गुरु की चालाकी Monty Khandelwal द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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गुरु की चालाकी

ये एक वास्तविक घटना हे😊

आज सुबह से ही क्लास में मस्ती हो रही थी| क्यूंकि आज सिर्फ पूरी स्कूल में 2 ही टीचर थे |

तो क्लास में से कुछ लड़के स्कूल से भाग गये थे |
मै भी क्लास से भाग के घर जाने वाल था | लेकिन मैने मेरे सहपाठियों के साथ खेलना फुटबॉल खेलना सही समझा

फुटबॉल खेलने में इतना व्यस्त थे| कि आधी छुट्टी भी कब पूरी हो गई हमें मालूम ही नहीं पड़ा घड़ी की सुई भी 3:00 बजाने वाली थी और साथ ही हमें भूख भी जोरों की लगने लगी थी तो सोचा स्कूल से भागकर ही घर चले जाए क्योंकि छुट्टी होने में अभी वीडियो 1.30 घंटा बाकी था |

सबसे पहले मैं स्कूल के चारों ओर एक चक्कर काटा ताकि मालूम कर सकूं कि सर किस क्लास में ऑफिस में बैठे हैं|

एक सर चुप बैठे थे |कमरे में कुछ काम कर रहे थे| दूसरे जो हमारे पीटीआई थे| वह बाबू के ऑफिस में बैठकर उनके साथ बातें कर रहे थे मुझे यह नहीं पता था| कि उनकी नजर हम सब लड़कों पर ही थी |

मैं फिर गया कमरे में अपनी एक बुक और एक रजिस्टर उठाया और मेरे साथ साथ मेरा दोस्त मनोहर भी चल दिये मगर हमें भागते हुए देख हमारे पीछे पीछे पूरी क्लास भी निकल पड़ी |
लेकिन आगे एक और मुसीबत थी| कि हमें ऑफिस के पीछे से होकर सामने वाली दीवार को कुद कर जाना था |ऑफिस
से वो पूरा दिखता था|

इसीलिए हल्के कदम भरते हुए मैं आगे बढ़ा
इतने में सर ने लड़को खुसर पुसर करते हुए सुन लिया वह भी ऑफिस के गेट पर आकर खड़े हो गए |
दीवार के कोने से चुप कर देखा तो कोई नहीं दिखा यह बात मैंने पीछे खड़े मेरे दोस्त मनोहर को बधाई तो मनोहर बिना कुछ सोचे वहां से भागने लगा |

सर ने भी उसे भागते हुए देख लिया था | लेकिन वह इंतजार कर रहे थे | कि बाकी भी कब भागने की कोशिश करते हैं |उसी बीच मेरे कई सहपाठी भागने लगे तो पीछे से सर ने ऊंचे सुर में आवाज लगाई किधर किधर हां कहते हुए
भागने वालों को बुलाया इधर आओ किधर भाग रहे हो

उनको यह भी पता था कि आधे लड़के अभी भी पीछे खड़े हैं | तो उन्होंने जोर से आवाज लगाई
जो भी पीछे खड़ा है | वह सब मेरे सामने आ जाए वरना सब की धुलाई कर दूंगा इतना सुनते ही सारे लड़के एक सिध में आकर खड़े हो गए सर ने भी तुरंत बोला एक नहीं दो लाइनों मे बट जाए तुरंत आदेश का पालन हुआ और बोला गया कि अब बैठ जाइए एक पल तो ऐसा लगा की बच गए
सांसों में जैसे सांस आई क्योंकि वह तो धुलाई भी जबरदस्त करते थे |
मगर मजाल थी | कि हम बच जाए मेरे एक सहपाठी को उठाया और बोला कि सणिये की एक छड़ी काट के लेकर आओ

सणिये का नाम सुनते ही सबके पसीने छूटने लगे थे| क्योंकि सणिये की मार्केट जगमग दो दिनों तक नहीं ठीक होते थे |

छड़ी को हाथ देते हमसे सवाल पूछा गया की सबसे पहले कौन आगे भागा था जल्दी बताओ वरना मैं खड़ा करता हूं कि कौन भागा था और मैं खड़ा करता हूं तो चमड़ी हाथ में मिलेगी

ऐसा सुनते ही मेरा दोस्त मनोहर खड़ा हो गया क्योंकि क्योंकि सबसे आगे भागने वाला वही था |
उसके पीछे पीछे तुरंत मैं भी खड़ा हो गया और बोला कि सर मनोहर नहीं सबसे पहले मैं आगे भागा था | ये कहते हुए मै खड़ा हो गया सारी क्लास मेरी ओर देख रही थी क्योंकि सब ने मनोहर कोही आगे भागते हुए देखा था |

सर को इस बात पर आश्चर्य हुआ इन्होंने ऐसा क्यों किया

सर ने मुझे तुरंत आगे आने के लिए बोला और सबके सामने खड़ा कर दिया अब हर जगह सन्नाटा ही था | क्योंकि मुझे मार पड़ने वाली थी और वह भी जोरों की

मैंने भी डर के मारे अपनी दोनों आंखें बंद कर ली बस अब सिर्फ डंडे पढ़ने का इंतजार था |

मगर यह क्या सर का हाथ मेरे सर पर था और वह मेरी और मनोहर की तारीफ कर रहे थे | कि देखो इन दोनों ने एक दूसरे को मार से बचाने के लिए इल्जाम अपने आप पर ले लिए
इन दोनों की सच्चाई और अच्छाई ने इन दोनों को मार खाने से बचा लिया है|
वह हमारी तारीफ है | करते हुए थक नहीं रहे थे और सबको सिखा रहे थे | कि कभी भी झूठ मत बोलो अगर तुम लोगों को भागकर जाने का ही है | तो दीवार कूदकर नहीं सीधे गेट से जाओ मैं तुमको कभी नहीं रोकूंगा .
मगर तुम अपनी पढ़ाई पर भी थोड़ा ध्यान दो

आज मैं स्कूल से कुछ नया सिख के जा रहा था | कि सच हमेशा अच्छा होता है |

उन सर का नाम है | अर्जुन जी जो मेरी Rajasthan sirohi Gaav Rohida High Secondary School के पीटीआई थे | 🙏