Yuddh ka ran - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

युद्ध का रण - 3

सेना के सेवक मणिक : सावधान रहे महल से कैलाश जी पधार रहे है. संदेश ले कर कृपया ध्यान दिजीये.

कैलाश : महल से महाराज भुजंग ने संदेश भेजा है की हमे देव गढ सालू के राजा से युद्ध लड़ कर हमे वो सिंहासन हासिल कर ना है. और फतेह करनी है.

सेना के सेवक मणिक : तो सुना आप लोगो ने महाराज का आदेश है की हमे देव गढ सालू मे जाकर उस राज्य को हड़प ना है.

सेना : हा हा हम तैयार है हा हा हम तैयार है

सेना के सेवक मणिक : कैलाश जी आप अब निचिन्त हो कर जाईये और महाराज भुजंग को बताईये की सेना बिल्कुल तैयार है इस युद्ध को लड़ने के लिये.

कैलाश : ठीक है तो फिर हम चलते है और महाराजा को ये संदेश भेज देते है.

《 कुच ही क्षण बाद... 》

महाराजा : हे इश्वर पता नही मेरे इस शाम रज्या का क्या होगा अभी तो मेरा सू पुत्र भी छोटा है. वो कैसे सब संभाल पायेगा. महाराणी जी आप ही बताओ मे क्या करू दिन पे दिन मेरि हालत नाजुक होती जा रही है. और पास के राजा को पता लगा वो तुरंत युद्ध करने आ पडेंगे और इस देव गढ सालू पे अपना हक्क जमा लेंगे.

महाराणी कुमावती : आप शिन्ता मत किजीये स्वामी जी हमारा पुत्र अवश्य छोटा है. किंतु वो अब इत्ना होशियार और बलवान बन चुका है. की ऐसी 250 सेना आ जाये फिर भी हार नही मानेगा.

महाराजा : वैसे हमारा पुत्र कहा है उन्हे बुलाओ हमे मिलना है उनसे.

महाराणी कुमावती : करण पुत्र को बुलाया जाये.

दासी : छोटे महाराज करण जी आपको बडे महाराज बुला रहे है. कृपया आप महाराज से मिल लिजिये.

करण : जी जरुर हम अभी जा रहे है.

महाराज : अरे आओ आओ मेरे करण पुत्र. देखो ना ये मेरि हालत दिन पे दिन एक दम से खराब होती जा रही है. और अब इस देव गढ सालू की गादी पर आप बैठो गे ठीक है.

करण : जी पिता श्री आप का हुक्कम सर आंखो पर. हमारे होते हुए इस महल को और इस महल से जुडी हुए कीसि भी प्रजा को कीसि भी तरह का नुक्सान नही पूछने देंगे ये हमारा वादा है. आपसे आने दो जितनी भी सेनाए आती है. हम भी देखते है कौन क्या करता है.

महाराज : बस बस मेरे प्यारे बेटे जी हमे आपसे यही उमीद थी बस अब हमे कोई चिंता नही है.

《 कुच ही क्षण मे... 》

रुद्र : हम जंगल की और जाने वाले है. और मित्र तुम बताओ तुम कहा पृश्थान करने वाले हो.

वीर : मित्र हम भी आपके साथ आयेंगे आज दरअसल वो क्या है ना की हम वहा पे थोडा रिहर्सल करने के लिये भी जाने वाले थे तो सोचा की क्यू ना आपके साथ ही चले जाये.

रुद्र : बहुत अच्छे तो चलो फिर चलते है.

《《《 अभी तक आपने जाना की कैसे देहरण के राजा ने साजिश रच के सेना को तैयार करवाया और मौका देखते ही संदेशा भिजवा दिया युद्ध के लिये अब आगे क्या होगा वो जान्ने के लिये पढते रहे युद्ध का रण 》》》

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