नौकरानी की बेटी - 50 - अंतिम भाग RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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नौकरानी की बेटी - 50 - अंतिम भाग

आज आनंदी बहुत ही खुश हैं वो इसलिए कि अन्वेशा, चेतन, रीतू, शैलेश,शना सभी वापस आ रहे है।वो भी अन्वेशा की शादी होने वाली है।।


अन्वेशा की एम डी की पढ़ाई पूरी हो गई और वो भी गोल्ड मेडल के साथ ही।।

अन्वेशा भी बहुत खुश थी और साथ में चेतन भी।।

सभी एक लम्बी सफर के बाद मुम्बई एयरपोर्ट पर उतरे।

वहां पर आनंदी ने अपने एनजीओ के दो सदस्य को भेज दिया था वो लोग ही सबको लेकर घर पहुंच गए।

आनंदी सबको देख कर रोने लगी।
अन्वेशा ने कहा मां देखो मैंने आपका सपना पूरा किया।
आनंदी ने कहा हां बेटा आज मैं बहुत खुश हूं।
चेतन ने कहा मैम मैं भी।।
आनंदी ने कहा चेतन बेटा तुमने जो किया है वो कोई नहीं कर सकता है।
रीतू ने कहा अरे आनंदी राजू, मम्मी पापा सब कब आ रहे हैं?
आनंदी ने कहा हां दीदी वो कल आ रहे हैं।।

कृष्णा ने कहा अब चलो तुम लोग जल्दी जल्दी फे्श हो जाओ।
नाश्ता में क्या है नानी? ये चेतन ने कहा।
कृष्णा ने कहा गर्म गर्म आलू के परांठे और छोले।

रीतू ने कहा अरे वाह कितने सालो के बाद खाने को मिलेगा।

शना ने भी हामी भरी।

फिर सभी डाइनिंग टेबल पर बैठ गए।
कृष्णा ने बड़े प्यार से सबको नाश्ता परोस दिया।

फिर इसी तरह मजाक मस्ती में एक दिन बीत गया।
दुसरे दिन ही रीतू के मम्मी पापा, राजू और उसकी पत्नी सब लोग आ चुके थे।

कहने को तो आनंदी के परिवार में कोई भी नहीं था कृष्णा के सिवा पर कहते हैं कुछ लोगों के अच्छे कर्म की वजह से भगवान भी उसके साथ होता है।

एक समय था जब वही छोटी सी आनंदी एक नौकरानी की बेटी बन कर आती थी और एक समय आज है आनंदी के साथ उसका इतना बड़ा परिवार है जहां कभी कृष्णा वाई काम किया करती थी ‌।
दोस्तों कभी एक सा नहीं रहता है कभी ना कभी बदलता है।

आज आनंदी की बेटी अन्वेशा की शादी बड़े ही धूमधाम से हो गई।वर वधू को सभी आशीर्वाद देकर चले गए।


आनंदी के घर सब लोग उपस्थित हुए थे उसके समर्पण एनजीओ के सदस्य, उसके आफिस के सभी अफसरों को भी बुलाया गया था।


अन्वेशा और चेतन शादी के दूसरे दिन हनीमून पर चले गए। आनंदी ने ही सबकुछ पहले से ही कर दिया था। आनंदी ने टिकट बुक एवं होटल बुकिंग सबकुछ पहले ही कर दिया था। आनंदी ने जो कुछ सोचा था वहीं किया और फिर आनंदी चाहती थी कि अन्वेशा एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके। चेतन को भी एक बेटे के तरह मानती थीं।

चेतन ने कहा अरे बाबा मां आप और नानी मां भी चलों।। आनंदी ने कहा हां ज़रूर चलती बेटा पर बहुत काम है। हां पर तुम लोग घुम कर आओ फिर हमलोग रीतू दी के पास जाएंगे ‌चेतन ने कहा ओके मां।

और आनंदी एक बार फिर किसी दूसरे के सपनों को पूरा करने के उद्देश्य से निकल पड़ी। फिर किसी जगह कोई जरूरत मन्द,कहीं कोई परेशान, कोई बाल मजदूर को मुक्त कराने को तैयार हो गई।

दोस्तों आज मैं आप सभी से विदा लेती हुं।
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हुं।


समाप्त।।