अगले दिन प्रेरित ने भैरव से मिलकर उसे सारी बात बताई और उसकी सारी सच्चाई पूछी, भैरव ने एक गहरी साँस ली और कहा, "क्या बताऊँ साब, बात बहुत सालों पहले की है, हमेशा की तरह मैं उस रात भी अपनी टैक्सी एक होटल के बाहर खड़ी करके आपस में कुछ बातें कर रहा था तभी एक मैडम बहुत दुखी और लड़खड़ाते हुए होटल से निकली और टैक्सी के लिए आवाज देने लगी | मैं जल्दी से अपनी टैक्सी लेकर उनको बिठाने लगा, वो बहुत सुंदर थी, पहनावे से काफी अमीर भी लग रही थी लेकिन उनकी उदास आंखें किसी के मन को छू लेती, मैंने टैक्सी स्टार्ट करके उनके बताए पते के लिए निकल पड़ा, काफी देर तक जब वह मैडम कुछ भी नहीं बोली तो मैंने पूछा मैडम आप ठीक तो है ना.. ,
इस पर वह बड़ी तेजी से हंसने लगी और अपनी उदास आंखों से देखने लगी और बोली “ हां मैं ठीक हूं, वैसे इस पूरे जहां में कोई पूरी तरह से ठीक है क्या”?
मैं उनकी बात का जवाब नहीं दे सका, मैंने बस इतना कहा कि मैडम आप टेंशन ना लो, सब ऊपर वाला ठीक कर देगा | मैंने हंसते हुए गाना बजाना शुरू करा,
जिंदगी एक सफर है सुहाना…
यहां कल क्या हो किसने जाना…
हम अभी आधे रास्ते तक पहुंचे की मैडम का फोन बजने लगा फोन उठाते ही उधर से आवाज आई, "कहां हो तुम? पार्टी से बिना बताए ही कहीं चली गई, तुम्हारी इन्ही हरकतों से मैं तुम्हें साथ नहीं लाता, लोग हंसते हैं मुझ पर" |
मैडम ने बड़ी शांति से कहा, "मैं घर के लिए निकल चुकी हूं और वैसे भी मेरे पार्टी में रहने से क्या होता, तुम्हें तो अपने क्लाइंट्स और यार दोस्तों और उनकी बीवियों से फुर्सत नहीं होती, तो मैं वहां क्या करती"?
इस पर उधर से आवाज आई, “बकवास बंद करो और चुपचाप घर जाओ, और तुमने अपनी दवा नहीं ली, इसीलिए तुम्हें बेकार के खयाल आते रहते हैं" , तभी फोन कट गया, मैं गाड़ी के शीशे में मैडम को देख रहा था, उन्होंने मुझे गाड़ी रोकने को बोला, मैंने तुरंत गाड़ी रोकी और पूछा, "क्या हुआ मैडम"?
मैडम -" तुम्हारे पास पानी होगा"?
मैडम को मैंने अपनी पानी की बोतल देते हुए कहा, “हां.. यह लो मैडम, क्या हुआ आप ठीक तो हैं ना "?
उन्होंने अपनी पर्स से कुछ दवाई निकाली और खा ली, तभी मेरा फोन बजने लगा, फोन घरवाली का था," अरे बाबा तेरे को कितनी बार समझाऊं कि धंधे के टाइम पर जल्दी मत मचाया कर, तू खाना खाकर आराम कर, अरे बाबा मैंने ले लिया है, मैं घर आ कर देता हूं, तू सोनू को सुला दे और तू भी आराम से सो जा, मैं थोड़ा लेट हो जाऊंगा" ये कहकर मैने फोन काट दिया |
मैं और मैडम फिर गाड़ी में बैठ गए | मैडम पहले से और उदास हो गई, मैंने कुछ पूछना चाहा पर नहीं पूछा, मैडम का घर आ गया तो मैडम ने उतरते हुए किराया दिया और एक्स्ट्रा सौ रुपये देकर बोली," मेरी तरफ से बच्चे को दे देना"|
मैडम जाने लगी तभी मैंने मैडम को रोका और उन्हें अपना कार्ड दे दिया और कहा, "आपको कोई भी जरूरत हो तो मुझे इस नंबर पर फोन कर लीजिएगा और मैडम अपना ध्यान रखना, अच्छा चलता हूं" |
इसके बाद मैं अपने घर आ गया, मुझे रात भर बेचैनी सी होती रही, उनकी उदास आंखें मुझे बार-बार परेशान करती रहीं |