कामवाली बाई--भाग(३) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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कामवाली बाई--भाग(३)

गीता एक दिन अपनी बहन लक्ष्मी के घर गई थी,घर का दरवाज़ा खुला हुआ था इसलिए गीता भीतर चली गई,लेकिन वहाँ पहुँचकर उसने जो देखा वो देखकर उसने अपनी आँखें मींच लीं,उसकी बहन लक्ष्मी किसी आदमी के साथ नग्नावस्था में बिस्तर पर थी,जैसे ही लक्ष्मी की नजर गीता पर पड़ी तो उसने चादर ओढ़ ली और उस आदमी ने भी वहीं पड़ी लक्ष्मी की साड़ी से अपना तन ढ़क लिया,गीता का मन ग्लानि से भर गया और वो सीधे घर से बाहर चली गई.....
गीता ने घर पहुँचकर अपनी माँ कावेरी से तो कुछ नहीं बताया लेकिन मन ही मन उसे लक्ष्मी से नफरत हो रही थी,जब शाम को लक्ष्मी उसके घर आई तो गीता ने उससे मुँह फेर लिया और उससे बात नहीं की,लक्ष्मी सब समझ चुकी थी इसलिए जब उसे गीता अकेले में मिली तो उसने उससे बात करने की कोशिश की और गीता से कहा....
मुझे पता है कि तू मुझसे क्यों नाराज हैं?
जब जानती है तो फिर क्यो मुझसे बात कर रही है?गीता बोली।।
तू अभी नहीं समझेगी,जब तेरा ब्याह होगा तो तुझे तब समझ में आएगा,लक्ष्मी बोली।।
क्या समझ में आएगा जीजी कि पराएं मर्द के साथ सम्बंध कैसे बनाने चाहिए?गीता बोली।।
नहीं! कि जब पति होते हुए भी पति अपनी बाँहों में ना आकर गैर औरत की बाँहों में जाएं तो कितना बुरा लगता है,लक्ष्मी बोली।।
तो इसका मतलब है कि वो जैसा करेगा तो तू भी वैसा ही करेगी,गीता बोली।।
तू अभी जवान शरीर की जरूरतें नहीं समझती,कब तक बिस्तर पर करवटें बदलती रहूँ,कब तक ठण्डी आहें भरती रहूँ,पति पत्नी के रिश्ते में गृहस्थी के अलावा और भी कुछ होता है,लक्ष्मी बोली।।
तो तू अपने बदन की गर्मी मिटाने के लिए गैर मर्द की बाँहों में समा जाएगी,गीता बोली।।
ये मत भूल कि तू भी उसी गर्मी की पैदाइश है,अम्मा और बापू के सम्बन्ध से तू पैदा नहीं हुई है इसलिए तो बापू तुझसे इतनी नफरत करता है,मुझ पर इल्जाम लगाने से पहले कुछ सोच ले,लक्ष्मी ने गुस्से में कहा,
गीता ने इतना सुना तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और उसने वहीं पड़ा अपना दुपट्टा उठाया ,चप्पल पहनी और काम के लिए निकल गई और उस दिन के बाद दोनों बहनों में ठीक से बोलचाल नहीं होती,
आज गीता की माँ कावेरी ने उसे एक नए घर का पता दिया है,वहाँ काम पर जाना है,कोई मेमसाहब है जो फ्लैट में अकेलीं रहतीं हैं और सरकारी नौकरी करतीं हैं,उनके यहाँ खाना बनाने का काम करना है साथ में झाड़ू,पोछा और बरतन भी,शाम को छः बजे के बाद वें आँफिस से लौटतीं हैं इसलिए उन्होंने छः बजे के बाद गीता को बुलाया है,
शाम को छः बजे के बाद गीता उनके घर पहुँची,मेमसाब ने बड़े प्यार से गीता से बात की और सारा काम ठीक से समझाकर पूछा....
कटहल की सब्जी बनानी आती है?
जी!आती है,गीता बोली।।
और कच्चे आम की चटनी भी बना लेती हो ना!
जी!वो भी आती है,गीता बोली।
तो फिर मैं आज कटहल खरीद कर लाई हूँ,बहुत दिन हो गए कटहल की सब्जी नहीं खाई आज वही बना दो,साथ में कच्चे आम की चटनी और रोटियांँ भी,रोटियाँ थोड़ी ज्यादा बनाना तीन लोगों के लायक,मेमसाब बोली।।
ठीक है और फिर इतना कहकर गीता खाना बनाने चली गई....
इधर मेमसाब फ्रैश होने बाथरूम चलीं गईं,फिर फ्रैश होने के बाद मेमसाब टी वी देखने बैठ गईं,कुछ देर के बाद खाना तैयार हो गया,खाना तैयार करके गीता ने टेबल पर लगा दिया,इतने में दरवाज़े की डोरबेल बजी और मेमसाब ने दरवाज़ा खोला.....
दरवाज़ा खोलते ही एक शख्स हाजिर हुआ और उसने फौरन ही मेमसाब को बाँहों में भरकर उनके होंठों का चुम्बन ले लिया,ये सब गीता देख रही थी,जब मेमसाब को उन साहब ने छोड़ा तब साहब ने देखा कि उन्हें गीता देख रही थी,वें थोड़े शर्मिंदा हुए और सबका ध्यान हटाने के लिए कोई और बात करने लगें....
कुछ ही देर में गीता बोली....
तो मेमसाब मैं चलती हूँ,
अरे,खाना तो खाकर जाओ,मेमसाब बोली।।
माँ ने खाना बना लिया होगा,मैं वहीं खा लूँगी,गीता बोली।।
मैनें इसलिए तो तीन लोगों का खाना बनाने को कहा,अगर नहीं खाना है तो एक डिब्बे में पैक करके घर ले जाओ ,वहीं खा लेना,मेमसाब बोली।।
फिर क्या था,गीता ने अपने हिस्से का खाना पैक किया और घर चली गई,घर आकर उसके दिमाग़ में वही साहब घूम रहे थे कि आखिर वो हैं कौन ?माँ ने तो कहा था कि मेमसाब अकेली रहतीं हैं,इतना सोचने के बाद खुद ही बोली....
मुझे क्या लेना देना मेमसाब और साहब से ,उनकी जिन्दगी वें जाने,मैं क्यों सोचूँ भला उनके बारें में....
एक दो दिन वहाँ गीता को काम करते यूँ ही बीते थे,उस दिन इतवार था और गीता सुबह का काम करने मेमसाब के घर पहुँची,सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना बनाकर वो जैसे ही लौट रही थी तो वो उस दिन वाले साहब फिर से आ धमकें,गीता चुपचाप घर लौट आईं और शाम को उनके घर पहुँची,देखा तो दरवाज़ा खुला हुआ था,मेमसाब हाँल में नहीं थीं,उसने आवाज़ लगाई....
मेमसाब!आप घर पर हैं ना!
तो मेमसाब तौलिया लपेटकर बेडरूम से बाहर आईं और उससे पूछा....
दरवाजा खुला था क्या?
जी!हाँ!दरवाजा खुला था,गीता ने जवाब दिया....
तब मेमसाब ने अपने बेडरूम में किसी से कहा.....
रोशेश....कम से कम मेनडोर तो बंद कर दिया करो,ये तो गनीमत है कि गीता आई है कोई और आ जाता तो....
रोमा डार्लिंग!साँरी!अब याद रखूँगा और फिर बेडरूम से केवल हाँफ पैंट में वह साहब निकले,हाँफ पैंट के ऊपर उन्होंने कुछ भी नहीं पहन रखा था...
उन्हें देखकर गीता आज फिर सदमें में आ गई,लेकिन बोली कुछ नहीं चुपचाप अपना काम करने लगी और मेमसाब ने उससे छोले और पूरी बनाने को कहा,वो उसने बना दिए और बरतन धोकर अपने घर को निकल गई....
गीता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अगर ये मेमसाब के पति नहीं हैं तो दोनों इतना घुलमिल क्यों रहते हैं,बिल्कुल पति पत्नी की तरह या हो सकता हो कि दोनों की सगाई हो गई हो और दोनों की शादी होने वाली हो,जो भी हो वो उन दोनों मामला ,मैं क्यों अपना सिर खपा रही हूँ और यही सोचकर गीता ने मेमसाब के बारें में सोचना बंद कर दिया,
ऐसे ही दो महीने बीत गए और गीता मेमसाब के यहाँ काम करती रही,वें साहब भी आते रहें लेकिन पिछले एक दो हफ्तों से साहब नहीं आएं,मेमसाब थी भी बहुत अच्छी उसका ख्याल रखती थीं और सबसे बड़ी बात किसी काम को लेकर कुड़कुड़ नहीं करती थी,फिर एक शनिवार की शाम मेमसाब ने गीता से कहा....
गीता!कल का पूरा दिन तुम्हें यहीं रहना होगा,कल मैनें अपनी बड़ी बहन और उसके बच्चों को घर पर बुलाया है,बच्चों को दिनभर कुछ खाने को चाहिए होगा,इसलिए कुछ ना कुछ तुम्हें बनाते रहना होगा,वें लंच और डिनर करके ही जाऐगें....
गीता बोली....
ठीक है मैं कल और घरों में माँ से जाने को कह दूँगीं।।
और फिर दूसरे दिन गीता मेमसाब के घर पहुँची और सारा काम सम्भाल लिया,मेमसाब की बहन और दोनों बच्चे आएं,घर में बच्चों के आने से चहल पहल मच गई,गीता ने उस दिन बहुत सारी चींजें पकाईं,दोनों बच्चों और उनकी बड़ी बहन का मनपसंद खाना तैयार किया,खाना खाते ही बड़ी बहन ने गीता की बहुत तारीफ़ की और बात बात पर मेमसाब अपनी बड़ी बहन से कहतीं जातीं कि जीजू भी आते तो कितना अच्छा होता,वो उनसे ना जाने कब से नहीं मिली,हम सब एक ही शहर में रहते हैं और जल्दी मुलाकात भी नहीं हो पाती....
तो इस पर मेमसाब की बड़ी बहन कहती....
तू भी अब शादी कर लें तो अपने उनके साथ हमारे घर आया कर और तेरे जीजू को भी तेरे पति का साथ मिल जाएगा और रही तेरे जीजू की बात तो,तेरे जीजू को तो आजकल काम से फुरसत ही नहीं है,संडे वाले दिन भी दिन भर घर से गायब रहते हैं और कभी कभी रात को भी....
ऐसा तो नहीं कि कहीं उनका किसी और से चक्कर चल रहा हो और वें काम का बहाना बनाकर उसके साथ गुलछर्रे उड़ाते हो,मेमसाब बोलीं।।
नहीं!रोमा!मुझे अपने पति पर बहुत भरोसा है,वें ऐसे नहीं है,मेमसाब की बड़ी बहन बोलीं।।
भाई!इसलिए तो मुझे शादी का बंधन पसंद नहीं,नौकरी करती हूँ अकेले रहती हूँ,ना पति का चक्कर और ना बच्चों का,मुझे तो ऐसी ही जिन्दगी पसंद है,मेमसाब बोली।।
किसी को पसंद किया या अब तक अकेली है,कोई ब्वॉयफ्रेंड वगैरह,मेमसाब की बड़ी बहन ने पूछा।।
अभी तो नहीं है,जब होगा तो दीदी आपको जरूर बताऊँगी,मेमसाब साफ झूठ बोल गई अपनी दीदी से,
इतने में मेमसाब की बड़ी दीदी तृष्णा बोली.....
देख अभी अभी पिछले हफ्ते हम मनाली गए थे वहाँ की फोटो और फिर मेमसाब की बहन तृष्णा ने अपने पर्स से कुछ फोटो निकाली और अपनी छोटी बहन रोमा को दिखाने लगी.....
बच्चे भी गीता से बोलें....
देखो गीता दीदी हमारी फोटो देखों....
लेकिन गीता के फोटो देखने से रोमा ने इनकार किया और अपनी बड़ी बहन से ये कहा....
ये फोटो देखकर क्या करेगीं?
तब तृष्णा बोली....
देखने दे ना रोमा!उसे कम से कम फोटो में ही देखकर पता चल जाएं कि मनाली कैसा है?इनका भी तो मन होता होगा कहीं घूमने जाने का,
फिर गीता भी फोटो देखने लगी,पहले उसने बच्चों की फोटो देखी फिर जब उसने तृष्णा और उसके पति की साथ में फोटो देखी तो वो सन्न रह गई,तृष्णा का पति कोई और नहीं रोशेश था जिसके सम्बंध रोमा से भी थे,रोमा और रोशेश दोनों मिलकर तृष्णा को धोखा दे रहे थे,
ये देखकर गीता का मन खराब हो गया और वो चुपचाप जाकर बैठ गई और फिर जब रोमा की बहन तृष्णा अपने बच्चों के साथ रोमा के घर से चली गई तो गीता ने रोमा से कहा....
मेमसाब!मेरा हिसाब कर दो ,मैं कल से नहीं आऊँगी,
लेकिन क्यों?रोमा ने पूछा।।
मैं किसी धोखेबाज के यहाँ काम नहीं कर सकती,आप काम के लिए किसी और को देख लेना...,गीता बोली...
और फिर रोमा को गीता का हिसाब करना ही पड़ा,उस दिन के बाद गीता ने रोमा के घर का काम छोड़ दिया...
कावेरी ने काम छोड़ने का कारण गीता से पूछा तो गीता ने कुछ नहीं बताया,बस इतना ही कहा.....
माँ!आजकल किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता....
उसकी बात सुनकर फिर कावेरी कुछ ना बोली।।

क्रमशः.....
सरोज वर्मा.....