कुम्भ : जीवन में एक बार जरूरी है Arun Singla द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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कुम्भ : जीवन में एक बार जरूरी है

कुम्भ : जीवन में एक बार जरूरी है
  
  
मैं और कुम्भ, ना ना, कभी नही जाऊंगा, पर गया, हुआ क्या, वही हुआ, जो सोचा ना था ।

गंगा यमुना सरस्वती का संगम
सम्प्रदाय परम्परा श्रद्धा का संगम
सागर की तरह ठाठे मारती गंगा यमुना की लहरें,अकल्पनीय जन समूह, एक साथ, ये सब अदभुत, अविश्वनीय,अकल्पनीय है ।

ये प्रयागराज में लगने वाला कुम्भ, अर्धकुम्भ है, इस अर्ध का अर्थ है आधा, हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है, वेसे इसे कुम्भ ही कहा जा रहा हैं ।

कलश को कुंभ कहा जाता है, कुंभ का अर्थ होता है घड़ा। शास्त्रों में लिखा है की इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकले अमृत कलश से जुड़ा है, देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जहां जब ये बूंदें गिरी थी उस स्थान पर तब कुंभ का आयोजन होता है।

विश्व में ऐसा भव्य आयोजन, धार्मिक मेला और कहीं नहीं होता ।

अगर आप कुम्भ में जाने का सोच रहे है, तो कुछ बातों का ध्यान रखे। मेले का आयोजन एक  विशाल क्षेत्र में होता  है। कार पार्किंग मेला स्थल से दूरी पर होता ले है। पार्किंग से मेले तक स्थानीय ऑटो, टेम्पो, टैक्सी द्वारा जा सकते है। अगर भीड़ कम हो और आप सुबह जल्दी पहुँच जाय, तो आप के वाहन को कई बार मेला स्थल तक जाने की इजाजत मिल जाती है।

मेले में रहने के स्थान का पहले से प्रबंध कर ले। यहाँ विभिन सम्प्रदायों (अखाड़ों ) के अपने शिवर भी लगे रहते  है, जो उनके श्रधालुओं को टेंट शिविर में रहने की व्यवस्था करते है। जब में कुम्भ में गया था, तो मुझे  नये उदासीन अखाड़े में ठहरने का मोका मिला, जो की श्री श्री १००८ महामंडलेश्वेर राजेंद्रानंद जी महाराज के शिवधाम सेवा ट्रस्ट हरिद्वार द्वारा प्रोयोजित है। यहाँ पर रहने खाने का बहुत ही उत्तम प्रबंध था ।

शिविर / टेंट / कैंप के स्थान से स्नान स्थल तक लगभग 4-5 km पेदेल ही जाना पड़ता है । संगम पर स्नान के लिए नाव द्वारा जाया जात्ता है, जोकी इतनी भीड़ होने पर भी आसानी से मिल जाती है। 

चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर, हरिद्वार और प्रयाग में गंगा नदी के तट पर सबसे बड़ा मेला कुंभ 12 वर्षो के अन्तराल में लगता है और 6 वर्षो के अन्तराल में अर्द्ध कुंभ के नाम से मेले का आयोजन होता है।

नासिक,उज्जैन, हरिद्वार और प्रयाग इन जगहों पर हर 3 साल के अंतराम में कुंभ का आयोजन होता है, इसीलिए किसी एक स्थान पर प्रत्येक 12 वर्ष बाद ही कुंभ का आयोजन होता है।

इसके बाद साल 2022 में हरिद्वार में कुंभ मेला होगा और साल 2025 में फिर से इलाहाबाद में कुंभ का आयोजन होगा और साल 2027 में नासिक में कुंभ मेला लगेगा।

 इतना विशाल आयोजन विश्व में केवल भरात में ही होता है .