युद्ध का रण - 1 Mehul Pasaya द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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युद्ध का रण - 1

सुभ प्रभात आज एक नई कहानी की और चलते है जहा पे एहसास थोड़ा पुराना होगा और थोड़ा अलग सा होगा तो चलो फिर शुरू करते है

सावधान महराज पधार रहे है...

तशरीफ रखिए सब लोग

महराज आज एक बड़ी समस्या आय हुए है तो आप जरा हल बताए है ताकि हम इस मुसीबत से बच सके

समस्या बताए

जी महाराज हम है बलवंत। वो ना ये कालू बोल रहे है की इन्होंने मेरी मछली पकड़ने कि जाल नहीं ली बट मेरी मछली पकड़ने कि जाल इन्होंने ही ली है हमे पता है और हमारे पास सबूत भी है

आपका कहना है की आपकी मछली पकड़ने कि जाल कालू ने ली और वो ये कबूल नहीं कर रहे। ठीक है तो फिर हम आपके सबूत को देखना चाहेंगे फिर। की क्या है इस मछली वाली समस्या में

दाऊ यहा आओ और बताओ कि मेरी जाल इन्होंने ली या नहीं

जी महाराज भैया की जाल इन्होंने ली है और हमने अपनी आंखो से देखा है इन्हे लेते हुए

अब आप बताओ कालू आपका क्या कहना है इस विषय पर

हमने नहीं ली है महाराज में सच बोल रहे हैं आप मेरा यकीन करो

कैसे यकीन करू आपके खिलाफ गवाह है सबूत के तौर पर

महाराज मेरे पास एक और भी सबूत का गवाह है आप कहो यहा बुलाओ

जी सबूत के गवाह को बुलाया जाए

जी महाराज इन्होंने जाल चोरी की है और हम ना जब वहा से गुजर रहे थे तब ना बलवंत की जाल इस कालू भाई ने चोरी की थी मेने वो नज़ारा अपनी इन दो आंखो से देखा है

अब बोलो कालू अब तुम्हारा क्या कहना है इस पर भी तुम्हारे खिलाफ दो गवाही देने के लिए खड़े है कि कसूरवार तो तुम ही हो

जी महाराज ये लोग सच बोल रहे हैं मेने ही इनकी जाल मेने ही ली थी

लेकिन पहले आप ये बताएंगे की ऐसा तो क्या हो गया था कि आपको चोरी करने की जरूरत पड़ गए

महाराज हम करे भी तो क्या करे मेरा छोटा सा परिवार है उसको पालना बहुत मुश्किल सा होता जा रहा है और फिर मेरे पास कोई काम भी तो नहीं है ना तो इस लिए सोचा इनकी जाल लेकर में मछली पकड़ रहा था कि ऐसे में ये लोग आ गए और फिर चोर समझ लिया में बार बार आपको बताने की कशिश कर रहा था लेकिन ये लोग एक साथ दो सबूत पे गवाह देने वालो को ले आए फिर में कुछ बोल नहीं पाया

ओह अच्छा तो ये बात है। फिर तो कसूरवार बलवंत है क्यू की बलवंत ने कालू को एक मौका तक नहीं दिया अपनी बात रखने का ये तो उचित नहीं है ना। तो बलवंत आप पूरा सच जाने ऐसे कैसे किसी के खिलाफ शिकायत कर सकते है

माफ कीजिएगा महाराज हमने पूरा सच नहीं जाना था और यहा पे आ गए

अभी तक आपने जाना की बलवंत बिना जाने किसी निर्दोष पे इल्जाम लगा देता है और फिर उसको निराश हो क्षमा मांगते है उनकी भूल कि अब आगे

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