रेडीमेड स्वर्ग - 4 S Bhagyam Sharma द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

श्रेणी
शेयर करे

रेडीमेड स्वर्ग - 4

अध्याय 4

हाईवे के बीच सड़क पर - एक पेट्रोल पंप - के पास - टेलीफोन बूथ से बात करके बाहर आया शाहिद । साफ-सुथरे कपड़े पहने हुए शाहिद की उम्र 30 साल के अंदर ही थी । लंबे गोल चेहरे पर मूछें गायब थी। उसकी कलमें लंबी थी। गले में पेंडेंट के साथ बहुत सुंदर सोने की जंजीर पहनी थी ।

बूत से दूर खड़े - सफेद मारुति जल्दी से उसके पास पहुंचा – वह दरवाजे को खोलकर अंदर गया। ड्राइविंग सीट पर बैठा।

पीछे की सीट पर बैठी - एक साप्ताहिक पत्रिका को सुरभि पलट रही थी - उसके पास बैठा - कान में वॉकमैन को दबाकर हेमंत ने भी गर्दन ऊपर उठाई। सुरभि ने हंसते हुए पूछा।

"क्या बात है शाहिद.... अम्मा से बात हुई....?"

शाहिद थूक निगल कर - पसीने के चेहरे को रुमाल से पोंछ कर सिर हिलाया।

"हां बात कर ली...."

सुरभि अपने पूरे दांतों को दिखाते हुई हंसी।

"शाहिद ! क्यों इतना डर रहे हो.... बी... रिलैक्स ! करने वाला कोई काम विपरीत भी हो सकते हैं....."

हेमंत वॉकमैन को उतारकर - मुस्कुराया। वह सुंदर युवा था। सुरभि की सुंदरता को मात दे रहा था। स्वप्निल आंखें। और उसके जैसे सुंदर। पिछले साल तक सुरभि का रसिक। अब उसका प्रेमी।

"अबे.... शाहिद....!"

"हां..."

"योजना को शुरू करते समय ही तू क्यों रे इस तरह पसीना-पसीना हो रहा है...? सुरभि के बहुत दिनों की इच्छा को पूरी करने के लिए ही.... पिछले एक हफ्ते से प्लान बनाकर - आज योजना को क्रियान्वित कर रहे हैं। और एक घंटे के अंदर अनाथाश्रमों में पैसे पहुंच जाएंगे...."

"वे पैसों को ले जाकर देंगे क्या...?"

सुरभि ने आंखों को मिचकाया। "पक्का ले जा कर देंगे...."

"कहीं वह पैसे को बड़ा मान कर.... पुलिस में चले जाएं तो...?"

"नहीं जाएंगे....! मुझे मेरे मदर-फादर के बारे में ज्यादा पता है।"

"दामू....?"

"वह मेरे मां का भाई ही तो है...? वह भौंकने वाला कुत्ता है। काटेगा नहीं। शाहिद ! इस किडनैप के नाटक को सीरियस मैटर मान..... घबराइए मत....! मैं लाखों में कमाऊँ..... तो भी मेरी इच्छा के अनुसार खर्च करने के लिए मेरा घर में कोई अधिकार नहीं है। कितने अनाथाश्रमों से पैसों की मदद के लिए आने वाले लोगों को मेरे अम्मा-अप्पा बुरी तरह डांट कर भगाते हैं.... अम्मा-अप्पा से मैं बहस नहीं कर सकती मेरी आदत नहीं है। इसीलिए मैं उन सब को देख कर भी अनदेखा कर देती..... एक-एक अनाथाश्रमों को एक लाख रुपये तक देना है यह मेरी इच्छा है। इस योजना को सबसे पहले हेमंत को बोला वह भी डरा। उसके बाद मेरी यह इच्छा सही है उसे संसझकर वे राजी हुए। 50 मिनट के अंदर यह योजना खत्म हो जाएगी। तुम दोनों को सिटी के लिमिट में छोड़कर मैं रिकॉर्डिंग थिएटर में चली जाऊंगी..."

सुरभि के बोलते समय ही-

कार के दरवाजे के पास एक चेहरा दिखाई दिया-हंसते हुए दांत दिखाते हुए। "ऐसी....  बात....? बात ऐसी जा रही है क्या....?" तीनों जने घबराकर देखने लगे।

उस चेहरे ने हंसी और बड़ी की। धीमी आवाज में बोला।

"टूटे कांच के दरवाजे के अंदर से टेलीफोन बूथ के अंदर बात करने से ऐसे ही होता है .... विषय बाहर आ जाता है..... पेट्रोल पंप के पास से बात करते समय, आस-पास कोई देख तो नहीं रहा... देख कर बात करना चाहिए.... नहीं तो.... डीजल लेने आए मुझे कैसे पता चलता....?"

हेमंत हाइपर हो गया।

"कौन है तू...? तुम अपने काम को देख कर जाओ? "शाहिद!...गाड़ी निकालो.."

शाहिद स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा -वह अपने हाथ में जो पिस्तौल था उसे तान दिया और हेमंत के माथे पर लगा दिया...।

"कार सरकी तो... तुम्हारा सर फट जाएगा...."

शाहिद ने जल्दी-जल्दी गाड़ी को बंद किया। हाथ में पिस्तौल रखने वाला कार के दरवाजे को खोलकर - हेमंत के नजदीक सटकर बैठ गया। पिस्टल अब हेमंत के पेट पर लगा दिया उसके दूसरे हाथ में 5 लीटर डीजल का डिब्बा था।

"यह ..देखो... तुम में से किसी ने भी जिद्द की तो मार दूंगा। मैं एक ट्रक का क्लीनर हूं। मैं जिस ट्रक से आया हूँ वह यहां से एक किलोमीटर दूर बिना डीजल के खड़ी हुई है..... इस पेट्रोल पंप पर डीजल लेने आया... यूरिन पास करने टेलीफोन बूथ के पास से, मेरे कान पर इस आदमी की बात करने की आवाज सुनाई दी। तुम तीनों गलत हो.... यह जानकर... पिस्तौल के बल पर तीनों को कब्जे में ले लिया..... तुम्हें आश्चर्य हो सकता है। इस हाइवे के रोड में ट्रक को रोक कर उन्हें लूटने वाला वाला एक गैंग यहां पर है.... उनसे बचने के लिए हमारे ट्रक के ओनर ने ड्राइवर और मुझे एक-एक पिस्तौल दिया है। उस पिस्तोल का ऐसा एक उपयोग भी होगा मैंने कभी सोच कर भी नहीं देखा था....."

हेमंत एकदम दम साधे बैठ गया फिर बोला "यह देखो भाई.... हमने जो योजना बनाई वह एक खेल जैसा है..... किसी ने किसी को किडनैप नहीं किया..... यह.... है न..'

"बोलो मत..."

हेमंत घबराए हुए कांपते हुए गले से बीच में बोला। "मेरे शर्ट के पॉकेट में 2000 रुपये हैं। उसे ले लो। हमें देखे बिना चल दो।"

"अनजान बनकर जाने लायक तुम लोग नहीं हो.... यह गाड़ी हमारे ट्रक के पास आ जाना चाहिए..... ड्राइवर भैया से यह सारी बातें बतानी है। वे मिलिट्री में ट्रक चलाने वाले थे। उनके पास तुम्हारे बारे में बोलेंगे...... हां कार को उठाओ....."

शाहिद घूम कर देखा। हेमंत के बगल में रिवाल्वर लगा हुआ था।

"क्या सोच रहे हो...? कार को चलाओ.... नहीं तो इसे मार दूंगा..."