तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 3 Manish Sidana द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 3

तू मेरी ज़िन्दगी हैं
भाग -3

पुलिस इंस्पेक्टर विशाल के घर पहुंचा।

मि.विशाल क्या आप पर कुछ कर्जा है?... इंस्पेक्टर ने पूछा
सभी पर होता है....विशाल ने जवाब दिया

पर ये कर्जा कुछ ज्यादा है.... इंस्पेक्टर बोला

विशाल हिचकिचाया.... जी,आप ठीक कह रहे है।

पता चला है कि आप पर ये पैसा वापिस करने के लिए बहुत दबाव था...इंस्पेक्टर ने कहा

मै ये पैसा जल्द ही लौटाने वाला हूं?

कैसे?

ये मेरा व्यकतिगत मामला है।

खुशी के इंसुरेस क्लेम के पैसों से आप ये कर्जा चुकाने वाले थे?

आप कहना क्या चाहते हैं? विशाल का स्वर तल्ख़ था।

आप खुशी के मर्डर वाले दिन सुबह 10-12 बजे कहां थे?

एक रात पहले राहुल और मायरा की सगाई थी,हम रात 3बजे वापिस आए।इसलिए देर तक सो रहा था।

क्या आपके साथ और भी कोई रहता है?

जी नहीं,इस फ्लैट में मै और खुशी ही रहते थे।

मि. विशाल, आप ये कहना चाहते है कि उस दिन आप घर पर ही सो रहे थे।

जी ,बिल्कुल।

लेकिन आपके मोबाइल की लोकेशन ये बताती है कि आप उस दिन 10.15 बजे कॉलेज में थे।

अब विशाल के चेहरे पर गहरी चिंता के भाव थे।
आपको जुए की लत ने बर्बाद कर दिया।आप ने जुआ खेलने के लिए 30 लाख का कर्जा लिया।जब पैसा वापिस करने के लिए आप पर दबाव बनाया गया।आपको धमकी दी गई कि कर्जा न चुकाया तो तुम्हारी जान ले ली जाएगी। तो आप ने एक प्लान बनाया । आपने अपनी बीवी का ही क़त्ल कर दिया और अब उसका 50लाख का जो इंसुरेंस क्लेम मिलेगा उस से आप कर्जा चुका देंगे...इंस्पेक्टर ने धाराप्रवाह कहा

नहीं....खुशी तो मेरी ज़िंदगी है।मै उसकी जान लेने की सोच भी नहीं सकता। उसे मारने से अच्छा तो मै अपनी जान दे दूंगा...विशाल ने रोते हुए कहा।

फिर आप कॉलेज किसलिए गए थे और आपने ये बात पुलिस से क्यों छिपाई?.... इंस्पेक्टर ने पूछा

मैंने सगाई वाली रात को राहुल और खुशी को बात करते सुना था।मै ये जानना चाहता था कि राहुल खुशी को क्या बताना चाहता था?राहुल बताने लगा ...इसीलिए मै पिछले गेट से कॉलेज पहुंचा ।उस गेट से आवाजाही बहुत कम है,इसलिए मुझे किसी ने नहीं देखा।

पर मै वहां पहुंचने में लेट हो गया । मै पहुंचा तो राहुल वापिस जा रहा था।मै उसे ऑडिटोरियम से बाहर आते देखा तो खंबे के पीछे छिप गया। उसके जाने के बाद मैंने खिड़की से देखा - ख़ुशी और समर कुछ बात कर रहे थे।खुशी के चेहरे को देखकर लगता था कि वो समर पर गुस्सा कर रही थी।मुझे उनकी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी।दोनो में किस बात पर विवाद था,ये मुझे पता नहीं चल पाया।उसके बाद मै वापिस आ गया।मुझे तो राहुल और खुशी की बात सुननी थीं पर वो तो मेरे आने से पहले हो चुकी थी।इसलिए मैं वापिस आ गया।

पर समर तो कह रहा था कि जब वो पहुंचा खुशी की मौत हो चुकी थीं.... इंस्पेक्टर ने कहा।

पर मैंने खुशी और समर को बात करते देखा था...विशाल ने दोहराया।

ये बात तुमने उस दिन क्यों नहीं बताई?... इंस्पेक्टर ने सख्ती से पूछा।

जिसके साथ इतना बड़ा हादसा हुआ हो,उसकी सोचने समझने की क्षमता ख़त्म हो जाती है...विशाल ने जवाब दिया।

आपको और भी कोई बात याद आ रही हो तो बता दो..पुलिस से कुछ भी छुपाने का अंजाम अच्छा नहीं होगा... इंस्पेक्टर ने कहा

अगर कुछ याद आया तो फौरन आपको बताऊंगा।



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कहानी जारी है
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लेखक - मनीष सिडाना