छल - Story of love and betrayal - 24 Sarvesh Saxena द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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छल - Story of love and betrayal - 24

मैडम बहुत कमजोर और बीमार सी दिख रही थी तभी अचानक बिजली कड़की और उनके घर की लाइट चली गई, वो घबराकर मेरा हाथ पकड़ कर बाहर की ओर भागी, बारिश तेज़ हो गई थी, हम दोनों टैक्सी में बैठ गए, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं और यह भी नहीं पता था कि मैं मैडम को कहां ले जाऊं इसीलिए मैं बस टैक्सी चलाता रहा, घर वाली का फोन आता रहा पर घबराहट में मैंने उसका फोन भी नहीं उठाया |

मैंने मैडम से पूछा क्या बात है तो उन्होंने बताया कि, "वो जो आदमी उस दिन मॉल में था, मेरा पति था, उसका किसी और के साथ चक्कर है, ये तो मुझे पहले से ही पता था लेकिन मैंने कई बार तुम्हें बताना चाहा लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई और वैसे भी मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी में कितनी परेशानी बढ़ गई, दो दिन से मेरा पति घर पर नहीं आया, ना ही उसने कोई फोन किया लेकिन मुझे आज शाम ना जाने कैसे उनका मोबाइल घर पर मिला तो मैंने देखा उसमें कई मिस कॉल पडी थी, आखिरी नंबर डायल करते ही उधर से आवाज आई..

"हां यार कैसे है तू? यह सब जगह मैं क्या सुन रहा हूं, तुम्हारा कल मर्डर हो गया साथ में उसका भी, अरे मरना तो तुम्हारी बीवी को था, इतने दिन से स्लो प्वाइजन दे रहा हूं, अब तक न मरी, मुझे लगा तूने उसे निपटा दिया पर यह तो तेरी और उसके मर्डर की खबर है | क्या गड़बड़झाला है? कुछ खुल कर बता ? हेलो.. हेलो.. …"।


ये सब सुनकर मैंने फोन काट दिया, मैं अब सब समझ गई थी, मैंने बहुत सोचा, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरा पति मुझसे नफरत तो करता था लेकिन वह मुझे धीरे-धीरे मार डालेगा यह पता नहीं था इसीलिए मैंने तुम्हें फोन किया मैंने अपना पूरा बैग जल्दी से पैक कर लिया और तुम्हें बुला लिया मुझे मरना नहीं है, प्लीज मुझे बचा लो.. " |

इतना कहकर मैडम रोने लगी, मैं कुछ कहता इससे पहले आवाज आई," तुझे अब कोई नहीं बचा सकता, क्योंकि तुझे मरना ही पड़ेगा.. मेरे हाथों, हा.. हा.. हा.. हा.. " |

मैंने तुरंत टैक्सी में ब्रेक लगाया, बिजली रह-रहकर कौंध रही थी, पीछे की सीट पर कोई आदमी बैठा था, मैंने गाड़ी की लाइट जलाई तो मैडम चिल्ला उठी और गाड़ी का दरवाजा खोलकर भागी, वो आदमी उनका पति था, मैं मैडम के पीछे भागा और चिल्लाया,
" मैडम गाड़ी में बैठो...मैडम गाड़ी में बैठो…" तभी टैक्सी स्टार्ट होने की आवाज आई और टैक्सी हमारे पीछे पीछे आने लगी, मैं मैडम को बुलाता रहा लेकिन वो बारिश और तूफान में सुनसान सड़क पे भागती जा रहीं थीं तभी टैक्सी मेरे और मैडम के बीच आकर रुक गई, उसमें से वह आदमी उतरा और हंसते हुए मुझ पर वार करने लगा, मैंने भी उसे खूब मारा लेकिन उसने न जाने क्या अपनी जेब से निकाला और मुझ पर स्प्रे कर दिया और मुझे बेहोशी आने लगी, यह देखकर मैडम भागकर मेरे पास आई और रोने लगी, तभी मैडम का पति जोर जोर से हंसने लगा और बोला,

"चिंता मत कर बेवकूफ और पागल औरत, मैं आज तुझे आजाद कर दूंगा, वैसे भी तू बहुत जी चुकी, तेरे जीने की अब कोई जरूरत नहीं और यह साला मिस्टर आशिक जाएगा जेल वो भी तेरे मर्डर के इल्जाम में, मैं चाहूं तो तुम दोनों को अभी मार दूं पर मैं इतना निर्दई जो नहीं हूं… तो कैसे करूं, मैं अपनी इस पागल औरत को भी मारना नहीं चाहता था क्योंकि यह तो धीरे-धीरे मरने की दवाई खुद ही खा रही है लेकिन अब तू मेरा राज जान गई है, अब तू मरेगी… ह.. हा.. हा.., "|