सपने - (भाग-31) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-31)

सपने......(भाग-31)

आस्था और आदित्य पहली बार सिर्फ दोनो यूँ अकेले कहीं बाहर मिले थे तो आदित्य और आस्था दोनो को एक दूसरे के बारे में थोड़ा बहुत जानने का मौका मिल गया था.....घर आकर भी सिर्फ वो दोनो थे और सविता थी, वो भी अपने कामों में लगी थी.......तो आस्था और आदित्य के पास टाइम ही टाइम था बातें करने का.......आदित्य अपने लिए और आस्था के लिए कॉफी बना लाया.......जहाँ आस्था ने बताया, "कैसे वो शादी के चक्कर से बची है और उसके परिवार में लड़कियों को ऐसे काम करने पर अच्छा नहीं समझा जाता.....पर फिर भी अपने भाई और भाभी की सपोर्ट की वजह से वो अपने सपने को पूरा करने की कोशिश कर पा रही है"। वहीं आदित्य ने बताया कि, "वो पढाई में हमेशा ही अच्छा रहा है, पर उसके अपने कोई सपने नहीं रहे.....क्योंकि उसे अपना फैमिली बिजनेस ही संभालना होगा, ये बात उसे बचपन से ही जैसे हर इंजेक्शन के साथ दिमाग में बिठा दी गयी थी........! अब ये जॉब भी डैड ने इसलिए करने दी क्योंकि उसने फोर्स किया कि उसे पहले जॉब करनी है".........! आस्था उसकी बातें ध्यान से सुन रही थी....आदित्य कभी इतना सीरियस दिखा ही नहीं इसलिए थोड़ी हैरान भी थी और उसे अच्छा भी लग रहा था कि आदित्य खुल कर बात कर रहा है। अभी बाते और चलती रहती अगर नवीन न आ जाता......। नवीन अपने साथ पीने पिलाने का पूरा सामान लाया था। "अरे क्या हुआ नवीन इतना सब कुछ क्यों उठा लाए"? आदित्य ने पूछा तो नवीन ने कहा, "आज मैंने कांट्रेक्ट साइन किया है और साइनिंग अमाउंट भी मिल गया तो सोचा सब कल बोल रहे थे पार्टी के लिए तो पार्टी करते हैं".....बातें करते करते बोटल्स को फ्रिज में रखते हुए वो बोला। "वाह......ये हुई न बात"! कह कर आदित्य ने उसे गले लगा लिया.....आस्था ने भी उसे बधाई दी। सविता ताई को डिनर बनाने से मना कर आदित्य ने खाना बाहर से आर्डर कर दिया.....। श्रीकांत और राजशेखर को भी जब पता चला कि नवीन के कांट्रेक्ट के बारे में तो उन्होंने भी उसे बधाई दी। नवीन अब तुम सविता ताई और श्रीकांत की शादी में हमसे पैसा ले कर गाओगे या हमें डिस्काउँट मिलने वाला है.....? राजशेखर की बात सुन कर सब हँसने लगे तो नवीन बोला, "दोस्तों के लिए सब फ्री और अगर न भी गाने को कहोगे तब भी सबको मेरा गाना सुनना पड़ेगा".........उस रात पार्टी देर तक चलती रही। आस्था को अगले दिन जल्दी निकलना था तो उसने सिर्फ खाना ही खाया, उसने बीयर पीने के लिए मना कर दिया.....पर आदित्य ने तो जम कर पी....काफी दिनों से अपने मन में दबी बातों को शेयर करके उसे हल्का महसूस हो रहा था........!! संडे को आदित्य और श्रीकांत विजय के परिवार से मिलने चले गए......आदित्य ने एक दिन पहले ही विजय को फोन करके बता दिया था कि "वो उनके घर आने वाला है"......! विजय का परिवार 2 छोटे छोटे कमरे में रहता है........! उसके बाबा किसी कंपनी में गार्ड की नौकरी करते हैं और भाई एक शोरूम में सेल्समेन की नौकरी करता है.....कुल मिला कर वो लोग ठीक ठाक ढंग से अपनी जिंदगी जी रहे हैं।आदित्य और श्रीकांत को लोग सीधे साधे लगे.......वो लोग मुश्किल से हिंदी में बात कर पा रहे थे,सो श्रीकांत ने उनसे मराठी में बात करनी शुरू की तो उनके चेहरे पर एक सौम्य सी मुस्कान आ गयी......."श्रीकांत ने सविता के बारे में और उसके परिवार के बारे में बताया और कहा कि वो लोग शादी में खर्च नहीं कर पाएँगे तो क्या वो लोग बिना दहेज और बरात के मंदिर में शादी करना पसंद करेंगे"? वो लोग खुशी खुशी तैयार हो गए," उनका कहना था कि विजय और सविता को एक दूसरे के साथ रहना है, वो लोग खुश रहें और अपने यहाँ आते रहें, बस इतना ही काफी है".......आदित्य और श्रीकांत ने आस पास भी पूछ ताछ कर ली थी, सबका कहना था कि शरीफ लोग हैं.....कभी उनकी किसी से कोई कहा सुनी नहीं हुई.......! हर तरफ से संतुष्ट हो कर वो लोग घर आ गए.......सविता को आदित्य ने अपनी माँ और भाई को अगले दिन सुबह आने को कह दिया....! सविता ताई बहुत खुश थी.....और आस्था उसे देख कर खुश हो रही थी। शाम के टाइम राजशेखर के पास उसकी माया आई का फोन आया कि, "उसके अप्पा को दोपहर को चेस्ट पैन की वजह से हॉस्पिटल में एडमिट किया है, अभी वो ठीक हैं, पर वो तुम्हें बुला रहे हैं"! उनकी बात सुन कर राजशेखर कुछ बोल ही नहीं पा रहा था......"अम्मां मैं आ रहा हूँ ,ही बहुत मुश्किल से खुद को संभाल कर कह पाया".....! उसकी हालत देख कर सब घबरा गए....सविता उसके लिए पानी ले आयी, श्रीकांत ने उसे पकड़ कर सोफे पर बिठाया और सब उससे पूछ रहे थे, "क्या हुआ"?" मेरे अप्पा हॉस्पिटल में हैं, मुझे जाना होगा".......इतना कह कर वो अपने कमरे में चला गया! सब एक दम टैंशन मैं आ गए....आदित्य ने उसके अप्पा के नं पर फोन
किया तो माया आंटी ने फोन उठाया, आदित्य ने सब कुछ डिटेल में पूछा। "आप चिंता मत कीजिए आंटी जी, अंकल ठीक हो जाँएगे,कह कर उसने फोन रख दिया"। राजशेखर की आँखो के सामने अप्पा का चेहरा आ रहा था, वो बहुत घबराया हुआ था।उसे सूझ ही नहीं रहा था कि वो पहले टिकट कराए या पैकिंग करे.....आदित्य उसके कमरे में आया और बोला, "राज तुम फ्रिक मत करो, वहाँ सब ठीक है, मैं टिकट करा रहा हूँ, तुम तैयार हो जाओ........और कुछ कपड़े रख लो। राजशेखर ने उसे थैंक्स बोला और पैकिंग करने लगा....! आदित्य ने रात 10 बजे की फ्लाइट की टिकट करा दी......राजशेखर कुछ देर में तैयार हो कर बाहर आया। तभी आदित्य भी अपना बैग ले कर बाहर आ गया। "10 बजे की फ्लाइट है यार, 7 बज गए है्, हम निकलते हैं...ट्रैफिक मिलेगा तो टाइम लगेगा"! आदित्य ने कहा तो राजशेखर बोला, "हाँ वो ठीक है पर ये बैग ले कर तुम कहाँ जा रहे हो"?" तुम्हारे साथ जा रहा हूँ....तुमने क्या सोचा? हम इस टाइम तुम्हें अकेले जाने देंगे? हम सब दोस्त हैं, मैं भी चल रहा हूँ। अपनी गाड़ी में चलते हैं, एयरपोर्ट की पार्किंग में पार्क कर देंगे", आदित्य की बात सुन कर राजशेखर हैरान हो गया और उसे तसल्ली भी हुई कि वो वाकई सही लोगो के साथ है जो सिर्फ अच्छे टाइम में ही नहीं बुरे टाइम में भी साथ रहेंगे.....! वो बाहर निकलते तब तक आस्था और सविता ने उनके लिए कुछ स्नैक्स पैक कर दिए और फ्रूटस भी....। मुबंई से लेकर बैंगलूरू तक का पूरा रास्ता आदित्य ने राजशेखर को संभालते हुए काटा, राजशेखर आदित्य को अपने अप्पा की कभी कोई बात बताता तो कभी कोई और फिर रोने लगता। आदित्य उसे बार बार कह रहा था, "अंकल जी अब ठीक हैं, तुम निगेटिव मत सोचो"!........2-3बार आदित्य ने ही माया जी से अप्पा के बारे में पूछ चुका था....उन्होंने भी कहा,"वो पहले से ठीक हैं। राजशेखर को तसल्ली नही हो रही थी.....आधी रात बीत चुकी थी और कुछ घंटों में सुबह होने वाली थी जब वो लोग हॉस्पिटल पहुँचे......." राज के अप्पा I CU में थे और माया जी बाहर बैठी थीं......राजशेखर अपने अप्पा को देखना चाहता था, पर नर्स ने जाने नहीं दिया। सुबह तक इंतजार करने के सिवाय चारा नहीं था.....!
क्रमश:
सीमा बी.
स्वरचित