तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 10 - अंतिम भाग Manish Sidana द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 10 - अंतिम भाग

"इंस्पेक्टर साहब,जल्दी बताइए कि खुशी का क़त्ल किसने किया था?कौन है वो बेरहम जिसने मेरी मासूम खुशी की जान ले ली?हमारी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी।उसे तो कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।"
खुशी का जिस दिन क़त्ल हुआ ,उस दिन उसकी अपनी सौतेली मां से बहुत बहस हुई... इंस्पेक्टर बताना शुरू ही किया था कि विशाल ने टोक दिया

"सौतेली मां?कौन है उसकी सौतेली मां?उसने मुझे कभी अपनी सौतेली मां के बारे में नहीं बताया"?विशाल के स्वर में हैरानी थीं।
"खुशी की अपनी सौतेली मां से पहली और आखिरी मुलाक़ात क़त्ल वाले दिन ही शी का शादीद भी अपने पुराने प्रेमी की तरफ झुकाव था।हालांकि उसका प्रेमी अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ चुका था।वो अब किसी और के साथ शादी करने वाला था।पर खुशी ऐसा नहीं चाहती थी।तभी कहानी में एक नया मोड़ आया।अपने प्रेमी की सगाई में खुशी की मुलाक़ात उसके प्रेमी की होने वाली सास से हुई।वो खुशी को देखते ही पहचान गई।"

"खुशी का प्रेमी...क्या अनाप शनाप बोल रहे है?इंस्पेक्टर साहब।खुशी का कोई प्रेमी नहीं था।वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त थीं।अगर उसका कोई प्रेमी होता तो उसने मुझे जरूर बताया होता।वो मुझे सब कुछ बताती थी"...खुशी के स्वर में गुस्सा था।

"तुम्हे कुछ भी नहीं बताया...खुशी ने।सब ने तुमसे बहुत कुछ छुपाया है।" इंस्पेक्टर ने राहुल की ओर देखते हुए अर्थपूर्ण स्वर में कहा।

राहुल की आंखो में आंसू थे।

"ये सही कह रहे है..मायरा।"राहुल ने धीमी आवाज़ में कहा।

"तुम जानते हो...इस बारे में?"मायरा के स्वर में हैरानी थीं।
"हां,मैंने तुम्हे कई बार बताना चाहा।पर हिम्मत नहीं हुई।मुझे माफ़ कर दो, मायरा।"

"कौन है वो"...मायरा के स्वर में हैरानी थीं।

"मै और खुशी कॉलेज के दिनों में दोस्त थे।हम एक दूसरे को बहुत चाहते थे।खुशी ही मेरी ज़िंदगी थी।पर अचानक खुशी शहर छोड़कर चली गई।मैंने उसे बहुत ढूंढा पर उसका कोई पता नहीं चला।जब इस शहर में कॉलेज में नौकरी लगने के बाद तुम ने मुझे उस से मिलवाया तो हम दोनों बहुत हैरान हुए।मै बहुत खुश था पर तभी तुम ने बताया कि कुछ दिन पहले ही खुशी की शादी हुई है।इसलिए मै चुप रहा और खुशी से ऐसे मिला जैसे हहली बार मिले हो।
शाम को खुशी मेरे घर आयी।वो अपने निर्णय पर बहुत दुखी थी ।अगर वो कुछ दिन और शादी ना करती तो तीन ज़िंदगियां बर्बाद होने से बच जाती।
मैने उसे समझाया कि जो हो गया सो हो गया।अब उसे विशाल के साथ ही खुश रहना चाहिए।खुशी भी विशाल को धोखा नहीं देना चाहती थी।इसलिए हमने फैसला किया की हम अपना अतीत भूल जाएंगे और किसी को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे।
पर हम एक ही कॉलेज में काम करते थे और एक दूसरे से रोज़ मुलाक़ात होती थी।इसलिए खुशी मुझे भुला नहीं पा रही थी।वो ना विशाल के साथ न्याय कर पा रही थी।उसके बदले हुए स्वभाव के बारे में जब विशाल ने पूछा तो उसने उसे सब सच बता दिया।"

"तो..तो विशाल तुम भी सब जानते थे।"मायरा के स्वर में लड़खराहट थी।

"हां...मायरा मै भी तुम्हारा गुनहगार हूं।मैंने सब जानते हुए भी तुम्हे कुछ नहीं बताया। जब खुशी ने मुझे राहुल को बारे में बताया तो मेरा दिल टूट गया।मै अपना ज्यादा समय क्लब में बिताने लगा।ज्यादा शराब पीने और जुआ खेल की वजह से मुझ पर बहुत कर्ज़ा हो गया। जब मुझे पता लगा कि राहुल और तुम्हारी सगाई हो रही है तो मुझे लगा कि तुम्हारी और राहुल कि शादी हो जायेगी तो सब ठीक हो जाएगा।"

"एक मै ही बेवकूफ थी।जिसे कुछ पता नहीं था"।मायरा अपने आप से बड़बड़ा रही थी।

"मायरा शांत हो जाओ।"राहुल ने मायरा के कंधे पर सहानुभूति देने के लिए हाथ रखा।

मायरा ने गुस्से से राहुल का हाथ झटका और उठ कर कमरे से जाने लगी।

"रुक जाओ मायरा। कातिल का नाम तो सुनती जाओ।"इंस्पेक्टर ने रोका

"मुझे अब खुशी के कातिल में कोई इंटरेस्ट नहीं है।"मायरा ने पलटकर जवाब दिया।

"बैठ जाओ मायरा।अभी और भी बहुत कुछ है...जो तुम नहीं जानती।"

"इतना जानकर ही मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई।मुझे और कुछ नहीं सुनना।"मायरा ने रोते हुए जवाब दिया।
"खुशी के कातिल में तुम्हारा इंटरेस्ट नहीं है मायरा...पर अपनी मां में तो होगा"... इंस्पेक्टर ने फिर कोशिश की।

अब मायरा पलटी...उसकी आंखो में हैरानी थीं...

"मायरा ,तुम्हारी सगाई वाली रात जब सावित्री देवी खुशी को मिली तो उसे देखते ही पहचान गई कि वो उनकी सौतन की बेटी है।क्योंकि खुशी की शक्ल हूबहू अपनी मां से मिलती थी। सावित्री देवी ने किसी से कुछ नहीं कहा। पर उनकी निगाह पूरे समय खुशी पर थी।खुशी को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था।कुछ ही समय में सावित्री देवी की अनुभवी पुलिसिया आंखो ने ये भांप लिया कि राहुल और खुशी के बीच कुछ असामान्य है।सावित्री देवी असहज हो गई कि कहीं उनके साथ जो हुआ वही दंश कहीं उनकी बेटी को ना झेलना पड़े।इसलिए वो अगले दिन ही खुशी से मिलने कॉलेज गई ।वहां खुशी को उन्होंने बताया कि वो तुम्हारी सौतेली बहन है।उन्होंने खुशी को बहुत भला बुरा कहा।उन्होंने कहा कि उसकी मां ने सावित्री देवी की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी और अब वो उनकी बेटी की ज़िन्दगी बर्बाद करना चाहती थी।उन दोनो में बहुत गर्मागर्म बहस हुई क्योंकि खुशी अपनी मां के बारे में बुरा नहीं सुन सकती थी।तभी समर वहां अपनी नोट बुक लेने आया।उस ने उनकी बहस सुनी और उसे ये बड़िया मौका लगा।" खुशी उसे ड्रग्स का धंधा करने नहीं दे रही थी।इसलिए वो गुस्से उसने सावित्री देवी के जाने के बाद खुशी के दुपट्टे से उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।उसे उम्मीद थी कि पुलिस हत्या के शक में सावित्री देवी पर ही शक करेगी।पर उसे नहीं पता था कि सावित्री देवी भी पुलिस विभाग से है।
हमे भी शुरू में सावित्री देवी पर शक हुआ पर स्टाफ होने की वजह से उन्हे गिरफ्तार करने से पहले मै बिल्कुल पक्के सबूत जुटा लेना चाहता था।
विशाल को भी सावित्री देवी पर ही शक था,इसलिए वो उनके पास खुशी के प्रेमी को ढूंढने में मदद मांगने गया।वो उनके हाव भाव से अंदाजा लगाना चाहता था कि सच क्या है? पर खुशी और सावित्री देवी में कोई रिश्ता है,ये विशाल को भी पता नहीं था।"

"पर समर ने मुझ पर हमला क्यों किया?" विशाल ने पूछा

"समर की सोच के अनुसार सावित्री देवी पकड़ी नहीं गई।और तुम खुशी के कातिल को ढूंढने की बहुत कोशिश कर रहे थे।इस से समर घबरा गया था।इसी घबराहट में उसने दूसरी गलती की और तुम्हे मारने की कोशिश की।पर उसकी किस्मत फिर धोखा दे गई और तुम बच गए।तुमने उसे पहचान भी लिया।दुर्घटना के समय इस केस से जुड़ा दूसरा मोबाइल नंबर जो वहां मौजूद था,वो प्रिंसिपल साहब का था।जब उनसे पूछताछ कि गई तो उसने कुछ भी देखा होने से इंकार कर दिया।जिस से मेरा विश्वास पक्का हो गया कि वो दोनो एक दूसरे को सपोर्ट कर रहे है।प्रिंसिपल को कहा कि समर के खिलाफ पक्के सबूत मिल गए है।अगर उस ने उसका साथ दिया तो वो भी फंस जाएगा।बस प्रिंसिपल टूट गया और उसने समर के खिलाफ गवाही दे दी।वो दोनो मिलकर ही कॉलेज में ड्रग्स का धंधा करते थे।
ये केस तो सॉल्व हो गया।पर मायरा तुम्हे अपना केस खुद ही सॉल्व करना होगा।"

"मुझे माफ़ कर दो मायरा।तू ही मेरी ज़िंदगी है।तुम्हारे बिना मै ज़िंदा नहीं रह पाऊंगा।"...राहुल ने दोनो हाथ जोड़कर माफी मांगी।

"हां मायरा,इसे माफ़ कर दो।इसकी कोई गलती नहीं।ये सच में तुम्हे बहुत प्यार करता है।मेरी ज़िन्दगी तो बर्बाद ही गई।पर तुम अपनी दोनो की ज़िन्दगी मत बर्बाद कर।"विशाल ने भी राहुल का पक्ष लिया।
"रह तो मै भी नहीं सकती तुम्हारे बिना।राहुल,तू ही मेरी ज़िन्दगी है।" मायरा की आंखो में आंसू थे।

समाप्त

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लेखक - मनीष सिडाना
m.sidana39@gmail.com