शैतानी दुनिया। Akash Saxena "Ansh" द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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शैतानी दुनिया।

"माँ रिषभ नानी के यहाँ से आया या नहीं।"जतिन आवाज़ लगाता हुआ घर मे घुसता है।

"नहीं जतिन,ऋषि अभी तक नहीं आया बेटा, ज़रा ले आ जाकर उसको वहां से।
जतिन नाराज़ होता हुआ-तुम और तुम्हारा लड़का,कितना भी समझा लो कभी समझ ही नहीं सकते। क्या ज़रुरत थी इसे वहां जाने की.....जितना बड़ा होता जा रहा है उतना ही इसका दिमाग़ कम हो रहा है।

रेखा(जतिन की माँ)-ओ ओह! क्यूँ अपना दिमाग़ ख़राब करता है। पहले तो उसके बारे मे आकर पूछेगा और फ़िर हाथ धो कर उसके पीछे पड़ जायेगा।
नहीं जाना तो मत जा कौन सा मेरी माँ उस पर ही काला जादू करेगी,तू शोर मत कर बस।

जतिन-हाँ हाँ! सुनाओ तुम भी मुझे ही.....जब तुम्हारी माँ हमें पागल कर देगी ना तब आना रोती हुयी।

रेखा-अरे बस भी करजा अब.....माँ है वो मेरी...
तेरी बचपन मे एक शैतान से बात क्या करा दी तू तो तब से मेरी माँ के पीछे पड़ गया है।

जतिन सामन पटकता हुआ-सिर्फ बात नहीं कराई थी....मेरी जान लेने वाला था वो उस दिन और पापा के साथ जो हुआ वो...., मै समझा भी किसे रहा हूँ....मुझे ही जाना पड़ेगा।

रेखा-पापा के साथ जो हुआ वो बस एक हादसा था।

जतिन -वो भी हादसा था और आगे जो कुछ होगा वो भी हादसा ही समझोगी तुम तो....

इतनी कहा सुनी के बाद दोनों शांत हो जाते हैँ और जतिन अपना फ़ोन निकालकर रिषभ को कॉल करता है...

रिषभ-हाँ भईया क्या हुआ?

जतिन-साले दो थप्पड़ पड़ेंगे तेरे गाल पर,पता चल जायेगा क्या हुआ। अभी उस घर से निकलकर बाहर खड़ा हो जा....मै आ रहा हूँ।

रिषभ-एक मिनट सांस तो लेलो भाई....क्या कह रहे हो?....किसके घर से निकलकर बाहर खड़ा हो जाऊं।

जतिन-मुझे पता है तू नानी के घर गया है। माँ ने मुझे पहले ही बता दिया था।

रिषभ-शिट! माँ भी ना....(रिषभ ज़रा इधर आना-रिषभ के पीछे से आवाज़ आती है)

जतिन-ले अब तो पक्का हो गया.....तू तुरंत उस घर से बाहर आ जा मै अभी आ रहा हूँ तुझे लेने।

जतिन कॉल कट करता है और बाइक की चाबी लेकर तुरंत निकल जाता है रिषभ को लेने।

रिषभ-बताओ नानी क्या कह रहीं थी।

नानी-किसका कॉल था ऋषि?

रिषभ-भाई का था नानी....वो अभी आ रहा है मुझे लेने।

नानी हंसती हुए-तेरा भाई भी ना....एक नंबर का डरपोक है....चल जा जादुई कमरे मे सामने वाली अलमारी मे ही लाल रंग की मोमबत्ती रखी हैँ उन्हें ले कर आ....और हाँ किसी चीज़ को भी छूना नहीं है।

रिषभ-हाँ! हाँ नानी पता है...किसी चीज़ को भी छूना नहीं।

रिषभ वहां से जाता है और नानी ज़मीन पर रंगोली सी बनाते हुए कुछ मंत्र पढ़ने लगती है।

रिषभ उस कमरे मे घुसता है और हर बार की तरह उस कमरे को देखकर वो अपनी दुनिया मे ही खो जाता है। उस कमरे मे बहुत सारी अलमारी बनी होती हैँ,जिनमे अजीब अजीब सी चीज़ेँ और ढेर सारी किताबें रखी होती हैँ। कुछ चीज़ों me से डरावनी आवाज़ें आ रही होती हैँ। रिषभ धीरे-धीरे अंदर जाता है और सीधा उस अलमारी के पास जाकर लाल मोमबत्ती ढूंढ़ने लगता है।

उसे मोमबत्ती मिलती है और वो जल्दी से दरवाजे की तरफ बढ़ता है की तभी उसके हाथ से एक मोमबत्ती गिरकर अलमारी के नीचे चली जाती है।

वो धीरे से संभलकर नीचे झुकता है और अलमारी के नीचे हाथ डाल कर मोमबत्ती ढूंढ़ने लगता है....तभी उसका हाथ किसी चीज़ पर पड़ता है और वो उसे बाहर खींच लेता है। वो एक किताब होती है जिसके साथ मोमबत्ती भी बाहर आ जाती है।

रिषभ मोमबत्ती उठाता है और सोचता है की ये किताब यहाँ नीचे क्या कर रही है इसे ऊपर रख देता हूँ। वो जैसे ही उस किताब को उठाता है,उसकी नज़र उसकी लिखावट पर पड़ती है।

उसे वो काफी दिलचस्प लगती है,तो वो उसे पढ़ता है " पढ़ा तुमने एक शब्द भी तो आगे बढ़ना पड़ेगा,एक बार ही सही सफर मेरे साथ करना ही पड़ेगा ".....ये पढ़कर वो थोड़ा घबरा जाता है और वापस उस किताब को अलमारी मे रखने लगता है...वो जैसे ही किताब को अलमारी मे रखता है वो पाता है की वो किताब उसके हाथ से चिपक चुकी होती है ।

वो बहुत ज़ोर से घबरा जाता है...लेकिन मजबूरी मे चिल्ला भी नहीं सकता क्यूंकि नानी को अगर पता चला की मैंने इस किताब को छुआ है तो वो तो वैसे ही उसकी जान ले लेगी।
इसलिए डर के मारे बिना शोर किये वो पूरी ताकत से उस किताब से अपना हाथ हटाने की कोशिश करता है लेकिन कुछ फायदा नहीं होता....तभी उसके कान मे आवाज़ पड़ती है....रिषभ कहाँ रह गया तू.....

नानी की आवाज़ सुनते ही वो घबरा जाता है और किताब के साथ ही कमरे से बाहर आ जाता है.....तभी वो देखता है की मोमबत्ती तो भूल ही गया वो.....वो वापस जाकर जैसे ही मोमबत्ती उठाने की कोशिश करता है....वो किताब वजन के मारे उसके हाथ के साथ ही नीचे गिर जाती है और खुल जाती है।

रिषभ बहुत डर जाता है और वो नानी को ज़ोर से आवाज़ लगाता है...इधर बाहर जतिन भी आ चुका होता है।

नानी तुरंत कमरे की तरफ भागती है और उतनी ही देर मे किताब से आवाज़ आती है-शैतान की दुनिया मे एक और इंसान फंस गया और रिषभ उस किताब के अंदर घुस जाता है।

नानी कमरे मे पहुँचती है और इधर-उधर रिषभ को ढूंढ़ने लगती है-ऋषि!...ऋषि!

तभी उसकी नज़र उस किताब पर पड़ती है और उसके पास पड़ी मोमबत्तीयों पर.....वो तुरंत समझ जाती है की ऋषि ने उस किताब को खोला होगा....वो उस किताब को उठाकर रोने लगती है और तभी जतिन रिषभ को आवाज़ देता हुआ उस कमरे तक पहुँच जाता है।

जतिन-क्या हुआ नानी आप रो क्यूँ रही हो? और ऋषि, ऋषि कहाँ है?

नानी एक शब्द भी नहीं बोलती और उस किताब को जतिन की तरफ आगे बढाती हुयी बस ऋषि....ऋषि कहने लगती है।

जतिन समझ जाता है की वहां कोई अनहोनी हुयी है और वो नानी को शांत कराकर उन से पूरी बात पूछता है।

नानी उसे बताती है की ये वही शैतानी किताब है और ऋषि ने इसे खोला होगा जिसकी वजह से वो इसके अंदर कैद हो गया है।

ये बात सुनकर जतिन के होश उड़ जाते हैँ और उसकी आँखों मे आँसू आ जाते है,वी भरे हुए गले से नानी से पूछता है-नानी ऋषि को कुछ भी करके वापस ले आओ ना।

तब नानी उसे बताती है की मै बस कोशिश ही कर सकती हूँ लेकिन इस शैतानी दुनिया से बचकर आज तक कोई भी वापस नहीं आया...क्योंकी उस दुनिया मे कोई ज़िंदा नहीं है।

नानी की ये बात सुनकर वो नानी पर गुस्से से बरस पड़ता है और एक मोमबत्ती जलाकर नानी के पूरे जादूई कमरे को आग लगा देता है। जिससे पूरे कमरे में चीख-पुकार सी मचने लगती है लेकिन कुछ भी जल नहीं रहा होता ना किताबें, ना बक्से और ना ही फूल-पत्तियां....सिर्फ़ कमरे में लगी अलमारियां आग की लपटों में झुलस रही होती हैं।

नानी आज भी उस किताब को लिए अपनी तंत्र विद्या से ऋषि को शैतानी दुनिया मे खोज रही है और जतिन और रेखा,इस इंतजार मे चैन से सो नहीं पाते की कहीं किसी पल मे उनका रिषभ आकर उनसे लिपट जायेगा।

समाप्त।

धन्यवाद।