साहेब सायराना - 25 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साहेब सायराना - 25

दिलीप कुमार अपने बेटे के न रहने पर फूट- फूट कर रोए थे।
दिलीप कुमार का बेटा???
यही सोच रहे हैं न आप?
जी हां, पिछली सदी के आठवें दशक में दिलीप कुमार की बेगम सायरा बानो गर्भवती हुई थीं। पूरे आठ माह तक ये गर्भ रहा। और बाद में इस बात की पुष्टि भी डॉक्टरों ने की कि दिलीप सायरा की ये संतान एक "बेटा" ही थी जिसे सायरा की अचानक तबीयत बिगड़ जाने के कारण बचाया न जा सका।
उस वक्त सायरा बानो अपनी एक ब्लॉकबस्टर फ़िल्म "विक्टोरिया नंबर 203" की शूटिंग में व्यस्त थीं। नवीन निश्चल के साथ- साथ प्राण और अशोक कुमार की ज़बरदस्त भूमिका को लेकर बनी ये फ़िल्म एक बेहद शानदार और कामयाब फ़िल्म थी।
फ़िल्म की शानदार कामयाबी अपनी जगह थी किंतु दिलीप कुमार और सायरा बानो दोनों ने ही अपने इस बच्चे को बहुत मिस किया। सबसे ज्यादा हृदयविदारक बात तो ये थी कि डॉक्टर ने सायरा बानो की सेहत को देखते हुए उन्हें भविष्य में भी मां बनने का ख़्वाब छोड़ देने की हिदायत दी थी। इस घटना ने दिलीप कुमार को काफ़ी आघात पहुंचाया लेकिन सायरा बानो को संभालने में उन्होंने कोई कोताही नहीं की।
कुछ वर्ष के बाद उनके दूसरे प्रेम में पड़ जाने को भी लोग उनकी इस ख्वाहिश से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन उनका यह तथाकथित दूसरा प्यार किसी बुरे सपने की तरह बीत गया। बीत गई बात गई।
जब भी कभी उनका वात्सल्य उमड़ा उन्हें ये याद आया कि दिलीप साहब अभिनेता शाहरुख खान से भी ऐसा ही लगाव रखते हैं जैसे वही उनकी संतान हों।
शाहरुख खान भी बताते थे कि उनका दिलीप कुमार के पास जाना और उनसे मिलना जुलना तब से था जब ख़ुद शाहरुख एक्टिंग की दुनियां में भी नहीं आए थे। बचपन और किशोरावस्था में शाहरुख अपने पिता के साथ दिलीप कुमार के पास आते थे। कहाजाता है कि कभी दिल्ली शहर में शाहरुख खान और दिलीप कुमार एक ही गली में रहने वाले पड़ोसी की तरह थे। विदेश से कोई दवा दिलीप साहब के लिए उनके घर आया करती थी जिसे पहुंचाने के सिलसिले में शाहरुख खान का उनसे मिलना होता था।
बाद में ख़ुद शाहरुख दूरदर्शन धारावाहिक के ज़रिए अभिनय की दुनिया में आ गए। सायरा बानो से उनका करीबी परिचय तब हुआ जब शाहरुख खान की पहली फ़िल्म "दिल आशना है" रिलीज़ हुई। सायरा पति दिलीप कुमार से उनकी आत्मीयता के कारण शाहरुख से बेहद अपनेपन से मिलीं। उन्होंने शाहरुख के बालों में हाथ भी फेरा और कहा कि इसके बाल बिल्कुल दिलीप साहब की तरह ही हैं। वह ये कहने में भी नहीं चूकीं कि अगर हमारी संतान होती तो वो बिल्कुल शाहरुख खान जैसी ही होती।
ये उद्गार तो शाहरुख खान की दिलीप कुमार के परिवार से निकटता जताने के लिए पर्याप्त थे। बड़बोला मीडिया तो इसी आधार पर शाहरूख खान को दिलीप साहब का वारिस बताने तक में नहीं चूका।
लेकिन इस फानी दुनियां में कोई किसी का वारिस नहीं होता सब अपने ही वारिस हैं और अपने ही पूर्वज।
आसमान के सितारों की तरह जगमगाती कामयाबी की इस फ़िल्मनगरी में लोग भी बड़े बातें भी बड़ी।
यद्यपि दिलीप कुमार को अपने अंतिम कुछ सालों में डिमेंशिया (विस्मृति रोग) की शिकायत हो गई थी किंतु याददाश्त रहने तक वो अक्सर स्वीकार किया करते थे कि शाहरुख ने उनकी देखभाल ज़रूरत पड़ने पर हमेशा ही की है।
अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए हमेशा सजग रहे दिलीप कुमार को सायरा बानो उनकी वृद्धावस्था में सदैव किसी वरदान की तरह रहीं।
अब ये सब अतीत है।
अब ये सब यादें हैं!