खामोशी... Saroj Verma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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खामोशी...

स्कूल में पन्द्रह अगस्त का जलसा था तो विधायक जी को झंडा फहराने के लिए आना था,स्कूल को रंग बिरंगी पतंगी कागज की झण्डियों से सजाया गया,विधायक जी के लिए उनके सम्मान में कुछ शब्द भी प्रस्तुत करने पड़ेगें इसलिए प्रधानाचार्य जी ने अपने स्कूल के सबसे होनहार आँठवीं के विद्यार्थी राहुल गुप्ता के ऊपर एक स्पीच तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी,जिससे कि विधायक जी को ये लगें कि इस स्कूल के विद्यार्थी बहुत ही होशियार हैं.....
फिर क्या था विधायक जी आएं,फूलों का हार पहनाकर उनका स्वागत किया गया आएं और उन्होंने झंडा फहराया,झंडा फहराने के उपरान्त उन्होंने कुछ शब्द कहकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया फिर इसके बाद कुछ बच्चों ने लोकनृत्य और गायन प्रस्तुत किया ,अब बारी आई राहुल गुप्ता की स्पीच की,कक्षाध्यापक का आदेश मिलते ही उसने अपना कार्य प्रारम्भ कर दिया....
राहुल ने अपनी स्पीच बोलनी शुरू की.....

सम्मानीय विधायक जी,
मैं अपने परिवार के साथ इस कस्बें में रहता हूं, मैं आपका शुक्रगुजार हूँ जो आप हमारे एरिया में आएं,आपको ज्ञात ही हैं कि बारिश का मौसम है,गलियाँ पानी में डूबी हुई हैं,सारी नालियाँ कीचड़ से पटी पड़ी हैं, मेन-रोड पर बड़े-बड़े गड्ढें हो गए हैं,उनमें बरसात का पानी भरा हुआ है,आए दिन इन गड्ढों में कोई न कोई गिर जाता है, किसी की बाइक फंँस जाती है, तो तिपहिए वाहन उलट जाते हैं,आप यहाँ आएं होगें तो जरूर आपकी कार फंँस गई होगी।।

‘जब आप यहाँ आ ही गए हैं, तो इतना ध्यान रखिए कि यहां का पानी मत पीजिएगा, यहांँ सरकारी नल सुबह-शाम एक घंटा ही आता है, इसलिए सबको हैंड-पंप का पानी इस्तेमाल करना पड़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है,आप भूल कर भी यहां का पानी न पीएं,आप अपने साथ मिनरल पानी की बोतल तो लाएं ही होगें ,वही पीजिएगा, आपकी कार में वह आराम से आ जाएगी,आपकी कार जो इतनी बड़ी है,
‘विधायक जी, आप यहाँ आएं तो देखिए ना आपके सफेद कुर्ता-पाजामा खराब हो गए,अब आप आ ही ही गए तो कोई बात नहीं लेकिन अगर अगली बार आइएगा तो आप मक्खनपुर फ्लैट्स की तरफ से आइएगा, यह आपको थोड़ा दूर जरूर पड़ेगा, लेकिन वह इलाका साफ-सुथरा है,वहां की सड़कें पक्की और सुंदर भी हैं, श्रीमान!एक बात का खयाल अवश्य रखें, जब कभी आएं तो दिन में ही आएं,शाम या रात को आएंगे तो यहां बिजली नहीं मिलेगी,क्योंकि यहां अकसर बिजली गायब रहती है,
रिपोर्ट करते हैं तो कोई सुनवाई नहीं होती,बिजली विभाग वाले कहते हैं कि लाईट पीछे से नहीं आ रही, ऐसे में हम विद्यार्थियों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है, हमारा होमवर्क अधिकतर अधूरा रह जाता है,इस पर हमें अपने अध्यापकों से डांँट खानी पड़ती है,हमारे गणित के अध्यापक तो पिटाई भी कर देते हैं, यह तो अच्छा है कि मैं मेहनती हूंँ,मेरी आज तक पिटाई नहीं हुई,’
विधायक जी!हमने स्कूल में पौधे लगाए हैं, हमारे प्रधानाध्यापक कहते हैं कि पेड़ तो दुनिया लगाती है, लेकिन पेड़ों की देख-भाल कोई नहीं करता,इसलिए हम दोस्तों ने सोच लिया है कि जब तक बारहवीं पास नहीं कर लेते, अपने लगाए पौधों की खुद देखभाल करेंगे,उनको पेड़ बना कर ही छोड़ेंगे, दो साल में पौधा क्या पेड़ नहीं बन सकता?देखा जाए तो श्रीमान हम बच्चों को हमारे अध्यापक पौधों की तरह देखते हैं, हमें संँवारते हैं और एक अच्छे-से पेड़ में बदल देते हैं,विधायक जी, कहने को तो बहुत कुछ है,लेकिन आपके पास इतना समय कहांँ होगा कि मुझ जैसे छात्र की पूरी स्पीच सुन लें इसलिए मैं अपनी स्पीच ज्यादा लंबी ना खींचकर कर यहीं समाप्त करता हूंँ, कहीं कुछ त्रुटि हुई हो तो मुझे बच्चा समझ कर क्षमा कर दीजिएगा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🙏
आपका आज्ञाकारी
राहुल गुप्ता
कक्षा आठवीं (स)
राहुल की स्पीच सुनकर पूरे स्कूल में एक खामोश़ी सी छा गई.....

समाप्त....
सरोज वर्मा.....