मैं सुन्नु द कुल्फी पर बैठा हुआ उसके बारे में सोच ही रहा था कि अचानक से मेरे उल्टे कान में उसकी वो आवाज़ पड़ी जिसे कभी सुनना मेरे लिए दिन का सबसे अच्छा काम था। “आँखों से आस-पास की लड़कियों का रेप कर रहा हैं। या किसी के बारे में सोच रहा हैं।
"तुम आ गई। मैंने ध्यान नहीं दिया।" 'एम सॉरी'
--हालात देखकर लग रहा हैं। बड़ी देर से इंतज़ार हो रहा हैं मेरा
"हम्म्म्म्म….. कुर्सी खींचकर प्लेज़र दूँ या ऐसे ही बैठ जाओगी"
--तू सिर्फ खाना आर्डर कर, कुर्सी मैं खुद खींच लूँगी
"खाना में पुराने वाले राजमा चावल ही आर्डर करूँ या वक़्त के साथ टैस्ट बदल गया हैं।"
--तेरे साथ होती हूँ। तो कहाँ टैस्ट का ख्याल रहता हैं मुझे, कुर्सी खींचकर बैठते हुए अंतिम ने कहा
खाना आर्डर होने के बाद एक लम्बी साँस खिंचते हुए अंतिम बोली, “उस शाम के पाँच आज बजे हैं। सही कह रही हूँ ना…..तुझे एक बार भी ख्याल नहीं आया मेरा, अरे एक बार बात तो करता मुझसे, मैं क्या रोकती तुझे खुद से दूर जाने के लिए, पर कम से कम एक बार बता कर तो जाता। मन में एक तसल्ली रहती, पता हैं तेरे जाने के बाद कितनी मुश्किल से संभाला था मैंने खुद को।
मुझे उम्मीद तो यही थी। कि वो बात यहीं से शुरू करेगी। पर कई बार मन ऐसी चीज़ों को मानने से मना कर देता हैं। लेकिन जब शुरुआत हो ही गई थी। तो फिर मैंने भी बड़े रोमांटिक अंदाज़ में अपनी बात शुरू कर दी।, “तुम जानती हो तुम्हारा रोना मुझे परेशान कर देता हैं। फिर भी रो रही हो, और तुम्हें, क्या लगता हैं। कि मैंने ये सब जानबूझकर किया, मेरी मजबूरी बन गयी थी। तुम्हारे पास वापस ना लौटना…उस दिन जब मैं सैलरी लेकर घर पहुँचा। तो घर में घुसते ही पापा ने मुझ पर चिल्लाना शुरू कर दिया और मुझे शख्त हिदायत दी नौकरी छोड़कर तुमसे दूर रहने की, अब ऐसा बिल्कुल मत सोचना कि मैंने उनकी इस बात का विरोध नहीं किया होगा। बल्कि मेरे विरोध करने पर उन्होंने गुस्से में आकर मेरी मार्कशीट वगैराह फाड़ कर फेंक दी और आत्महत्या करने की धमकी देने लगे और घर के बाकी लोगों ने उनकी इस बात का मौन समर्थन किया था। और ऐसा पता हैं। किस वजह से हुआ, राजन की वजह से, उसने उस बन्दे को सब बता दिया जिसने मुझे ये जॉब दिलवाई थी। कि मेरा और तुम्हारा क्या रिश्ता था। और साथ में तुम्हारे अतीत के बारे में भी, जिसे सुनकर कोई भी घर जो खुद को आदर्श समझता हैं तुम्हें नहीं अपनाता।, यानि सब कुछ के बारे में बता दिया था। और अंततः उस बन्दे ने सब पापा को बता दिया क्योंकि वो बन्दा पापा की मौसी का लड़का था। 'लंबी सांस लेकर बोलते हुए', तुम्हें पता हैं। मैं एक तरह से कैद हो गया था। किस चीज़ से, नहीं पता था। मुझे अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन बीच में छोड़नी पड़ी। क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे। और कमाने के लिए मैं जा नहीं सकता था। क्योंकि..... मैं……बस.....क्या कहूँ। सच कहूँ..., तो नहीं कह सकता
--फिर अब कैसे आज़ाद घूम रहा हैं।
"जब मैं पापा की रोज-रोज की हिदायतों से तंग आ गया तो मैंने सोच लिया था। या तो मैं आत्महत्या करूँगा या फिर घर छोड़ दूंगा। और मैंने दूसरा रास्ता चुना। वैसे इस रास्ते को चुने हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ हैं मात्र छः महीने हुए हैं।"
--तेरे परिवार ने तुझे ढूंढा नहीं
"घर छोड़ने के एक महीने बाद पापा की डेथ हो गई। दिल के दौरे से, अब वो किस लिए आया ये मुझे नहीं पता। और ना जानने की मेरी कोई इच्छा हैं। माँ अकेली थी। उन्हें बड़ा भाई और भाभी अपने साथ ले गए। मैं इस शहर में अकेला रह गया। और अब मेरी कोई खबर लेने वाला भी नहीं था। नौकरी मेरी लगी नहीं थी।, एक दोस्त के पास रह रहा था। और हालत कुछ ऐसी थी। जैसे मेरे हाथ पैर काटकर किसी ने नदी में मुझे डाल दिया हो"
मेरी इतनी लंबी कहानी सुनने के बाद अंतिम ने बड़ी मासूमियत से कहा था।, “तो अब मिल गयी जॉब
मैंने भी नज़र बचाते हुए कहा था, “हाँ, चार महीने हो गए डोमिनोज़ पिज़्ज़ा में
--तो ब्राह्मण के लड़के ने दुनिया देख ही ली कैसी हैं।, ज़ालिम हैं। ना थोड़ी सी
हाँ, कह सकती हो, लेकिन वो कहते हैं। ना, औकात से ज्यादा और वक़्त से पहले अगर सब कुछ मिल जाए तो पर्र निकल आते हैं। बस ऐसी ही कुछ कहावतों की मारी थी मेरी ज़िंदगी
--कोई बात नहीं देर आयी दुरुस्त आयी आ तो गयी अक्ल, कहावत पर दुःख से ज्यादा इस बात की ख़ुशी मना
छोड़ो मेरे बारे में कुछ अपना हाल कहो, अभी भी सेन्टर पर जॉब करती हो या पति के पैसे पर ऐश करनी शुरू कर दी
हंसकर बोलते हुए, “अफ़सोस, सेन्टर बन्द हो गया और पति के साथ मैं रहती नहीं”
मतलब
--तेरे नौकरी छोड़ने के तीन महीने बाद राजन की वाइफ ने उसे छोड़ दिया और अपने जीजा के साथ रहने चली गई थी। क्योंकि जीजा की वाइफ जो उसकी बहन भी लगती थी। वो मर चुकी थी। अब बहन के छोटे बच्चों का ख्याल था या अपना प्यार हिचकियाँ ले रहा था। ये वो ही जाने, पर राजन को वो छोड़ चुकी थी। अब जब सेन्टर संभालने वाला ही नहीं रहेगा तो बन्द तो वो होगा ही और एक बात और वो अल्का जो सराफत की देवी बनती थी। सेन्टर बन्द होने के बाद उसने राजन से ही शादी कर ली और उसने शादी के बाद बताया था कि वो राजन के साथ हमेशा से सेक्स कर रही थी।
मतलब वो झूठ बोलती थी। उस वक़्त कि ऐसा वो नहीं कर सकती कभी भी क्योंकि वो मुकुल को पसंद करती हैं।
--पता नहीं वो क्या कहती थी और क्या करती थी।, अब कौन कितने राज छुपाए हैं। कौन जाने
और पति का क्या हुआ तुम्हारे
--उस तानाशाह के बारे में तो बात ना ही करूँ। तो अच्छा हैं। पर तुझे चैन नहीं आएगा। बिना ये जाने कि उसका क्या हुआ। तो ग़ज़ल के अंदाज़ में सुनले
कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर नुस्खा आजमाया
कच्छ से लेकर अरुणाचल तक मिलने वाली हर सलाह पर किया
फिर भी ना उठी चिंगारी कच्छे के भीतर से
वो उसके बदन का हिस्सा बरसाती का मौसम था। लाख जतन बाद भी सुलग ना पाया
समझ गया और तुमने अलग होने का फैसला कर लिया। लेकिन फिर भी वो बच्चा कैसे
--अब इतना कुछ करने के बाद परिवार वाले तो मुझे रखते नहीं, इसलिए मैंने खुद ही घर छोड़ दिया। और रही बात बच्चे की वो सुधीर का हैं।
तुमने जो कहा, क्या मैंने वही सुना या कुछ और
--सही सुना, दरअशल सुधीर की जिस लड़की से शादी होने वाली थी। उसने मुकुल से कर ली
मुकुल के परिवार ने कुछ नहीं कहा
--कहते क्या, अपने लड़के ने करतूत की थी। और ऐसे लोग सुधारने का ठेका दूसरे के बच्चों का लेते हैं। अपनों का नहीं
ओके, तो अब तुम दोनों साथ में हो
--नहीं, साथ में नहीं हैं। सुधीर की डेथ हो गयी रोड एक्सीडेंट में तीन महीने पहले
तो फिर तुम अपना खर्चा कैसे चलाती हो
--पिछले साल का CTET एग्जाम मैंने क्वालिफाइड किया था। और उस कारण मुझे दिल्ली सरकार ने मंडी हाउस के एक स्कूल में केमिस्ट्री के टीचर की गवर्मेंट जॉब दे दी
इतना कुछ घट गया हम सब की जिंदगी में, काश ऐसा सब कुछ होता ही ना, लेकिन एक बात समझ नहीं आयी तुम तो मुझसे गुस्सा थी। फिर मुझे ढूंढा क्यों
--हाँ थी गुस्सा, पर अगर पता होता ये गुस्सा बाद में पहले से ज्यादा प्यार में बदलेगा तो गुस्सा करती ही नहीं और मेट्रो में जो किया वो एक मजाक था। और रही बात तुझे ढूंढने की, तू गुम ही कहाँ हुआ था। हमेशा से मेरे दिल में ही तो था।
हम्म्म्म्म
--हाँ, बिल्कुल ये हम्म्म्म्म क्या कर रहा हैं। एक और बात बताऊँ। तू वो पहले इंसान था। मेरी ज़िन्दगी में जिसने मेरी अच्छाइयों के साथ-साथ मेरी गलतियाँ, मेरी अंदर जो कमियाँ थी। उनसे प्यार किया। इसलिए मैं चाहकर भी तुझे नहीं भूल सकती
मेरा सवाल का जवाब मेरी तारीफ़ करना नहीं था। बल्कि मैंने ये पूछा था था। कि तुमने मुझे ढूंढा कैसे, फेसबुक पर मैं हूँ नहीं, मेरा नंबर तुम्हारे पास नहीं, और तो और तुम्हें तो ये भी मालूम नहीं था। मैं ज़िंदा हूँ भी या नहीं
--इधर-उधर जानबूझकर देख कर चेहरे पर एक मन्द मुस्कान लाकर बोलते हुए, एक महीने पहले, तेरा एक लड़की से ब्रेकअप हुआ। जिसके साथ तू दो महीने से एक चलती का नाम गाड़ी जैसे रिलेशन में था। पता हैं। वो कौन थी। मुकुल की एक्स गर्लफ्रेंड शीतल…..वो मेरी दोस्त हैं। मैंने उसके मोबाइल में तेरे फ़ोटो देखे और उससे ही तेरी सारी जानकारी ली
अगर ऐसा हैं। तो मेरे ब्रेकअप को ब्रेकअप कहना सही होगा
--एक रहस्यमयी सी हँसी चेहरे पर लाकर बोलते हुए, मैं एक शरीफ लड़की हूँ। मैं किसी के रिलेशन नहीं खत्म कराती
लेकिन चेहरे की मुस्कुराहट तो कुछ और कह रही हैं।
--ये सब चीज़े ही तो तुझसे प्यार करने के लिए मजबूर करती हैं। मेरी गलतियों को अनदेखा करना सब कुछ जानकर अनजान बनना, तुझे रहम नहीं आता मेरे ऊपर की एक दिन तो ऐसा ना करूँ।
शुरू में आता था। पर अब तुम्हारी ऐसी आदत हो गई हैं। मुझे कि तुम मुझे रोज़ प्यार करों
--हम्म्म्म्म……अच्छा!
वैसे, उस दिन सरप्राइज क्या था। मेरे लिए, जो तुम मुझे देने वाली थी। पाँच बजे से पहले
--उस दिन तुझे किस करने का सोचा था।
ओऊऊ, आज पहली बार ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा बुरा लग रहा हैं। पर कर क्या सकते हैं।
--कुछ नहीं कर सकते….कहकर फिर थोड़ी देर रुककर वह दोबारा मेरी आँखों में देखकर बोली, मुझे लगा कर सकते हैं।
मतलब क्या हैं। इस बात से तुम्हारा
--दुनिया समझ में भले आ गयी हो पर प्यार करने में एक्सपर्ट होना अभी बाकी हैं।
नहीं, मैं एक्सपर्ट हूँ।
--अगर हैं। तो इतनी देर से एन्ना की तरह मैं होंठ काट रही हूँ अपना तू क्रिस्टन की तरह मुझे किस नहीं कर सकता
सोचा था ऐसा पर…..जो भी हैं। अब रुका नहीं जा रहा
और अंत में मैंने i love you कहकर अंतिम के होठों को अपने होठों के बीच बड़े सहज रूप से दबा लिया था। और जिसका साक्षी फिर एक बार पूरा करोलबाग बना था।