सुरमयी आंखों वाली - 4 Jyoti Prajapati द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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सुरमयी आंखों वाली - 4

उस दिन सुरमयी कहीं गयी हुई थी ! उसकी डायरी बाहर डेस्क पर ही रखी हुई थी !! जब प्रांजल की नज़र उसपर गयी तो वो उठाकर ले आई !!
प्रांजल झूमते हुए मेरे पास आकर बोली, " भाई, बता मैं क्या लेकर आई ..??" उसकी खुशी देखकर ही मैं समझ गया कि ये डायरी लेकर आई है ! खुशी के मारे मैंने उसे उसका मुंहमांगे गिफ्ट देने का प्रॉमिस कर डाला !!
प्रांजल ने डायरी खोली और पढ़ना स्टार्ट किया.......

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"मेरी मम्मी एक डायरी लिखती है तो बस में भी उनको देख कर तुम्हे मार्केट से खरीद लायी..!! अब से मैं भी तुमपर अपनी सारी बातें लिखूंगी..!!! वैसे तो मैं सातवी कक्षा में ही हूँ इसलिए इतना नॉलेज नही है डायरी लिखने का ! पर धीरे धीरे सीख ही जाऊंगी !"

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"आज दादी ने जब मेरी डायरी के इतने सारे पन्ने भरे हुए देखे तो बोली, "बेटी सुरु... ऐसे लिखोगी न तो एक महीने में ही ये डायरी भर जाएगी..!! ऐसे थोड़े ही लिखते हैं !
डायरी बिल्कुल करीने से लिखी जाती है !
जिस दिन आपके जीवन मे कुछ महत्वपूर्ण घटना होती है चाहे सुखद हो या दुखद उसके बारे में संक्षेप में लिखा जाता है दिनांक सहित !!"

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"दादी की कही बात मुझे समझ आ गयी ! अबसे मैं रोज़ की फालतू बातें नही लिखूंगी डायरी में ! सिर्फ कुछ विशेष और महत्वपूर्ण बातें ही लिखा करूँगी ! पर बिना दिनांक के।"

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प्यारी डायरी....मम्मी अपनी डायरी को "सखी" कहकर संबोधित करती हैं ! तो क्या मैं भी तुम्हारा एक अच्छा सा नाम रख दूं..?? क्या नाम रखूं.......? आअअमम्म्म.... हाँ.... "सहेली !" ये नाम अच्छा रहेगा !"
मम्मी की डायरी सखी, मेरी डायरी सहेली !!"

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24 जुलाई, 2017
दिन- सोमवार
भोपाल

ये दिन, दिनांक और पता लिखना जरूरी लगा इस बार हमें...! क्योंकि ये ही है हमारी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन.....! इस दिन ने हमे वो ज़ख्म दिया है जिसे हम जिंदगीभर नही भूल सकते ! एक हादसे ने हमारी पूरी ज़िंदगी बदल कर रख दिया ! बर्बाद कर दिया हमे।

सुबह नहाकर हम जल्दी घर से निकले ! कॉलेज जाना था ! तो सोचा श्रावण मास का प्रथम सोमवार है शिवजी के दर्शन करते हुए कॉलेज जाएंगे ! पहुँच गए गुफा मंदिर ! भोलेनाथ के दर्शन किये और कॉलेज पहुंच गए। कॉलेज में पहुंचे ही थे कि गेट पर ही कॉलेज के सबसे वाहियात स्टूडेंट, निहायती छिछोरे लड़के, आदर्श और सोहेल मिल गए। हमे देखते ही फब्तियां कसनी शुरू कर दी !
जब कॉलेज से घर जाने के लिए निकले थे तब भी वे हमें देखकर अश्लील बातें और हरकतें कर रहे थे...!! हमने उन्हें जवाब देना उचित नही समझा ! चुपचाप अपने रास्ते चलते रहे। थोड़ी देर बाद दोनो अपनी बाइक लेकर आ गए ! और अपनी नीच हरकतें शुरू कर दी !! हम और तेज़ी से चलने लगे..!!!
जितनी जल्दी हो सके बस स्टैंड पहुंचना चाहते थे !! ताकि उन दोनों आवारा कुत्तों से पीछा छूटे !! हम चल रहे थे पर ऐसा लग रहा था जैसे वही कदम उठाकर वही रख रहे हो ! रास्ता खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था !! पर भोलेनाथ की कृपा से हमे एक ऑटो दिख गया । हमने हाथ देकर रोका उसे ! ऑटो में बैठते ही हमने राहत की श्वास ली ! चलो पीछा छूटा नालायको से !
सोच लिया था हमने इस बार, इनकी शिकायत घर पर और कॉलेज में करना है हमे !
आधी रास्ते तक ही पहुंची थी कि कॉलेज से सर का फ़ोन आ गया! सीसीई के लिए सबको ग्रुप में बांट रहे थे और प्रश्न दे रहे थे ! हर ग्रुप को एक प्रोजेक्ट बनाना था ! अपना सिर पीटकर हम ऑटो वाले को वापस कॉलेज की ओर मुड़ने को बोले।
कॉलेज में पहुंचते ही हम सबसे पहले प्रिंसिपल के ऑफिस पहुंचे ! उन्हें आदर्श और सोहेल की शिकायत की ! सर ने हमारे सामने ही दोनो को डांटा और बोला कि "अगली बार शिकायत नही मिलनी चाहिए वरना, घर पर तो खबर जाएगी ही कॉलेज से भी निकाल दूंगा !" सर ने साथ मे हमे भी डांटा क्योंकि ये दोनो हमे पिछले सालभर से परेशान कर रहे थे और अब तक हमने किसी को बताया नही था !

खैर, हमने दोनो को चेताया कि अगली बार ऐसी कोई हरकत
मत करना और वापस उसी ऑटो में बैठकर निकल लिए !

ऑटो वाला पहले तो धीरे ही चला रहा था लेकिन अचानक ही उसने स्पीड बढ़ा दी और ऑटो को सुनसान सड़क की ओर मोड़ लिया ! हम उससे पूछ रहे थे तो वो बोला ये शॉर्टकट है !! कई सारे किस्से सुन किये थे मैंने इसलिए डर गए ! उस ऑटो ड्राइवर की नीयत समझ चुके थे हम..! हम चीखते हुए उससे ऑटो रोकने का बोल रहे थे ! पर वो सुनने को तैयार ही नही हुआ ! हमने अपना बैग उसके सिर पर दे मारा, जिससे ऑटो पर से उसका संतुलन बिगड़ गया और थोड़ी आगे जाकर ऑटो पलट गया ! हम ऑटो से जैसे-तैसे बाहर आये ! पैर में चोट लग चुकी थी और दर्द तो इतनी भयंकर उठा कि हम चल ही नही पा रहे थे ! दो कदम भी मुश्किल से चले होने की किसी ने हमे पकड़कर खींच लिया ! वही ऑटो ड्राइवर था ! उसने हमें जबरन खींचकर फिर से ऑटो में बिठाया पर हमने उसे धक्का देकर गिरा दिया !!
फिर से जैसे ही आगे बढ़े, सोहेल और आदर्श भी आ गए ! हम अब समझ चुके थे आज हमारी साथ बहुत गलत होने वाला है ! रोंगटे खड़े हो गए हमारे !!
दोनो हमारी ओर बढ़ते जा रहे थे और हम पीछे हट रहे थे !!

इतने में सोहेल बोला, " यहां कोई नही आने वाला तुझे बचाने ! कितनी ही तेज़ आवाज़ में चिल्लाओ, कोई नही सुनेगा !!"

मैंने आसपास देखा, वास्तव में कोई नही था वहां जो हमारी मदद करता !

पीछे कदम रखा तो किसी पत्थर पर धरा गया ! हम गिर पड़े लड़खड़ाकर !! सोहेल फुर्ती से हमारी ओर बढ़ा तो हमने पास पड़ा वही पत्थर उसके मुंह पर दे मारा ।सोहेल चीख उठा।
आदर्श भागकर आया सुकि मदद करने ! तो हमने फुर्ती से पास में पड़े तीन चार पत्थर उठाकर उसके मुंह पर भी मार दिए।

दोनो का चेहरा लहुलुहान हो चुका था !! हम जैसे ही उसे धक्का देकर भागने लगे आदर्श ने हमे पीछे से पकड़ना चाहा ! इस चक्कर मे कुर्ती फट गई हमारी !! और हम फिर से गिर पड़े ! पर इस बार जो गिरे तो उठना नामुमकिन हो गया !
क्योंकि तीनो ही हमपर हावी होने लगे थे ! आंखे बंद होने लगी थी हमारी ! हम छटपटा रहे थे और वे तीनों अपनी हद से बाहर आ रहे थे।
जैसे ही उनमे से एक नए हमारे शरीर पर हाथ रखा हम अंदर तक कांप उठे और जितनी तेजी से बन सके चीखे ! लेकिन थोड़ी देर बाद हमारी चीख हमे ही नही सुनाई पड़ रही थी।

हम समझ गए ! हमारी आवाज़ ने भी साथ छोड़ दिया है हमारा !! उसके बाद हमारी आंखे बंद हो गयी।

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जब आंखे खुली तो खुदको हॉस्पिटल में पाया ! अपने शरिर से ही चिढ़ हों रही थी हमे ! इतना गंदा महसूस कर रहे थे, जिसे शब्दो मे बयां नही किया जा सकता !! नर्स हमे ऐसे देख रही थी जैसे गलत हमारे साथ नही हुआ, बल्कि गलत हमने ही किया हो !!

पुलिस आई हमारा बयान लेने ! हम होस्पिटल कब आये? किस हालत में आये? कौन लाया )? कुछ खबर नही थी हमे !! डॉक्टर ने पुलिस से कहा, " देखिए, रेप की पुष्टि नही हुई है ! प्रयास किया गया था !!"

हम हैरान रह गए सुनकर ! रेप नही हुआ सिर्फ कोशिश की गई..?? मतलब क्या था डॉक्टर का..? हम जानते हैं हमारे साथ गलत हुआ है ! चाहे बेहोंश हो चुके थे पर महसूस कर पा रहे थे हम !!
हमने डॉक्टर से पूछना चाहा, पर आवाज़ ही नही निकल रही थी गले से !! डॉक्टर हमारी दशा समझते हुए बोली, " सुरमयी जी, बड़े ही दुख के साथ बोलना पड़ रहा है पर आप कभी बोल नही पाएंगी !!"

एक ओर पहाड़ टूट कर गिरा हमपर जैसे !! हम फिर से बेहोंश हो गए।

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हफ्ते भर तक एडमिट रहने के बाद हमे डिस्चार्ज कर दिया गया ! पूरे घर के लोग हमसे दूरी बनाकर रहने लगे !! खाना भी मम्मी कमरे में अलग रख जाती !! जब हम सबके पास बात करने जाते, सब लोग इधर उधर देखते हुए दूसरे कामो में लग जाते !! हम समझ गए ! सबको हमसी तकलीफ होने लगी है ! हमारे साथ जो कुछ भी हुआ उसका जिम्मेंदार हमे समझा जा रहा है !

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एक दिन हमें अचानक ब्लीडिंग शुरू हो गयी ! इतनी तेज बहाव था रक्त का की हम बर्दाश्त नही कर पा रहे थे ! घर मे बिना किसी को खबर किये हम हॉस्पिटल पहुंचे! डॉक्टर ने चेकअप किया !
उन्होंने जो बताया वो हमें बहुत सुकून पहुंचाने वाला था ! सच मे हमारे साथ रेप नही हुआ था !
हम घर पहुंचे ! मा पापा आगबबूला हो गए हम पर ! खूब कोहराम मचा घर मे ! भाभी बोली, "इतना कुछ हो गया, फिर भी तुम्हे घर मे चैन नही !! हमे तो सुकून से रहने दो !!"

सिर्फ भाभी ही नही मम्मी ने भी बहुत कुछ सुनाया!!पढ़ाई बन्द करवा दी गयी हमारी ! घर मे एक कमरा ही हमारी पूरी दुनिया बन गया ! बस दिनभर दीवार और छत को ताकते रहते ! समाज, रिश्तेदार भी आये दिन सहानुभूति के नाम पर कलंक लगाने से बाज नही आते ! जीना दूभर हो चुका था हमारा ! सबको शादी की चिंता सताने लगी थी हमारी।

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अति तो उस दिन हुई हमारे आठ जब हमे बिना बताए हमारा रिश्ता तय कर दिया गया ! वो भी हमारे 23 साल बड़े व्यक्ति से ! जिसकी खुद की बीस साल की एक बेटी थी !!
दिल धक से रह गया हमारा ! हमने सबसे खूब मिन्नतें की!
पापा बोले, " अब क्या चाहती हो तुम ? हम जिंदगीभर तुम्हे घर मे बिठाकर रखें और लोगो की बातें सुने !! बस रिश्ता तय हो चुका है तुम्हारा !! जल्द ही शादी भी करवा देंगे !"

घर मे जब हमसे छुटकारा चाहते थे ! हम बिल्कुल उम्मीद नही थी इस बात की कि हमारे घरवाले ही हमे नही समझेंगे ! ऐसे हालात में तो घरवाले ही हिम्मत देते हैं ! पर हमारे घरवाले तो हमारी हिम्मत तोड़ रहे थे !
सबसे ज्यादा गुस्सा आया हमे उस व्यक्ति पर जिसका रिश्ता तय हुआ था हमसी ! बिल्कुल शर्म नही आई उसे ! अपनी बेटी की उम्र की लड़की से शादी करने के लिए हां कहने में !!
और हमारे बारे में समाज मे इतनी बातें फैल चुकी थी तो क्या वो हमें वैसे ही स्वीकार करेगा, जैसे अपनी पहली पत्नी को किया था...??"

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शादी का दिन करीब आ गया ! और हमारे हाथ पीले कर दिए गए ! पर ससुराल में मायके से ज्यादा सुकून मिला हमे ! रात दिन के तानों से छुटकारा पा लिया था ने ! सोचा, चलो अब जो भी है, यही ज़िन्दगी है !! अब इसी में खुशी ढूंढ लेंगे !!

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पर सारी गलतफहमी जल्द ही दूर हो गयी हमारी ! जब हम पता चला हमारे पति की पहली पत्नी ज़िंन्दा है !! जब उनसे मुलाकात हुई तो होंश उड़ गए हमारे !! बहुत रोई वो हमसे मिलकर ! हमे तो समझ ही नही आ रहे थे क्या करें..?
उन्होंने ही रोते हुए हमें बताया, " एक के बाद एक चार गर्भपात करवाये गए उनके ! बेटे की चाह में ! सबसे पहले जब बेटी को जन्म दिया तो किसी को समस्या नही आई ! पर जब हर बार लड़की हुई तो सबको तकलीफ होने लगी !!"

अब सब क्लियर हो गया हमे ! वारिस चाहिए हमारे ससुराल वालों को इसलिए हमसे शादी करवाई गई ! अपना उल्लू भी सीधा हो गया और हमपर हमारे घरवालो पर एहसान ही ! साथ ही साथ समाज मे नाम भी !!

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शादी के डेढ़ साल बाद हमने उनके वारिस को जन्म दिया !! बेटे के आते ही सबका व्यवहार बदल गया हमारे प्रति ! क्योंकि अब मतलब निकल चुका था तो क्यों नाटक करते सब भले बनने का !

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दिन ब दिन ससुराल वालों का व्यवहार बद् से बद्तर होने लगा हमारे साथ !!
जब बर्दाश्त के बाहर हुआ, तो अपने बेटे को लेकर भाग आये हम !!

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दरबदर भटकने के बाद हमे पनाह मिली ! शहर के ही एक अनाथालय में ! जहां छोटे बच्चों को संभालने के लिए किसी महिला की आवश्यकता था ! अनाथालय की इंचार्ज को जब मैंने अपनी व्यथा सुनाई, तो वे मुझे काम पर रखने के लिए सहर्ष तैयार हो गयी !!
उसी के साथ उन्होंने हमें कस्तूरबा गांधी छात्रावास में रहने की व्यवस्था करवा दी !! पर हमें किराया देना पड़ता था ! इसके अलावा हमें पास के ही एक कोचिंग सेंटर पर भी पढ़ाने का काम दिलवा दिया था मैडम ने।
जब हमारे अपनो ने हमारा साथ छोड़ दिया तब एक अनजान ने हमारे लिए मसीहा बनकर मदद की !!

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धीरे - धीरे ज़िन्दगी रफ्तार पकड़ रही थी !! उस दिन हम बाबा महाकाल के दर्शन कर पैदल ही अनाथालय के लिए जा रही थी ! तब रास्ते मे उसे देखा !!
उसकी मुस्कुराहट में जैसे खो से गए थे हम !! पर अचानक हमारे सामने हमारा अतीत चलचित्र की भांति घूमने लगा !
पर पता नही क्यों उसकी मुस्कान में क्या जादू था, हम अपना सारा दर्दोगम भूल गए ! अनाथालय आकर भी उस व्यक्ति की मुस्कान हमारी आंखों के सामने से हट ही नही रही थी !!

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पहले हम दूसरे रास्ते से अनाथलय जाते थे ! पर जब से उस व्यक्ति को देखा, हम उसी रास्ते से जाने लगे !! छात्रावास से निकलते ही हम बाबा महाकाल से प्रार्थना करते कि वो हमें दिख जाए ! और बाबा ने हमारी प्रार्थना सुन ली !!

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आज हमे नाम पता चला उसका, " अर्चित " ! जितनी प्यारी उनकी मुस्कान उतना ही प्यारा नाम !!

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जाने क्या होने लगा है हमे ! जब तक एक बार अर्चित जी को देख नही लेते सुकून ही नही मिलता !! हम कितनी ही कोशिश करते उनका ख्याल ना आये हमारे मन मे ! पर रोक ही नही पाते ! बस चलता ही नही जिया पर !! लेकिन जब भी अतीत याद आता हम सिहर उठते !!
नही...... हम गलत कर रहे हैं !! आज के बाद हम उधर जाएंगे ही नही !! दूर ही रहेंगे ! अपने अतीत की काली परछाई उनपर नही पड़ने दे सकते हम !!

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अनाथालय की इंचार्ज मैडम को कहीं दूसरे अनाथलय में भेज दिया गया था ! उनकी कृपा से ही हम अबतक छात्रावास में कम फीस दिए रह रहे थे ! मगर अचानक ही फीस बढ़ा दी गयी ! अब यहां रहना हमारे लिए मुमकिन नही !!"

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हमारे कोचिंग पर ही आने वाली एक स्टूडेंट, जो आप हमारी सहकर्मी भी है प्रांजल हमने उसे अपनी समस्या बताई ! उसने कहा," हम घर जाकर अपने मम्मी पापा से बात करके आपको बताते हैं !!"

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प्रांजल के घरवालो ने हमे रहने के लिए रूम दे दिया था ! हमने अगले ही दिन अपना सामान शिफ्ट कर लिया ! वैसे तो हम बाद में भी अपना सामान शिफ्ट कर सकते थे , पर जब हम पता चला कि प्रांजल अर्चित जी की बहन है हम अपने आप को रोक ही ना सके और पहुंच गए !!"

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आजकल दिन बड़ी ही खुशी के साथ बीत रहे हों हमारे ! एक अनजानी खुशी, पॉजिटिविटी रहने लगी है हमारे अंदर !! और इसका कारण जानते हैं हम !! और जहां तक हम समझ पा रहे हैं अर्चित जी भी कहीं ना कहीं हमे चाहने लगे हैं !! लेकिन अब हमें यही पर रोकना होगा सबकुछ !
सच बताना होगा उन्हें !!"

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"बस खत्म....?? आगे तो कुछ लिखा ही नही है इसमें !!" प्रांजल ने डायरी का पेज पलटते हुए कहा। फिर वो बोली, " भाई.... अब क्या करोगे आप सुरमयी का पास्ट जानने के बाद...????"

(5)

(जारी)