भूरिया और मिनका Monty Khandelwal द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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भूरिया और मिनका

एक गांव में भूरिया और मीनका रहते थे
भूरिया एक कुत्ते का नाम है और मीनका एक बिल्ली का
वे दोनों बहुत ही अच्छे मित्र थे | मीनका जब छोटा था तब उसके गांव में बाढ़ आई थी तो मीनका अपने परिवार से बिछड़ गया था और वह पानी में बहते हुए भूरिया के गांव में आया था
और वह उसी समय से भूरिया की मां ने उसे पाला था
( बुढ़िया की मां का नाम- कालकी था)
क्योंकि जब बाढ़ आई थी तो उसका पानी भूरिया के गांव में भी पानी आया था उसी में भूरिया के भाई बहन पानी के तेज बहाव मैं बह गए थे | लेकिन भूरिया को उसकी मां ने बचा लिया था क्योंकि भूरिया को उसकी मां ने उसको मुंह में दबा कर रखा था इसीलिए वह बच गया जब बाढ़ खत्म हुई और पानी सारा गांव से निकल गया था तब की

तब भूरिया की माँ जब गुड़िया को मुंह में दबाकर लेकर जा रही थी तो जोर-जोर से किसी की आवाज सुनी और वह आवाज के पीछे भागी भागते हुए जब उसकी नजर मीनका पर पड़ी तो वह रोने लगी क्योंकि उसे लगा था कि यह आवाज उसके बच्चों की है और इसीलिए वह उसके पीछे भागी थी
लेकिन फिर वह वापस मुड़ी और अपने
खरकोली ( कुत्तिया का घर) और चली गई वाह जाकर उसने देखा तो उसका घर तहस-नहस हो गया था क्योंकि उसका घर मिट्टी के टीले के अंदर बना हुआ था
उसने अपने मुंह से भूरिया को नीचे रखा और एक बार फिर से उसने अपना घर बनाना चालू किया |
कुछ समय बाद जब उसका घर बनकर तैयार हो गया तो
उसने भूरिया को उस घर में रखा उसे दूध पिलाया और फिर खाने की तलाश में वहां से निकल गई

क्योंकि उस दिन बाढ़ आई थी तो पूरे गांव में कहीं कुछ भी खाने के लिए नहीं बचा था तो वह पूरे दिन इधर-उधर भटकती रही शाम होते वक्त जब भूरिया की मां वापस उसी गली की ओर से गुजर रही थी तो उसने वह आवाज फिर से सुनी जैसे ही उसने आवाज सुनी तो एक बार फिर से वफा क हुई उस आवाज की ओर चली गई
वहां उसे एक बार फिर से मीनका ही नजर आया कुछ देर तो वह इधर-उधर देखती रही काफी देर तक जब उसे कोई और नजर नहीं आया तो उसने चुपके से उसे अपने मुंह से पकड़ लिया और वहां से भागती हुई अपने घर की ओर चली गई
इस तरह से की उसे कोई उस उस बच्चे को उठाकर लेकर जाते हुए कोई और ना देखें

वहां भूरिया भी जोर-जोर से रो रहा था क्योंकि उसे भूख लगी थी कालकी भूखे होते हुए भी उसे दूध पिलाया

लेकिन जब कालकी भूरिया को दूध पिला रही थी पर उसका ध्यान कहीं ओर था उसी समय मेनका भी आकर कलका दूध पीने लगा जैसे उसने दूध पीना चालू किया तो कालपी का ध्यान उस और गया और उसे जोर से भोंकते हुए उसे मुंह से उठाकर एक तरफ फेंक दिया तो मीनका
जोर-जोर से म्याऊं म्याऊं करते हुए चिल्लाने लगा
कुछ क्षण पश्चात एक बार फिर से मीन का दूध पीने लगा
तो एक बार फिर से कालकी ने जोर से भोंकते हुए उसे उठाकर फिर से दूर फेंक दिया
कुछ देर तक तो ऐसा ही होता रहा

लेकिन बाद में काल की गुस्सा होते हुए वहां से उठी और चली गई इस बात से दुखी होकर की उसके सारे बच्चे पानी में बह गए और वह पुणे नहीं बचा सकी
धीमी धीमी आवाज में रोते हुए और एक बार फिर से गांव में घूमने लगी क्योंकि रात हो गई थी तो कुछ लोगों ने उसे खाना दिया वह खाना खाया और एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई और रोने लगी और वहीं पर क्षण भर के लिए आंखें बंद की जैसे उसने आंखें बंद की तो उसके बच्चे उसके सामने थे और रो रहे थे उसी बात में अपनी आंखें खोलती है और देखती है कि उसके सामने कुछ भी नहीं है सब बिखरा हुआ पड़ा है कहीं कोई निशान नहीं है पर उससे अचानक याद आती है कि उसके घर में एक उसका एक बेटा भुरिया अभी जिंदा है तो वहां एक बार फिर से अपने घर की ओर भगी
वाह गई तो उसने देखा कि बिल्ली का बच्चा अभी भी जोर-जोर से रो रहा था
कुछ देर तो उसने कुछ नहीं किया लेकिन जब उसे लगा कि उसके बच्चे खो गए है और यह कितनी चिंता कर रही है क्या पता इसके भी मां इसको ढूंढ रही होगी |
पर इस समय इसकी मां को मैं कैसे ढूंढूं और कल तक तो यह बच्चा भूख के मारे मर जाएगा और उसे खयाल आया|
अगर मेरा भी बच्चे जिंदा होते तो मैं उनको दूध पिला लेती पर वहां तो अब नहीं रहे उसी लिए कालकी ने उसे भी दूध पिलाया जैसे उसने दूध पिलाया तो वह बच्चा वहीं पर गहरी नींद में सो गया

कालकी सोच रही थी कि कल सुबह होते ही उसको उसकी मां तक पहुंचा देगी
क्योंकि जब कोई बच्चा अपनी मां से जुदा होता है तो कितना दर्द होता है यह बात अच्छे से जानती थी
इसी केरल में उदासी का मुंह लेते हुए कलकी निवाई पर सो गई