निशी डाक Chandani द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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निशी डाक

निशी डाक

कोलकाता यूनिवर्सिटी के होस्टिंग्स हाउस यानी के वूमेन कॉलेज के बगल में ही वूमेन हॉस्टल भी है। उसे आज भी भूतिया माना जाता है। कई बार रात में यहां से डरावनी आवाज़ें आती है। यहां पढ़ने वाली कई लड़कियों ने ये महसूस भी किया है। पिछले कुछ सालों से वहां की आखरी मंजिल को सील कर दिया है। तब से बुरे हादसे होना कम हो गया है।बस आखरी मंज़िल से कई हॉस्टल में रहने वाली और उस कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों ने आत्मा हत्या की थी। आज भी कई बार उस जगह अमावस्या को रात में बहार घूमने वालो को कुछ शैतानी ताकत के वहां मौजूद होने का अनुभव भी हुआ है।

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कोलकाता यूनिवर्सिटी के होस्टिंग्स हाउस में प्रिया का दाखिला हुआ था। ओरिस्सा से प्रिया अपने मम्मी और पापा के साथ कोलकाता रहने आई थी। प्रिया के मम्मी पापा वकील थे। किसी ज़मीन के केस के सिलसिले में उन्हें दो साल वहां रुकना था इस लिए पास ही में प्रिया का दाखिला भी करवा दिया। प्रिया उनकी लौती बेटी थी। इसी लिए वो जहां भी जाते उसे अपने साथ ले जाते थे।

प्रिया का कॉलेज में पहला दिन था और उसने पहले दिन ही पूरी कॉलेज घूम ली थी यहां तक कि वो कॉलेज की आखरी मंजिल भी देखकर आई थी। प्रिया को कॉलेज बहोत अच्छा लगा था और पहले दिन ही उसकी अच्छी दोस्त भी बन गई थी सुमन। सुमन वहीं हॉस्टल में रहती थी। प्रिया का घर पास ही में था इसी लिए प्रिया ने हॉस्टल में दाखिला नहीं करवाया था। पर कभी कभी पढ़ाई करने वो सुमन के कमरे में आया करती थी।

देखते ही देखते ३ महीने बीत चुके थे। उस दिन अमावस्या थी। प्रिया के मम्मी पापा रात को काम से देर से लौटने वाले थे इसी लिए उस रात प्रिया सुमन के साथ उसके कमरे पर ही रुकने वाली थी। ऊपर से सुमन कमरे में अकेली रहती थी तो उसे भी अच्छा लगता था प्रिया का आना।

प्रिया और सुमन लैपटॉप में मूवी देखते देखते अपना प्रोजेक्ट कर रहे थे। तब ही प्रिया को बहोत प्यास लगी। सुमन ने देखा तो फ्रिज में पानी नहीं था। सुमन को तब ही याद आया कि उसकी स्कूटी की चाबी स्कूटी में ही रह गई है। उसे लेने और नीचे कॉलेज के मैन गेट पर लगे पानी के टांक से पानी लेने सुमन ख़ुद ही नीचे चली गई। प्रिया कमरे में अकेली थी इस लिए उसने अंदर से दरवाजे को कड़ी लगा ली। सुमन को बहोत डर लग रहा था क्यूंकि उसे आखरी मंज़िल के अजीबोगरीब किस्सों के बारे में पता था। पर कितने वक्त से कोई हादसा हुआ नहीं था इसी लिए सुमन थोड़ी हिम्मत दिखाकर पार्किंग में गई और स्कूटी से चाबी निकालकर पानी भरने टांक के पास आ गई। उसने वहां से दो बोतल पानी लिया और वापस अपने कमरे की और बढ़ने लगी।

सुमन ऊपर की ओर सीढ़िया चढ़ ही रही थी कि अचानक वहां की लाइट चालु बंद होने लगी। सुमन को अब वाकेहि डर लग रहा था। उसने आसपास देखा और कोई है कोई है चिल्लाया पर आसपास दूर दूर तक कॉरिडोर में कोई नहीं दिखा।

सुमन को गए देर हो गई थी तो प्रिया उसका इंतजार करते बैठी ही थी। तब ही सुमन ज़ोर ज़ोर से चिल्लाई प्रिया... प्रिया... सुमन के चिल्लाने की आवाज़ सुन प्रिया डर गई उसने जल्दी से देखा तो सुमन बाल्कनी में खड़ी रो रही थी और उसने प्रिया को सब बताया की किस तरह अब लाइट्स ऑफ़ हो गए और वो भागकर यहां तक पहुंची। सुमन को रोता देख प्रिया उसके करीब आई और जैसे ही सुमन को गले लगाने गई सीधी नीचे ज़मीन पर जा गिरी और सिर से किसी दूध के केन से गिर रहा हो वैसे खून निकलने लगा और ऑन द स्पॉट वही मर गई।

दरअसल प्रिया रूम को अंदर से बंद करके बैठी थी तो सुमन के अंदर आने का तो सवाल ही नहीं था। ऊपर से ज़मीन से पांचवे मंजिल पर आए हुए कमरे की बाल्कनी में सुमन कैसे पहुंच सकती थी? पर सुमन की यानी की निशी डाक की रोने की आवाज़ ने प्रिया को सब कुछ भुला दिया और प्रिया वहीं मर गई।

इधर सुमन भागती भागती सीढ़िया चढ़ती हुई तीसरी मंज़िल तक ही पहुंची थी और उसे वहीं प्रिया की आवाज़ सुनाई दी। पीछे से प्रिया ने उसे दो बार पुकारा। सुमन... सुमन... कहां चली गई थी तू? मैं कब से तुझे ढूंढ रही हूं। और तू वहां ऊपर कहां जा रही है अरे तेरा कमरा तो इधर है। सुमन को लगा शायद हड़बड़ी में वो ज्यादा ऊपर पहोंच गई है। सुमन प्रिया के साथ गई तो उसने देखा आसपास कमरे जैसा नहीं पर छत जैसा नजारा था। वो गलती से छत पर आ पहुंची। अब उसके सामने प्रिया थी और पूरे छत पर वो दोनों अकेले। उसने प्रिया को बहोत समझाया देख प्रिया उस दिन तेरी जिद्द पर हम यहां आ गए थे पर आज नहीं। आज अमावस्या है और रात भी बहोत डरावनी। चल जल्दी नीचे। कुछ गलत न हो जाए। तब ही उसे नीचे कुछ आवाज़ें सुनाई दी। वो दीवार से लगी रेलिंग के पास गई तो उसने देखा प्रिया प्रिया सब लड़कियां चिल्ला रही थी और प्रिया ज़मीन पर गिरी हुई थी। सुमन समझ गई के उसके सामने जो है वो निशी डाक ही है। उसने मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था और जैसे भी भागने लगी उसे ठोकर लगी और रेलिंग से कूदकर सीधी प्रिया के बगल में जा गिरी। बिल्कुल प्रिया के तरह ही उसके सिर से खून निकला। और दोनों एक ही दिन चल बसे।

उस दिन से गलती से भी कॉलेज कि एक भी लड़की रात के वक्त वहां से बहार नहीं निकलती। निशी डाक का कहर सब जानती है। अमावस्या को या रात को किसी दिन कोई पीछे से दो बार आवाज़ दे तो वहां कोई जवाब नहीं देता। क्योंकि निशी डाक केवल दो बार पुकार सकती है। अगर उसके बाद कोई आवाज दे तो सुकून मिलता है और पीछे पलटकर उन्हें जवाब देती है।

सुमन और प्रिया के हादसे ने कॉलेज में एक दहशत फैला दी थी। पढ़ाई छोड़कर जाना तो मुम्किन नहीं था पर सतर्क रहना वो उन सब लड़कियों के हाथ में था और सबने ऐसा किया। उसके बावजूद कई बार आज भी वहां लड़कियों को कोई चीखें और अजीबोगरीब आवाज़ें अमावस्या की रात को सुनाई देती है।

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