श्रापित आईना Saroj Verma द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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श्रापित आईना

अच्छा तो बच्चों कैसा लगा घर?
समीर ने सारांश और कृतज्ञता से पूछा।।
घर तो बहुत ही अच्छा है पापा लेकिन आपको नहीं लगता कि शहर से थोड़ा दूर है,सारांश ने अपने पापा समीर से कहा।।
हां दूर तो है लेकिन इतना बड़ा घर शहर के अंदर मिलना आसान नहीं था और ना शोर ना शराबा, एकदम शांत जगह है और फिर इतना बड़ा बगीचा भी तो है,बगीचे में झूला भी डला है और सामने इतना खूबसूरत तालाब है जिसमें बतखें तैर रही है अभी रह लो,तुम लोगों का मन ना लगे तो फिर से शहर वाले घर में वापस चल चलेंगे, अभी शहर वाला घर बेचा थोड़े ही है।।
ठीक है पापा!!सारांश बोला।।
अरे,समीर कहां हो? समृद्धि ने आवाज लगाई।।
यहां हूं, डियर!! बालकनी में बच्चों के साथ,समीर बोला।।
समीर तुम्हें नहीं लगता कि तुमने कुछ ज्यादा बड़ा घर खरीद लिया है ,वो भी इतनी पुरानी डिजाइन का और खरीदने से पहले ना ही पूछा और ना ही दिखाया,बस सीधे सरप्राइज बोल कर रहने के लिए लिवा लाए, समृद्धि शिकायत करते हुए बोली।।
तुम भी ना डार्लिंग!! इतना नाराज़ क्यो होती हो?अभी दो महीने तक तो बच्चों की छुट्टियां है, अभी रहकर देख लो , नहीं मन लगा तो शहर वाले घर में वापस चल चलेंगे, इतनी टेंशन मत लो अभी पुराना घर बेचा थोड़े ही है,समीर ने समृद्धि को समझाते हुए कहा।।
ठीक है,तुम कह रहे हो तो, समृद्धि बोली।।
तो फिर चलों,आज ही इस घर के लिए कुछ एंटीक पुराना फर्नीचर खरीद कर लाते हैं,अब घर एंटीक है तो फर्नीचर भी एंटीक ही होना चाहिए।।
यार! मैं आराम करना चाहता था, ऐसा करो मैं बच्चों के साथ घर पर रहता हूं तुम जाकर ले आओ,समीर बोला।।
समीर तुम्हारा हमेशा से यही रहता है, शुरुआत तो तुम कर देते हो, खत्म मुझे करना पड़ता है, समृद्धि बोली।।
चली जाओ ना डार्लिंग,समीर बड़े प्यार से बोला।।
अच्छा ठीक है अपना कार्ड लाओ,मैं अपने पैसे खर्च नहीं करूंगी, समृद्धि बोली।।
लो भाई,ऐसी भी क्या बात है?समीर ने कहा।।
और जाते जाते समृद्धि बोली, बच्चों को कुछ फ्रूट्स काटकर खिला देना।।
ठीक है!! समीर बोला।।
अच्छा, बच्चों तुम लोग यही खेलों, मैं तुम लोगों के लिए फ्रूट्स काटकर लाता हूं,समीर ने कहा।।
ओ.के.पापा बच्चों ने कहा।।
समीर किचन की ओर गया, बैग में से कुछ एपल और चाकू निकाले और प्लेट में काटने लगा तभी उसकी उंगली में चाकू लग गया, चाकू ज्यादा तेजी से लगा था,खून टपक टपक कर नीचे फर्श पर गिर रहा था,समीर को कोई भी कपड़ा नहीं मिल रहा था कि वो हाथ में लगा लें क्योंकि अभी सामान अनपैक नहीं हुआ था, उसने अपना रूमाल निकाला और उंगली पर रख लिया,देखा तो किचन के फर्श बहुत सारा खून टपक गया था।।
फिर सारांश को आवाज देकर बुलाया..बेटा सारांश.. देखना बेटा,जरा टेबल पर नेपकिन पेपर रखें होगे,ले आना यहां फर्श पर खून गिर गया है।।
जी पापा लाया!! और सारांश ने नेपकिन पेपर ले आया।
समीर ने सारांश से कहा,बेटा खून तो पोछना।।
किस जगह पाप, सारांश ने पूछा।।
समीर बोला,इधर पर जहां मैं पहले खड़ा था।।
लेकिन पापा आप कहां खड़े थे, यहां तो कहीं भी खून नहीं दिखाई दे रहा।।
फिर समीर ने ध्यान से देखा, वाकई खून कहीं नहीं था।।
समीर बोला, अभी तो यही था, कहां गया।।
पापा लगता है आपको कोई वहम हुआ है,सारांश बोला।।
नहीं बेटा,देख मेरी उंगली कटी है,समीर ने उंगली से रूमाल हटाया तो वाकई वहां कोई भी चाकू से कटे का निशान नहीं था।।
लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है,समीर सोच रहा था।।
फिर उसने कटे हुए फल बच्चों को दे दिए और बैठकर सोचने लगा कि ऐसा कैसे हुआ।।
थोड़ी देर में कृतज्ञता बोली, पापा मैं तालाब के पास जाऊं,बतख देखने।।
समीर बोला, ठीक है लेकिन पानी के नजदीक मत जाना,बस बतखो के साथ खेलकर वापस आ जाना।।
कृतज्ञता बोली, थैंक्यू पापा और चली गई खेलने।।
उधर समीर झूला झूल रहा था तो पता नहीं एक मरा हुआ चमगादड़ पेड़ से उसके ऊपर गिरा,वो चीखकर झूले से दूर भागा।
चीख सुनकर,समीर बाहर आया,पूछा कि क्या हुआ?
सारांश ने कहा, पापा देखिए,ये कुछ मेरे ऊपर पेड़ से गिरा था तो मैं डर गया।।
समीर बोला,ये तो चमगादड़ है, यहां जंगल ज्यादा है इसलिए शायद आ जाते होंगे।।
तब तक कृतज्ञता भी आ गई थी चीख सुनकर, उसके हाथों में एक पुरानी सी गुड़िया थी।।
समीर ने पूछा,ये कहां से मिली।।
कृतज्ञता बोली, पापा!! उधर तालाब के पास एक लड़की बेटी थी लम्बे बालों वाली,उसी ने दी।।
समीर बोला, ठीक है।।
तब तक समृद्धि भी आ गई थी शापिंग करके, एक छोटा ट्रक भी था सामान से भरा हुआ,वो अपनी पसंद का फर्नीचर ले आई थी।।

समृद्धि कार से उतरी और आकर बोली,देखो तो मैं क्या क्या लाई हूं!! लेकिन समीर का चेहरा देखकर उसका सारा उत्साह खत्म है गया।।
उसने पूछा,क्या हुआ समीर ऐसा उतरा हुआ सा चेहरा क्यो है?
तभी,सारांश बोल पड़ा,मम्मा मैं बताता हूं,पता है पापा को वहम हो गया था कि उनकी उंगली कट गई और फर्श पर खून बिखरा पड़ा है, मुझसे नैपकिन लाने को कहा और मैं ने देखा वहां कुछ भी नहीं था, उंगली पर पापा ने रूमाल लपेटा था, रूमाल हटाया तो कोई भी चाकू से कटे का निशान नहीं था।।
समृद्धि में सुनकर हंस पड़ी बोली, तुम भी समीर!!
समीर ने उस समय तो झूठी मुस्कान बिखेर दी लेकिन वो अब भी असमंजस में था कि आखिर किचन में जो हुआ वो वहम था या सच।।
समृद्धि बोली,चलो अब जो सामान मैं लाई हूं,वो देखते हैं देखो कितना पुराना है, राजा-महाराजाओं के समय का और महंगा भी,
कुछ कुर्सियां, कुछ स्टूल,एक बड़ा सा आइना, कुछ पुरानी पेंटिंग थी, उनमें से एक पेंटिंग ऐसी थी जो कि एक परिवार थी,उस पेंटिंग में भी चार सदस्य थे, मां-बाप, बेटी और बेटा,उस तस्वीर की खासियत थी कि किसी भी दिशा में खड़े होने उसकी ओर देखने पर ये लगता था कि उस तस्वीर में खड़े सदस्यों की आंखें हमें घूर रही है,इसी खासियत की वजह से समृद्धि उसे खरीदकर लाई थी,साथ में एक पुराना आईना भी था,जो कि उसी परिवार का था जिस परिवार की वो तस्वीर थी,तभी कृतज्ञता उस आईने के सामने जाकर खुद को निहारने लगी,तभी अचानक उसे लगा कि उसमें से एक हाथ बाहर निकला और उसने कृतज्ञता को दबोचने की कोशिश की,ये सब देखकर कृतज्ञता चीखकर उस आईने के सामने से भागी।।
उसकी चीख सुनकर समृद्धि और समीर बहुत ही डर गए और उसके पास जाकर उसके चीखने का कारण पूछा.....
कृतज्ञता समृद्धि के सीने से लग गई और बोली....
मम्मा! उसमें से एक हाथ निकला और उसने मुझे दबोचने की कोशिश की।।
ये सुनकर समृद्धि हँस पड़ी लेकिन समीर सोच में पड़ गया....
फिर समृद्धि और समीर ने कुछ समान अनपैक किया और किचन का तो सारा सामान सेट भी कर दिया।।
समृद्धि ने अच्छी सी जगह देखकर उस तस्वीर और उस आईने को साथ साथ लगा दिया, समृद्धि अपने साथ खाने के लिए रात का खाना भी ले आई थी पैक करवा कर आते समय, फिर सबने खाना खाया और सोने चले गए क्योंकि अभी टीवी फिक्स नहीं हुआ था।।
एक कमरे में समीर और समृद्धि और दूसरे कमरे सारांश और कृतज्ञता और दोनों का बिस्तर अलग-अलग था।।
कृतज्ञता वो गुड़िया भी अपने बगल में लेकर सोई, थोड़ी देर तक कृतज्ञता गुड़िया से बात करती रही फिर सो गई उधर सारांश अपने बिस्तर पर स्टोरी बुक पढ़ रहा था तभी अचानक वो गुड़िया धम्म से सारांश के सीने पर जा गिरी,सारांश ध्यानमग्न होकर पढ़ रहा था, गुड़िया के ऐसे अचानक सीने पर गिरने से डर गया, उसे लगा ये गुडिया कृतज्ञता ने फेंकी है उस पर।।
उसने फ़ौरन कहा,ये कैसा मजाक है कृतु !!
उसने फिर से कृतज्ञता को आवाज दी लेकिन कृतज्ञता गहरी नींद में थी वो नहीं उठी फिर सारांश बिस्तर से उठा और पास जाकर देखा लेकिन कृतज्ञता तो गहरी नींद में सोई हुई थी फिर ये गुडिया कैसे आई मेरे ऊपर... फिर उसने किताब में ध्यान लगा लिया कुछ देर में उसे नींद आ गई।
दूसरे दिन सब उठे, समृद्धि ने चाय बनाई और समीर को आवाज देकर बुलाया कि चाय पी लो।।
दोनों लोग बालकनी में बैठकर चाय पीने लगे, तालाब के ऊपर उगते हुए सूरज की लाली बहुत ही सुंदर लग रही थी।।
समृद्धि बोली,अब मुझे लगता है तुमने ये घर खरीद कर अच्छा ही किया,कम से कम रोज उगता हुआ सूरज तो देखने को मिलेगा।।
तब तक दोनों बच्चे भी जग गये और साथ ही बालकनी में आ गये।।
कृतज्ञता के हाथ में गुड़िया थी, उसने समृद्धि से कहा कि मैं बतख देखने तालाब पर जाऊं।।
समृद्धि ने कहा,सुबह सुबह बेबी।।
हां, मम्मा जाने दो ना अभी आती हूं, कृतज्ञता बोली।।
समृद्धि बोली , ठीक है जाओ लेकिन जल्दी आना।।
यस मम्मा , इतना कहकर कृतज्ञता चली गई।।
समृद्धि तैयार होकर किचन में नाश्ता बनाने लगी,जब नाश्ता बना गया तो उसने सबको बुलाया,समीर और सारांश तो आ गये लेकिन कृतज्ञता नहीं आई।।
समृद्धि ने पूछा,कृतु कहां है?
दोनों ने कहा हमें नहीं मालूम।।
अच्छा तो तबसे कृतु लौटी ही नहीं,तुम लोग खाना शुरू करो,मैं कृतु को लेकर आती हूं,सुबह से बतखों के साथ खेल रही है, समृद्धि इतना कहकर बाहर आ गई।।
उसने दूर से तालाब की ओर देखा तो कृतु किसी लड़की के साथ तालाब के किनारे बैठी है,दोनों ही पीठ करके बैठी थी किसी का चेहरा नहीं दिख रहा था,बस उस लड़की के लम्बे लम्बे बाल दिख रहे थे, समृद्धि धीरे धीरे उनकी ओर बढ़ने लगी तभी अचानक समृद्धि के पैर में कुछ चुभा,उस समय वो स्लीपर भी पहने थी तब भी,अब उसका ध्यान पैर ओर गया और वो झुककर देखने लगी,देखा तो कुछ भी नहीं था उसका ध्यान फिर कृतज्ञता की ओर गया उसने देखा कि वहां अब वो दोनों वहां नहीं है, उसने मन में सोचा अभी तो यही थीं,एक पल में कैसे गायब हो गई।।
तभी उसे पीछे से कृतज्ञता ने आवाज दी,मम्मा आप यहां, मैं तो आने वाली थी।।
समृद्धि ने पूछा और वो दूसरी लड़की कौन थी?
अरे,वो दीदी जिसने कल मुझे ये गुड़िया दी थी,वो तो आज आई ही नहीं, कृतज्ञता बोली।।
अच्छा ठीक है और ये पुरानी सी गुड़िया,इसे यहीं छोड़ दो,मैं तुम्हें नई गुड़िया ला दूंगी, समृद्धि ने कृतज्ञता से कहा।।
और गुड़िया को वहीं तालाब के किनारे छोड़कर चली गई,मां बेटी चली गई।।
लेकिन समृद्धि सोच रही थी आखिर वो दोनों कौन थीं?
फिर दोपहर के समय सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में आराम करने चले गए लेकिन समृद्धि बोली मैं किचन के काम निपटा कर आती हूं।।
थोड़ी देर बाद समृद्धि किचन से होती हुई उसी कमरे से गुजरी जहां वो पुरानी तस्वीर टंगी हुई थी उसने गौर किया तो तस्वीर में से एक सदस्य कम था वो थी लड़की जो कि इस समय उसे तस्वीर में नहीं दिख रही थी उसने फ़ौरन समीर को आवाज दी,
समीर दौड़कर आया और पूछा कि क्या हुआ?
समृद्धि ने कहा इस फोटो में से लड़की गायब है।।
समीर ने तस्वीर देखी, बोला नहीं तो तुम्हें कोई वहम हुआ है।।
समृद्धि ने फिर से तस्वीर की ओर देखा वो लड़की अब वहां मौजूद थीं,अब समृद्धि को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।।
समीर वहां से चला गया, समृद्धि ने तस्वीर देखी तो उसे लगा कि वो लड़की उसे देखकर मुस्कुरा रही है।।

शाम को समीर ने टी वी फिक्स कर दिया और समृद्धि ने चाय और ब्रेड-पकौड़े बनाए और सबसे कहा कि बाँलकनी में चलो वहीं बैठकर चाय पियेंगे और पकौड़े खाएंगे।।
सब बाँलकनी में आए,शाम को डूबते सूरज का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था,सब मिलकर बातें कर रहे थे और पकौड़ों का आनन्द ले रहे थे।।
तभी अचानक एक मरा हुआ बड़ा सा चमगादड़ समृद्धि की गोद में जा गिरा, समृद्धि डर के मारे जोर से चीख पड़ी__
समीर ने कहा ....
रिलैक्स समृद्धि..... रिलैक्स और समीर ने उस चमगादड़ को उठाया, वहीं दूर ले जाकर एक गड्ढा खोदा और चमगादड़ को दफना दिया।।
समृद्धि बोली,मैं नहाकर आती हूं और वो नहाने चली गई।।
थोड़ी देर बाद शाम होने लगी, और चारों तरफ अंँधेरा गहराने लगा था, कहीं से झांय झांय करके झींगुरो की आवाज आ रही थी तो कहीं ना कहीं किसी ना किसी पंक्षी की आवाज सुनाई ही दे जाती,रात में वैसे भी कोई भी आवाज डरावनी लगती है।।
रात के आठ बज चुके थे, समृद्धि ने कहा चलो सब खाना खा लो ,खाना बन गया है और सब खाना खाने बैठे, समृद्धि जहां बैठी थी उसके सीधे सामने खिड़की पड़ रही थी उसे ऐसा लगा कि खिड़की के बाहर कोई है लेकिन आस-पास जो घर है वो भी बहुत दूर दूर है, कोई यहाँ टहले ऐसा कैसे कोई हो सकता है फिर वो उन सब से अपना ध्यान हटाकर खाना खाने लगी,सबका खाना ख़त्म होने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए , समृद्धि बोली मैं किचन और टेबल साफ करके आती हूं, समृद्धि टेबल साफ कर रही थी एकाएक उसे फिर लगा कि खिड़की के बाहर कोई है उसने इस बार खिड़की से झांक कर देखा तो उसे दूर अंधेरे में चार लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए नजर आए, उसने बहुत ध्यान से देखना चाहा लेकिन उनके चेहरे नहीं दिख रहे थे, उसे लगा होगी कोई आस पास की फैमिली जो खाना खाकर टहल रही होगी उसने ज्यादा ध्यान दिया नहीं दिया और गंदी प्लेट्स किचन में रखकर वापस आई तो वो उस तस्वीर को देखकर हैरान हो गई उसने देखा कि वो चारों उस तस्वीर में नहीं है जो वो लेकर आई थी, उसने खिड़की से फिर बाहर झांक कर देखा तो हुबहू वही चारों लोग खिड़की के बाहर खड़े होकर समृद्धि को देखकर मुस्कुरा रहे थे।।
अब तो समृद्धि की बुरी तरह चीख निकल गई,उसकी चीख सुनकर सब भागे भागे आए ,
समीर ने समृद्धि से पूछा कि क्या हुआ?
फिर समृद्धि ने सब घटना कह सुनाई, समृद्धि की बात सुनकर समीर ने तस्वीर की ओर देखा तो तस्वीर में चारों लोग थे,समीर ने कहा, समृद्धि वो देखो तस्वीर सब ठीक है,तुम भी ना, फ़ालतू में डरा दिया।।
अब समृद्धि की समझ से सब कुछ परे था, ऐसे कैसे हो सकता है, मैंने ध्यान से देखा था वो लोग तस्वीर में नहीं थे।।
समृद्धि सोने आ गई और यही सोचते सोचते सो भी गई।।
करीब आधी रात को समृद्धि को लगा कि किचन से कुछ आवाजें आ रही है, उसने समीर को जगाया लेकिन समीर गहरी नींद में था वो नहीं जागा, बोला समृद्धि तुम खुद ही देख लो।।
समृद्धि किचन में धीरे धीरे और डर डर कर आ रही थी उसने किचन की लाइट आँन की देखते ही उसकी चीख निकल पड़ी, वहां बहुत सारे चमगादड़ लहुलुहान मरे हुए पड़े थे, जहां देखो वहीं खून बिखरा पड़ा था वो बेडरूम की ओर भागी,समीर को जगाने,जब तक वो समीर के साथ लौटी वहां कुछ भी नहीं था।।
समीर बोला,
समृद्धि तुम्हें हो क्या गया है?,जब देखो तब तुम कुछ ना कुछ अजीब सा ही बोलती रहती हो।।
हां...समीर... यहां पड़े थे,मरे हुए चमगादड़,मैं झूठ नहीं कह रही, समृद्धि बोली।।
समीर बोला अभी सोने चलो, बहुत रात हो गई है,कल बात करते हैं और समृद्धि सोने चली गई लेकिन उसे ऐसे हालात में नींद कहां से आ सकती थी....
सुबह हुई समृद्धि और समीर बालकनी में बैठ गए,समृद्धि बहुत ही अनमनी थी,कल रात की पहेली वो सुलझा नहीं पा रही थी कि वो सब झूठ था लेकिन झूठ कैसे हो सकता है फिर अचानक कैसे सब गायब हो गया।।
तभी अंदर से कृतज्ञता अपनी आंखें मलते हुए आकर बोली,गुडमार्निग.....मम्मा,गुडमार्निग... पापा.... समृद्धि ने देखा कि कल वाली गुड़िया कृतज्ञता के हाथों में है।।
तभी समृद्धि ने कृतज्ञता से पूछा,कल तो हम लोग ये गुड़िया तालाब किनारे फेंक आए थे ये वापस कैसे आ गई।।
पता नहीं ,मम्मा मैं रात को जब सोने गई थी तो ये मेरे बिस्तर पर पहले से थी, मुझे लगा आप ने लाकर रख दी होगी, कृतज्ञता बोली।।
लेकिन मैंने तो नहीं रखी, समृद्धि बोली।।
अब समृद्धि बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी थी,ऐसी अनचाही सी चीजें जो हो रही थीं जिसे वो समझ नहीं पा रही थी।।
थोड़ी देर बाद समृद्धि ने नाश्ता बनाया सबने नाश्ता किया, फिर समृद्धि बोली बच्चों जाओ तुम लोग बाहर खेलों, अभी लंच के लिए थोड़ा टाइम है तब तक मैं बचा हुआ सामान भी अनपैक कर देती हूं,समीर बोला ठीक है मैं भी लैपटॉप पर कुछ आफिस के काम निपटा लेता हूं, कुछ हेल्प चाहिए तो बता देना।
समृद्धि बोली ठीक है तुम जाओ, मुझे हेल्प चाहिए होगी तो बुला लूंगी।।
थोड़ी देर बाद समृद्धि सामान के पास पहुंची, कमरे में अंधेरा सा था उसने लाइट आँन की, जैसे ही लाइट आँन की बल्ब फ्यूज हो गया किर्र....किर्र...की आवाज के साथ,तब समृद्धि ने खिड़की खोल ली, उसने अलमारी खोली फिर कपड़ों के भरे कुछ कार्टून खोले और जैसे ही अलमारी में कपड़े रखने को मुड़ी उसने अलमारी की सामने वाली सीध में रखें आईने में देखा कि एक औरत अलमारी में कपड़े रख रही है तभी उसने अलमारी की तरफ देखा वहां कोई नहीं था उसने फिर आईने की ओर देखा तो वो औरत फिर से कपड़े अलमारी में रखती हुई नजर आई उसने फिर अलमारी की देखा तो वहां कोई नहीं था, तभी समृद्धि जोर से चीखने की हुई लेकिन उसके मुंह पर किसी ने हाथ रख रखा था और उसके दोनों हाथों को पीछे से पकड़ रखा था, थोड़ी देर की मेहनत मसक्कत के बाद समृद्धि अपने आपको छुड़ा कर बाहर की ओर भागने लगी तभी कार्टून में से एक बड़ा सा हाथ निकला और उसके पैर को जोर से पकड़ लिया, समृद्धि अब जोर से चीखी,चीख सुनकर समीर भागकर आया,तब तक वो हाथ गायब हो चुका था।।
समृद्धि डर के मारे समीर से लिपट गई और हकलाते हुए बोली,समीर... यहां जरूर कुछ है,इस बार तुम्हें मेरी बात माननी होगी।।
समीर बोला, ठीक है... ठीक है...अभी शांत हो जाओ।।
समृद्धि बोली,इस घर में कुछ है।।
समीर बोला, अभी तुम चलो थोड़ा आराम कर लो, मैं बच्चों को बाहर से बुलाता हूं।।
समृद्धि सो गई,दोपहर में समीर ने दाल चावल बनाया और समृद्धि को जगाकर बोला चलो खाना खा लो, सबने खाना खाया और सब टी वी देखने में लग गए।।
समीर बोला,अब मैं आराम करने जा रहा हूं,समीर बेडरूम में आकर किताब पढ़ने लगा, तभी उसने किताब से नजर हटाई तो देखा कि एक बूढ़ा सूट बूट में हैट लगाए हुए हाथ में छड़ी लेकर हाल से किचन की ओर जा रहा है उसने समृद्धि से कहा कि समृद्धि कोई आया है क्या?
समृद्धि बोली, नहीं तो।।
समीर बोला तो ये बूढ़ा कौन है,जो किचन की ओर जा रहा है।।
समृद्धि बोली,कौन... कहां है बूढ़ा....
अरे वही जो अभी किचन में गया, समीर बोला।।
समृद्धि बोली, कोई नहीं है....
समीर दौड़कर किचन की ओर गया,देखा तो वहां सच में कोई नहीं था___

उस बूढ़े को किचन में ना देखकर समीर के तो जैसे होश ही उड़ गए, उसने एक बार फिर सबसे पूछा कि सच में तुम लोगों ने किसी बूढ़े को नहीं देखा।।
सबने कहा हां.... नहीं देखा....
लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है,जिसे मैंने देखा उसे कोई क्यो नही देख पाया, बहुत ही उलझन में था समीर यही सोचकर।।
थोड़ी देर बाद शाम हुई हल्का हल्का अंधेरा सा था,समीर और समृद्धि बालकनी में चाय पीने बैठे और दोनों बच्चे तालाब किनारे खेल रहे थे,समीर बोला बहुत ही अच्छा लग रहा, मैं कैमरा लेकर आता हूं और समीर ने रिकोर्डिंग शुरू कर दी, उसने कैमरे में देखा कि तालाब के किनारे बहुत से चमगादड़ उड़ रहे हैं उसनेे बिना कैमरे के देखा तो उसे चमगादड़ नहीं दिखे, उसने समृद्धि से कहा कि लो तुम भी रिकॉर्ड करो समृद्धि रिकोर्डिंग करने लगी,समीर ने सोचा कि इसका मतलब है समृद्धि को चमगादड़ नहीं दिखे।।
अंधेरा ज्यादा गहरा हो गया था,समीर ने दोनों बच्चों को वापस बुला लिया,सब अंदर चले गए लेकिन समीर वहीं बालकनी में बैठा रहा उसने सोचा एक बार फिर कैमरे से रिकोर्ड करता हूं उसने रिकॉर्ड करना शुरू किया अब की बार उसे एक खुले बालों वाली एक बच्ची सफेद कपड़ों में दिखाई दी फिर समीर ने बिना कैमरे के देखा लेकिन वह नहीं दिखी, फिर से समीर ने कैमरे से देखा वो वहां पर खड़ी थी फिर से समीर ने बिना कैमरे के देखने की कोशिश लेकिन वो लड़की नहीं दिखी फिर समीर अंदर जाने के लिए जैसे ही मुड़ा वो लड़की एकदम से अचानक आकर गायब हो गई।
समीर बहुत जोर से चीखा, सभी लोग भागकर बालकनी की ओर आए, सबने पूछा कि क्या हुआ,समीर ने सब कह सुनाया।।
समृद्धि बोली, मैंने कहा था ना समीर कि यहां कोई ना कोई है, हमें ये घर छोड़ देना चाहिए।।
समीर बोला, हां कल ही वापस चलते हैं।।
रात को सब खाना खाकर सो गए,करीब रात को दो बजे एकाएक वो आईना गिर पड़ा जो कि समृद्धि लाई थी, दीवार से आईना गिरने पर इतनी तेज आवाज हुई जैसे लगा कि कोई पटाखा फूटा हो,तो सब जाग गये और भागकर हाल की ओर आए, बच्चे भी जग गए थे।।
समीर ने देखा कि आईना फर्श पर उल्टा पड़ा है और जगह जगह कांच फैला है,समीर ने आईना उठाया और सीधा किया और तभी सबकी नजर दीवार पर लगी उन चार लोगों की तस्वीर पर गई, तस्वीर देखकर सब हैरान रह गये क्योंकि तस्वीर में वो परिवार नहीं था,वो चारों लोग गायब थे।।
तभी समृद्धि ने कहा, मैंने कहा था ना कुछ तो है जो हम लोंग समझ नहीं पा रहे हैं,ऐसा करो खिड़की के बाहर देखो,
समीर ने खिड़की के बाहर देखा, उसे कोई नहीं दिखा और वो जैसे ही मुड़ा, बहुत ही घिनौने हाथों ने उसका गला पकड़ लिया,वो छुड़ाने की कोशिश करने लगा तभी समृद्धि ने समीर के दोनों पैर जोर से पकड़ कर हनुमान-चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया, घिनौने हाथों ने समीर का गला छोड़ दिया।
समृद्धि और समीर दोनों बच्चों को लेकर बेडरूम की ओर भागे,सब एक साथ ही बेडरूम में थे, दरवाजा अंदर से बंद कर लिया लेकिन थोड़ी देर बाद सारे घर की लाइट चली गई,अब समीर को बाहर आना ही पड़ा कैण्डल लेने, उसने समृद्धि से कहा तुम यहीं बच्चों के साथ रूको मैं कैण्डल लेकर आता हूं, ऐसा करो तुम अपने फोन की लाइट आँन कर लो,
समृद्धि बोली ,ठीक है।।
और समीर ने अपने फोन की लाइट आँन की और धीरे-धीरे,हाँल की ओर गया बहुत ही अंँधेरा था खिड़की अभी भी खुली हुई थी,समीर ने खिड़की की ओर नहीं देखा और वो किचन की ओर धीरे धीरे डरते हुए गया उसने फोन की रोशनी से कैण्डल ढूंढने की कोशिश की लेकिन कैण्डल कहीं नहीं मिली।।
उसका ध्यान किचन की कबबोर्ड को ओर गया उसने कपबोर्ड खोलकर कैण्डल ढूंढनी चाही, उसने जैसे ही कपबोर्ड खोली,तभी कपबोर्ड में वो बुड्ढा दिखाई दिया, उसने समीर का हाथ जोर से पकड़ लिया,समीर बहुत डर गया और अपना हाथ छुड़ा कर बेडरूम की ओर भागा।।
बेडरूम में जाकर देखा कि जब शांत है और डर के मारे ऊपर कमरे की छत की ओर देख रहे हैं,समीर ने भी देखा, देखते ही उसके होश उड़ गए,एक भयानक चेहरे और बड़े बालों वाली औरत छत से पीठ के बल चिपकी थी और मेंढक की तरह उकडू बैठी थी उसके हाथ बहुत ही घिनौने और बहुत ही बड़े पंजे थे मुर्गियों की तरह ,उस औरत ने धीरे धीरे अपना हाथ बढ़ाना शुरू किया और समृद्धि की ओर बढ़ाने लगी।।
उसने जैसे ही अपना हाथ समृद्धि के गले में रखा समीर ने सारांश से कहा कि सारांश अपने गले का शंकर जी वाला लोकेट उसके हाथ पर लगा दो,सारांश ने ऐसा ही किया और वो हाथ उस औरत सहित धुएं के साथ गायब हो गया।।
रात भर डर के मारे कोई भी नहीं सोया ऊपर से सारे घर मे अंधेरा पसरा था।।
सुबह हुई, सब देर से उठे, समृद्धि उठकर हाँल में आई तो देखा वो चारों फिर वापिस तस्वीर में थे और वो पुराना आईना भी अपनी जगह सही सलामत लगा था,आईने में एक दरार तक नहीं थीं, समृद्धि ने समीर को आवाज लगाई__
समीर....समीर....जरा जल्दी इधर आओ.....
समीर को लगा फिर कुछ हुआ है और वो भागकर आया,
पूछा कि क्या हुआ...
समृद्धि ने तस्वीर की ओर इशारा किया__
समीर तस्वीर देखकर परेशान हो गया ,उस तस्वीर में अब चारों लोग मौजूद थे और आईना भी सही सलामत था,समीर ने कहा यहां से चलते हैं अपने पुराने घर और उन्होंने वापस जाने की तैयारी कर ली।।
वो एक पल के लिए वहां नहीं ठहरना चाहते थे।
उन्होंने सारा सामान वहीं छोड़ा और चले आए अपने पुराने घर लेकिन अभी मुसीबत खत्म नहीं हुई थी।।
फिर रात होने पर, समृद्धि को लगा कि शायद कृतु किसी से बातें कर रही हैं उसने बाहर आकर देखा कि कृतु सच में किसी से बातें कर रही थी लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था, उसने और नजदीक जाकर देखा कि दीवार की ओट में कोई तो खड़ा था लेकिन जैसे ही उसने देखने कोशिश की वो वहां से गायब हो चुकी थी।।
उसने कृतज्ञता से पूछा,कौन था,तुम किससे बात कर रही थी,
कृतज्ञता बोली, वहीं बड़े बालों वाली दीदी थी....
ये सुनकर समृद्धि बहुत ज्यादा परेशान हो गई।।

समृद्धि ने कहा, अच्छा कृतु अब तुम अपने बेडरूम में जाओ..
यस मम्मा!!कृतज्ञता इतना कहकर , अपने कमरे में जाने लगी लेकिन वो बार बार किसी को देखकर मुस्कुरा रही थी और बार बार पीछे मुड़कर देख रही थी।।
समृद्धि ने देखा कि वहां तो कोई नहीं फिर कृतु किसे देखकर मुस्कुरा रही है,ये सब देखकर उसका दीमाग चकरा रहा था कि ये सब क्या हो रहा है।।
वो कुछ समझ ही नहीं पा रही थीं और यही सोचते सोचते वो अपने बेडरूम में चली गई,एक बार को उसने सोचा कि समीर को सब बता दें लेकिन समीर भी परेशान हो उठता इस बात से।।
दूसरे दिन सुबह हुई सब ठीक-ठाक चल रहा था, समृद्धि ने सबके लिए नाश्ता बनाया, फिर वाशिंग मशीन में धुलने के लिए कपड़े डाले फिर किचन में आकर और भी काम निपटाने लगी,तब तक मशीन की रिंग बजी, समृद्धि ने धुले कपड़े निकालने के लिए जैसे ही मशीन का ढक्कन खोला तो वैसे ही उसके हाथ को मशीन के अंदर किसी ने पकड़ लिया,समृद्धि बहुत जोर से चीखी और हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी,तब तक समीर भी आ गया,अब तक समृद्धि अपना हाथ छुड़ा चुकी थी।
समीर ने समृद्धि पूछा कि क्या हुआ?
समृद्धि बोली,मशीन के अंदर से किसी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था और तुम अब किसी से बात करो, कोई तो है जो उस घर से पीछा करते करते हमारे इस घर तक आ चुका है।।
समीर बोला,घबराओ मत, मैं आज ही किसी को ढूंढ कर लाता हूं, मुझे भी ऐसा लगता है कि कुछ अनजानी सी शक्ति तो है।।
समीर ने अपने कुछ जान पहचान वालों से इस विषय पर बात की,तब बहुत ही करीबी दोस्त मोहित ने बताया कि हैं मेरी नज़र में जो तेरी समस्या हल कर सकते हैं,वो है मेरे गुरुजी !! वो बस यही काम करते हैं ना जाने कितने ही लोगों की मुसीबतों को दूर किया है उन्होंने, बहुत ही छोटा सा आश्रम है उनका सिर्फ दो चार लोग ही रहते हैं उसमें,तू ऐसा कर मेरे घर आजा फिर हम गुरु जी के आश्रम चलते,समीर बोला ठीक है यार थैंक्स!!
समीर और उसका दोस्त मोहित गुरु जी के आश्रम गए,सच में आश्रम बहुत ही छोटा था दो ही कमरे थे,अगल बगल खूब फुलवारी लगी थी, दोनों अंदर पहुंचे, लेकिन पता चला कि गुरु जी किसी की समस्या का समाधान करने दूसरे शहर गए हैं कल सुबह तक आएंगे।।
मोहित बोला, कोई बात नहीं यार कल तक और सब्र कर लें और आज सावधान रहना।।
समीर बोला, ठीक है यार,कल मिलते हैं और समीर वापस घर आ गया।।
दिनभर तो कुछ नहीं हुआ फिर रात हुई,
समृद्धि बोली आज रात सब एक साथ एक ही बेडरूम में सोते हैं,
समीर बोला हां सही कहा।।
सब एक ही बेडरूम में सोए,रात को करीब बारह बजे के बाद समीर को लगा कि किसी ने उसका हाथ पकड़ा है लगा कि किसी बच्चे का कोमल हाथ है फिर सोचा शायद कृतु होगी,उसने साइड टेबल पर लगे लैंप का स्विच ऑन किया,हल्की सी रोशनी थी,देखा तो फिर से वही सफेद कपड़ों वाली बच्ची जिसके बड़े बड़े लम्बे बालों ने उसके आधे चेहरे को ढ़क रखा था,उसका हाथ पकड़ रखा था और वो उसकी लाल लाल आंखों से आंसू बह रहे थे, ऐसा लग रहा था कि जैसे वो कुछ बताना चाह रही है, कुछ मदद चाहती है,समीर ने अपना हाथ नहीं छुड़ाया और वो उसका हाथ पकड़ कर बच्चों के कमरे में ले गई और समीर ने देखा कि ये तो वहीं गुड़िया है जिसे हम उस घर में छोड़ आए थे, इससे पहले कि समीर कुछ और बोलता वो बच्ची बुरी तरह चीखी और गायब हो गई,समीर फिर डर गया उसे लगा कि फिर से तो कोई उसके बेडरूम में समृद्धि और बच्चों के पास ना आ गया हो।।
वो दौड़कर अपने बेडरूम की ओर भागा, उसने देखा कि सब सुरक्षित है और आराम से हो रहे हैं।।
समीर रात भर नहीं सो पाया, उसे लग रहा था आखिर वो बच्ची कुछ तो कहना चाह रही थी और बहुत पहले से लेकिन क्या?
सुबह हुई,समीर ने रात वाली बात समृद्धि को बताई,अब तो समृद्धि भी डर गई और बोली हां समीर उस लड़की को मैंने भी देखा था उस दिन कृतु के साथ बैठे हुए तालाब के किनारे, मैं पास में जाने लगी तो मेरे पैर में कुछ चुभा,मेरा ध्यान पैर में चला गया तब तक वो गायब हो गई।।
तुम ऐसा करो, जल्दी से कुछ नाश्ता बना लो मैं तैयार होकर मोहित के साथ गुरु जी के आश्रम जाता हूं और उन्हें साथ लेकर ही आऊंगा,समीर ने कहा।।
समृद्धि बोली , ठीक है, मैं नाश्ता तैयार करती हूं।।
समीर तैयार होकर मोहित के साथ गुरु जी के आश्रम फिर से पहुंचा और मोहित ने गुरूजी के पैर छुए,समीर ने भी गुरु जी के पैर छू लिए ।।
बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले इंसान थे गुरु जी,गेरूए वस्त्र,गले में बड़े बड़े दानो वाली रूद्राक्ष की माला, लम्बी सफेद दाढ़ी और चौड़े माथे पर बहुत सा चंदन।।
मोहित ने गुरूजी से कहा,ये मेरा दोस्त है,इसी के साथ बहुत कुछ घटित हो रहा है,आप ही कोई उपाय कर सकते हैं,इसकी समस्याओं का समाधान कर दीजिए, गुरु जी!बहुत परेशान हैं बेचारा।।
गुरु जी ने समीर से कहा,लाओ पहले अपना हाथ दिखाओ,
जैसे ही गुरु जी ने समीर का हाथ पकड़ा,वो बोले बहुत ही विकट समस्या है,तुम बहुत बुरी तरह से कुछ बुरी और कुछ अच्छी आत्माओं के जाल में फंसे हुए हो,इसका समाधान करने के लिए मुझे तुम्हारे घर ही आना पड़ेगा और रात आठ बजे मैं अपनी पूजा शुरू करूंगा,तुम अभी जाओ और ये सामग्री ख़रीद कर रखो, मैं शाम को मोहित के साथ तुम्हारे घर आता हूं।
समीर बोला, ठीक है गुरु जी।।
और शाम होने तक समीर ने गुरु जी के कहे अनुसार सारी सामग्री ख़रीद कर सारी तैयारियां कर ली।।
गुरु जी पहुंचे उन्होंने अपनी पूजा शुरू की, उन्होंने कुछ मंत्र पढ़कर हवन कुंड में डालने शुरू किए, तभी एकाएक वो सफ़ेद कपड़ों वाली बच्ची प्रकट हुई, उससे गुरु जी ने पूछना शुरू किया, उसने लड़की ने कहा, मैं तो कबसे इन लोगों से बात करना चाह रही थी,कल रात भी आई थी लेकिन कुछ बुरी आत्माओं ने मुझे बस में कर रखा है लेकिन दिन में उन लोगों का असर मुझ पर नहीं होता,
गुरु जी ने कहा,वो कैसे सारी बात खुलकर बताओ।।
उस लड़की ने कहना शुरू किया___
बहुत समय पहले की बात है,मै, मेरी मां और मेरे नाना जी उस घर में रहा करते थे, मेरे पापा के एक दोस्त थे जो मेरी मां को पसंद करते थे तो जब मैं बहुत छोटी थी तो उन्होंने मेरे पापा को मार दिया था ये बात मेरे नाना जी और मेरी मां नहीं जानते थे, मेरे नाना जी बहुत अमीर आदमी थे, मेरे पापा के मरने के बाद मेरी मां और मैं नाना जी के ही पास रहने लगे,ये बात मेरे पापा के दोस्त को पता चली कि नाना जी के बाद मेरी मां ही नाना जी की सारी जायदाद की मालकिन होगी तो वो कभी कभी हमारे पास आने लगे मैं भी धीरे धीरे बड़ी हो रही थी फिर पापा के दोस्त ने मां को अपने प्यार के जाल में फंसाना शुरू कर दिया, मां ने भी समझा कि वो उनसे प्यार करते हैं फिर पापा के दोस्त ने नाना जी के सामने मां से शादी का प्रस्ताव रखा, नाना जी भी मान गये कि जवान विधवा बेटी का भला हो जाएगा।
फिर उन दोनों की शादी हो गई, शादी के बाद पापा के दोस्त की हरकतें धीरे धीरे हम सबको समझ में आने लगी,वो बहुत ही शराब पीते थे, मां बहुत मना करती थी फिर वहीं लड़ाई झगडे, नाना जी ने भी समझाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माने।।
फिर एक रात उन्होंने सोचा कि हम सबको मार देते है तो सारी जायदाद उनकी हो जाएगी उन्होंने हम सब के खाने में जहर मिला कर हमें मारकर किचन के फर्श में दफना दिया, कुछ दिन तक वो उस घर में रहे फिर एक दिन तालाब किनारे उनकी लाश मिली, शायद मेरी मां की आत्मा ने उसे मार दिया था।।
मेरी मां उस दिन कपड़े रखते समय आपको आईने में दिखी थी,वो आपका हाथ और मुंह बंद कर के कुछ बताना चाहती थी फिर आपका पैर भी पकड़ना चाहा लेकिन आप भाग गई उसने समृद्धि से कहा।
फिर उस दिन मेरे नाना जी ने कपबोर्ड में आपका हाथ पकड़कर कुछ बताना चाहा लेकिन आप वहां से भाग आए, उसने समीर से कहा।।
और मैंने तो बहुत बार कुछ कहना चाहा,मैं कल रात भी आई थी आपका हाथ पकड़कर रोते हुए बताना चाहा लेकिन वो बुरी आत्माओं ने मुझको जकड़ रखा था,वो नहीं चाह रही कि आपको सच्चाई पता लगे।।
गुरु जी ने पूछा और कौन सी बुरी आत्माएं है?जरा खुलकर बताओं।।
वो लड़की बोली,वो आईना और वो तस्वीर पहले आप उसके बारे में पता कीजिए कि वो आपलोगो ने जहाँ से खरीदी उस दुकानदार को जरूर कुछ ना कुछ पता होगा और उस तस्वीर में वे कौन लोग हैं उस आईने से उन सबका क्या सम्बन्ध है,तभी पता चल सकता है उन बुरी आत्माओं को खत्म करने का तरीका और इस गुड़िया में ही मेरी आत्मा है , लड़की इतना बता कर गायब हो गई।।

अब समीर को समझ में आया कि वहां आत्माएं पहले से थी लेकिन अच्छी वाली, हमारे साथ बुरा उस तस्वीर और आईने के आने के बाद शुरू हुआ शायद।।
समृद्धि .....कल ही चलते हैं उस जगह जहां से तुमने आईना और तस्वीर खरीदी है।।
गुरु जी बोले, हां सब पता करो और आज रात सावधान रहना उन्हें सब पता चल गया है और वो तुम लोगों को उनकी सच्चाई पता लगाने से जरूर रोकेगी।।
ये लो मंत्रो वाली रूद्राक्ष की मालाएं, चारों लोग पहन लो,ये ज्यादा तो नहीं लेकिन थोड़ी बहुत सुरक्षा तो करेंगी तुम लोगों की,
मोहित बोला,यार ऐसी बात है तो तू मेरे घर चल,मैं तो वैसे भी अकेला हूं,बच्चे और तेरी भाभी मायके गए हुए हैं,एक रात की ही तो बात है कल सब पता कर लेंगे तो तू अपने घर सबको लेकर फिर से वापस आ जाना।।
समीर बोला,तू ठीक कह रहा है,यार!!हम सब चलते हैं तेरे घर।।
और सब कार में बैठे, गुरु जी को उनके आश्रम छोड़कर सब मोहित के घर पहुंचे।।
सारा परिवार एक ही बेडरूम में सोने गया और मोहित अलग बेडरूम में।।
करीब आधी रात को मोहित ने समीर के बेडरूम के दरवाज़े पर दस्तक दी,समीर ने दरवाजा खोला और पूछा__
हां, बोल मोहित क्या बात है?
कुछ नहीं यार,डर लग रहा था अकेले नींद नहीं आ रही थी तो सोचा , तुझसे बातें कर लूं, मोहित बोला।।
हां बोल! लेकिन तेरी आंखें इतनी लाल क्यो है? समीर ने मोहित से पूछा।।
बहुत भगाया तूने,अब तो तू आज नहीं बचेगा, मोहित बोला।‌
ये कैसा मज़ाक है यार!समीर डरकर बोला।।
और समीर ने देखा कि मोहित थोड़ी देर में बिल्कुल सफेद हो गया और उसके हाथ पैर अकड़ रहे हैं,उसके मुंह से खून गिर रहा है और उसने बहुत जोर से समीर की गर्दन दबोचनी चाही लेकिन रूद्राक्ष की माला ने उसका हाथ जला दिया और वो अचानक ही गायब हो गया,अब समीर को लगा कि ये तो कोई और था , मोहित के कमरे मे जाकर देखना चाहिए कि वो कैसा है?और वो मोहित के कमरे में पहुंचा देखा तो मोहित पीठ के बल लेटा है उसे लगा कि मोहित ठीक है और इसका मतलब वो सब छलावा था।।
और समीर जैसे ही अपने कमरे की ओर जाने को मुड़ा, तो मोहित ने कहा,जा रहे हो समीर!! मुझे अकेले छोड़कर मत जाओ, मुझे डर लग रहा है और एक भयानक सा चेहरा जैसे कोई मांस का लोथड़ा हो और लाल लाल बिना पुतलियों की आंखों का इन्सान समीर के सामने आया,समीर डरकर बाथरूम की ओर भागा तो वहां देखता है कि मोहित की लाश पड़ी है,अध खाई हुई जैसे कि उसका मांस किसी ने नोचकर खाया हो,चेहरा बस सही सलामत था।।
अब तो समीर बाथरूम से भी भागा और अपने बेडरूम की ओर गया, वहां भी खतरा मुंह फाड़े बैठा था और समृद्धि डरी हुई सी दोनों बच्चों के साथ बेड में बैठी थी,समीर ने देखा कि वो बड़े बड़े बालों वाली औरत आज खिड़की पर फिर से मेंढ़क की तरह उकडू बैठी है और उसका भयानक सा पंजा धीरे धीरे कृतु की ओर बढ़ रहा है, उसने कृतु को पकड़ना चाहा, तभी पता नहीं कहां से वो सफ़ेद कपड़ों वाली बच्ची की मां अचानक से आई कृतु का हाथ छुड़ाया और उस औरत को अपने साथ लेकर खिड़की से कूद गई, बहुत ही डरावनी चीख थी ,सब बहुत ही डर गये ।।
समीर ने कहा समृद्धि इन लोगों ने मोहित को भी मार दिया,अब पता नहीं हम कैसे बच पाएंगे।।
पहले चलो, यहां से निकलने की कोशिश करते हैं और तुम पुलिस को फोन करो, हमें ये सब पुलिस को बताना होगा,समृद्धि बोली।।
समीर ने फोन लगाना चाहा लेकिन फोन नहीं लगा, समृद्धि ने भी फोन लगाने की कोशिश की लेकिन फोन लगा ही नहीं।।
समीर बोला,अब ऐसा करते हैं,इस जगह से भाग जाने में ही भलाई है,चलो दोनों बच्चों को बीच में करो और सब एक-दूसरे का हाथ पकड़ लो और ध्यान रखना किसी के गले से माला नहीं उतरनी चाहिए।।
सबने ऐसा ही किया और दरवाजे तक जैसे ही पहुंचे एक अंजान शक्ति ने समीर को इतनी जोर से उछाला कि समीर उछल कर कमरे की छत से टकरा गया, समृद्धि और बच्चें ये सब देखकर चीख पड़े, समृद्धि ने जल्दी से समीर को सम्भाला और फिर सबने एक साथ हाथ पकड़कर दरवाजे तक जाने की कोशिश की लेकिन इस बार वो तस्वीर वाली फैमिली सामने आई वो चारों एक साथ थे।।
अब अचानक समीर को पता नहीं क्या होने लगा वो धीरे धीरे अकड़ रहा था उसकी गरदन टेढ़ी होती जा रही थी और उसके हाथ खुद बखुद पीछे की ओर मुड़ने लगे, उसके पैर भी पीछे की ओर मुड़ने लगे,अब समीर का उसके शरीर पर कोई काबू नहीं था,वो फर्श पर गिर पड़ा और उसका रंग सफेद पड़ने लगा, समृद्धि ये देखा घबरा गई क्योंकि समीर के गले में उसकी माला नहीं थी,जब उस शक्ति ने उसे उछाला था तो उस समय उसकी माला उसके गले से उतर चुकी थी।।
समृद्धि ने जल्दी से वो माला उठाई और समीर के गले में डाल दी फिर सबका हाथ पकड़कर जोर जोर से हनुमान चालीसा जपने लगी अब शक्तियां उसके सामने नहीं टिक पाई थी।।
बुरे समय में समृद्धि ने अपना आपा नहीं खोया और दीमाग से काम लेकर सब ठीक कर दिया।।
सुबह जब तक सूरज नहीं निकला वो सब वैसे ही उसी जगह बैठे रहे,अब सुबह हो चुकी थी,सब बाहर आकर पहले पुलिस स्टेशन गये, पुलिस को सारी बात बताई और गुरु जी के बारे में भी बताया, पुलिस ने समीर की बात पर भरोसा कर लिया और उसकी मदद के लिए तैयार हो गई।।
समीर ,समृद्धी और बच्चे रात भर नहीं सोए थे,वो घर गए फ्रेश हुए और नाश्ता कर के सो गए दोपहर में करीब एक बजे पुलिस का फ़ोन आया,सब पुलिस स्टेशन पहुंचे, पुलिस ने उस तस्वीर और आईना बेचने वाले दुकानदार को बुलवाया था,
फिर उसने बताया कि मुझे भी ये तस्वीर और ये आईना किसी ने जल्द बाजी में ही बेचा थी लेकिन वो अपना पता लिख गया था फाइल में,वो फाइल मैं लेकर आया हूं।।
इंस्पेक्टर करन ने वो फाइल देखी और बोले चलिए समीर जी हम इस पते पर होकर आते हैं शायद कुछ जानकारी हाथ लगे,समीर और करन उस पते पर पहुंचे,उस घर के मालिक से मिले,
उस घर के मालिक ने बताया कि ये मेरे चचेरे बड़े भाई और उसके परिवार की तस्वीर थी, मेरा चचेरा भाई मुझसे बीस साल बड़ा था,तब मैं अपने मां-बाप के साथ विदेश में रहता था,मैं बहुत सालों बाद यहां लौटा हूं अपने परिवार के साथ, फिर यहां आकर मैंने ये घर खरीदा।।
चचेरा बड़ा भाई और मैं, हम अपने अपने मां-बाप की इकलौती संतान थे, यहां आकर मुझे पता चला कि बड़े भाई का घर वर्षो से खाली पड़ा है क्योंकि किसी ने वर्षो पहले उसी घर में पूरे परिवार की हत्या कर दी थी लेकिन उन सबका कातिल आज तक पकड़ा नहीं गया,कोई ठोस सुबूत ही नहीं मिले,लेकिन एक रात उस घर में एक आदमी पंखे से लटका हुआ मिला,जब पुलिस को उसकी लाश मिली थी तो वो सड़ चुकी थी,बदबू आने पर पता चला कि शायद कोई उस घर में मर चुका है,मुझे लगता है शायद वो ही उन सबका कातिल था,आत्माओं ने उसे मार कर अपना बदला ले लिया और फिर मैं उस घर को देखने चला गया, वहां मुझे वो तस्वीर और वो क्लासिक आईना मिले, मैं वो तस्वीर बड़े भाई की निशानी समझ कर उठा लाया,आईना भी मुझे इतना खूबसूरत लगा कि मैं उसे उस घर में ना छोड़ सका साथ में मैं उसे भी ले आया।।
फिर उस तस्वीर और आईने को घर में लाने के बाद तरह तरह के हादसे होने लगे मेरे साथ, फिर मैंने पता लगाया कि उस घर में कोई रहने लगा था उसने जबरन कब्जा कर लिया था उस घर पर और सबसे कहा कि ये घर मेरा है लेकिन कुछ दिनों बाद उसने भी वो घर छोड़ दिया, मैं उससे मिला और उसने मुझे सारी बात बताई।
उसने कहा कि हां इस घर में तुम्हारे बड़े भाई और परिवार की हत्या हुई थी तो वो लोग मुझे दिखते थे, बहुत सी अनचाही बातें हुई तब मैंने एक तांत्रिक को बताया , उस तांत्रिक ने अपनी शक्तियों द्वारा उन आत्माओं को उस खूबसूरत आईने में कैद कर दिया और कहा कि ये तस्वीर ज्यो ज्यो पुरानी होती जाएगी इन आत्माओं की शक्तियां बढ़ती जाएगी,इसलिए इस आईने और इस तस्वीर को अलग अलग रखना ही उचित रहेगा, लेकिन ये तस्वीर और आईना इसी घर में रहनी चाहिए ये अगर किसी और घर में गई तो इन शक्तियों को फिर बड़ी मुश्किल में काबू में किया जा सकता है, मैं तस्वीर और आईना अपने घर ले आया यही पर मुझसे गलती हो गई, उनका मुझ पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा,तभी सारी बात पता चलते ही वो तस्वीर और वो आईना मैं ने बेच दिए,मुझे लगा कि दुकानदार दोनों चीजों को अलग अलग ग्राहकों को बेचेगा,आपने शायद दोनों ही खरीद लिए और उनकी शक्तियांँ बढ़कर दुगुनी हो गईं।।
अब समीर और करन को सच्चाई पता चल चुकी थी,वो दोनों आश्रम पहुंचे और गुरु जी को सब सच बताया कि मोहित अब नहीं रहा उन बुरी शक्तियों ने उसे मार दिया।।
गुरु जी बोले तब तो उसी घर में जाना होगा क्योंकि वो बुरी शक्तियां अच्छी शक्तियों पर काबू पाना चाहती है,उस आईने को नष्ट करना होगा,वो आईना श्रापित है,उसे नष्ट करके पंचतत्व में मिलाना होगा, तभी सब ठीक होगा,वो बुरी शक्तियां किसी भी तरह खुद को बचाने की कोशिश करेंगी।।
आज की रात बहुत ही भारी है कुछ भी हो सकता है और पूजा भी हमें वहीं करनी पड़ेगी।।
अब सब शाम तक उस घर में पहुंच गए__
इंस्पेक्टर करन भी दो और पुलिस वालों के साथ वहां पहुंच गया,रात होते ही गुरु जी ने पूजा शुरू कर दी अब उन बुरी शक्तियों ने अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया, पूजा में बांधा डालने लगी लेकिन उन अच्छी शक्तियों ने भी बहुत कोशिश की उन्हें रोकने की, साथ में आए दोनों हवलदारों को उन्होंने हवा में उछाल दिया, हवलदारों को बहुत चोट आई ,ये सब गुरु जी का ध्यान बंटाने के लिए हो रहा था लेकिन गुरु जी ने अपनी पूजा जारी रखी।
उन लोगों के गले में माला थी इसलिए शक्तियां उन चारों का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी, तभी करन के साथ भी कुछ अजीब सा होने लगा,वो हवा में उड़कर छत पर अटक गया और फिर अचानक ऊपर से गिर पड़ा वो भी बहुत घायल हो चुका था।।
कुछ देर की पूजा के बाद उस तस्वीर में खुद बखुद आग लग गई और आईना भड़ाम की आवाज़ के साथ साथ चूर चूर हो गया,अब उस श्रापित आईने की कहानी खत्म हो चुकी थी,सारी बुरी आत्माएं उसमें जलती हुई, चीखती चिल्लाती नजर आ रही थी, गुरु जी ने उस राख को एक कलश में रख लिया बोले इन्हें गंगा में बहा देंगे।।
तभी उस बच्ची की आत्मा आई बोली हमें भी मुक्ति चाहिए, हमारे कंकाल रसोई के फर्श में दफ्न हैं, इतना कहकर वो गायब हो गई,करन ने उन कंकालो को फर्श से निकलवा कर उनका अंतिम संस्कार करवा दिया,अब सबको राहत थी,उस दिन के बाद किसी को भी कोई नहीं दिखा।।

समाप्त___
सरोज वर्मा___