पेसो से बदलते रिश्ते shama parveen द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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पेसो से बदलते रिश्ते

नैना और नैतिक दोनो आज बहुत ही खुश हैं क्योंकि आज ये दोनो अपने चाचा जी के घर जाने वाले है। दोनो सुबह उठ कर जल्दी से त्यार हो जाते है। नैतिक और नैना अपने पिता जी के साथ रहते है इनकी मां नही है । उन्हे गुजरे हुए दस साल हो गए हैं। तब से इनके पिता इन्हे अकेले ही संभाल रहे हैं। नैना के पिता का नाम रमेश है। रमेश तीन भाई बहन है जिनमे से रमेश सबसे बड़ा है और सबसे गरीब। रमेश के भाई और बहन बहुत अमीर है।

उधर अपने जेठ की आने की खबर सुनते ही कमला के सर में दर्द होने लगता है और वो अपने पति से लड़ने लगती है।

सुनो जी देखो आज मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है मुझ से खाना नही बनने वाला है। तुम अपने भईया से बोल दो की आज हमारे घर ना आए

तुम ये क्या बोल रही हो तुम्हे पता है ना आज भईय पूरे पांच साल के बाद आ रहें हैं मे उन्हे केसे मना करू।

अच्छा जी बड़ी चिंता हो रही हैं उन भूखे नंगो की। गरीब कही के । एक तो खाली हाथ आयेंगे और ऊपर से हमारा राशन खत्म करके जाएंगे। वैसे वो भूखे नंगे लोग क्यों आ रहे हैं।

मुझे क्या पता। मेरे को तो रात को ही फोन आया था। बोल रहे थे की हम कल आ रहे हैं।

जरूर कुछ मांगने ही आ रहे होंगे।

देखो तुम परेशान मत हो। उनके लिए कुछ भी रूखा सूखा बना देना गरीब है कोनसा ज्यादा अच्छा खाना खाते होंगे।

तभी पीछे से कमला का बेटा आता है।

मम्मा हमारे घर में कोन आ रहा है। अरे बेटा नैना और नैतिक आ रहे है।
ओह मम्मा। क्यू ।

ये लोग हमारे घर क्यों आ रहे हैं ये तो गरीब है ना आप इन्हे मत आने दो मम्मा। मुझे गरीब लोग अच्छे नही लगते है।

कोई बात नही बेटा परेशान मत हो आज तेरी बुआ भी आ रही हैं। वो तेरे लिए बहुत कुछ लाएगी देख लेना।

रमेश बच्चो के साथ घर से निकल जाता है और फिर बस में बैठ जाता है। बस में बैठे बैठे रमेश सोचता है की मेरे पास तो इतना समय नही होता है की बच्चो से आराम से बैठ कर बाते करू। आज जब ये अपनी चाची और बुआ से मिलेंगे तो इन्हे अच्छ लगेगा। इन्हे वहा मां का प्यार भी मिल जायेगा। जो मै नही दे पाता हु। इन्हे देख कर सब कितना खुश होंगे।

तभी इनका स्टॉप आ जाता है और ये लोग उतर जाते हैं। और फिर रिक्शे में बैठ कर घर पहुंच जाते हैं।

नैना बाहर से बैल बजाती है तभी नैना के चाचा जी गेट खोलते हैं तभी नैना और नैतिक उन्हे प्रणाम करते हैं। और सब घर में चले जाते हैं।

चाचा जी उन के लिए तीन अलग कुर्सियां लाते हैं। और उन्हे बैठने बोलते हैं।

फिर थोड़ी देर बाद उनकी चाची चाय लाती है और बिस्कुट। नैना चाय देख कर चॉक जाती है और पूछती है की चाची ये कैसी चाय है।

तो चाची बोलती है की ये लाल चाय हैं। क्योंकि तुम लोगों के पास तो पैसे नही होते होंगे ना दूध लाने के तो तुम यही पीते होगे। इसलिए मैने भी बिना दूध की चाय बना दी।

रमेश दोनो बच्चो को आंख दिखाता है और बोलता है की चुप चाप चाय बिस्कुट खा लो।

दोनो चुप चाप खा लेते हैं

तभी नैना की बुआ भी वहा आ जाती है। उन्हे देख कर कमला बहुत खुश होती है। और उन्हे सोफे पर बैठा ती है और उनके लिए कॉफी और बच्चो के लिए जूस लाती है और तरह तरह की मिठाई और पकवान लाती है।

रमेश और उसके बच्चे देखते रह जाते हैं।

नैना की बुआ उनके चाचा जी के बच्चो के लिए बहुत से खिलोने और चीज लाती है मगर नैना और उसके भाई के लिए कुछ भी नही लाती है

वहा सब मिल कर खूब बातें करते हैं और खाते है मगर रमेश और उसके बच्चे चुप चाप बैठे रेहते हैं।

अब खाने का वक्त हो जाता है। तो सब खाने की तयारी करने लगते है।

तभी रमेश बोलता हे की अब हम चलते है मुझे कुछ जरूरी काम है। तभी उसका भाई बोलता है की भैया रुक जाओ कुछ खाकर जाना।

तो रमेश कहता है की नही नही मुझे कुछ जरूरी काम था। में चलता हु। तभी रमेश बच्चो को लेकर चला जाता है।

और फिर वो लोग बस में बैठ जाते हैं।

और फिर से रमेश सोचने लगता है की मै कितने प्यार से बच्चो को लेकर गया था की इन्हे वहा मां का प्यार मिलेगा । मगर मेरे बच्चो को किसी ने भी प्यार नही किया और उल्टा उनके साथ कितना नीच बरताव किया। अगर आज मेरे पास भी पैसे होते तो सब मेरे बच्चो को भी प्यार करते। ये सोचते सोचते रमेश कि आंखो में आसू आ गए।

तभी स्टॉप आ गया और वो उतर कर अपने घर चले गए।