अतीत के पन्ने - भाग 17 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अतीत के पन्ने - भाग 17

पिया का इस तरह से अपनापन दिखा कर जो सबको प्यार से खिलाया ये चीज आलोक को बहुत पसंद आया।
आलेख ने भी मुस्कुराकर अपना प्यार जता दिया।
खाना खाने के बाद सब बैठक में जाकर बैठ गए।
आलोक ने कहा कि जतिन मैं एक बात करना चाहता हूं। जतिन ने कहा हां, हा बोलिए ना।
आलोक ने कहा कि मैं चाहता हूं कि पिया बेटी इस हवेली की बहु बनें मेरे बेटे आलेख की पत्नी बनें।
जतिन ने ये सुनकर कहा कि अरे आलोक जी आपने तो मेरे मुंह की बात छिन ली। मैं भी यही चाहता हूं और आलेख जैसे लड़का मुझे कहां मिलेगा।।
पिया और आलेख एक दूसरे को देखने लगें और फिर पिया शर्मा कर उस कमरे से यह बोल कर बाहर चली गई कि उसे पानी पीना है।
आलेख वहां पर चुपचाप बैठा रहा।
आलोक ने कहा इनके डाक्टरी की पढ़ाई पुरी होते तो देर हो जायेगी।
आलेख ने कहा छोटा मुंह बड़ी बात कर रहा हूं पर पहले डाक्टरी की पढ़ाई पुरी करने के बाद ही शादी करना चाहता हूं।
जतिन ने कहा शाबाश बेटा तुमसे ये उम्मीद थी।
आलेख ने कहा मुझे मेरी छोटी मां का सपना पूरा करना होगा और फिर अपने पैरों पर खड़ा होना भी तो जरूरी है।
फिर जतिन को आलोक ने कहा आइए हम छत पर चलते हैं।
पिया और आलेख भी कुछ बातें कर लेंगे।
फिर दोनों मुस्करा कर छत पे चलें गए।
आलेख ने कहा पिया क्या हम बात कर सकते हैं।
पिया ने कहा हां पर किस बारे में।
आलेख ने कहा अभी तुमने सुना होगा हमारे बड़े क्या बात कर रहे थे?
पिया ने कहा हां सुना।
आलेख ने कहा हां पर तुम्हारा क्या ख्याल है?
पिया ने कहा हां, है मैंने तो तुम्हारी आंखों में बहुत पहले से ही देखा था।
आलेख ने कहा हां पर कभी बताया नहीं?
पिया हंसने लगी और फिर बोली प्यार एक ऐसा अटूट विश्वास है जो सबके लिए नहीं होता है जब भी तुम्हें देखती हूं तो हमेशा सच्चाई और ईमानदारी ही दिखाई देता है।
आलेख ने कहा हां मैं भी तुमसे कुछ कहना चाहता था पर कह नहीं पाया।
पिया ने कहा हां ठीक है अब कह दो।
आलेख ने कहा हां ठीक है अच्छा ये बताओ की डाक्टरी पढ़ने के बाद ही शादी करोगी ना?
पिया हंसने लगी और फिर बोली हां बाबा मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना होगा फिर।
आलेख ने कहा हां मैं भी यही कह रहा था।
पिया ने कहा हां ठीक है चलो अब कुछ पढ़ाई कर लें।
आलेख ने कहा हां मैडम।
पिया ने कहा देखो छोटी मां का सपना पूरा करने के लिए हमें कुछ भी करना होगा।
आलेख ने कहा तुम मुझे भूल नहीं जाओगे ना।
पिया ने कहा हां ठीक ये बात मैं भी बोल सकती हुं।
आलेख ने कहा हां पर कभी कभी डर लगता है कि मैं तुम्हें खो ना दूं।
तभी आलोक और जतिन ने एक साथ कहा हां इसका एक ही उपाय है कि हम तुम दोनों का सगाई कर दें।
पिया ने कहा पापा आप भी।
जतिन ने कहा हां बेटा एक अच्छा सा दिन देख कर तुम दोनों की सगाई कर देते हैं।
आलोक ने कहा हां ठीक है फिर।। जतिन ने कहा अब हम चलते हैं कुछ जरूरी काम है। आलेख ने कहा अरे इतनी जल्दी
पिया ने कहा हां पांच बज रहे हैं।
पिया ने आलोक के पैर छुए और फिर बोली अच्छा अंकल चलती हूं।
आलोक ने कहा हां बेटा फिर आना।
आलेख ने कहा अरे बाबा ये तो रोज आती है। फिर सब हंसने लगे।
जतिन ने कहा अगले रविवार को बिटिया का जन्मदिन है तो आप लोग जरूर आइएगा।
आलोक ने कहा हां ज़रूर।
फिर दोनों चले गए।
आलेख बार बार पिया को देख रहा था।
फिर पिया और जतिन गाड़ी में बैठ कर चलें गए।
आलेख ने कहा पापा बड़ी मां कैसी है। और बाकी मासी।।
आलोक ने कहा हां सब ठीक है पर तुम्हारी बड़ी मां की तबीयत ठीक नहीं है कुछ दिनों से।
आलेख ने कहा हां अच्छा।
आलोक ने कहा अच्छा मै थोड़ा काम से निकालता हूं तुम भी चलोगे।
आलेख ने कहा नहीं मैं अभी पढ़ाई करना चाहता हूं।
आलेख अपनी पढ़ाई करने लगे।
इसी तरह से फिर सोमवार को आलोक चले गए और फिर आलेख अकेला रहने लगा।
पिया और आलेख पहले की तरह बस स्टैंड पर इन्तजार करते हुए फिर एक साथ कालेज में जातें और फिर एक साथ वापसी।
पिया पढ़ाई करने शाम को आ जाती थी।

फिर इसी तरह से एक हफ्ते निकल गए।
आज पिया का जन्मदिन है उसके लिए कुछ उपहार खरीदने जाना है मैं और पापा नाश्ता करने के बाद ही मार्केट निकल गए।
बहुत ढुंढने के बाद एक बनारसी साड़ी और एक बैंग खरीदा और फिर पैकिंग करवा कर लें आएं।
शाम को पांच बजे हम निकल गए।
हर बार की तरह इस बार भी पापा गाड़ी लेकर आए थे। और फिर हम सब मिलकर पिया के घर पहुंच गए।
जतिन ने दरवाजा खोला और फिर बोलें अरे आइए आप लोग। पिया ने कहा अरे अंकल आइए। आलोक ने कहा वाह क्या बात है बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।
पिया बहुत ही प्यारी लग रही थी।
उसने हु-ब-हु छोटी मां की तरह लग रही थी बड़ी बड़ी आंखें वहीं बालों में रजनीगंधा के फुल लगें थे। पिया ने कहा आप सब बैठ जाइए।
फिर केक आया और फिर पिया ने केक काटा और फिर जतिन को खिलाया और फिर आलेख को भी खिलाया। फिर सब पिया को गिफ्ट्स देने लगें।
आलेख ने कहा कि पिया ये लो।
पिया ने हंसते हुए गिफ्ट्स ले लिया।
आलेख ने कहा पिया तुम तो आज एक राज कुमारी लग रही हो।।
पिया हंसने लगी और फिर शर्मा गई।
जतिन ने मेहमानों से कहा आइए सब खाना खाने बैठ जाइए।
फिर सब खाना खाने जा रहे थे।सब तैयारी बहुत ही अच्छे से हुआ था। खाना खाने सब लोग बैठे और फिर खाना एक आदमी सर्व कर रहा था।
घर में बहुत ही भीड़ भाड़ थी। उधर पिया की सहेलियां पिया को परेशान करने लगी और आलेख भी बार बार पिया को देख रहा था।

पिया की सहेलियां ने कहा पिया को गाना गाने के लिए तो जतिन ने भी कहा कि गाना गाओ।
ऐरी पवन ढुंढे


री पवन, ढूँढे किसे तेरा मन चलते चलते
बावरी सी तू फिरे, कौन है तेरा सजन

बादल से तेरा, क्या है कुछ नाता
काहे झूमे नाचे गाये, आए जब सावन
बावरी सी तू…


मन के द्वारे से, चोरी चुपके से
सपनों की तू पायल बाँधे, गुज़रे छननन छन
बावरी सी तू…

एक अकेली तू, मेरी सहेली तू
जिसका कोई साथी नाही, उसका क्या जीवन
बावरी सी तू…


गाना खत्म हो जाते ही आलेख एक दम से चौंक गए कि इतनी मीठी आवाज।
सब लोग ताली बजाने लगे और पिया भी खुश थी।

आलोक भी बहुत खुश हुएं।
जतिन ने कहा कि अब आलेख गाना गाएंगे।
आलेख ने कहा पर मैं तो बस।
जतिन ने कहा काव्या बताती थी कि काव्या के साथ आलेख भी गाया करता था।

आलेख ने कहा हां ठीक है मैं गाऊंगा जरूर पर अगर पिया साथ दे तों।

फिर आलेख ने गाना शुरू किया।
कभी कभी सपना लगता है।

कभी कभी सपना लगता है
कभी कभी सपना लगता है
कभी ये सब अपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊ
कभी कभी सपना लगता है
कभी ये सब अपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊ
कभी कभी सपना लगता है

आलेख ने इशारे से पिया को गाना गाने को कहा।
पिया ने गाना गाना शुरू किया।।।
मुझे अगर बाहों में भर लो
शायद तुमको चैन मिले
मुझे अगर बाहों में भर लो
शायद तुमको चैन मिले
चैन तो उस दिन खोया मैंने

तुम समझा दो मन को क्या समझाऊ
कभी कभी सपना लगता है

चहरे पर है और एक चेहरा
कैसे उसे हटाओ
मेरा सच गर तुम अपना लो
जनम जनम तरसौ
ऐसे सब अच्छा लगता है
सब का सब सपना लगता है
तुम समझा दो मन को क्या समझाऊ
कभी कभी सपना लगता है।।


गाना खत्म हो के बाद सब ताली बजाने लगे और आलोक रोने लगे।
और फिर आलेख और पिया को गले से लगा लिया।


फिर काफी मेहमान चले गए और फिर पिया ने कहा अंकल आइए पापा आइए अब हम बैठ जाते हैं।।
फिर पिया ने ही सबको खाना सर्व कर दिया और खुद भी खाने बैठ गई।
फिर सब मिलकर खाना खाने लगे और उसके बाद जतिन ने कहा आलोक जी चलिए हम आपको अपना आशियाना दिखाते है।
फिर पिया ने आलेख का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई और अपनी मां की तस्वीर दिखाया और फिर बोली पता है मेरी मां चाहती थी कि मैं डाक्टर बनूं और मेरी शादी एक डाक्टर के साथ ही हो।
आलेख हंसने लगा।
उसके बाद पिया ने अलमारी में से एक पैकेट निकाला और फिर आलेख को देते हुए कहा ये तुम्हारे लिए।
आलेख ने कहा हां पर जन्मदिन तो तुम्हारा है।।।
पिया ने कहा आज से हर जन्मदिन पर मैं तुम्हें एक उपहार दुंगी।
आलेख ने हंसते हुए कहा अरे बाबा ठीक है दो।
पिया ने कहा घर जाकर खोलना इसे।

आलेख ने कहा हां ठीक है मैं ऐसा ही करूंगा।।
आलोक ने कहा बेटा अब चलो।
आलेख ने कहा हां ठीक है चलिए।।
फिर आलोक और आलेख गाड़ी में बैठ कर निकल गए।
जतिन ने पिया को गले से लगा लिया और फिर कहा मैंने कुछ तो अच्छा किया होगा जिसके लिए भगवान ने मुझे तुम जैसी प्यारी बच्ची दिया।
पिया अपने पापा के गले लग गई।

क्रमशः