वहां कौन रहता है... Saroj Verma द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वहां कौन रहता है...

सुजलाम आज बहुत खुश था,उसे अपनी पेंटिंग काँम्पीटीशन के लिए जो पेंटिंग बनानी थी,उसके लिए उसे मुनासिब जगह मिल गई थी,उसके दोस्त के पापा ने उसे पेंटिंग बनाने के लिए वो जगह सुझाई थी,चूँकि उनका उस गाँव में ज्यादातर आना जाना लगा रहता था,वो उस गाँव के बी.डी.ओ.थे इसलिए वो उस जगह को अच्छी तरह जानते थे।।
उस गाँव में एक बहुत पुराना महल था जो अब खण्डहर में तब्दील हो चुका था और काम्पीटिशन में ऐसे ही किसी खण्डहर की पेंटिंग बनाने को कही गई थी,उस वीरान खण्डहर महल के आस-पास कोई नहीं जाता था,सब कहते थे कि वो खण्डहर भुतहा है,वहाँ आत्माओं का वास है,लोगों ने कई बार उन आत्माओं को उसके आस पास भटकते भी देखा था।।
तब सुजलाम के दोस्त के पिता ने सुजलाम से कहा....
बेटा! सुजलाम! उस महल से दूरी बनाकर काम करना,लोंग कहते हैं कि वो महल भुतहा है,रात के समय वहाँ कभी मत जाना,मैं उस गाँव के प्रधान के नाम एक चिट्ठी लिख देता हूँ वें तुम्हारे रहने और खाने की ब्यवस्था कर देगें।।
ठीक है अंकल ! थैंक्यू! ,सुजलाम बोला।।
फिर वो अपने दोस्त के पिता से चिट्ठी लिखवाकर बस पकड़कर उस गाँव की ओर चल पड़ा,दो घंटे में ही वो उस गाँव में भी पहुँच भी गया,बसस्टैंड पर लोगों से पूछने पर गाँव के प्रधान का पता-ठिकाना भी मिल गया,वो सीधे गाँव के प्रधान के घर पहुँचा और उसने चिट्ठी दिखा दी,तब गाँव के प्रधान बोले....
आप हमारे घर में ठहर जाइए,कुछ ही दिनों की तो बात है, चूल्हें के खाने और असली घी दूध का आनंद उठाइए,तब प्रधान जी ने सुजलाम को अपने घर का एक कमरा दे दिया और अपने नौकर हरिया से सुजलाम का ख्याल रखने को कहा....
जब सुजलाम गाँव पहुँचा था तो दिन ढ़ल चुका था और उसने वो जगह देखने के लिए सुबह होने का इन्तजार किया,सुबह हुई तो आँगन में बने बाथरुम में सुजलाम स्नान कर तैयार हो गया,तब तक प्रधान जी ने उसे नाश्ते के लिए नौकर के हाथों बुलवा भेजा.....
नाश्ते में गरमागरम पूरी-सब्जी थी साथ में थी दही और जलेबी,सुजलाम को ऐसा नाश्ता करके बहुत अच्छा लगा,फिर उसने प्रधान जी कहा कि मुझे अंकल ने एक पुराने महल के बारें में बताया था,मुझे उसी महल का चित्र प्रतियोगिता के लिए बनाना है इसलिए मैं यहाँ आया हूँ.....
तो क्या बाबूजी ने आपको ये नहीं बताया कि वो महल भुतहा है,प्रधान जी ने पूछा।।
जी! बताया था,सुजलाम बोला।।
ठीक है तो मैं हरिया को आपके साथ जाने के लिए कह देता हूँ लेकिन ध्यान रहें,वहाँ अब भी आत्माएँ भटकती हैं,सावधान रहिएगा,प्रधान जी बोले।।
ठीक है,मैं ध्यान रखूँगा और फिर इतना कहकर सुजलाम हरिया के साथ वहाँ जा पहुँचा,वहाँ की खूबसूरती देखकर सुजलाम का मन प्रसन्न हो गया,पहाड़ के ऊपर बना महल,आस पास हरियाली,कौन कहता है कि यहाँ भूत रहते हैं,ये तो बहुत ही खूबसूरत जगह है।।
और फिर सुजलाम ने उस दिन से अपनी पेंटिंग बनानी शुरु कर दी,वो शाम तक उस जगह पर अपना काम करता फिर लौट जाता,पेंटिंग इतनी जल्दी तो बन नहीं पाती इसके लिए तो कई दिन चाहिए होते हैं इसलिए अब सुजलाम रोज रोज हरिया को साथ में ना लाता,साथ में पीने का पानी और कुछ खाने को जरूर ले आता....
दोपहर में धूप जब थोड़ी तेज हो जाती तो सुजलाम वहीं किसी पेड़ के नीचे अपना चादर बिछाकर आराम कर लेता,एक दिन इसी तरह सुजलाम जब आराम कर रहा था तो एक लड़की उसके पास आकर बोली...
मैं कई दिनों से देख रही हूँ कि तुम रोज यहाँ आते हो, तुम यहाँ क्या करने आते हो?
लेकिन तुम हो कौन ?मुझसे सवाल क्यों कर रही हो?सुजलाम ने पूछा।।
मेरी छोड़ो पहले तुम बताओ,लड़की बोली।।
मैं यहाँ चित्रकारी करने आता हूँ,सुजलाम बोला।।
जरा मैं भी तो देखूँ तुमने किसका चित्र बनाया है? लड़की ने पूछा।।
फिर सुजलाम ने अपना चित्र दिखाया तो चित्र देखकर लड़की बोली....
ओह....ये तो वो भुतहा महल है।।
हाँ!उसी का चित्र बना रहा हूँ,सुजलाम बोला।।
तुम्हें पता है कि वहाँ कौन रहता है? लड़की ने पूछा।।
नहीं! तुम बताओ,अगर तुम्हें पता हो तो,सुजलाम ने पूछा।।
वहाँ आत्माएँ रहतीं हैं,उस महल की एक अजीब कहानी है,लड़की बोली।।
तो मुझे भी वो कहानी सुनाओ,सुजलाम बोला।।
कहानी तो मैं सुना दूँगी लेकिन वादा करो कि तुम डरोगे नहीं,लड़की बोली।।
नहीं डरूँगा,वादा करता हूँ,सुजलाम बोला।।
तो फिर सुनो मैं तुम्हें उस महल की कहानी सुनाती हूँ और फिर लड़की ने कहानी सुनानी शुरु की...
बहुत समय पहले की बात है यहाँ एक राजा रहता था जिसका नाम अमर्त्यसेन था,उसके तीन रानियाँ और पाँच बेटे थे,राजा बहुत ही क्रूर शासक था वो अपनी प्रजा के साथ दुर्व्यवहार करता था,साथ में राजा बहुत अय्याश भी था,राज्य की कोई भी कन्या उसकी कुदृष्टि से नहीं बच पाती थी।।
एक बार राजा वन शिकार करने गया और वहीं भटक गया,उसे बहुत प्यास लगी थी और वो वन में पानी की तलाश करने लगा,तभी उसकी नजर एक कुटिया पर पड़ी,वो वहाँ गया और बाहर से पुकार लगाई ,भीतर से ऋषि कन्या निकल कर आई और राजा से वहाँ आने का कारण पूछा।।
राजा ने कारण बताया तब ऋषि कन्या ने उसे पानी पिलाया,तब राजा उस समय तो धन्यवाद कहकर चला गया लेकिन वो तो ऋषि कन्या पर मंत्रमुग्ध हो चुका था और उससे विवाह करने का मन बना चुका था इसलिए उसने ऋषि के पास संदेशा भेजा।।
लेकिन ऋषि कन्या कमलनयनी ने उस प्रस्ताव को ये कहकर ठुकरा दिया कि वो किसी मूर्तिकार रामहस्त से प्रेम करती है और उसी से विवाह करेगी,राजा ने उस मूर्तिकार को खोजा और उसे धन का लालच देकर कमलनयनी से दूरी बना लेने को कहा,लेकिन रामहस्त ना माना और उसने कहा कि मैने कमलनयनी से सच्चा प्रेम किया है और मैं उसका त्याग नहीं कर सकता।।
ये सुनकर राजा क्रोधित हुआ और अपने इसी महल के प्राँगण में उसने कमलनयनी और रामहस्त को प्राण दण्ड दे दिए,तब असमय मृत्यु से कमलनयनी की आत्मा को शान्ति नहीं मिली और उसकी आत्मा ने एक एक करके राजा अमर्त्यसेन के वंश का नाश कर डाला।।
ओह ...तो उस महल में ये हुआ था,सुजलाम बोला।।
अब डरना मत ये कहानी सुनकर,लड़की बोली।।
नहीं! मैं नहीं डरूँगा,सुजलाम बोला।।
तो फिर मैं चलती हूँ,लड़की बोली.....
अरे,अपना नाम तो बताती जाओ,सुजलाम बोला।।
मेरा नाम सुनकर तुम डर जाओगे,लड़की बोली...
नहीं डरूँगा,कसम से,सुजलाम बोला...
मेरा नाम कमलनयनी है और इतना कहकर वो लड़की गायब हो गई और सुजलाम ये देखकर हक्का बक्का रह गया.....

समाप्त....
सरोज वर्मा....