ये पत्र पढ़कर प्रेरित की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा, इतने साल की पुरानी यादें उसके चारों और आग का बवंडर बन कर दहकने लगी | प्रेरित ने चिट्ठी के साथ रखी मेडिकल रिपोर्ट भी देखी तो उसे पसीना आ गया, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, उसके दिल की धड़कन सीना चीर कर उसके कानों में चुभ रही थी |
"सर आपका टाइम पूरा हो गया इस फॉर्म पर साइन कर दीजिए और अपना सामान ले लीजिए" तभी एक बैंककर्मी ने कहा |
प्रेरित ने लॉकर का सारा सामान बैग में डाला और बैंक के बाहर आया, उसका दम घुट रहा था और समझ नहीं आ रहा था कि अगर चाचा जी कभी बाप ही नहीं बन सकते थे तो फिर माँ ने मुझसे इतना बड़ा झूठ क्यूँ कहा, और मैं कौन??
सवालों की गोलियां लगातार प्रेरित के शरीर को छलनी कर रही थी, वह सोच सोच कर परेशान था कि यह सब हो क्या रहा है उसके साथ, वह सारी रात होटल में जागता रहा उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह किसी भंवर में फंसा हो, उसे भैरव की याद आई, उसे लगा काश वो होता तो उससे बात करता, एक वही था जो उसकी बात सुनता पर वो तो जेल में है और पता नहीं वो ठीक होगा भी कि नहीं, उसको घायल हालत में मैं छोड़ कर आया था, लाखों सवाल मन में लिए प्रेरित न जाने कब सो गया |
आधी रात में आवाज आई, "बेटा.. उठो, बेटा.., मुझे माफ कर दो, मैंने तुमसे झूठ बोला बेटा, उठो. हा.. हा.. हा.. हा.." |
आवाज सुनकर प्रेरित की आंख खुल गई, सामने देखा तो माँ खड़ी थी, उसे मां के चेहरे में खौफ दिखाई दे रहा था |
प्रेरित अपने इधर उधर देखने लगा की तभी मां गायब हो गई, और वो समझ गया की ये सिर्फ एक सपना है ।
जैसे तैसे प्रेरित की रात कटी, सुबह उठते ही अपने किए हुए वादे के अनुसार प्रेरित भैरव के घर पहुंचा |
" जी आप कौन"?
भैरव की पत्नी ने दरवाजा खोलते हुये पूछा|
प्रेरित - "जी.. मैं प्रेरित शर्मा, दरअसल आपके पति भैरव को जानता हूं, उन्होंने आप लोगों का हालचाल जानने को कहा था" |
"आइए.. बैठिए", चारपाई पर बिखरे कपड़े और सामान हटाते हुए भैरव की पत्नी बोली |
घर जर्जर हालत में था, बच्चे टूटे और पुराने खिलौनों से खेल रहे थे जो प्रेरित के आते ही मां के पीछे पीछे घूमने लगे, प्रेरित कुछ कहता इससे पहले ही भैरव की पत्नी ने अपने सवालों की लड़ी खोल दी, जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि वह भैरव से कितना नाराज थी और जिंदगी को कैसे इन मासूमों के साथ काट रही थी |
भैरव की पत्नी ने कहा - "भैया… पहले तो आपको कभी नहीं देखा और आप कहां मिले उनको, इतने साल हो गए तब तो कोई नहीं आया हाल जानने, आज अचानक…",
और न जाने क्या-क्या सवाल भैरव की पत्नी ने प्रेरित से पूछ डाले |
प्रेरित - "क्या आपको पता है, आपके पति किस जुर्म की सजा काट रहे हैं?, आपने अपने पति से इतने सालों में कभी बात करने की कोशिश नहीं करी, जो हर रोज आपको याद करते हैं, उनसे आपने मिलने के बारे में तक नहीं सोचा, अरे इस मासूम ने तो अपने पिता को देखा भी नहीं, इसी की खातिर मिल लेती" |
भैरव की पत्नी (गुस्से में) - " सब बकवास है, जो आदमी दूसरों की औरतों के साथ रंगरलिया मनाता है, उनको लूटता है और पता लगने पर उस औरत को कत्ल कर देता है, मुझे ऐसे आदमी की विधवा होना मंजूर है लेकिन उसकी मुझे कोई जरूरत नहीं "|
इतना कहकर भैरव की पत्नी साड़ी के पल्लू से आंसू पोछने लगी |