एक बूंद इश्क - 19 Sujal B. Patel द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

  • मंजिले - भाग 14

     ---------मनहूस " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ कहानी है।...

श्रेणी
शेयर करे

एक बूंद इश्क - 19

१९.पापा से सामना


बनारस पहुंचते ही रूद्र अपर्णा को लेकर घाट पर आ गया। जहां पूजा हो रही थी। यहीं से अपर्णा फ़िर सवाल करने लगी, "तुम मुझे यहां क्यूं लाएं हो?"
"कुछ देर और इंतजार कर लो। बहुत जल्द सब पता चल जाएगा।" रुद्र ने इधर उधर देखते हुए कहा। वह अखिल जी को ढूंढने में लगा हुआ था। लेकिन अपर्णा उसकी हरकतों से गुस्सा हो रही थी।
कुछ देर ढूंढने के बाद रूद्र की नज़र पूजा में बैठे एक शख्स पर पड़ी। बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबे बालों की वजह से रूद्र को उसका चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दिया। लेकिन पता नहीं रुद्र को ऐसा क्यूं लगा कि वही अखिल जी है। उसने अपर्णा से कहा, "तुम दो मिनट यहीं रुको। मैं अभी आता हूं।" इतना कहकर रूद्र वहां से चला गया।
अपर्णा गुस्से से घाट पर इधर उधर घूमने लगी। रूद्र ठीक से कुछ बता नहीं रहा था और अपर्णा की समझ में कुछ आ नहीं रहा था। वह काफी देर तक वहीं घाट पर घूमती रही। आधे घंटे बाद रुद्र वापस आया। अपर्णा उसे गुस्से से घूरने लगी तो रुद्र ने कहा, "तुम्हें जानना है ना कि मैं तुम्हें यहां क्यूं लाया हूं?"
"हां, लेकिन तुम कुछ बताओ तो पता चले ना‌।" अपर्णा ने चिढ़कर कहा।
"मैं सिर्फ दिखाऊंगा, बताएंगे तो वो ही जिनसे मिलवाने मैं तुम्हें यहां लाया हूं।" रूद्र ने कहा और पीछे मुड़कर आवाज़ लगाई, "आ जाईए।"
रुद्र की आवाज़ सुनते ही वो ही शख्स वहां आया। जिन्हें अखिल जी समझकर रूद्र उनके पास गया था। जब रुद्र ने अपने फोन में अखिल जी की तस्वीर और पूजा में बैठे शख्स दोनों को साथ में देखा तब वह उन्हें तुरंत पहचान गया। लेकिन अपर्णा उनकी दाढ़ी और बालों की वजह से ठीक से उन्हें पहचान नहीं पाई। लेकिन अखिल जी अपनी बेटी को पहचान गए और तुरंत वहां से जाने लगे। क्यूंकि रुद्र उनको यहां झूठ बोलकर लाया था। उन्हें वापस जाता देखकर रुद्र ने उन्हें रोकते हुए कहा, "आ ही गए है तो बरसों पुराना किस्सा खत्म करके जाईए।"
"मुझे कुछ खत्म नहीं करना।" अखिल जी ने कहा तो अपर्णा की आंखें भर आईं। उनकी आवाज़ सुनकर अपर्णा उन्हें पहचान गई थी।
"कब तक अपनी बेटी से सच्चाई छिपाएंगे? उसे भी सब सच जानने का अधिकार है।" रुद्र ने कहा तो अपर्णा को पूरी तरह यकीन हो गया कि रुद्र जिस शख्स के साथ आया वो अपर्णा के पापा ही थे।
रुद्र की बात सुनकर अखिल जी रुक गए। जब उन्होंने अपर्णा को देखा, तो उसकी आंखों से बहते आंसु देखकर उनकी भी आंखें भर आईं। वह अपनी बेटी को गले लगाना चाहते थे। लेकिन नहीं लगा पाए। तभी अपर्णा को वो दिन याद आ गया। जब उसके मम्मी-पापा दोनों उसे छोड़कर चले गए थे। उसी वक्त अपर्णा को रूद्र की कही बात याद आई। जो किसी सच्चाई के बारे में बात कर रहा था। तो उसने तुरंत रुद्र की ओर देखकर पूछा, "तुम किस सच्चाई की बात कर रहे थे?"
"वो तुम्हे तुम्हारे पापा बताएंगे।" रुद्र ने कहा तो अपर्णा अखिल जी की ओर देखने लगी।
अपर्णा की आंखों में सवाल और बरसों पुराना अपने मम्मी-पापा से बिछड़ने का दर्द देखकर अखिल जी ने नम आंखों के साथ कहा, "तुम सोच रही होगी कि हम तुम्हें छोड़कर क्यूं चले गए? लेकिन इसके पीछे बहुत बड़ी वज़ह थी। मेरा बिजनेस में बहुत नुक़सान हो रहा था। जिसे भरने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। तभी तुम्हारी मम्मी अपने बिजनेस में एक के बाद एक मुकाम हासिल कर रही थी। मैंने मेरा बिजनेस बनाए रखने के लिए उसके साथ हाथ मिलाया और धोखे से उसके पास एक डील साइन करवाई और उसमें लगे उसके सारे पैसे लेकर मैंने अपना नुक़सान भरा। डील के पेपर्स नकली थे। लेकिन उसमें लगे पैसे असली थे। जिससे तुम्हारी मम्मी का बिजनेस घाटे में चला गया। लेकिन वो बहुत चालाक थी। उससे धोखा बर्दाश्त नहीं होता था। उसने पूरी छानबीन करवाई और मुझे पकड़ लिया। तुम्हारी मम्मी का बिजनेस उसका नहीं बल्कि उसकी मम्मी महिमा का था। इसलिए उन्होंने तो मुझे मैं उनका दामाद था। इस वज़ह से माफ कर दिया। लेकिन तुम्हारी मम्मी मुझे माफ़ नहीं कर पाई।
दश साल पुरानी बात कहते हुए अखिल जी की आंखें भर आईं। उन्होंने एक नज़र अपर्णा को देखा और आगे कहा, "जब ये सब हुआ उसी दौरान तुम्हारा जन्म हुआ था। मैंने जो किया उसके बाद से तुम्हारी मम्मी मुझसे नफ़रत करने लगी थी। बिजनेस को वापस खड़ा करने के चक्कर में वो तुम पर भी ध्यान नहीं दे पा रही थी। घर पर आती तो मुझे देखकर गुस्सा हो जाती। घर में झगड़े बढ़ने लगे। एक-दूसरे से शिकायतें होने लगी। इसी चक्कर में हमने अलग होने का फैसला किया। मेरे छोटे भाई और दादाजी ने हमको साफ़ मना कर दिया की हममें से कोई तुम्हें अपने साथ नहीं ले जाएगा। मुझे पता था, वो लोग तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखेंगे। इसलिए सब कुछ भूलने के लिए मैं बनारस से दूर चला गया। लेकिन तुम्हारी मम्मी का बिजनेस यही था तो वो यही रुक गई। लेकिन वह हमारा घर छोड़कर अपनी मम्मी के साथ रहने लगी। लेकिन तुम हम दोनों से दूर हो गई। तुम्हारी माँ को लगता था कि तुम्हारे कदम शुभ नहीं है। इसलिए वो एक ही शहर में होकर भी तुमसे ज्यादा मिलती नहीं थी ये बात मुझे तुम्हारे चाचा के लड़के ने बताई थी। तुम्हारी फोटो भी उसी ने मुझे दी थी। मैं जब भी तुमसे मिलने बनारस आता मुझे तुमसे बिना मिले ही जाना पड़ता। लेकिन हर बार कृणाल मुझे तुम्हारी एक नई फोटो देता। फिर उसने आर्मी जोइन कर ली। फिर मेरा बनारस आना बंद हो गया। मैं तो अपने ही पिता की लाश को मुखाग्नि तक नहीं दे पाया।"
सारी सच्चाई बताने के बाद अखिल जी वहीं घुटनों के बल गिर पड़े। अपर्णा का भी रो रो कर बूरा हाल था। उसने अपने पापा की ओर देखकर इतना ही कहा, "आप दोनों ने तो अपना रास्ता चुन लिया। लेकिन कभी मेरे बारे में नहीं सोचा। बिजनेस का नुक़सान भरने के लिए आपने मम्मी को धोखा दिया। उन्होंने आपकी गलति पर आपको छोड़ दिया। गलति आपने की और कदम मेरे अशुभ हो गए।"
अपर्णा की बात सुनकर रुद्र को भी बहुत तकलीफ़ हुई। अपर्णा की मम्मी कितना बड़ा बिजनेस चलाती थी। फिर भी उनके खयालात इतने बूरे और छोटे होगे ये किस ने सोचा था? अपर्णा वहीं पर बैठकर रोने लगी। दश साल पहले जो हुआ। वो सब सुनकर उसका दिल टूट गया। आज़ तक उसे सिर्फ इतना ही पता था कि उसके मम्मी-पापा लड़ते थे और फिर अलग हो गए। लेकिन उसे असली वजह पता नहीं थी। जो आज़ उसे पता चलते ही उसके दिल को गहरी चोट पहुंची थी।


(क्रमशः)

_सुजल पटेल