कोट-१८
मैं बच्चों को कहता हूँ कि कल चश्मेवाला आया था। उसने तुम्हें बताने के लिए मुझे एक कहानी कही और कहा कि बच्चों को अवश्य सुनाना। कहानी का शीर्षक
"राजकुमार-राजकुमारी" बताया।
एक राजकुमार था,जो झील के किनारे घूमता था।झील में बड़ी-बड़ी मछलियां तैरा करती थीं। वह बड़े चाव से मछलियों की गतिविधियां देखता रहता था। मछलियों का संसार उसे अद्भुत और विस्मयकारी लगता था। झील में नावों का आना-जाना लगा रहता था। एक बार राजकुमार का राजपाट छीन गया था।एक दिन एक राजकुमारी उसे झील के किनारे मिली।राजकुमारी से उसे प्यार हो गया था।दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे थे।राजकुमार उदास रहता था तो राजकुमारी उसे दिल की बात कहने को कहती। वह अपनी बात कुछ इस तरह उससे कहता-
"मैंने बचपन में
कोई सपना नहीं देखा था
न नदी का, न नदी के तीर्थ का
न पहाड़ का, न पहाड़ के देवता का,
न जंगल का, न जंगल की छाया का,
न वर्षा का ,न बारिस की बूँदों का,
न बर्फ का , न बर्फ की फाँहों का,
न राह का, न राहगीर का,
न प्यार का, न प्यार के मौन का,
न शहर का, न शहर के व्यापार का,
न गाँव का, न गाँव की शाम का,
न देश का ,न देश की जिजीविषा का,
न शेर का , न शेर जैसे प्राणी का,
न राजा का, न राज्य का।
मैं स्वाभाविक रहता था
कोई सपना नहीं देखता था,
सपना तो तब आया जब
सब गड्ड-मड्ड होने लगा था,
अस्त-व्यस्त सब दिखने लगा था,
आँसू भी तब आये
जब सब छिटक गया था।"
राजकुमारी उसके हाथ में एक हीरे की अगूँठी रखती है।तभी उनकी दृष्टि झील में पड़ती है और वे वहाँ दो मछलियों की बातचीत सुनते हैं।वे मछलियां भविष्यदर्शी होती हैं।एक मछली कहती है कि," इस राजकुमार की उम्र बीस बरस और होगी अर्थात बीस बर्ष वह प्यार या स्नेह कर पायेगा।" यह सुनकर राजकुमारी सोच में डूब जाती है।क्योंकि उम्र का ज्ञात समय कम लगता है उसे। इतने में दूसरी मछली बोलती है कि," ये दोनों बिछुड़ जायेंगे।" उनका अदृश्य प्यार झील के आसपास कुछ समय तक विद्यमान रहता है।फिर एक था राजा ,एक थी रानी की तरह यह कहानी नहीं बनती है। कुछ समय बाद राजकुमारी अपने राज्य को चली जाती है। राजकुमार को उसके राज्य का छोटा हिस्सा फिर मिल जाता है।वह राजकुमारी की खोज में निकलता है लेकिन राजकुमारी के माता-पिता उसे राजकुमारी से मिलने नहीं देते हैं।वह फिर झील पर आता है और उन मछलियों से पूछता है कि "आगे उसके भाग्य में क्या है?" एक मछली कहती है कि," राजकुमारी का विवाह दूसरे राज्य में हो जायेगा।" दूसरी मछली बोलती है कि," तुम्हें अपना भाग्य स्वयं बनाना होगा।" इतना कहकर दोनों मछलियां झील में खो गयीं।
बर्षों बाद राजकुमारी झील पर आती है और उसे दोनों मछलियाँ दिखती हैं।वह जाल फेंकवाती है, और दोनों को पकड़ लेती है।उन्हें वह अपने राजमहल की झील में रख देती है और नित्य उनके पास आकर राजकुमार के विषय में पूछती है लेकिन मछलियां उसे कुछ भी नहीं बताती हैं। राजकुमारी के बहुत जोर देने पर वे कहती हैं," उनकी भविष्य वक्ता दृष्टि इस झील में आकर समाप्त हो गयी है।" यह सुनकर राजकुमारी उदास हो जाती है और उन्हें उनकी पैतृक झील में छोड़ आती है।
**महेश रौतेला