दुख में ही भगवान को………
बहुत पुरानी बात हैं,किशनगढ़ के राजा ने अपनी प्रजा की नियत के बारे में पता लगाने के लिए सेनापति को बुलाया और एक आदेश पारित किया की सुखो व दुखो की पोटलिया बनाकर गाँवो के एक-एक मंचो पर रख दी जायें और ढिढोरा पिट वा कर पोटलियों को उठाने के लिए कहा जायें, कुछ समय बाद पता चला की सुखों की पोटलियाओं का पता ही नही चला सब ख़त्म हो गयी,दुखों की पोटलियों पर किसी ने हाथ नही लगाया.
राजा उधर से निकले जा रहे थे की इधर एक निर्धन व्यक्ति दुखों की पोटलियों ले कर चल दिया राजा यह सब देख रहे थे,राजा ने तुरंत सेनापति को आदेश दिया कि उस निर्धन व्यक्ति को महल में बुलाया जायें ,निर्धन व्यक्ति को महल में पेश किया गया,राजा ने खड़े हो कर सम्मान किया और सम्मान पूर्वक उसे अपने पास बिताया और दुखों की पोटलियों उठाने का कारण पूछा,बहुत आग्रह करने पर निर्धन ने जवाब दिया , हे महाराज दुखों की पोटली उठाने का बस एक ही कारण हैं,दुखों में ही भगवान को याद किया जाता हैं,उतना ही भगवान पास होता हैं,निर्धन की बात सुन कर राजा की आँखे खुल गई(राजा को भी ज्ञान हो गया)और राजा ने सेनापति को आदेश दिया की निर्धन महान आत्मा को हमारे राज्य का पुरोहित नियुक्त किया जाए.A long time ago, the king of Kishangarh called the commander to find out about the fate of his subjects. He passed an order to make bundles of happiness and sorrows and place them on every junction of the village. Every family should pick up one
bundle of their choice. Soon the bundles of happiness were picked up and no one touched the bundles of sorrows.
The king went on around to check out. While on trial, he notices that a poor man picked up the bundle of sorrows and walked towards his hut. The king immediately ordered the commander to bring that poor man to the palace. The king stood respectfully and asked him the reason for carrying the bags of sorrows. The poor replied, “My Lord, there is only one reason to carry the bundle of sorrows, God is remembered only in sorrows, We feel God close to us.” The king was dumbfounded at listening to the poor man’s reply. What he said was right. We only remember God during bad times. In happiness, we are busy enjoying our life. The king was touched by his thoughts and actions. He ordered the commander that the poor noble soul should be appointed as the priest of the state.पियूष गोयल ने बहुत ही अच्छे तरीके से लोगोको बताया है की अपने काम के प्रति सेल्फ मोटीवेट कैसे रहे।
१० थॉट्स –
1.जिंदगी को अगर किसी का सहारा लेकर जिओगे एक दिन हारा हुआ महसूस करोगे.
2.किसी काम की करने की नियत होनी चाहिए टालने से काम नहीं चलने वाला.
3.आपके सपनो में बहुत के सपने छिपे हैं …अपने सपने पुरे करो.
4.सोचना मेरी आदत…लगन मेरा समर्पण….जिद्द मेरी सफलता.
5.जिनकी नींव मजबूत उनकी विन(win) निश्चित हैं
6.मेरे लिए आलोचना करना चना चबाने जैसा हैं
7.चुनौतियों की चिंता न करो चिंतन करो चुनौतियां हर समय किसी न किसी रूप में आपके साथ चल रही हैं
8.उतनी इच्छायें पालो जीतनी पा लो
9.जो संघर्ष करते हैं वो जानते हैं मेहनत का कोई विकल्प नहीं हैं.
10.अगर आपके कदम में दम हैं आपका कद कभी छोटा नहीं होगा क(दम)… (कद)म.