महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 5 - सत्य घटना पर आधारित Captain Dharnidhar द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 5 - सत्य घटना पर आधारित

लेखन तिथि - 01 मई 2022

सभी का ध्यान अभय के मित्र पर .. सीएच एम बोला .. अभय को बताना वह..
नायकी केडर में पास हो गया है ...10 मई से फ़ायरिंग का इंटर कंपटीशन है ..अभय का फ़ायरिंग में नाम है तो बता देना बची हुई छुट्टी बाद में कटवा देंगे ..टाइम से रिपोर्ट कर देगा .. हां तुम्हारा नाम नहीं है तुम अपने टाइम से आ जाना ..ठीक है सर ..रामराम सर !
सभी चुप थे..मित्र ने मोबाइल अपने कान से हटाया ..फोन काटते हुए बोला ..अभय मेरे दोस्त मुबारक हो तुम नायक बनने वाले हो ..भाभी तो तेरे लिए लक्की है ..भाभी मुबारक हो आपको भी ..केतकी भी मुस्कुराई..अभय की ओर देखा ..अभय हल्का सा मुस्कुराया और गाड़ी के शीशे से सड़क को देखने लगा ।
केतकी मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि बात ही खुशी की थी..केतकी मॉडर्न ख्यालों की थी किन्तु खुद को लक्की मानकर खुश हो रही थी ।
(मॉडर्न लोग भी कमाल के होते हैं खुद के लिए लाभदायक बात को तो मानने लगते हैं जो बाते उनकी स्वतंत्रता में खलल डालती हो उसे नहीं मानेंगे )
अभय को चिंता सताये जा रही थी वह आगे सड़क को देखे जा रहा था .. गाड़ी रूक गयी ..अभय के घर का गेट सामने ..अभय को पता ही नही चला कि वह घर पहुंच गया है ।

आस पड़ौस की महिलाएं इक्कठी हो रही थी ..बहु की अगवानी करने के लिए ..
केतकी की सास हाथ में आरती का थाल लिए..साथ की महिलाओं को तेज आवाज में बोली ..आजाओ आजाओ..बहु को ओर कितना इंतजार करवाओगी..आजाओ आजाओ अब..जिनको आना था आगयी..महिलाओं ने मंगलगीत गाना शुरू कर दिया ..धीरे धीरे वे गाड़ी की ओर बढ रही थी ..केतकी व अभय गाड़ी के अंदर से देख रहे थे बाकि सब गाड़ी से नीचे उतर गये थे गाड़ी के अंदर सिर्फ दुल्हा दुल्हन बैठे थे ..सास ने बहु को तिलक किया आरती उतारी ..आरती की थाली दूसरी महिला को पकड़ा कर ..बहु की भुजा को पकड़ कर गाड़ी से उतार लिया ..अब दोनों दुल्हा दुल्हन घर के मुख्य द्वार की ओर बढने लगे ..मुख्य द्वार पर मुंहबोली बहिने हाथ में मूसल लिए खड़ी थी ..भैया पहले टोल टेक्स दो ..फिर अंदर जाने देवेंगी..अभय अपनी माता की ओर देखकर बोला मा ही देगी ..दुल्हे की मा बोली ..मै क्यों दूं तू दे ..कमाता है ..देख बेटा यह दस्तूर की बात है मै भाई बहिन के बीच मे नही आऊंगी ..मुस्कुराते हुए अभय ने 100 -100 रूपये सभी बहिनों को दे दिए..बहिने द्वार से हट गयी ..सास ने एक परात मे हल्दी का पानी रख दिया . केतकी को उस परात में दोनों पांव रखकर खड़ा होने को कहा .बहु दोनों पांवो से परात में खड़ी हो गयी ..सास ने एक सफेद कपड़ा बिछाया और बोली ..बहु.. तुम्हारे कदम पहली बार घर में पड़ रहे हैं मैं यादगार के लिए तेरे पांवो के निशान इस कपड़े पर लूंगी ..हमारे घर की लक्ष्मी है तू ..सास ने जैसा कहा बहु ने वैसा ही किया ।
घर में आवाहित देव स्थान पर ले जाकर दोनों को प्रणाम करवाया .. सास बोली पहले मीठा भात खा लो फिर थोड़ा आराम कर लो ।

घर आने की रश्म होने के बाद ..अभय का मित्र बोला ..अभय की माता से ..अंटी आपको पता है अभय नायक बनने वाला है .. अभय की मा यह सुन कर भी अनसुना कर बोली ..चलो चलो तुम भी चाय नास्ता कर लो और थोड़ा आराम कर लो ।
अभय को अपने मित्र का यह कहना अच्छा नहीं लग रहा था ..बरात की बस भी आगयी थी बस से आये रिश्तेदार भी बधाई देने लगे ।
उधर बहु ने यह खुशखबरी अपने मम्मी पापा को देने के लिए पर्स से मोबाईल निकाला ही था कि अभय बोला .. केतकी रूको अभी मत बताओ ..मैं खुद फोन करके बता दूंगा ..केतकी ने सोचा अच्छा है ये खुद बतायेंगे तो ..
अभय का मित्र यह सब देख रहा था मन ही मन सोचा कोई तो बात है ये लोग भाभी (अभय की पत्नी ) से कुछ छुपा रहे हैं .. अभय का पापा भी वहां आगया था उसके पास जाकर कस्तुरी (अभय की मा) कुछ बड़ बड़ा रही थी और केतकी की तरफ रह रहकर देख भी रही थी
अभय का पापा खुश होकर अभय के पास आया और बोला बधाई हो बेटा ! ..अभय शान्त भाव में ..बीच मे ही अभय का मित्र बोला क्या बात है अभय तेरी तबयत तो ठीक है ..तू प्रमोशन की बात सुनकर खुश नही हुआ ..केतकी धीरे से मित्र को बोली छुट्टी केंसल हो गयी है इस लिए उदास है ..या खबर झूंठी होगी ..अभय को फिर भी चुप देख केतकी भी थोड़ा विचार करने लगी ..क्या बात हो सकती है ?

क्रमश---