Redimed Swarg - 21 - Last Part books and stories free download online pdf in Hindi

रेडीमेड स्वर्ग - 21 - अंतिम भाग

अध्याय 21

दूसरे दिन सुबह 10:00 बजे।

भारी हृदय से दो गुलाब की मालाओं को सुंदरेसन की फोटो और  रंजीता की फोटो पर डालकर दुख सहन न कर सकने के कारण दीवार पर सिर रखकर सुरभि बिलक-बिलक कर रोई ।

हेमंत ने उसके कंधे को पकड़ा। उसकी आंखें भी भीगी थी । दामू सोफे पर पसरा हुआ आंख बंद किए हुए था।

"सुरभि....! तुम्हारा ऐसे रोते रहना मेरे मन को बहुत कष्ट पहुंचा रहा है..... इन मौतों को भूल नहीं सकते। फिर भी तुम्हें इसे भूलना ही होगा।.... कल से तुमने कुछ भी नहीं खाया..... आओ..... एक घूंट कॉफी ही पी लो....

बाहर किसी के घंटी बजाने की आवाज आई।

पोर्टिको में से आवाज आई।

उन्होंने मुड़कर देखा।

पुलिस की जीप।

डी.एस.पी. उतर कर अंदर आए।

दामू ने उठ कर उनका स्वागत किया । "आइए... सर..." सुरभि आंखें पोंछकर उनके पास गई। वे अपने कैप को उतार कर तिपाई पर रखकर हेमंत और सुरभि की तरफ आए।

"आपके किडनैप के बारे में एक छोटी सी एंक्वायरी..."

"प्लीज..."

"यह कैसे हुआ आप बता सकते हैं?"

हेमंत ने जो कुछ हुआ उसको विस्तार से सुनाया। वे अपनी दाढ़ी खुजलाते हुए सुन रहे थे - फिर उन्होंने पूछा।

"सो... अनाथाश्रम को रुपये देने के लिए आपने जो योजना बनाई थी वह विपरीत हो गई?"

"हां... सर.."

"मिस्टर हेमंत...! शाहिद, सुरभि के साथ अम्मा-अप्पा इन तीनों जनों को बिना दया के गोली से मारने वाले उस लारी ड्राइवर को और क्लीनर को आपने शूट करके मार दिया यह आपने वीरता का काम किया  हैं.... आपके इस वीरता के काम के लिए... हमारे डिपार्टमेंट की तरफ से आपको वीर पदक देकर सम्मानित करेंगे...."

"यह सब मुझे नहीं चाहिए साहब...."

"नो... नो... यू हैव टू एक्सेप्ट इट...." कहते हेमंत की तरफ गए। "मिस्टर हेमंत! पहले जो हुआ उसके बारे में कुछ संदेह है। उन संदेहों को आपको ही क्लियर करना है...."

"व्हाय नॉट शोयर"

"ट्रक ड्राइवर धनराज, नागू को आपके किडनैपिंग खेल के बारे में कैसे मालूम हुआ?"

"पेट्रोल पंप के टेलीफोन बूथ पर शाहिद ने सुरभि के मदर को फोन किया...."

"हां...."

"उस टेलिफोन बूथ के अंदर खड़े होकर कोई बात करें तो.... बाहर वाले को कुछ भी सुनाई नहीं देगा है ना...."

"स.... सर..."

"यस.... हमने उसे देख लिया..."

"सर... उस टेलीफोन बूथ का कांच टूटा हुआ है क्लीनर नागू बोला।"

"टूटा हुआ था यह सही बात है। फिर भी, उसे सेलो टेप से चिपकाया गया है....."

"सर.... अब आप क्या बोल रहे हो...?"

"आप, सुरभि और शाहिद तीनों के योजना के बारे में ड्राइवर धनराज और क्लीनर नागु को पता था।"

"कैसे सर....?"

"तुम तीनों में से किसी ने बोला होगा।"

"सर.... आर... यू... जोकिंग... हम क्यों बोलेंगे.... उसे क्यों बोलना है?"

"यह रुपये प्राप्त करने वाले ने बताया होगा शायद ?"

हेमंत के चेहरे से पसीना आ गया।

"सर... आप जो बोल रहे हो वह मेरी समझ में नहीं आया...."

"समझ में आने लायक बोल रहा हूं... मिस्टर हेमंत! आप और सुरभि एक दूसरे को जी जान से चाहते हो.... परंतु तुम्हारे मन में एक डर है। आपके प्रेम को सुरभि के माता-पिता बिल्कुल मानेंगे नहीं यह भय था। क्योंकि आप एक साधारण आदमी थे। आपके पास जो एक बात थी वह आपकी सुंदरता मदमस्त शरीर था बस यही। सुरभि में अपने मां-बाप के विरोध में जाकर आपसे शादी करने की हिम्मत नहीं थी। सुरभि के माता-पिता के जिंदा रहने तक आप सुरभि  का हाथ नहीं पकड़ सकते थे..... इसी समय सुरभि ने अनाथाश्रम को दस लाख रुपए देने की इच्छा और एक किडनैपिंग के नाटक करने के बारे में बोला था। आपने तुरंत होशियार हो कर, इस किडनैपिंग नाटक को ही सच बनाकर, सुरभि  के मां-बाप को खत्म करने की सोच लिया था। आपने अपने दोस्त शाहिद से मिलकर विचार-विमर्श किया। शाहिद सिर्फ एक ब्रोकर था । उसकी और धनराज की थोड़ी बहुत जान पहचान थी। धनराज और नागू ऐसे काम को ठीक ढंग से करने वाले थे। सो आपने उन दोनों को अपने गुट में शामिल कर लिया। परंतु, आपके अंदर कुछ रहस्य की बातें थी। उसमें एक बात गोडाउन में जाते ही.. शाहिद को खत्म करना ताकि उसका हिस्सा ना रहे.... उसी तरह से  शाहिद को खत्म कर दिया। सुरभि को तुम्हारे ऊपर किसी भी तरह का संदेह ना हो... इसलिए धनराज से मार खाई... बचने जैसा नाटक किया, फिर फंस गए। इस ब्लैकमेल के अंदर ही सुरभि के मां-बाप को धनराज ने खत्म कर दिया | उससे तुम को अंदर ही अंदर खुशी हुई । परंतु उस खुशी में एक खटका धनराज और नागु थे। वे रुपयों को लेकर अपने गांव चले जाएंगे ऐसी योजना थी। तुम्हें लगा कभी ना कभी वह वापस आएंगे और तुम्हें ब्लैकमेल करेंगे तुम्हें डर लगा। सो.... धनराज ने उम्मीद भी नहीं की उस समय उससे रिवाल्वर छीन कर उसे और नागु दोनों को तुमने मार डाला। अपने  को और एक लड़की को उन खतरनाक लोगों से बचाने के लिए आपने दोनों को मार दिया.... कानून के हिसाब से आपको दंड नहीं मिलेगा यह आपको अच्छी तरह पता था। इसीलिए आपने उन दोनों को मार दिया! आपको कुछ भी नहीं मालूम जैसे.... सुरभि से अपने नाटक की योग्यता को दिखा रहे हो...."

हेमंत स्तंभित रह गया। उसके सूखे होंठ स्वयं कांपने लगे, "नहीं ...यह सब झूठ है...."

"झूठ....? हेमंत सच क्या है मालूम नहीं है जैसे नाटक मत करो.... अभी मैंने बोला है और किसका स्टेटमेंट है पता है?"

"किसका.. किसका.…?"

"ये धनराज का स्टेटमेंट है ।"

डी.एस.पी. मुस्कुराए ।

"हेमंत ऐसे क्यों देख रहे हो....? तुम्हारे बंदूक की गोली का बली होने वाला सिर्फ नागु ही है। धनराज सिर्फ जख्मी हुआ। उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया। वह जिंदा है। इस बात को बाहर बताए बिना इंक्वायरी की। तुम्हारी योजना साफ नजर आ गई।"

कहकर हॉल के किनारे में खड़े इंस्पेक्टर को इशारा किया । वे हथकड़ी लेकर हेमंत के पास गए।

"आपने रिवॉर्ड की उम्मीद की थी.... अभी हमारे डिपार्टमेंट में यही संभव हुआ...."

हेमंत के हाथ में हथकड़ी डाल दी।

सुरभि ने नए सिरे से रोना शुरू किया -दामू उसके सिर को सहलाने लगा।

समाप्त

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