बरगद का पेड़... Saroj Verma द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बरगद का पेड़...

रात का समय,एक बहुत ही घना जंगल.....
किसी के रोने की आवाज़ आ रही थी, आवाज़ इतनी जोर जोर से आ रही थी कि सभी हैरान और परेशान होकर,बाहर निकल आएं___
सबसे पहले बनी खरगोश अपनी पत्नी रैबीटा के साथ अपने बिल से बाहर निकला,फिर मिसेज कान्गारू जिनका नाम कान्गा था वे भी अपने बेटे रू को अपनी पोकेट में भरकर बाहर निकल आईं,जैनी जेब्रा,टिगर चीता,रॉकी घोड़ा,गौरी गाय,नंदी बैल,सभी जानवर धीरे धीरे अपने निवास स्थानों से बाहर निकल आए।।
सब आपस में खुसर फुसर करने लगे कि आखिर ये रोने की आवाज़ कहां से आ रही है? लेकिन किसी की भी कुछ समझ में नहीं आया कि आवाज आ कहां से रही थी,सब डर भी रहे थे इसलिए उस दिशा में किसी के भी जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी कि जाकर देख लें कि कौन रो रहा है।।
तभी मिक्की चूहा बोला___
मुझे तो ये किसी औरत की आवाज़ लग रही है,ये हम में से तो किसी कि आवाज़ नहीं जान पड़ती।।
तभी मिक्की चूहा कि पत्नी मिनी बोली___
हटो जी! कैसी बातें करते हो,भला इतनी रात गए कोई औरत यहां जंगल के बीच रोने क्यों आएगी?
तभी जंगल का राजा सिम्बा बोला__
हो ना हो वो किसी औरत की ही आवाज है, लगता है वो किसी मुसीबत में है।।
तब लल्लू लोमड़ बोला__
महाराज! खामखां में किसी की मुसीबत अपने सिर क्यों लेना? होगी कोई औरत हमें क्या लेना-देना,चलिए चलकर सो जाते हैं।।
खमोश रहो लल्लू!हम इस जंगल के राजा हैं और इस जंगल में कोई भी मुसीबत में तो हमें उसकी मदद करनी चाहिए ना कि पीठ दिखाकर भाग जाना चाहिए,राजा सिम्बा बोले।।
तब सबने तय कि उस जगह हम सब साथ चलकर देखते हैं कि क्या बात है? इससे डर भी नहीं लगेगा,और सब चल पड़े उस दिशा की ओर जहां से वो आवाज आ रही थी।।
रात का घुप्प अंधेरा और घना जंगल सब चले जा रहे थे,कुछ देर में वो उस जगह पहुंच गए,उन सबने देखा कि एक औरत सफेद साड़ी में बैठी है और अपने घुटनों पर अपने सिर को झुकाए जोर जोर से रो रही है___
तभी राजा सिम्बा ने उस औरत से पूछा___
माफ़ कीजियेगा मोहतरमा! क्या मैं आपके रोने की वज़ह जान सकता हूं?
राजा सिम्बा की आवाज़ सुनकर उस औरत ने अपना सिर उठाया तो सब डर गए, क्योंकि उसका चेहरा बहुत ही डरावना और भयानक था,सब डरकर जाने लगे।।
तभी उस औरत ने आवाज दी___
जरा ठहरो! ऐसे मत जाओ,मेरी बात सुनो,मेरी मदद करो.....
उसकी आवाज सुनकर महाराज सिम्बा रूक गए और सबको भी ठहरने को कहा___
ठीक है मोहतरमा! हम लोग कहीं नहीं जा रहे ,आप अपनी परेशानी की वजह हमें बता सकतीं हैं___
तब वो औरत बोली___
मैं एक चुड़ैल हूं,कई सालों से इस जंगल में रहती हूं, लेकिन कल रात में एक तालाब किनारे चली गई थी, सालों हो गए थे नहाया नहीं था, इसलिए सोचा नहा भी आऊंगी और दूसरी जगह जाकर मेरा मन भी बदल जाएगा और अभी थोड़ी देर पहले लौटी तो.....
इतना कहकर वो फिर रोने लगी___
घबराइए नहीं हमें बताइए,शायद हम आपकी कुछ मदद कर पाएं,महाराज सिम्बा बोले......
मैंने देखा कि जिस पेड़ पर मैं रहती थी,रातों को झूलती थी,उल्टी लटकती थी,कभी इस डाल से उस डाल पर छलांगें मारती थीं......
तभी उस चुड़ैल की बात को बीच में टोकते हुए रिंकू गधा बोला___
माफ़ कीजियेगा, मोहतरमा! आपकी हरकतें चुड़ैलों सी कम चिंकी बंदरिया सी ज्यादा लगतीं हैं....
जरा !चुप रहोगो तुम! , बहनजी! आप बोलिए,इसकी तो आदत है बीच में ढ़ेचू..ढ़ेचू...करने की,रिंकू गधा की पत्नी डंकी गधी बोली।।
फिर उस औरत ने बोलना शुरू किया___
तो मैंने देखा कि उस पड़ को किसी ने काट दिया है, उसमें एक भी शाखाएं नहीं बचीं है और नई शाखाएं उगने में ना जाने कितना समय लगेगा।।
तब लम्बू जिराफ बोला__
महाराज! मैंने भी कल जंगल की उत्तर दिशा में बहुत से पेड़ कटे देखें थे,उस दिशा में मैं चरने के लिए जाता हूं ना!
तभी गज्जा हाथी भी बोला___
महाराज! तालाब के किनारे जो बांसों का बड़ा सा झुरमुट था,अब वो भी वहां नहीं है।।
मतलब कोई हमारे जंगल को नुक्सान पहुंचा रहा है,इन मोहतरमा का घर इनसे छीन लिया गया,अगर ऐसे ही चलता रहा तो कल को ये हमारा घर भी छीन लेगें,हम कतई ऐसा नहीं होने देंगें, महाराज सिम्बा बोले।।
तभी चींटियों और मधुमक्खियों का झुंड आकर बोला___
महाराज ! हमें आज्ञा दीजिए कि हम उन मुजरिमों के बारे में पता लगाकर आपको सूचित करें।।
हां... हां... क्यों नहीं ? आज्ञा है, लेकिन पहले इन मोहतरमा की समस्या का भी तो समाधान करना है,तो मोहतरमा आप ऐसा कीजिए जब तक बरगद के पेड़ पर नई शाखाएं नहीं उग जाती तब तक आप चिंकी बंदरिया के पेड़ पर रह सकतीं हैं, वैसे भी अब चिंकी बंदरिया का मिंटू बंदर से ब्याह फिक्स हो गया है,वो परसों ही शादी करके अपने ससुराल चली जाएगी, महाराज सिम्बा बोले।।
जी! बहुत बहुत शुक्रिया महाराज!जो आपने मेरी समस्या का समाधान कर दिया, चुड़ैल बोली।।
और कुछ दिनों के बाद उस जंगल के लकड़ी चोरों का पता चल गया और सारे जानवरों ने उनसे मुकाबला किया, मधुमक्खियों के झुण्ड ने उन सबको काट काटकर सुजा दिया, चींटियों ने भी अपना खूब योगदान दिया,कीट पतंगे भी पीछे नहीं हटे और सबने मिल कर उस जंगल के लकड़ी चोरों को खूब मज़ा चखाया।।
इस तरह से सभी जानवरों ने अपने जंगल को बचा लिया।।

समाप्त___
सरोज वर्मा__
महोबा (उत्तर प्रदेश)