अब तक आपने जाना की कैलाश भुजंग की सेना को युद्ध लड़ने के लिए तैयार करने के लिए संदेश भिज्वाया अब आगे
महाराज भुजंग : आज तो उस साम राज्य को खतम कर के ही वापस लौटेंगे
कैलाश : हा महाराज जी क्यू नही अवश्य जीत हमारी होगी देखना आप
सेना का सेवक : जी महाराज आप निचिन्त रहिये जीत हमारी ही होगी
श्री नारद मुनी जी : नारायण नारायण
महाराज भुजंग : प्रणाम मुनिवर जी आप यहा कैसे सब ठीक तो है
श्री नारद मुनी जी : प्रणाम महराज भुजंग और बाकी महल वासियो को. तो मे हम ये कह रहे थे की मे तो हर जगह रह्ता हू कही भी आपको मिल जाऊंगा जहा मुसीबत हो या फिर हो खुशी का मौका और वहा मे ना रहु ऐसा तो हो ही नही सकता
महाराज भुजंग : वैसे आपको तो सब पता रह्ता है शुरुआत से फिर भी आपको बता देता हू की मे इसी क्षण जा रहा हू पास के राज्य मे युद्ध लड़ने देव गढ सालू मे. चलिये सभी लोग
श्री नारद मुनि जी : जाईये जाईये और लडिये युद्ध हम भी तो देखे किसमे कितना है दम
कुच ही क्षण बाद...
☆देव गढ सालू☆
महाराज : अरे ये क्या हमारे तरफ कोई पास के राज्य से कोई राजा युद्ध लड़ने आ रहा है हे प्रभू अब क्या होगा हमने तो अभी तक कोई तैयारी भी नही की है
दासी : महाराज मे करण और रुद्र को सुचित करती हू
महराज : हा जाईये जल्दी जाईये और सेना को तैयार करवाइये
दासी : जी महाराज जरुर
कुच ही क्षण बाद...
रुद्र : अरे करण भाई ये कौन है जो इस तरफ युद्ध आरंभ करने के लिये आ रहे है
करण : लेकिन ये एक बात भुल रहे है की ये गलत स्थान पर आ रहे है कोई नी आने दो उनको देख लेंगे अगर इस राजा की सारी सेना को खत्म ना कर दिया ना तो मेरा नाम भी करण नही
रुद्र : हा चलो भाई तैयारी करते है युद्ध की
करण : हा चलो जल्दी से वरना हमारी नीव गिर जाएगी और हम ये कदा पी नही होने दे सकते
रुद्र : सही कह रहे है आप
☆देहरण खंड☆
दासी : महारानी जी महाराज निकल चुके है युद्ध के लिए
महारानी सुमित्रा : हे प्रभू मेरे पति की रक्षा करना
दासी : अरे महारानी जी आप फिक्र मत करिये हमारी सेना इतनी बडी है की उसे कोई भी हरा नही सकता
महारानी सुमित्रा : हा जैसा तुम बोल रहे हो वैसा ही हो अन्यथा ठीक नही होगा अगर महाराज को कुच हो गया तो मेरा क्या होगा मुझे तो बहुत डर लग रहा है
☆देव गढ सालू☆
महारानी कुमावती : हे प्रभू आज ये जो दुसरे राज्य के राजा युद्ध लड़ने आ रहे है उसे हमारी रक्षा करना
महाराज : अरे भाग्य वान ऐसे डर ते थोडी है आप एक योद्धा की पत्नी हो ऐसे डरना आप को सौभा नही देता ठीक है आज के बाद ये डरना छोड दिजीये
महारानी कुमावती : जी लेकिन आप को खो देने का डर है उसे कैसे भुलाए
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