुझे क्या लगता है मैं इसे अपने घर में आसरा दे दूँगीं,
लेकिन माँ!ये बेचारी अब कहाँ जाएगी?गीता बोली।।
उसी के पास क्यों नहीं चली जाती,जिसका पाप ये ढ़ो रही है,कावेरी बोली।।
ऐसा मत कहो माँ!आखिर तुम भी एक औरत हो और औरत होकर इसका दर्द क्यों नहीं समझ रही?गीता बोला।।
तू चुप रह!मुझे कुछ नहीं समझना,कावेरी बोली।।
माँ!तुम्हें समझना ही होगा,ये तुम्हारी बेटी की तरह है,अगर इसकी जगह तुम्हारी बेटी होती तो क्या उसके साथ भी तुम ऐसा करती,गीता बोली।।
लेकिन लोंग पूछेगें तो मैं क्या जवाब दूँगीं कि ये कौन है?कावेरी बोली।।
तब गीता बोली....
माँ!लोगों के घरों में भी बहुत कुछ होता है लेकिन हम तो कभी किसी के यहाँ कुछ पूछने नहीं जाते तो फिर हमारे घर कौन पूछने आएगा और फिर हमें कोई खाने को नहीं दे जाता जो हम समाज से डरते फिरें,हम समाज का नाम ले लेकर जीवन भर डरते रहते हैं इसलिए आगें नहीं बढ़ पातें,हमेशा यही सोचते रह जाते हैं कि लोंग क्या कहेगें,कोई कुछ नहीं कहता ये सब हमारे मन का भ्रम होता है,
लेकिन ये बच्चा किसका है,कावेरी ने पूछा।।
ये मत पूछो चाची!मैं नहीं बता पाऊँगी,गंगा बोली।।
लेकिन जब ये पैदा होगा तो हर कोई इसके बाप में बारें पूछेगा तो क्या कहेगी सबसे,कावेरी बोली।।
वो बाद में मैं सब देख लूँगी लेकिन अभी मुझसे मुँह ना मोड़ो चाची!इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है,गंगा बोली।।
माँ!मान जाओ ना!गीता भी बोली...
ठीक है मैं अभी तो इसे रख लेती हूँ लेकिन बच्चे के जन्म के बाद ये अपना और इन्तजाम देख लेगी,कावेरी बोली।।
हाँ!चाची!मैं तुमसे वादा करती हूँ कि मैं बच्चे के आने के बाद तुम्हारा घर छोड़ दूँगीं,गंगा बोली।।
और फिर गंगा को उस दिन गीता के घर मे आसरा मिल गया,इधर गंगा के जाने से अर्जिता भी कम दुखी ना थी, वो गंगा को अपनी बेटी जैसा समझती थी,उसकी इस हरकत पर उसका दिल बहुत दुखा था तभी उसने गंगा को अपने घर से निकाला था,गंगा के जाने पर अर्जिता का मन भी घर पर नहीं लग रहा था,सबसे बड़ी बात अर्जिता के लिए ये थी कि उससे सनातन बार बार पूछ रहा था कि मम्मा!गंगा कब आएगी?....गंगा कब आएगी....?
सनातन के सवालों से परेशान अर्जिता बार बार उसे समझाती कि गंगा यहाँ गई है या वहाँ गई है,जब गंगा बहुत देर तक ना लौटी तो सनातन परेशान होकर अपनी माँ के पास आया और बोला....
मम्मा!आप तो कहती थी कि गंगा आ जाएगी लेकिन वो अभी तक नहीं आई,मैं अब उसी के ही हाथ से खाना खाऊँगा,जब तक वो नहीं आती तो मैं ना तो खाना खाऊँगा और ना आपसे बात करूँगा...
अर्जिता ने सनातन को बहुत समझाया लेकिन सनातन नहीं माना ,ऐसे ही दो दिन गुजरे और अब सनातन अत्यधिक उग्र होने लगा,वो घर का सामान इधरउधर फेंकने लगा,उसकी ऐसी हालत देखकर अर्जिता बहुत परेशान हो गई,उसने किसी तरह सनातन को शांत करने की कोशिश की लेकिन वो शांत नहीं हुआ,ऊपर से वो मानसिक विकलांग था तो अर्जिता को उसकी और भी बहुत चिन्ता होने लगी,
जब हालात काबू से बाहर होने लगें तो अर्जिता ने सनातन की डाक्टर को बुलाया जहांँ उसका इलाज चल रहा था,पहले भी कभी कभी सनातन ऐसी हरकतें करता था लेकिन जबसे गंगा उस की जिन्दगी में आई थी तो सनातन का व्यवहार सबके प्रति सौम्य हो गया था,वो सबसे ठीक से बात करता था सबसे ठीक से व्यवहार करता था,उसे देखकर कोई ये नहीं कह सकता था कि वो मानसिक रोगी है...
लेकिन अब जबसे गंगा उनके घर से चली गई थी तो सनातन फिर से उग्र प्रवृत्ति का हो गया था,ये बात डाक्टर को भी समझ नहीं आ रही थी,इसलिए डाक्टर ने कहा....
तुम चिन्ता मत करो,मैं सनातन को अपने क्लीनिक ले जाती हूँ,वहाँ उसके जैसे एक दो लोंग और हैं उनके साथ मिलकर वो शायद थोड़ा सामान्य व्यवहार करने लगे,फिर मैं उससे इस विषय पर प्यार से बात करूँगी,हो सकता है कि इस समस्या का हल निकल आएं....
अर्जिता को डाक्टर की बात ठीक लगी और वो सनातन को उनके क्लीनिक भेजने को राजी हो गई,सनातन वहाँ अपने जैसे लोंगो के साथ रहा तो उसका व्यवहार थोड़ा बदल गया,फिर डाक्टर ने सनातन को अपने पास बुलाकर बहुत प्यार से बातें की और सनातन से बातें करने के बाद उन्हें जो पता चला उसे सुनकर वो हैरत में पड़ गई और तभी उसे समझ में आया कि इतने महीनों से सनातन के भीतर इतना सुधार क्यों आया था और गंगा के जाने के बाद फिर से सनातन वैसें का वैसा हो गया,मतलब सनातन के व्यवहार में जो सुधार आया था उसका कारण गंगा थीं,अब ये बात डाक्टर जल्द से जल्द अर्जिता को बताना चाह रही थी और फिर वो सनातन को लेकर अर्जिता के पास पहुँची....
और बड़े प्यार से डाक्टर ने सनातन से कहा....
बेटा!सनातन!अपनी मम्मा को बताओ कि गंगा तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त हैं,वो क्या क्या करती थी तुम्हारे लिए ,तभी तो गंगा को मम्मा जल्दी से वापस ले आएगीं....
सच!डाक्टर आण्टी!मैं मम्मा को सब बता दूँगा तो मम्मा गंगा को ले आएगीं,सनातन बोला।।
हाँ....बिल्कुल!तुम उनसे सब कह दो,डाक्टर बोली,
ठीक है तो मैं सब बता दूँगा और फिर सनातन बोला....
मम्मा! गंगा मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं,वो मेरा बहुत ध्यान रखती थी,आप अपने काँलेज चली जातीं थीं तो मुझे अपने हाथों से खाना खिलाती थी,मेरे साथ खेलती भी थी....
एक दिन वो मेरे साथ खेल रही थी,हम लोंग मेरे कमरें में गेम खेल रहे थे,मुझे चाकलेट खाने का मन हुआ तो मैनें गंगा से कहा कि वो मेरे लिए फ्रिज से एक चाकलेट निकालकर ले आएं,मेरे कहने पर वो मेरे लिए चाकलेट ले आई,मैने अपनी चाकलेट में से आधी चाँकलेट गंगा को दे दी तो वो बोली....
छोटे बाबू!आप बहुत अच्छे हैं।।
मैने कहा,तुम भी बहुत अच्छी हो और मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो और ये कहकर मैनें उसके गाल पर किस कर लिया,मुझे उसके गाल पर किस करना अच्छा लगा,तो मैनें उसके दूसरे गाल पर भी किस कर लिया....
लेकिन गंगा को ये सब अच्छा नहीं लगा और वो बोली...
ये सब मत किया कीजिए,मुझे अच्छा नहीं लगता,
लेकिन मैं मेरी मम्मा को तो किस करता हूँ वो तो कभी मना नहीं करती,मैनें कहा।।
वो आपकी माँ है,मैं आपकी माँ नहीं हूँ,गंगा बोली।।
लेकिन तुम मेरी दोस्त तो हो,मैं तो तुम्हें भी अपनी मम्मा की तरह ही किस करूँगा,यह कहकर मैनें उसके गाल पर एक किस और कर लिया,इस बात से गंगा को बहुत गुस्सा आया और उसने मुझे थप्पड़ मार दिया,उसके थप्पड़ मारने पर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैनें खुद को बाँथरूम में बंद कर लिया,मुझे बाथरूम में बंद होता देख गंगा बाहर से दरवाजा पीटने लगी और बोली.....
छोटे बाबू!दरवाजा खोलिए....मैं अब ऐसा कभी नहीं करूँगी,
किस करने से भी मना नहीं करोगी,मैने कहा,
तो वो बोली,नहीं मना करूँगी।।
और फिर मैं जब बाथरूम से बाहर निकला तो वो मेरे सीने से लगकर बोली....
अच्छा हुआ जो आप बाहर आ गए,कुछ हो जाता आपको तो मैं आपकी माँ को क्या जवाब देती?
वो मेरे गले लगी तो उसका यूँ गले लगना मुझे अच्छा लगा,वो फिर मुझसे दूर हट गई तो उसका दूर जाना मुझे अच्छा नहीं लगा,मुझे लग रहा था कि वो मेरे यूँ ही गले से लगी रहें.....
और फिर उस दिन के बाद मैं अब उसे किस करता तो वो मुझे मना भी ना करती थी,अब वो भी मुझे कभी कभी किस करने लगी थी जो मुझे अच्छा लगने लगा था और वो मुझसे कहती कि ये सब मैं किसी को ना बताऊँ,नहीं तो उसे इस घर में नहीं रहने दिया जाएगा......
फिर एक दिन मुझे बहुत जोर का बुखार था,वो मेरा सिर दबा रही थीं,मैं उसकी गोद में सिर रखकर लेटा था,उसने मेरा माथे पर किस किया तो मुझे अच्छा लगा,फिर उसने मुझे यहाँ किस किया,सनातन ने अपने होठों की ओर इशारा करते हुए कहा,फिर वो मुझे टच कर रही थी तो मुझे अच्छा लग रहा था,पता नहीं मुझे नहीं मालूम कि वो क्या कर रही थी लेकिन मुझे वो सब बहुत अच्छा लग रहा था,पर समझ में कुछ नहीं आ रहा था,लेकिन फिर उस दिन के बाद उसने मुझे कभी किस नहीं किया और जब भी मैं उसे किस करना चाहता था तो वो मुझे मना कर देती......
वो कहती अगर आप अब कुछ ऐसा करेगे तो मैं यहाँ से चली जाऊँगी,मैंने उसके जाने के डर से उसे किस करना बंद कर दिया,लेकिन वो तब भी मुझे छोड़कर चली गई,झूठ बोलती थी वो कि मुझे छोड़कर नहीं जाएगी,मम्मा!प्लीज गंगा को वापस ले आओ ना!
अब जब अर्जिता ने ये सब सुना तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई और वो अपना माथा पकड़कर सोफे पर बैठ गई...
तब डाक्टर सनातन से बोली...
हाँ!बेटा!गंगा बहुत जल्द आ जाएगी,लेकिन अभी तुम अपने कमरें में जाकर आराम करो,
ठीक है आण्टी!जल्द ही आ जाएगी ना मेरी गंगा!सनातन ने पूछा।।
मैं और तुम्हारी मम्मा यही बात तो करने वाले हैं,डाक्टर बोली।।
ठीक है तो आप लोंग बात करिए,मैं अपने कमरें में जाता हूँ और इतना कहकर सनातन अपने कमरें में चला गया....
सनातन के जाने के बाद डाक्टर अर्जिता से बोली....
अर्जिता!बात बहुत आगें बढ़ चुकी है,सनातन ने गंगा के साथ उस सुख का आनंद लिया है जो शायद कभी भी उसे कोई लड़की ना दे पाती,गंगा का स्पर्श पाकर सनातन में बहुत सुधार आया है,हो सकता है गंगा और सनातन का ये सम्बन्ध सनातन को पूरी तरह ठीक कर दे,मैं एक डाक्टर होकर ये पहलू क्यों नहीं देख पाई कि एक जवान होते शरीर की ऐसी जरूरतें भी हो सकतीं हैं,वो भले ही मानसिक विकलांग हो लेकिन उसके शरीर से तो वो बिल्कुल स्वस्थ है,उसकी इस जरूरत को शायद गंगा ने पूरा कर दिया,गंगा में नहाकर जब पापी के पाप कट जाते हैं तो फिर गंगा के स्पर्श से सनातन क्यों नहीं ठीक हो सकता,
लेकिन सनातन तो भोला है,उसे सेक्स के बारें में कुछ नहीं मालूम था लेकिन गंगा तो सब जानती थी फिर भी ये उसने.....अर्जिता बोली।।
उसने जो किया बिल्कुल ठीक किया,डाक्टर बोली।।
मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा,अर्जिता बोली।।
तब डाक्टर बोली.....
अर्जिता! बात को समझने की कोशिश करो,गंगा जवान है उसके शरीर की भी कुछ जरूरतें थीं,सनातन भी जवान है ,क्या हुआ जो उसका मन बच्चे जैसा है लेकिन शरीर तो बच्चे जैसा नहीं है,दोनों जवान शरीर मिले तो कुछ तो होना ही था और फिर तुम ये क्यों नहीं सोचती कि आज तुम हो तो सनातन का साथ दे रही हो,कल को जब तुम ना रहोगी तो वो कैसे अपनी जिन्दगी काटेगा और कोई भी समझदार लड़की किसी मानसिक विकलांग लड़के से शादी नहीं करना चाहेगी,यदि गंगा ने उसे अपना लिया तो सनातन का जीवन सुधर जाएगा,
लेकिन गंगा ने ये सब पैसों के लिए किया हो तो,अर्जिता बोली।।
अगर उसने ये सब पैसों के लिए किया होता तो वो तुम्हारे घर को छोड़कर नहीं जाती और बच्चे के बाप का नाम भी बता देती ,डाक्टर बोली।।
तो अब मैं क्या करूँ?अर्जिता बोली।।
क्या करना है?गंगा को अपनी बहु बनाकर घर ले आओ,बच्चे को अपनाकर उसकी दादी बन जाओ,डाक्टर बोली.....

क्रमशः....
सरोज वर्मा.....