करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 6 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 6

अध्याय 6

वैगई ने सांस लेकर एक क्षण आश्चर्य से ईलम चेरियन को देखा |

“मैं दयानिधि ट्रस्ट के मुखिया नित्यानंदन से बात कर रही थी आपको कैसे पता…………?”

“मैं अभी वहीं से तो आ रहा हूँ |”

“क्या ! वहीं से आ रहे हो........?”

“हाँ ! पिछले साल मेट्टिओचै पत्रिका और दयानिधि ट्रस्ट दोनों ने मिलकर ‘महिलाओं की दूसरी खुशी’ के उत्सव में पच्चास युवा विधवाओं को कपड़े सीने की मशीन दी थी | उसके बारे में उनकी तरफ से एक पेमेंट आना बाकी था | उसे मांगने गया | सीढ़ियों में चढ़ते समय ही आपका नाम सुनाई दिया, सोसाइटी फॉर केयरिंग एंड शेयरिंग की वे बात कर रहे थे | ‘ एक घंटे बाद उस वैगई को फोन करके उसे बात को याद दिलाना पड़ेगा’ ऐसा एक बोला | ‘सुबह ही फोन कर देते’ दूसरा बोला |

“फिर ?”

थोड़ा-थोड़ा टुकडो में मेरे कानों में पड़ा | उसे सोच कर मैंने विषय का थोड़ा अनुमान लगा लिया |”

“क्या अनुमान लगाया ?”

“आपके सोशल सर्विस संस्था के लिए दयानिधि ट्रस्ट ने आपको पाँच लाख दिया है | उसमें 50% कमीशन की आशा कर रहे है........ ठीक है ?”

“ठीक है..........” वैगई ने सिर हिलाया, वॉश बेसिन पर जाकर हाथ धोकर आई अर्चना बोली “तुम बात करके आओ ! मैं सेक्शन में जा रही हूँ....... एक स्टेटमेंट कॉपी को पाँच बजे तक तैयार करके ओर्थो डिपार्टमेन्ट को भेजना है |”

“ठीक है............! तुम जाओ अर्चना मैं दस मिनिट में आती हूँ |”

अर्चना के केंटीन से जाते ही ईलम चेरियन बोला “वह दयानिधि ट्रस्ट करीब-करीब हत्यारों का झुंड ही है | तीनों लोग 50% कमीशन की बदौलत ही बेशुमार दौलत जमा किये हुए हैं|”

“आपने उनको कमीशन दिया क्या ईलम चेरियन ?”

“फिर बिना दिये रह सकते हैं क्या ? उन लोगों को जिसने टच किया वे बिना कमीशन दिये नहीं रह सकते ?”

“मैं उनको कमीशन नहीं दूँगी |”

“ये......... ये............ क्या बोल रही हैं ?”

“कमीशन नहीं दूँगी.......”

ईलम चेरियन अपने दाई हाथ के अंगूठे और बीच की अंगुली को मिलाकर एक आवाज निकाली | “हैलो ! मिस वैगई ! उस ट्रस्ट के तीनों अच्छे लोग नहीं है | उनके शरीर में जो खून ‘A’ ग्रुप का खून नहीं है | ‘B’ ग्रुप का भी नहीं है | ‘V’ ग्रुप का खून |”

“V ग्रुप खून....... ?

“हाँ वाइलेंस ग्रुप........”

“उनके शरीर में दौड़ने वाला खून किसी ग्रुप का भी हो | मुझे डर नहीं है |”

“वैगई ! ये बेकार की जिद्द है........ आ बैल मुझे मार मत बोलिएगा..........”

“झगड़े को मैंने मोल नहीं लिया |”

“वैगई ! इस जिद्द को छोड़ो | झगड़े को पैसे से मत खरीदो |”

“झगड़े को पैसे देकर लेने वाली मैं नहीं ईलम चेरियन, वह उस ट्रस्ट के आदमी....... हैं | उनके दिये पाँच लाख रुपयों को समूह के किन कामों में उपयोग करना है मैंने और संस्था के प्रेसिडेंट ने मिल कर लिस्ट बना लिया है |”

ईलम चेरियन ने वैगई पर डरी हुई नजर डाली, वह हंसी “आपको एक बात पता है ? मेरे पैदा होते ही मेरे पिता जी ने मेरा नाम धैर्यलक्ष्मी रखा | मैंने ही कॉलेज में पढ़ते समय अपने नाम को बदल कर वैगई रख लिया |”

“ठीक है…………. वे लोग तुम्हारे लिए समस्या खड़ी करें तो उसे कैसे संभालोगी ! पुलिस में जाओगी ?”

“आपका प्रश्न ही गलत है....”

“प्रश्न ही गलत है ! कैसे ?”

“उनसे मुझे कोई भी समस्या नहीं आएगी....”

“वह कैसे.... आपने कमिशन नहीं दिया तो उन्हें गुस्सा आएगा ?”

“गुस्सा नहीं आएगा......”

“आपकी बात मेरे समझ में नहीं आ रही है वैगई |’

“कल समझ जाओगे |” कहते हुए वैगई ने रवाना होने की कोशिश की, तो उसके सेल फोन की रिंगटोन बजी | उठा कर नाम देख उत्साह से बोली वैगई |

“कहिए राजा शरीफ......! आप ब्लड डोनर असोसियेशन में फिर से प्रेसिडेंट चुन लिए गए पेपर में फोटो के साथ देखा | मन में बहुत खुशी हुई | ग्रीट करने के लिए आपके सेल पर ट्राई किया | एट प्रसेंट नोट रिचेबल ऐसा मैसेज आ गया | आप बाहर गए थे क्या ?”

“हाँ....... कोयंबटूर में ‘टरन्त सेंटर’ एक सामाजिक संस्था ‘रक्त दान सप्ताह’ मनाया जा रहा था वहाँ जाकर आया |”

“वेरी नाइस......!”

“वैगई अभी मैंने आपको आवश्यक कार्य के लिए फोन किया...........”

“कहिए क्या बात है..........?”

“आपके पहचान में आपके कोई दोस्त में से किसी का A-1 नेगेटिव ग्रुप का खून है क्या ?”

“A-1 नेगेटिव ?”

“हाँ...... एक एक्सिडेंट केस है | तुरंत एक ऑपरेशन करना जरूरी है | दो घंटे के अंदर ब्लड चाहिए | इस ब्लड डोनेट लिस्ट में दो जनों का ही A-1 नेगेटिव ग्रुप है | उसमें से एक बिजनेस के सिलसिले में मुंबई गए हैं | दूसरे को ब्लड दिये अभी एक महीना ही हुआ है |”

“दूसरे अस्पतालों में इंक्वायरी कर ली क्या ?”

“कर लिया ! आपके अस्पताल समेत सभी जगहों में ट्राई किया | बट कहीं भी वह ब्लड ग्रुप स्टॉक में नहीं है |”

“कितना यूनिट ब्लड की जरूरत होगी ?”

“अभी एक यूनिट बस हो जाएगा.........”

“कौन सा अस्पताल ?”

“शबरी नर्सिंग होम..........”

“दो घंटे के अंदर डोनर अस्पताल में रहना चाहिए है ना ?”

“हाँ”

“डोंट वरी राजा शरीफ...... और एक घंटे के अंदर A-1 नेगेटिव वाले डोनर नर्सिंग होम में होगा........”

“थैंक्यू वैगई |”

वैगई सेल को बंद कर अपने वेनिटी बैग की जिप को खोल एक छोटी डायरी को निकाल कर उसके पत्रों को पलट रही थी तब ईलम चेरियन की आवाज आई |

“फिर मैं निकलूं मिस वैगई ?”

“हाँ निकलो............ मेरे बारे में कोई फिकर न करना, अपने रिपोर्टर के काम को देखो |”

“मैं जाऊँ बोला तो मैं घर के लिए नहीं जी शबरी नर्सिंग होम को...........” वैगई ने डायरी से सिर को ऊपर किया |

“शबरी नर्सिंग होम को...... क्यों ?”

“मेरा A-1 नेगेटिव ग्रुप है |”

“करेक्ट !” वैगई ने अपने दोनों हाथों को चौड़ा कर फैलाया और बिना एक क्षण सोचे भी ईलम चेरियन के हाथों को पकड़ कर हिलाया |

कोई रहस्य खोलता जैसे चेन्नई में पौ फट रहा था | समुद्र के किनारे डॉ. सर्वेक्ष्वरण और आदित्य दोनों जॉगिंग सूट में पसीने से तरबतर होते हुए जल्दी-जल्दी चल रहे थे | दोनों के बीच एक अजीब सा मौन पसरा था | जिसे आदित्य ने तोड़ा |

“क्यों अप्पा मैंने जो पूछा उसका जबाव नहीं है ?”

सर्वेक्ष्वरण दीर्घ स्वास छोड़ते हुए आदित्य को देखा |

तुम्हें केलिफोर्निया से आए दो दिन भी नहीं हुए......... उसके पहले दुबारा वहाँ जाने की बात शुरू कर दी !

मैंने इसकी आशा नहीं की............”

“अप्पा..........! मुझे भी इसकी आशा नहीं थी | एक सक्सेस फुल फाइव स्टार होटल की मैंने कल्पना की थी उसी कीमत में मिल रहा है | उसे लेकर डाल देने में क्या गलती है | होटल मैनेजमेंट में मुझे कितना इंट्रेस्ट है आपको तो पता है !”

“तुम्हारे होटल लेने व उसको चलाने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है | मेरी जो फिकर है तुम कहीं केलिफ़िर्निया में ही सेटल न हो जाओ उसको लेकर ही है..........”

आदित्य हंसा | “अप्पा आज जितनी टेली कम्यूनिकेशन टेक्नालोजी है उससे यह संसार एक छोटे से गाँव के रूप में बदल गया | विडियो टेलीफोन भी है | जब सोचो उसी क्षण आप मुझे देख सकते हैं | प्रत्यक्ष में देखने की सोचो तो कुछ ही घंटों की हवाई यात्रा बस |”

“फिर भी...........”

“प्लीज अप्पा............. विदेश में एक फाइव स्टार होटल को सफलता पूर्वक चला सकूँ ये मेरा कई साल का सपना है | उस सपने के पूरा होते समय आपने ‘नो एंट्री बोर्ड’ टांग दिया.........”

चलते चलते सर्वेक्ष्वरण खड़े हुए“ठीक है तुम्हें केलिफोर्निया कब जाना है |”

“हमने पावर ऑफ एटर्नी जिस एजेंट को दिया, वह होटल डैरेक्टरों से बात कर रहा है | रेट तय हो गया है तो अब डॉक्युमेंट्स का काम ही बाकी है | उस काम के पूरा होने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा |”

“सो........... तुम्हें तीन महीने के बाद ही केलिफोर्निया रवाना होना है ?”

“हाँ |”

“तुम्हें केलिफोर्निया जाकर सेटल होने की इच्छा है......... तो मैं जो बात कह रहा हूँ उस पर तुम्हें राजी होना पड़ेगा |”

“कंडीशन ?”

“यस............! तुम शादी करके केलिफोर्निया जाओगे..........”

“अप्पा वो............... जो है.............”

“आई डोंट वांट एनी एक्सपलेशन ! तुम शादी करवा कर, तुम्हारी पत्नी के साथ ही केलिफोर्निया जाओगे ? तो ही मेरे हाथ में हरी झंडी होगी | अन्यथा लाल झंडी, क्या कह रहे हो.........? तुम यस कहोगे तो, आज ही तुम्हारी शादी के लिए गणेश जी का नाम लेकर तलाश शुरू कर दूंगा | अपने स्टेटस के अनुसार बहुत सी लड़कियां है | हाई कोर्ट चीफ जस्टिस सारंगपाणी की लड़की, पिछले हफ्ते एक शादी में उसे देखा | लड़की सुचमुच में महालक्ष्मी जैसी है ?”

“अप्प......... अप्पा........” आदित्य की आवाज खिंचने लगी|

“क्या ?”

“उस महालक्ष्मी को किसी श्रीनिवासन से शादी करने दो मुझे ….”

“तुम्हें” ?

“मुझे वैगई चाहिए |”

.................................