रेडीमेड स्वर्ग - 6 S Bhagyam Sharma द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रेडीमेड स्वर्ग - 6

अध्याय 6

शाहिद पसीने से लथपथ हुए कार को चलाने लगा। हेमंत और सुरभि डर के मारे एक दूसरे को देख थूक को निगले।

"बिना हिले डुले बैठो....." पिस्तौल को पकड़े आदमी ने बोला जिसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी।

एक किलोमीटर दूर जाने के बाद--

एक बड़े इमली के पेड़ के नीचे-- 'एक क्लोज बॉडी ट्रक खड़ा था – वहाँ एक लूंगी वाला आदमी बीड़ी को पीकर धुआं छोड़ रहा था । उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे । उसका सर मुंडा हुआ था, छोटे-छोटे बाल आए हुए थे। बटन लगे शर्ट में से पेट निकल के दिख रहा था।

"उस ट्रक के पीछे ले जाकर गाड़ी को रोको।”

शाहिद ने ले जाकर रोका।

"....."

"क्यों रे घूर-घूर कर देख रहा है.... नीचे उतर...."

शाहिद संकोच से दरवाजा खोल कर उतरा - बीड़ी पी रहा ट्रक ड्राइवर - बीड़ी को फेंक कर आश्चर्य के साथ देखा । आंखों को पढ़ते हुए पूछा।

"क्यों रे .... नागु पिस्तौल के साथ.... कार में बैठकर आ रहा है.... डीजल लेकर आने की जगह कोई तमाशा हुआ क्या ?"

क्लीनर नागु उसे देख कर मुस्कुराया। "धनराज भैया...! यह एक दूसरी बात है.... मैं तसल्ली से बताता हूं...... पहले इस डीजल को लेकर ट्रक में डालिए..... मैं इन्हें नीचे उतार कर ट्रक के केबिन में ले कर आता हूं।"

"अबे....! तू विचित्र प्राणी है.... कोई विपरीत काम करके पुलिस स्टेशन तक मत लेकर चले जा..... पहले बात को बता। इन लोगों को देखो तो डीसेंट लोग दिख रहे हैं...... बड़े घर के लोग जैसे दिख रहे हैं...."

धनराज भैया! उनके बारे में आपको पता नहीं हैं ? किस तरह एक बेकार सी योजना बनाई है पता है आपको.....?"

"योजना...?"

"...." सुरभि, हेमंत और शाहिद की योजना के बारे में बताया - धनराज का चेहरा तरह-तरह से बदला। शर्ट के पैकेट में जो बीड़ी का पैकेट था उसे निकालकर बोला।

"कहानी ऐसी है क्या...?"

"हां भैया....!"

"इस लड़की को कहीं देखा जैसे लग रहा है.... हां....! पहले तीनों जनों को ट्रक में चढ़ाओ.... अपनी जगह ले जाने के बाद फिर वहां बात करते हैं...."

नागु अपने हाथ में रखे पिस्तौल से सुरभि और हेमंत को सरकाया। "हुंम... उतरो...."

वे उतरे।

उनके उतरते ही - नागु पिस्तौल से तीनों जनों को - ट्रक के आगे की तरफ खड़ा करके - शटर को ऊंचा किया।

"तीनों अंदर जाओ...."

हेमंत कुछ बोलने लगा - नागु ने उसके गाल पर चांटा मारा। "बिना बोले.... अंदर जा.... तुम्हारे न्याय-अन्याय की बातें हमारे यहां जाकर फिर बात कर लेंगे।"

तीनों जने अंदर गए। आधे केबिन में चीनी के बोरियां थी। जो दिखाई दे रही थी।

"अंदर तुम्हें थोड़ा सांस लेने में तकलीफ होगी.... परंतु मरोगे नहीं.... दस मिनट में अपने यहां पहुंच जाएंगे।" बोलते हुए नागु ने शटर को बंद कर दिया और बाहर की तरफ से ताला लगा दिया ।

डीजल को ट्रक में डालने के बाद धनराज आया।

"उन्हें रखकर ताला लगा दिया....?"

"हां..."

"कार का क्या करें....?"

"कार को भी अपने गोडाउन में लेकर जाना पड़ेगा। मैं कार को चलाता हूं आप ट्रक को चलाइए..."

"वही ठीक है..."

-नागू कार के पास गया - ड्राइविंग सीट पर बैठकर रवाना हुआ।

कार सामने की ओर दौड़ने लगी --

ट्रक उसके पीछे चलने लगा।

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