उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

स्नेही मित्रो

नमस्कार

आज हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ मूल्यों में इतना भयंकर बदलाव आ गया है कि राजनीति शब्द से ही नकारात्मकता का आभास होने लगता है | जैसे राजनीति न हो गई कोई इतनी गंदी चीज़ हो गई कि उधर आँख उठाकर देखना भी जैसे कीचड़ में पड़ने की बात हो | इतने गंदे तरीके से दूरदर्शन के भिन्न भिन्न चैनलों पर ऐसे चीख़ने चिल्लाने वाले कार्यक्रम दिखाए जाते हैं कि एक सीधा-सादा आम आदमी सचमुच बाध्य हो जाता है सोचने के लिए कि भई राजनीति जैसा खराब विषय कोई हो ही नहीं सकता |

जब कि देखा जाय तो राजनीति कहाँ नहीं है ? जहाँ तक मेरी सूक्ष्म बुद्धि समझती है राजनीति खराब नहीं होती, उसमें प्रवेश करने के बाद जिस प्रकार से हम उसमें बदलाव लेकर आते हैं अथवा लाने पड़ते हैं, वह कहीं न कहीं किसी ऐसे दलदल में फँसा देती है कि मनुष्य उलझन में फँसकर रह जाता है | वह अलग बात है कि कई लोग राजनीति में पहले से ही गलत सोच रखकर प्रवेश करते हैं | तब तो राजनीति में प्रवेश करके सेवा का काम तो सपने की बात बन जाती है |

राजनीति पर न जाने कितने तुषारापात होते हैं, खूब मज़ाक भी बनाई जाती है | बात सच भी लगती है कि राजनीति की क्वालिटी आखिर रह क्या गई है ? और यदि पहले से ही मन में राजनीति में एक छोटी सोच के साथ प्रवेश किया जाए तब तो हो जाता है बंटाधार !

हमारे परिवार में मेरे दामाद को राजनीति में बहुत दिलचस्पी है | वह बहुत बुद्धिमान भी हैं और करुणा भाव से भी भरे हुए हैं |समाज-सेवा में उनकी बहुत रूचि है | पिछले दिनों किसी अनाथ लड़की का विवाह करवाकर आए और मेरा नाम भी लिखवा आए कि मैं भी एक अनाथ कन्या का विवाह करवाऊँ | सच कहूँ तो मुझे उन पर गर्व है | मैं अक्सर उनसे मज़ाक करती रहती हूँ कि वो बहुत बड़े पॉलिटिशियन हैं | वे पूछते हैं कि पॉलिटिशियन होना मेरे विचार में उनके लिए कंप्लेंट है या फिर कॉम्प्लीमेंट ? मैं उनकी इस बात से विचार में पड़ गई | सोचकर देखा तो लगा कि यदि पॉलिटिशियन लोगों का भला चाहने वाला और विटी यानि बुद्धिमान है तो पॉलिटिक्स गलत नहीं है लेकिन अगर पॉलिटिशियन केवल अपने स्वार्थ के लिए ही राजनीति में जाता है और अपनी कमज़ोर बुद्धि से दूसरों के कहने में आकर कुछ भी करने के लिए तत्पर हो जाता है तो निश्चय ही पॉलिटिक्स एक गलत विषय है | सब इस बात से वाकिफ़ हैं कि यह मेरा विषय तो हो ही नहीं सकता लेकिन परिवारों के टूटने का दुःख मुझे भीतर से पीड़ित कर जाता है |

इतने वर्षों से अख़बार में लिखते हुए मैंने अपने पाठकों से बहुत खुले मन से कहा भी था कि यदि वे कोई ख़ास विषय को समाज के सामने लाना चाहते हैं तो मैं उनकी सहायता कर सकूंगी | मैं कई वर्षों तक लोगों की फ्री काउंसिलिंग करती रही और जब मुझे सकारात्मक परिणाम मिले तो बहुत आनंदित हुई |

देखा जाए तो पॉलिटिक्स कहाँ नहीं है ? हम अपने घर से ही देखें तो अपने छोटे बच्चों के साथ ही हम पॉलिटिक्स खेलते हैं, अपने परिवार के साथ, मित्रों के साथ ---कौनसी जगह नहीं है जहाँ पॉलिटिक्स नहीं चलती ? इसका अर्थ यह नहीं कि पॉलिटक्स खराब हो गई |जब तक किसी को नुकसान न हो, पीड़ा न हो और काम भी निकल जाए तब पॉलिटिक्स कहाँ से गलत हुई ?हाँ, यदि नीयत गलत है तब तो ---मैं यह ऊपर कह चुकी हूँ |

मित्रों ! मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि इस पटल पर मुझे काफ़ी अच्छे और अधिक पाठक मिले हैं | खुशी होती है कि हमारी बात दूसरों के मस्तिष्क तक पहुंचती है | ज़िंदगी का लगभग पौने चार भाग लिखने में लगे रहे, कोशिश करते रहे कि अपनी बात साझा कर सकें | अपने इस लेख को लगभग 30/35 वर्ष पहले मैं अख़बार के रविवारीय परिशिष्ट में देती थी जिसको काफ़ी पाठक चाव से पढ़ते थे | उन दिनों में इतनी सुविधाएँ नहीं थीं, मीडिया के प्रकार नहीं थे | केवल अख़बार था जिसके सहारे हम अपनी बात कह सकते थे |

एक बार अख़बार में गलती से मेरा फ़ोन नं चला गया | बस, मेरी मुश्किल शुरू हो गई क्योंकि पाठकों के फ़ोन्स किसी भी समय आने लगे | जो मेरे शहर में रहते थे या आसपास थे वे कुछ तो घर पर भी आ गए| मुझे मुश्किल होने लगी क्योंकि घर-परिवार से समय निकालना बहुत मुश्किल था |

मैंने अख़बार वालों से कहा कि कृपया मेरा नं न डालें | हाँ, मैंने अपना मेल आईडी दे दिया | अब मेरे लिए आसान हो गया था | जिस विषय को मैं देखती की अधिक महत्वपूर्ण है उस पर अपने विचार लिख देती |

मित्रों ! एक बात कहना चाहती हूँ --यदि आप मेरे विचार राजनीति पर जानना चाहें तो कृपया इसी मातृभारती पर मेरा उपन्यास 'गवाक्ष' पढ़कर मुझे अपनी राय से अवगत करवाएँ | इस उपन्यास को उ. प्रदेश के मुख्य मंत्री द्वारा हिंदी संस्थान का 'प्रेमचंद सम्मान' प्राप्त हुआ है | उसमें आपको राजनीति के कई पहलू मिलेंगे |

एक महत्वपूर्ण बात और --यदि आप में से कोई भी किसी विषय को समाज के सामने लाना चाहें, उसमें भी मैं सहायक हो सकती हूँ | इस लेख को आप सबके द्वारा पसंद किया जाना मुझे और भी विषयों से जुड़ने की सम्भावनाएँ देता है | उसके लिए ह्रदय से धन्यवाद |मैं नीचे अपना मेल. आईडी दे रही हूँ |

आप सबकी मित्र

डॉ.प्रणव भारती