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सपने - (भाग-32)

सपने.....(भाग-32)

माया जी, राजशेखर और आदित्य इंतजार कर रहे थे कि कब उन्हें अंदर जाने दिया जाए...राजशेखर काफी रिक्वेस्ट करके एक बार अंदर जा दूर से ही देख आया था.....! आदित्य और राजशेखर ने जबरदस्ती माया जी को कुछ देर के लिए घर भेज दिया। डॉक्टर जब राउंड पर आया तो उन्होंने बताया, मि. रेड्डी अब ठीक हैं, पर उन्हें अभी 2 दिन रूम में रखना पडेगा....उसक् बाद उनकी सब रिपोर्टस ठीक आँएगी तो डिस्चार्ज कर देंगे.......! आदित्य काउंटर पर रूम के बारे में पता करने चला गया और राजशेखर डॉ. से बात कर रहा था.....!! तकरीबन 2 घंटे लग गए राजशेखर के अप्पा को रूम में शिफ्ट करने की फॉर्मेलिटिज पूरी करने में......अप्पा को कमरे में लाया गया तब जा कर राजशेखर ने चैन की सांस ली.....! दोनो दोस्तों ने बारी बारी फ्रेश हो कर नहाया। राजशेखर अपने सोते हुए अप्पा को एकटक देख रहा था और सोच रहा था कि," एक दिन की बीमारी ने उन्हें कितना कमजोर बना दिया है, नहीं तो अप्पा कितने फिट और स्मार्ट दिखते हैं....कुछ दिन पहले कितने खुश और ठीक छोड़ कर गया था"। आदित्य उसे सोच में डूबा देख बोला, "डोंटवरी, अप्पा जल्दी ठीक हो जाँएगे"। "हाँ, इन्हें ठीक होना ही पड़ेगा", उसने जवाब दिया। आदित्य को बहुत भूख लग रही थी.....उसने राजशेखर को कहा , मैं कुछ खाने को ले कर आता हूँ, तुम यहीं रूको", कह कर वो हॉस्पिटल की कैंटीन में चला गया....वहाँ से दोनो के लिए कॉफी और सैंडविच ले कर आ गया.....! उधर सविता अपने माँ और भाई को न आने को कहना भूल ही गयी.....उसकी आई और भाई सुबह सुबह ही आ गए थे क्योंकि उसके भाई को फिर काम पर जाना था.....सो श्रीकांत ने आदित्य की तरफ से सारी बात समझा दी.....उसका भाई खुश था कि बिना कोई पैसा खर्च किए बहन की शादी हो जाएगी.....तो उसने झट से हाँ कह दी, उसकी आई भी चाहती थी कि सविता की जल्दी से शादी हो जाए तो श्रीकांत की बात सुन कर खूब दुआएँ देने लगी........। सविता की माँ को उसने रोक लिया और उसके भाई को शाम को आई को लेते हुए चले जाना कहा तो वो चुपचाप चला गया। दोनो माँ बेटी को बातें करता छोड़ श्रीकांत तैयार हो कर अपने काम पर चला गया और आदित्य को भी फोन करके सब बात बता दी.....! आस्था सुबह उठी तो सबसे पहले उसने राजशेखर को फोन करके उसके अप्पा का हालचाल पूछा.......उसके बाद उसने आदित्य से बात की......! आदित्य और राजशेखर 3 दिन तक पूरा टाइम हॉस्पिटल में रहे, वहीं नहाना और सोना किया। माया जी उनके लिए नाश्ता और लंच ले कर सुबह ही आ जातीं। मिस्टर रेड्डी भी ठीक थे और अपने बेटे को देख कर खुश थे कि वो अब जिम्मेदारी उठा सकता है, बड़ा हो गया है उनका बेटा.....3 दिन के बाद वो मिस्टर रेड्डी को डिस्चार्ज करवा कर घर ले आए। राजशेखर ने एक हफ्ते की छुट्टी के लिए ऑफिस में कह रखा था.....मिस्टर रेड्डी ने राजशेखर को बताया कि उनके दोस्त की बेटी रश्मिकीर्ति भी मुंबई में जॉब करती है...,
तुम्हारी फील्ड की है....हम चाहते हैं कि तुम जा कर उसे मिलो और बाते करो, एक दूसरे को समझो.....अगर तुम दोनो को सब सही लगे तो शादी कर लो"....! अप्पा की बात सुन कर राजशेखर ने कोई जवाब नहीं दिया तो वो बोले, "अगर तुम्हें कोई और पसंद है तो बोल सकते हो....मैं अपने दोस्त को मना कर दूँगा"। "नहीं अप्पा ऐसी कोई बात नहीं, आप मुझे उसका नं दे देना मैं बात कर लूँगा या फिर आप उसे मेरा नं दे देना वो कर लेगी"! राजशेखर की बात सुन कर उसके अप्पा को खुशी और तसल्ली दोनो हुई। अप्पा के बहुत कहने पर कि वो अब ठीक हैं, तुम लोग वापिस जाओ....तब जा कर उन्होंने अगले दिन की वापिस जाने की टिकिट बुक करा ली.....! इन दिनो में आदित्य और राजशेखर काफी थक गए थे, अगले दिन वापिस मुंबई पहुँच कर वो जैसे ही घर पहुँचे....खाना भी वो खा कर ही आए थे।उन्होंने आने का किसी को बताया नहीं था तो किसी को उम्मीद भी नहीं थी उन दोनो के आने की......तो ऐसे में सब अपने अपने रूम में थे.....। अपनी चाबी से आदित्य ने फ्लैट का ताला खोल लिया पर तब तक सविता ताई उठ कर आ गयी थी......उसने दोनो से खाना पूछा पर उन्होंने मना कर दिया, उनकी आवाज सुन कर सब अपने रूम से आ गए.....पर वो थके थे तो "सुबह बात करते हैं", कह कर सोने चले गए.......! अगले दिन सुबह उठे तो दोनो ही फ्रेश थे....राजशेखर नाश्ता करके ऑफिस चला गया। श्रीकांत और नवीन भी आदित्य से राजशेखर के अप्पा का हालचाल पूछ कर अपने अपने काम पर चल दिए.....। आस्था को थोड़ी देर से जाना था तो वो आराम से बैठी आदित्य से बात कर रही थी। सविता ने भी बताया कि, "श्रीकांत भैया ने उसकी आई और भाई से सब बात कर ली है....विजय के आई बाबा पंडित जी से मुहुर्त निकलवा कर बताएँगे तो आई और भाई भी उन लोगो से मिल लेंगे.......उसने ये भी बताया कि उसकी आई और भाई शाम को जाते वक्त विजय से मिल कर गए थे"। "वाह सविता ताई ये तो अच्छी बात है, अब वो मुहुर्त निकलवा ले तो बाकी सब भी हो जाएगा", आदित्य खुश हो कर बोला....। आस्था ने आदित्य को बताया, "श्रीकांत के आई बाबा भी यहाँ आने वाले हैं, शादी की रिसेप्शन के लिए होटल बुक करवाने और सोफिया के लिए शॉपिंग करने".....! आदित्य बोला, "जब शॉपिंग सोफिया की पसंद की होनी है तो अंकल आँटी बेकार में परेशान होंगे.....वो तो श्रीकांत करा ही देगा.....रही बात होटल की तो वो तो मैं और श्रीकांत भी करवा सकते हैं.....मैं करूँगा बात श्रीकांत से वो लोग बाकी सब काम देख लेंगे.....हम यहाँ देख सकते हैं, ठीक कह रहा हूँ न मैं"? "आदित्य तुम कह तो ठीक रहे हो पर शादी वगैरह के टाइम सभी पैरेंटस अपने हिसाब से सब काम करना चाहते हैं.....क्या पता वो सोफिया को साथ ले कर शॉपिंग इसलिए करवा रहे हो कि उसको पता चले कि आगे उसे कैसे रहना है? कैसे कपडे़ पहनने हैं? वगैरह वगैरह......और वो अपनी तरफ की शॉपिंग भी उसी हिसाब से करे, ऐसा मेरा मानना है, बाकी पक्का मुझे भी नहीं पता"! आदित्य को आस्था की बात भी गलत नहीं लगी क्योंकि दोनो अलग अलग धर्मों को मानने वाले थे तो रीति रिवाज भी अलग होने ही थे......और वैसे भी धर्म अलग हो न हो कई बार समान धर्म के दो परिवारों के रीति रिवाज कह ले या रहन सहन अलग हो जाता है तो यहाँ तो सब काफी अलग है....! आस्था तैयार हो कर रिहर्सल के लिए चली गयी और आदित्य फिर सोने चला गया.....पर अभी वो लेटा ही था कि उसके फोन पर घंटी बज गयी...देखा तो उसके डैड का फोन था......हैलो बोलते ही "आदित्य तुमने जॉब छोड़ दी? क्यों क्या हुआ? मुझे तुम्हारी मॉम ने रात को बताया जब मैं चैन्नई से वापिस आया"....! "हाँ डैड वो बॉस काफी परेशान कर रही थी तो पहले सोचा कि उसको समझा दूँ कि मैं कौन हूँ, जिससे वो पंगा ले रही है.....पर फिर मुझे लगा कि इतने छोटे से मैटर में आपका नाम क्यों यूज करूँ......बस इसलिए रिजाइन कर दिया पर मैंने उसमें रीज़न बताया है..... मैं कुछ दिन और रिलैक्स रहना चाहता हूँ, उसके बाद मैं आपको जॉइन करूँगा, ठीक है न डैड"? "ओ के बेटा.....एंजाय करो तुम, जब मन हो बता देना".....आदित्य को पता था कि ऐसा कहते ही डैड खुश हो जाँएगे......सो वो रिलैक्स हो गया.......उसकी आँख लग गयी। जब वो उठा तो शाम के 7 बज गए थे। सवुता ने उसके लिए कॉफी बना दी। आस्था कब आएगी पूछने के लिए उसने फोन किया तो पता चला कि नचिकेत उनकी पूरी टीम को डिनर पर ले कर जा रहा है......। उसने आस्था से होटल पूछा तो उसने बताया कि वो लोग "वेस्टइन" में जा रहे हैं.....। आदित्य बोला," तुम्हारे नचिकेत को कोई और काम नहीं है क्या? जब देखो लंच डिनर पर ले जाने के बहाने ढूँढता रहता है"......! आस्था हँस कर बोली, " क्या बात है आदित्य तुम्हें क्या हुआ? तुम भी तो पार्टी के मूड में रहते हो"! आदित्य बोला," ठीक कहा.....पर मैं पार्टी दोस्तों के साथ करता हूँ, अपने साथ काम करने वालों को ले जा कर पार्टी नहीं करता, हम लोग भी वहीं डिनर करेंगे आज तुम्हारे साथ, देखते हैं तुम्हारा नचिकेत हमें भी पार्टी देता है या नहीं"? कह कर आदित्य ने फोन रख दिया......आस्था को लगा कि आदित्य मजाक कर रहा है......पर ऐसा नहीं था। सविता ताई को खुद के लिए खाना बना कर कह वो सबको फोन करने लगा.....उसने नवीन, राजशेखर और श्रीकांत को फोन किया तो राजशेखर तो रास्ते में ही था वो कुछ देर में पहुँच गया.....पर श्रीकांत ने कहा," वो सोफिया को लेकर सीधा होटल पहुँचेगा"! नवीन बोला, "वो ज्यादा दूर नहीं है, बस आ रहा हूँ".....! नवीन को आने में थोड़ा टाइम ज्यादा लग गया था तो उसने कहा कि वो ऊपर नहीं जाएगा......तुम नीचे आओ, मैॆ आ रहा हूँ। आदित्य ने होटल में 5 लोगो के लिए टेबल बुक कर लिया था।
क्रमश:

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